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डॉ. उदित राज ने अखिल भारतीय असंगठित कामगार और कर्मचारी कांग्रेस का पदभार ग्रहण किया

नई दिल्ली: आज कांग्रेस के कामगार और कर्मचारी कांग्रेस के प्रधान कार्यालय पर हज़ारों कामगार और कर्मचारी कार्यकर्ताओं ने इकट्ठा होकर डॉ उदित राज को पदभार ग्रहण पर बधाई और शुभकामनाएं दी। भारत में सबसे बड़े असंगठित क्षेत्र के कामगारों के लिए एक सशक्त आवाज उठाने के लिए राहुल गांधी ने अखिल भारतीय असंगठित कामगार कांग्रेस की स्थापना की। रोजमर्रा की समस्याओं से जूझता कामगार रोज कमाता है तो जीविकोपार्जन कर पाता है।

By: Press Release

डॉ. उदित राज ने अखिल भारतीय असंगठित कामगार और कर्मचारी कांग्रेस का पदभार ग्रहण किया



नई दिल्ली: आज कांग्रेस के कामगार और कर्मचारी कांग्रेस के प्रधान कार्यालय पर हज़ारों कामगार और कर्मचारी कार्यकर्ताओं ने इकट्ठा होकर डॉ उदित राज को पदभार ग्रहण पर बधाई और शुभकामनाएं दी। भारत में सबसे बड़े असंगठित क्षेत्र के कामगारों के लिए एक सशक्त आवाज उठाने के लिए राहुल गांधी ने अखिल भारतीय असंगठित कामगार कांग्रेस की स्थापना की। रोजमर्रा की समस्याओं से जूझता कामगार रोज कमाता है तो जीविकोपार्जन कर पाता है।

 

समारोह को सम्बोधित करते हुए डॉ उदित राज ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी को इस बड़ी जिम्मेदारी देने के लिए धन्यवाद किया। हज़ारों नेता और कार्यकर्ताओं का आभार प्रकट किया कि वे दूर-दूर से बधाई देने आए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के शासन काल में कामगारों के लिए बने कल्याणकारी योजनाएं दम तोड़ रही हैं। कांग्रेस ने आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में सब्सिडी दी, असंगठित क्षेत्र को आयकर व बिक्री-कर आदि के दायरों से बाहर रखा। ई.एस.आई की स्वास्थ्य सेवा, लघु ऋण से स्वरोजगार, सामाजिक सुरक्षा योजना की विभिन्न योजनाएं, नेशनल पेंशन स्कीम, स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना के अतिरिक्त एल.आई.सी की जीवन मंगल व जीवन मधुर जैसी सुविधाएं असंगठित कामगारों के लिए हैं, लेकिन सशक्त संगठन न होने के कारण इन्हें उनका पूरा लाभ नहीं मिल रहा है।

 

तमाम कानूनी अधिकारों जैसे द बिल्डिंग एंड अंडर कंस्ट्रक्शन वर्कर्स एक्ट 1996, डोमेस्टिक वर्कर्स रजिस्ट्रेशन, सोशल सिक्योरिटी एंड वेलफेयर एक्ट- 2008, स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट- 2014 आदि के माध्यम से इनका उत्थान अखिल भारतीय असंगठित कामगार और कर्मचारी कांग्रेस (KKC) करने के लिए दृह संकल्प है। ग्रामीण भारत में पंचायती राज के माध्यम से कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ने के अतिरिक्त खेतिहर मजदूर अथवा मौसमी व्यवसाय पर आश्रित कामगारों को मनरेगा के माध्यम से 100 दिन के न्यूनतम रोजगार गारंटी दी गई जो कांग्रेस सरकार की बहुत बड़ी देन थी। मोदी को मनरेगा से बड़ी घृणा है और वर्तमान में कई राज्य हैं जो केंद्र सरकार का फंड न मिलने से मृतप्राय हो रही हैं।

 

