अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का समापन
अलीगढ़ 27 फरवरीः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग द्वारा ‘100 इयर्स ऑफ द वेस्टलैंड, यूलिसिस एंड जैकब्स रूम’ विषय पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। कांफ्रेंस के समापन समारोह को सम्बोधित करते हुए फारसी अनुसंधान संस्थान की संस्थापक, मानद सलाहकार और पूर्व निदेशक प्रोफेसर अजरमी दुख्त सफवी ने अंग्रेजी विभाग के अध्यक्ष और आयोजन सचिव प्रोफेसर मोहम्मद आसिम सिद्दीकी को इस तरह के एक समावेशी और बहु-विषयक संगोष्ठी की कल्पना और आयोजन के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि भाषा विभागों को अपने साहित्यिक आयोजनों में अन्य भाषाओं और संस्कृतियों को अवश्य शामिल करना चाहिए।
प्रो. आसिम सिद्दीकी ने अपनी समापन टिप्पणी में सम्मेलन में व्यक्त अनंत दृष्टिकोणों से किसी पाठ को पढ़ने और फिर से पढ़ने की संभावनाओं को रेखांकित किया।
प्रो. समीना खान ने सांस्कृतिक संध्या की मुख्य विशेषताओं पर प्रकाश डाला, जिसे उन्होंने प्रो. आयशा मुनीरा रशीद के साथ आयोजित किया, ताकि प्रतिभागियों को उस जगह की संस्कृति से परिचित कराया जा सके जो पश्चिमी लोकाचार और पूर्वी मूल्यों का एक संयोजन है।
सम्मेलन की विस्तृत रिपोर्ट में, संयोजक, डॉ. किश्वर जफीर ने कहा कि सम्मेलन का जोर आधुनिकता और आधुनिकतावाद पर था, जो विचार और अभिव्यक्ति के एक तरीके के रूप में अत्यधिक गतिशील 20वीं सदी के बारे में दो प्रमुख प्रतिस्पर्धी शब्द हैं। सम्मेलन में देश भर से लगभग 150 प्रतिभागियों ने भाग लिया और एलियट के आधुनिकतावाद से वूल्फ के नारीवाद तक, विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला पर हाइब्रिड मोड में 23 पेपर रीडिंग सत्र आयोजित किए गए।
सम्मेलन में आधुनिकतावाद के विभिन्न पहलुओं पर इसके अस्थायी और स्थानिक दोनों आयामों पर तीन पूर्ण सत्र आयोजित किये गए। मुख्य भाषण प्रोफेसर मोतीलाल रैना, पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ द्वारा दिया गया, जिन्होंने शेष विश्व की तुलना में यूरोप के संदर्भ मंश एलियट, जॉयस और वूल्फ के आधुनिकतावाद के बारे में बात की। जामियाा मिल्लिया इस्लामिया, नई दिल्ली के प्रोफेसर अनीसुर रहमान ने अपने संबोधन में टी.एस. एलियट की लोकप्रियता पर चर्चा की और एक लेखक, छात्र और शिक्षक के रूप में एलियट के सन्दर्भों को समझने के अपने अनुभव को साझा किया। उन्होंने उल्लेख किया कि कैसे इन तीन ग्रंथों के बारे में 1922 से बात की जा रही है, लेकिन 2023 में ही प्रोफेसर आसिम सिद्दीकी ने इन प्रामाणिक लेखन के 100 वर्षों पर सम्मेलन आयोजित करने का चुनौतीपूर्ण कार्य किया। प्रोफेसर अमृतजीत सिंह, ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी, ओहियो, यूएसए ने अपने व्याख्यान में युद्ध कवियों की उपेक्षा के प्रति इन अत्यधिक प्रशंसित आधुनिकतावादी लेखकों के दृष्टिकोण के संदर्भ में ‘आधुनिकतावाद के सरोकार’ पर प्रकाश डाला।
यूरोपीय आधुनिकतावाद पर चर्चा की श्रृंखला को तोड़ते हुए, प्रो. खालिद जावेद और प्रो. अनीसुर रहमान के साथ लेखकों की गोलमेज चर्चा आयोजित की गयी जिसका मॉडरेशन प्रो. मोहम्मद आसिम सिद्दीकी ने किया जिसमें उर्दू साहित्य पर एलियट के प्रभाव के बारे में एक जीवंत चर्चा हुई और एलियट से भी पहले, उर्दू और दुनिया के अन्य साहित्य में पाए जाने वाले आधुनिकतावादी रुझानों पर विचार किया गया।
सम्मेलन पूर्व कार्यक्रम में टी.एस. एलियट, जेम्स जॉयस और वर्जीनिया वूल्फ पर व्याख्यान और पैनल चर्चा की एक श्रृंखला आयोजित की गई। प्रोफेसर मोहम्मद आसिम सिद्दीकी के सक्षम मार्गदर्शन और पर्यवेक्षण के तहत, पहली बार इस तरह के पूर्व-सम्मेलन कार्यक्रमों की एक श्रृंखला आयोजित की गई है। उल्लेखनीय है कि पूर्व-सम्मेलन वक्ताओं में प्रो. एस.जेड.एच. आबिदी और प्रो. अमीना काजी अंसारी शामिल थे।
