मोहम्मद अहमद
नई दिल्ली, 02 जनवरी, वतन समाचार ब्योरो:
असम के 3,20,00000 से अधिक लोगों की नागरिकता पर लटकी तलवार के दरमियान इसमें से 1,90,00000 लोगों को एनआरसी में शामिल कर लिया गया है. इस पूरे मामले पर पत्रकारों से नई दिल्ली में बात करते हुए ए आई यू डी एफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष
मौलाना बदरुद्दीन अजमल ने कहा है कि जिन लोगों का नाम छूट गया है उसमें कई VIP भी हैं, खुद वह और उनके घर के कई सदस्य शामिल हैं, इसलिए वह असम की जनता से अपील करते हैं कि वह इस मामले में किसी तरह का विद्रोह ना करें और अमन बनाये रखें. मौलाना बदरुद्दीन अजमल ने कहा कि 32000000 लोगों में से एक करोड़ 1,9000000 लोगों का नाम शामिल किया गया है. उसमें उनका नाम और उनके बेटे का नाम शामिल नहीं है, जबकि वह भारत की संसद में आसम की नुमाइंदगी करते हैं. मौलाना अजमल ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से अपील की कि वह जल्द से जल्द एनआरसी को हिदायत दे कि इस मामले में आगे की कार्यवाही करते हुए जो लोग रह गए हैं उनके नाम शामिल किए जाएं. मौलाना अजमल ने उम्मीद जताई कि इस मामले में किसी के साथ भेदभाव और दुर्व्यवहार नहीं होगा. उन्होंने कहा कि यह 1971 के बाद जो लोग आए हैं उन्हें जाना है इसलिए जिन लोगों को डिपोर्ट करना है इस मामले में केंद्र सरकार से वह जानना चाहते हैं कि उन्हों ने इस सिलसिले में क्या कोशिश की.
अभी तक बंगला देश से नहीं हुई कोई बात
मौलाना ने कहा कि जहां तक उनकी जानकारी में है कि अब तक बांग्लादेश सरकार से 17 मीटिंग हो चुकी है लेकिन इस मामले में कोई बात नहीं हुई है जो कि चिंताजनक है. उन्होंने कहा कि अगर कोई ऐसा व्यक्ति जो 1971 के बाद आया है और NRC के बाद वह अपनी नागरिकता सर्वोच्च न्यायालय में भी साबित नहीं कर पाता है तो उसे जाना ही होगा लेकिन इस मामले में केंद्र सरकार का रवैया समझ में नहीं आ रहा है.
NRC पर संदेह
AIUDF के सांसद राधेश्याम विश्वास में पत्रकारों को बताया कि इस मामले में NRC ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि तीन करोड़ 20 लाख लोगों में से 2.3 करोड़ लोगों का नाम चिन्हित किया जा चुका है जबकि सूची सिर्फ 19000000 लोगों की आई है इसलिए कुछ संदेह मालूम होता है. उन्होंने कहा कि बहुत से लोग हैं जिनका नाम है लेकिन उनकी फैमिली के लोगों का नाम नहीं है. बाप का नाम है बेटे का नाम नहीं है जो समझ से बाहर है. राधेश्याम ने उम्मीद ज़ाहिर की कि इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय की अगुवाई में हो रहे काम को आगे बढ़ाया जाएगा और लोगों को इंसाफ मिलेगा.
सरकार से सवाल
मौलाना बदरुद्दीन अजमल ने बताया कि एक प्राइवेट चैनल ने दावा किया है कि एनआरसी की सूची फाइनल होने के बाद 40 लाख लोग रह जाएंगे. उन्होंने कहा कि उन्हें मालूम नहीं कि यह किस बुनियाद पर कहा जा रहा है, इस लिए सरकार को देश को पूरे मामले को बताना होगा.
सिटीजन अमेंडमेंट बिल पर चिंता
सिटीजन अमेंडमेंट बिल पर अपनी चिंता प्रकट करते हुए उन्हों ने कहा कि यह बिल संसद के इस सत्र में नहीं आसका है लेकिन आगामी सत्र में आने की संभावना है. जैसा कि खबरें आ रही हैं कि सरकार कई देशों के हिंदू नागरिक जो भारत में आकर बस गए हैं उनको भारत की नागरिकता देने पर विचार कर रही है जबकि विदेशों से आने वाले दूसरे समुदाय के लोगों के बारे में ऐसी बात सामने नहीं आ रही है, जबकि हमारा देश एक धर्मनिरपेक्ष देश है, इसलिए सरकार को इस पूरे मामले पर जवाब देना चाहिए. मौलाना अजमल ने केंद्र सरकार को सीख देते हुए कहा कि सरकार को सियासत करने के बजाये जनता के सेवक के तौर पर काम करना चाहिए.
कांग्रेस पर प्रहार
कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए मौलाना ने कहा कि AGP के मुख्यमंत्री के ज़माने में आसाम में कुल 1,75000 डी-वोटर थे जबकि कांग्रेस ने इसे 5 लाख तक पहुंचा दिया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस मामले को हमेशा के लिए ख़त्म कर सकती थी, लेकिन कांग्रेस शुरू से ही इस मामले राजनीतिक प्रयोग करने की कोशिश करती रही.
लोगों का शुक्रिया
मौलाना अजमल ने एनआरसी की पहली सूची आने के बाद असम में शांति बनाए रखने के लिए लोगों का शुक्रिया भी अदा किया. उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति के फांसी पर लटक जाने के अलावा कोई ऐसी ना खुशगवार घटना नहीं हुई है जबकि यह भी नहीं होनी चाहिए थी. सरकार को इस मामले में ईमानदारी से काम करने की जरूरत है.
ज्ञात रहे की पहली सूची में जिन लोगों का नाम नहीं आया है उसमें सांसद विधायक और कई पूर्व विधायक भी शामिल है जिसमें बीजेपी और कांग्रेस के विधायक और पूर्व विधायकों के साथ साथ NRC के कोऑर्डिनेटर का नाम भी है जो पहली सूची में नहीं आया है.