भारतीय न्यायिक प्रणाली पर गुलाम का आजाद बयान
भारतीय न्यायिक प्रणाली बहुत धीमी है : गुलाम नबी आजाद
पूर्व केंद्रीय रेलवे मंत्री ललित नारायण मिश्रा का 99वा जन्म दिवस 22 मार्च को मनाया गया। जिसमें कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद और भारतीय जनता पार्टी के नेता भी वहां उपस्थित थे। ललित नारायण मिश्रा को याद किया गया और उनकी याद में एक संबोधन भी आयोजित किया गया, जहां कांग्रेस के नेता गुलाम नबी आजाद के साथ-साथ कई अन्य नेता भी मौजूद थे।
जन्म दिवस पर गुलाम नबी आजाद ने एलएन मिश्रा को नमन करते हुए अपना संबोधन शुरू किया। नेता गुलाम नबी आजाद का कहना है कि, “ललित नारायण मिश्रा को मैं मृत नहीं मानता। बल्कि में उन्हें शहीद का दर्जा देता हूं और उन्हें शहीद ही मानूंगा।” उनका यह भी कहना है कि ललित नारायण जी सेवा की भावना से आए थे और ऐसी बहुत ही कम लोग मिलेंगे जिनका उद्देश्य केवल सेवा की भावना होता है।
इतना ही नहीं गुलाम नबी आजाद न्याय और न्यायालय कि गति की ओर उपस्थित सभी लोगों का ध्यान आकर्षित करते हुए कहते हैं कि, “हमारी न्यायिक प्रणाली बहुत धीमी है। जजों की भर्ती में देरी हो रही है। जबकि ऐसा नहीं है कि वकीलों की कमी है, लेकिन न्यायाधीशों की कमी देखी जा रही है।”
अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए राजनीति पर कटाक्ष करते हुए गुलाम नबी आजाद कहते हैं कि, “आज की राजनीति में बहुत कुछ बदल गया है, अब राजनीति पैसा कमाने या प्रसिद्धि पाने का एक जरिया बनकर रह गई है। अब यह केवल यही तक सीमित है।”
पूर्व केंद्र रेल मंत्री ललित मिश्र को याद करते हुए गुलाम नबी आजाद ने साथ-साथ स्वतंत्रता सैनानी भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के आजादी में उनके दिए हुए योगदान को भी याद किया।
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