जब से मोदी सरकार केंद्र में आई तभी से कामगारों के संबंधित कल्याणकारी योजनाएं दम तोड़ने लगी हैं। यह सरकार पूंजीपतियों के लिए काम कर रही है। बीजेपी शासित उप्र, एमपी सहित छ राज्यों में औद्योगिक विवादों का निपटारा, व्यावसायिक सुरक्षा, श्रमिकों का स्वास्थ्य व काम करने की स्थिति संबंधित सभी कानून समाप्त कर देने का प्रावधान हैं। नोटबंदी ने भूखा रखा, कोरोना की पहली लहर में करोड़ों असंगठित कामगार कितनी यातनीओं से गुजरे, जिसे पूरी दुनिया ने देखा है।

 

पार्टी ने प्रथम बार कर्मचारी को इस संगठन से जोड़ा है। मोदी सरकार निजीकरण के माध्यम से सरकारी नौकरी के रास्ते बंद कर रही है। लेटरल एंट्री के माध्यम से आरएसएस के लोगों को आईएएस और अन्य उच्च पदों पर भर्ती की जा रही। लाखों युवा कड़ी परिश्रम से सिविल सर्विस का सपना देखने वालों का अवसर मार दिया है। अटल बिहारी वाजपेयी  की सरकार ने कर्मचारियों की पेंशन खत्म कर दी थी, वह पुनः लागू किया जाए। केंद्र सरकार एवं राज्य सरकारों में लगभग 80 लाख पद खाली हैं और जिन्हें भरने के लिए संघर्ष करना होगा। देश का प्रधानमंत्री संसद में बोले कि सरकार का काम व्यापार करना नहीं है। पंडित जवाहरलाल नेहरू जी, इंदिरा गांधी से लेकर कांग्रेस की सभी सरकारों ने करोड़ों लोगों को सरकारी नौकरी दी तो क्या वह व्यापार था? पीएसयू, शिक्षण संस्थाएं और सरकारी विभाग का निर्माण और विस्तार न होता तो करोड़ों नौकरियां कहा से आती? दलित, आदिवासी, पिछड़े, महिला, गरीब और दिव्यांग आदि को आरक्षण कैसे मिलता? मोदी जी इसे व्यापार करना कहते हैं। आश्चर्य है कि करोड़ों युवा सड़क पर नहीं उतरते और मूकदर्शक बने हैं। सरकारी संपत्ति को इसलिए बेचा जा रहा है ताकि नौकरियां खत्म हो जाएं।

 

डॉ. उदित राज ने आगे कहा कि सरकारी आंकड़ों के अनुसार देश में 38 करोड़ कामगार हैं और अब तक करीब 9 करोड़ ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत हुए हैं। अखिल भारतीय असंगठित कामगार और कर्मचारी कांग्रेस प्रतिबद्ध हैं, सभी को ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत कराके इनके अधिकारों की लड़ाई लड़ना है। कामगारों को लेबर कार्ड से जोड़कर सभी श्रमिकों को श्रमिक कल्याण योजनाओं का लाभ पहुंचाना। शीघ्र ही हेल्पलाइन के द्वारा देश के श्रमिकों को सहायता दी जाएगी।

 

अभी तक असंगठित कामगार ही इस मोर्चे पर जोड़े गए थे और अब कर्मचारी भी हिस्सा हो गए हैं। अब इसका नामकरण अखिल भारतीय असंगठित कामगार और कर्मचारी कांग्रेस हो गया है। देश में करोड़ो सेवानिवृत कर्मचारी हैं अब देश और संविधान बचाने के लिए उन्हें मैदान में उतरना होगा। शिक्षक, बैंक कर्मी और तमाम क्षेत्र के कर्मचारियों को आगे आना होगा। कर्मचारियों की समस्या कामगार से भिन्न हैं अतः उन्हें अलग से संगठित किया जाएगा। शीघ्र ही उनके संगठन की शुरुआत होगी।

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