सम्मलेन पूर्व कार्यक्रमों के एक भाग के रूप में अनुवाद, अनुकूलन, पुनर्कल्पना और ग्रंथों की पुनर्व्याख्या पर ध्यान केंद्रित करते हुए कई प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं। चित्रात्मक प्रतिनिधित्व में माहीन जुबेरी, जोया अहमद और अदील ने क्रमशः पहला, दूसरा और तीसरा पुरस्कार जीता जबकि कविता का पुरस्कार मोहम्मद अनस और शम्स उद दोहा ने साझा किया। डॉ. मो. साजिदुल इस्लाम इन कार्यक्रमों के समन्वयक थे।
डॉ किश्वर जफीर ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
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एएमयू के एमबीए विभाग द्वारा छात्रों और शिक्षकों के लिए एक विस्तार व्याख्यान-सह-चर्चा का आयोजन
अलीगढ 27 फरवरीः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन विभाग द्वारा छात्रों और शिक्षकों के लिए एक विस्तार व्याख्यान-सह-चर्चा का आयोजन किया।
‘केंद्रीय बजट 2023ः मुद्दे, चिंताएं और आगे की रूपरेखा’ विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए डॉ मनोरंजन शर्मा, मुख्य अर्थशास्त्री, इन्फोमेरिक्स वैल्यूएशन एंड रेटिंग प्राइवेट लिमिटेड ने व्यय की दक्षता और निरंतरता के तत्व के बारे में बात की।
महामंदी (1929) और वैश्विक मंदी (2008) के सिद्धांतों का उल्लेख करते हुए, डॉ. सिंह ने केंद्रीय बजट की यात्रा और इसकी प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला और चालू वर्ष के बजट में सरकार के फोकस क्षेत्रों और एमएसएमई, कृषि, स्वास्थ्य सेवा, बैंकिंग और ऊर्जा सहित विभिन्न क्षेत्रों पर इसके प्रभाव पर प्रकाश डाला।
उन्होंने जलवायु परिवर्तन, कार्बन उत्सर्जन, और रूस-यूक्रेन युद्ध जैसी अंतरराष्ट्रीय आवश्यकताओं के प्रभाव को रेखांकित किया, जो सरकारों का ध्यान केंद्रित करता है और नवीकरणीय ऊर्जा और एक स्थायी दुनिया के लिए उनकी नीतियों में बदलाव का कारण बनता है।
अतिथियों का स्वागत करते हुए, विभागाध्यक्ष प्रोफेसर जमाल ए फारूकी ने केंद्रीय बजट का बारीकी से विश्लेषण करने की आवश्यकता पर बल दिया।
प्रो. जावेद अख्तर ने अपनी प्रारंभिक टिप्पणी में पूंजीगत व्यय, राजकोषीय राजस्व और बजट की अन्य मुख्य बातों पर संक्षेप में चर्चा की।
डॉ. परवेज तालिब ने बजट की व्यापक चिंताओं पर चर्चा की और बजटीय निर्णयों के माध्यम से राष्ट्र के विकास को आगे बढ़ाने में नेतृत्व और रणनीति के महत्व पर जोर दिया।
प्रो. सबूही नसीम ने धन्यवाद ज्ञापित किया। विभाग की सह पाठ्यचर्या समिति द्वारा आयोजित कार्यक्रम का संचालन एमबीए अंतिम वर्ष के छात्र सायंतन मजूमदार ने किया।
इस बीच, शिक्षकों डॉ. आसिफ अख्तर और डॉ. अहमद फराज खान के नेतृत्व में एमबीए अंतिम वर्ष के छात्रों के लिए इंडियन ऑयल रिफाइनरी (आईओआर), मथुरा का एक औद्योगिक दौरा आयोजित किया गया। श्री राम राज, सीनियर मैनेजर, लर्निंग एंड डेवलपमेंट, आईओआर ने 20 छात्रों के समूह का स्वागत किया।
डॉ. एम के. रे, उप महाप्रबंधक, शिक्षण और विकास, आईओआर ने छात्रों से रिफाइनरी संचालन के बारे में कार्यसाधक ज्ञान प्राप्त करने का आग्रह किया।
तकनीकी सत्र का संचालन करते हुए श्री ए आर मिश्रा, उप महाप्रबंधक, तकनीकी सेवाएं, आईओआर ने विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्रोतों से कच्चे तेल की खरीद से लेकर पेट्रोल (नाफ्था), एविएशन टर्बाइन फ्यूल (एटीएफ), डीजल, कोलतार, आदि जैसे विभिन्न उत्पादों को निकालने तक के पूरे संचालन के कामकाज के बारे में विवरण दिया। उन्होंने छात्रों को एक इंटरैक्टिव प्रश्न-उत्तर सत्र में भी शामिल किया।
