नयी दिल्ली: केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी द्वारा अल्पसंख्यकों को 5 करोड़ स्कॉलरशिप दिए जाने के एलान को पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा के पूर्व डिप्टी चेयरमैन के. रहमान खान ने महज एक "जुमला" बताया है. उन्हों ने कहा कि केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने पहले यह ऐलान किया कि अल्पसंख्यकों के 5 करोड़ स्कॉलरशिप दी जाएगी और उस का हव्वा खड़ा किया गया, उस के बाद उन्होंने कहा कि 1 साल में एक करोड़ और 5 साल में 5 करोड़ स्कॉलरशिप दी जाएगी जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार का पिछला रिकॉर्ड काफी खराब है.
उन्होंने कहा कि पिछले 5 सालों के रिकॉर्ड को अगर आप देखें तो केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी के नेतृत्व वाले अल्पसंख्यक मंत्रालय ने स्कॉलरशिप के नाम पर अल्पसंख्यकों के साथ छलावा किया है. उन्होंने ईयर 2 ईयर (साल दर साल) ब्यौरा देते हुए कहा कि जहां प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार में अल्पसंख्यकों को स्कॉलरशिप के नाम पर बड़ी रकम दी गई थी वही प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने उनको स्कॉलरशिप के नाम पर ठगने का काम किया गया है.
उन्होंने बताया कि 2011-12 में 62 लाख स्कॉलरशिप बांटी गई जिसका बजट 978 करोड़ था. उन्होंने कहा कि 2012-13 में 72 लाख स्कॉलरशिप बांटी गयी जिस का बजट 1112 करोड़ था, वहीं 2013-14 में 87 लाख स्कॉलरशिप दी गई जिसका बजट 1479 करोड़ रुपए था, जबकि मोदी सरकार ने इसके विपरीत काम किया है.
के. रहमान खान ने दावा किया कि अल्पसंख्यक मंत्रालय का डाटा यह बताता है कि 2014-15 में मोदी सरकार ने 84 लाख स्कॉलरशिप दी है जिस का बजट 1639 करोड रुपए था वही 2015 16 में सिर्फ 52 लाख स्कॉलरशिप बांटी गई और बजट घटाकर 1291 करोड़ होगया. उन्होंने कहा कि 2016 -17 में सिर्फ 48 लाख स्कॉलरशिप दी गई और बजट घटाकर 1010 करोड़ होगया. इसी तरह 2017 18 में 55 लाख स्कॉलरशिप बांटी गई और बजट 1352 करोड़ रुपए था.
के. रहमान खान ने मोदी सरकार पर प्रहार करते हुए कहा कि पहले इस सरकार के मंत्री जुमला छोड़ते हैं और फिर गोदी मीडिया उसका ढिंढोरा पीटने में लग जाता और एक हव्वा बना कर उसको जनता के सामने पेश करने की कोशिश होती है और यह दर्शाया जाता है कि जो कुछ हो रहा है वह पहली बार हो रहा है इससे पहले ऐसा कभी नहीं हुआ था,
उन्होंने कहा कि यदि सच में अल्पसंख्यकों की हितैषी मोदी सरकार है तो उसे चाहिए कि जमीनी स्तर पर उनके उत्थान के लिए काम करे.
अब सवाल यह पैदा होता है कि एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बात को दोहरा रहे हैं कि वह 70 सालों में अल्पसंखयकों के साथ हुए छल में छेद करना चाहते हैं तो दूसरी तरह वह कौन लोग हैं जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सपनों को साकार नहीं होने देना चाहते हैं और सिर्फ एक के बाद एक जुमला छोड़कर जुमले के जाल में देश को फंसाना चाहते हैं और प्रधानमंत्री की कोशिश पर बट्टा लगना चाहते हैं और वह चाहते हैं कि अल्पसंख्यकों का विश्वास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार पर कायम ना हो. इस ओर प्रधानमंत्री और उनके कार्यालय को संजीदगी से सोचने कि जरूरत है.
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