EDITOR'S OPINION
बाबरी मस्जिद मामले में आरएसएस और उस की संगठनों ने 180 डिग्री टर्न क्यों लिया, आप भी जानिए?
बाबरी मस्जिद राम जन्मभूमि विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट के संभावित फैसले के बाद आर एस एस और उसके संगठनों की ओर से आ रही प्रतिक्रियाओं ने बहुत सारे सवाल खड़े कर दिए हैं. उन्हीं में से कुछ सवाल यह हैं कि आखिर जो आर एस एस - बीजेपी के नेता या उसके संगठन पहले से यह कहते आ रहे थे कि फैसला मंदिर ही के हक में आएगा या हम वहां मंदिर बनाने जा रहे हैं या वहां हम मंदिर बनाएंगे या वहां मंदिर ही बनना चाहिए या वह जगह मंदिर ही की है या उस जगह को मंदिर के लिए दे देने चाहिए, अब वह इस बात का प्रचार प्रसार करने में क्यों जुट गया है कि फैसला जो भी आए उसे स्वीकार किया जाना चाहिए.
क्यों उनकी ओर से यह कहा जा रहा है कि हम इस फैसले को लेकर खुशी नहीं मनाएंगे और इसके लिए देशव्यापी मूवमेंट भी चलाया जाएगा. इन सारी चीजों ने बहुत सारे सवाल खड़े कर दिए हैं. सवाल यह उत्पन्न होता है कि क्या r.s.s. को पता है कि फैसला क्या आने वाला है या ज़मीन को दो या तीन हिस्सों में बाटा जा रहा है? आखिर पहले और अब तक के वक्त में इतना बड़ा विरोधाभास क्यों है? यह किस चीज़ को रेखांकित करता है?
क्या इसके जरिए से मुसलमानों पर दबाव बनाने की कोशिश हो रही है? जबकि मुस्लिम संगठन तो पहले से ही एकमत थे और हैं कि फैसला जो भी आए सर्वोच्च न्यायालय का वह उन्हें पूरी तरह से स्वीकार होगा. सवाल ये भी पैदा होता है कि आखिर किस चीज ने आर एस एस को यह माहौल बनाने के लिए मजबूर किया कि वह इस तरह का माहौल बनाये कि फैसला जो भी आए उसे स्वीकार किया जाना चाहिए.
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