रिफाइनरी के दौरे के दौरान, छात्रों को रिफाइनरी के प्रमुख संयंत्रों और प्रक्रियाओं, जैसे फ्रैक्शनिंग कॉलम, हाइड्रोजन टैंक, फर्नेस और पाइपलाइन (शीतलन और आपातकालीन) की जानकारी दी गई।
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इंटरएक्टिव सेशन आयोजित
अलीगढ़ 27 फरवरीः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के विधि संकाय और डॉ. बी.आर. अम्बेडकर हॉल द्वारा संयुक्त रूप से कानून के छात्रों के लिए एक इंटरैक्टिव सत्र का आयोजन किया गया।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में विधि संकाय के अधिष्ठाता और विधि विभाग के अध्यक्ष प्रो. मोहम्मद अशरफ ने छात्रों से आग्रह किया कि वे कानूनी अध्ययन में समकालीन विकास से खुद को अवगत रखने के लिए अतिरिक्त प्रयास करें।
डॉ बी.आर. अम्बेडकर हॉल के प्रोवोस्ट, प्रो हशमत अली खान ने इस तरह की बातचीत के महत्व और प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला।
सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया के एडवोकेट, श्री वसीम खान ने फैकल्टी ऑफ लॉ के छात्रों को मुकदमेबाजी या संबद्ध पेशे में करियर बनाने में सहयोग और सहायता का आश्वासन दिया।
उन्होंने मुकदमेबाजी की पेचीदगियों पर प्रकाश डाला और छात्रों के उन्मुखीकरण की आवश्यकता पर बल दिया।
थ्योरी ऑफ अबरोगेशन के निदेशक, श्री नजीब खान ने प्रश्न-उत्तर सत्र में छात्रों के प्रश्नों का उत्तर दिया और न्यायपालिका की प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा, और साक्षात्कार के लिए अर्हता प्राप्त करने के लिए तैयारी के सम्बन्ध में सुझाव दिए।
कैफ हसन, ज्वाइंट सीनियर हॉल, डॉ. बी. आर. अंबेडकर हॉल ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
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दवाखाना तिब्बिया कॉलेज की नई वेबसाइट लॉन्च
अलीगढ़, 27 फरवरीः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर ने आज दवाखाना तिब्बिया कॉलेज के लिए एक नई वेबसाइट लॉन्च की और दवाखाना की डिजिटल उपस्थिति और नए ग्राहकों तक पहुंच बनाने में सुधार के लिए नई वेबसाइट के महत्व और इसकी क्षमता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि नई वेबसाइट डीटीसी के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जो हर्बल दवाओं में नवाचार और आधुनिकीकरण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है।
प्रोफेसर सलमा ने नई वेबसाइट का प्रदर्शन करते हुए कहा कि इसकी एक ई-कॉमर्स शाखा है और एक सुरक्षित ऑनलाइन लेनदेन प्रणाली है, जिससे ग्राहक आसानी से और सुरक्षित रूप से भुगतान कर सकते हैं। एक आसान इंटरफेस के साथ ये वेबसाइट एक आधुनिक और आकर्षक डिजाइन भी प्रस्तुत करता है, जो उपयोगकर्ताओं के लिए एक सहज खरीदारी अनुभव प्रदान करता है।
उन्होंने कहा कि वेबसाइट का उद्देश्य ग्राहकों को डीटीसी की हर्बल दवाओं और उत्पादों को ऑनलाइन खरीदने का एक सुविधाजनक और सुरक्षित तरीका प्रदान करना है।
उपयोगकर्ताओं को डीटीसी में नवीनतम विकास से अवगत रखने के लिए इसमें एक समाचार अनुभाग भी शामिल है।
लॉन्च समारोह में वित्त अधिकारी प्रो मोहम्मद मोहसिन खान, एमआईसी डीटीसी, प्रो सलमा अहमद, मार्केटिंग असिस्टेंट मैनेजर शारिक आजम और डीटीसी के प्रोडक्शन असिस्टेंट मैनेजर हकीम अब्दुल्ला ने भाग लिया।
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इंटेलीपाट द्वारा एएमयू के 21 छात्रों का चयन
अलीगढ़, 27 फरवरीः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के विभिन्न पाठ्यक्रमों के इक्कीस छात्रों को कई चयन प्रक्रियाओं के बाद बेंगलुरु स्थित ई-लर्निंग प्लेटफॉर्म इंटेलीपाट द्वारा नौकरी की पेशकश कि गयी है।
