नई दिल्ली: वित्तीय संकट का सामना कर रहे देश के दस्तकारों, शिल्पकारों और बुनकरों के लिए मोदी सरकार सस्ते दर पर कर्ज की सुविधा वाली एक योजना शुरू करने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है जिसे विरासत योजना नाम दिया जा सकता है।
दरअसल, देश भर में हैंडलूम और दूसरी तरह के पुराने पेशे में लगे लोगों की खराब वित्तीय स्थिति को देखते हुए राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास एवं वित्त निगम (एनएमडीएफसी) ने हाल ही में सस्ते दर पर व्यावसायिक कर्ज मुहैया कराने के लिए यह योजना शुरू करने का एक प्रस्ताव मंत्रालय को भेजा था।
अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने भाषा को बताया, एनएमडीएफसी की ओर से करीब दो महीने पहले यह प्रस्ताव आया और इस पर मंत्रालय विचार कर रहा है। इसके पूरे खाका और वित्तीय प्रबंधन पर गौर करने के बाद इस योजना को मंजूरी दी जाएगी।
एनएमएडीएफसी के एक अधिकारी ने कहा, दस्तकारी और हस्तकला में शामिल लोगों की वित्तीय हालत खराब है। बहुत सारे स्थानों पर हैंडलूम कामगार काफी दिक्कतों का सामना कर रहे हैं। यह हमारे देश के सबसे पुराने पेशों में शामिल हैं। एक तरह से ए हमारी विरासत का प्रतीक भी हैं। इसीलिए हमने इस योजना का प्रस्ताव तैयार किया तो इसे विरासत योजना नाम देने का फैसला किया।
उन्होंने कहा, मंत्रालय की ओर से मंजूरी मिलने के बाद हम इसका पूरा खाका लोगों के सामने पेश करेंगे। वैसे हमने अपने प्रस्ताव में यह अनुशंसा की है कि देश की पुरानी कला में शामिल लोगों को जरूरत के हिसाब से 10 लाख रुपए तक का रियायती कर्ज मुहैया कराया जाए।
एनएमडीएफसी के अधिकारी ने कहा, योजना में हमने यह भी सिफारिश की है कि महिला कारीगरों के लिए ब्याज की दर पुरुषों के मुकाबले कम रखी जाए।
अधिकारी ने कहा कि वित्तीय प्रबंध और योजना का पूरा खाका तैयार होने के बाद ही लाभार्थियों की संख्या के बारे में फैसला किया जाएगा।
गौरलब है कि मंत्रालय की ओर से अल्पसंख्यकों की पारंपरिक कलााशिल्प की समृद्ध विरासत के संरक्षण और परंपरागत कारीगरों की क्षमता निर्माण के लिए उस्ताद (अपग्रेडिंग द स्किल्स एंड ट्रेनिंग इन ट्रेडिशनल आर्ट्साक्राफ्ट्स फॉर डेवलपमेंट) योजना पहले से चलाई जा रही है।
(इनपुट भाषा)