श्री साद हमीद ने बताया कि चयनित छात्रों में गगन अग्रवाल (एमआईआरएम), अभिन चतुर्वेदी (एमआईआरएम), शिवानी सिंह (पीजीडीबीएम), अख्तर हुसैन (बीए-जर्मन), अंकित नारायण देव (एमबीए), फरहान सिद्दीकी (बीए पॉलिटिकल साइंस), खुर्शीद रहमानी (बीए जर्मन), मोहम्मद साकिब खान (एमबीए-एग्री बिजनेस), निकहत यासमीन (एमकॉम), मो. अनस (एमबीए), मो. शादान अंसारी (बीकॉम), मो. जैद (एमबीए), मोहम्मद उबैदा नजीर (बी.कॉम), रकीब अख्तर (एमबीए), सौरव सिंह हिंडोल (बी.वाक), शारिब फराज (एमबीए), अली रजा (एमए-इकोनॉमिक्स), सोहराब हुसैन (एमबीए), शमा फातिमा (एमबीए-इस्लामिक बैंकिंग), अंसार अहमद (एमबीए), और भाग्यश्री सिरोही (एमएससी-ओआर) शामिल हैं।
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थाइलैंड के राजदूत द्वारा एएमयू का भ्रमण
अलीगढ, 27 फरवरीः भारत में थाईलैंड की राजदूत सुश्री पट्टारत होंगटोंग के नेतृत्व में थाईलैंड के एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने रविवार को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का दौरा किया और प्रो-वाइस चांसलर प्रो मोहम्मद गुलरेज से उनके आवास पर भेंट की।
सुश्री पट्टारत और प्रोफेसर गुलरेज ने एक्सचेंज कार्यक्रमों के माध्यम से शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में एएमयू और थाईलैंड विश्वविद्यालयों के बीच भविष्य के सहयोग को बढ़ावा देने पर चर्चा की।
राजदूत महोदया ने मौलाना आजाद पुस्तकालय का भी दौरा किया और संस्थापक सर सैयद अहमद खान को विश्वविद्यालय मस्जिद में उनके मकबरे पर श्रद्धांजलि अर्पित की। दिल्ली रवाना होने से पहले वह एएमयू के थाईलैंड छात्र संघ द्वारा आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में शामिल हुईं।
विदेशी छात्रों के प्रभारी और सलाहकार, प्रो सैयद अली नवाज जैदी और एएमयू के जनसंपर्क अधिकारी, उमर पीरजादा भी इंटरैक्टिव बैठक में शामिल हुए।
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भारत-चीन संबंधों पर ऑनलाइन व्याख्यान
अलीगढ़, 27 फरवरीः डॉ. रविप्रसाद नारायणन, एसोसिएट प्रोफेसर, सेंटर फॉर ईस्ट एशियन स्टडीज, स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज, जेएनयू, नई दिल्ली ने अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय के फॉरेन लैंग्वेज डिपार्टमेंट द्वारा आयोजित एक व्याख्यान में भारत-चीन द्विपक्षीय आर्थिक और व्यापारिक संबंधों सहित दोनों देशों के बीच सीमा मुद्दों पर प्रकाश डाला। ‘भारत-चीन संबंधः अवलोकन और आगे क्या?’ विषय पर एक ऑनलाइन व्याख्यान के दौरान, डॉ. नारायणन ने बदलते वैश्विक परिदृश्य में भारत-चीन संबंधों के भविष्य के बारे में विस्तार से बात की। उन्होंने बीजिंग, शिनजियांग, तिब्बत और ताइवान की मौजूदा स्थिति पर भी चर्चा की।
इससे पहले, प्रोफेसर जावेद इकबाल, डीन, फैकल्टी ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज ने भारत-चीन संबंधों के वर्तमान परिदृश्य पर विचार-विमर्श किया और चीन के साथ आर्थिक और व्यापार संबंधों पर जोर दिया। उन्होंने चीन के साथ भारत के व्यापार घाटे पर भी बात की।
स्वागत भाषण के दौरान श्री उदय सिंह कुंवर, सहायक प्राध्यापक (चीनी) ने भी व्याख्यान की विषय-वस्तु का परिचय दिया।
श्री सुहैल अख्तर, सहायक प्रोफेसर (रूसी भाषा) ने ‘भारत-चीन संबंधों पर रूसी धारणा’ के बारे में संक्षेप में बात की, जबकि श्री कांत कुमार, सहायक प्रोफेसर (चीनी) ने प्रश्न-उत्तर सत्र का संचालन किया, और धन्यवाद भी ज्ञापित किया।
सुश्री नाजनीन, बी.ए. (ऑनर्स) ने कार्यक्रम का संचालन किया। श्री अजीम और सुश्री आयशा ने इस कार्यक्रम के लिए फ्लायर डिजाइन किया।
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