मोहम्मद अहमद:
नई दिल्ली वतन समाचार ब्योरो:
सुप्रीम कोर्ट के जरिए एक मजलिस की तीन तलाक (तलाक़े बिदअत) को ख़त्म किए जाने के बाद एक मजलिस की 03 तलाक पर कानून लोकसभा से पास हो चुका है. अब इसे राज्यसभा से पास होना बाकी है.
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आरिफ मोहम्मद खान, पूर्व मंत्री भारत सरकार (फाइल फोटो)[/caption]
क़ानून के पीछे का असली नायक:
इस बीच
वतन समाचार ने उस हस्ती को खोज निकाला है, जिसके एक खत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तीन तलाक के लिए कानून बनाने पर मजबूर कर दिया.
वतन समाचार से टेलीफोनिक बातचीत में देश के पूर्व केंद्रीय मंत्री और मशहूर समाजी रहनुमा आरिफ मोहम्मद खान ने बताया कि:
6 अक्टूबर 2017 को उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक तफ़सीली खत लिखा था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पांच पन्नों के इस ख़त में उन्होंने उनसे एक मजलिस की तीन तलाक (तलाक-ऐ-बिदअत) को खत्म करने के लिए संसद से कानून बनाने की अपील करते हुए कहा था कि अगर सरकार इस पर आगे नहीं बढेगी तो वह अगले महीने आंदोलन करने के लिए मजबूर होंगे.
वतन समाचार से बातचीत में उन्हों ने बताया कि मुझे ऐसा लगा कि शायद प्रधानमंत्री इस पर इतनी तवज्जो नहीं देंगे, क्योंकि इस की ज़ुबान सख्त थी. हमने इस में यह भी कहा था कि अगर संसद से कानून पारित नहीं होता है तो फिर वह आंदोलन के लिए मजबूर होंगे. उन्होंने बताया कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की थी कि जिस तरह 1986 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को संसद के जरिए पलट कर धूमिल किया गया उसी तरह इस बार नहीं होना चाहिए, इसलिए कानून बनाना जरूरी है.
प्रधान मंत्री का आया फोन
अगले दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मेरे पास फोन आया. फिर 1 घंटे की लंबी मीटिंग में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पूरे प्रकरण को समझाने की कोशिश की. बातचीत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहा कि यह सदियों पुरानी बिदअत खत्म होनी चाहिए. आरिफ मोहम्मद खान ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वादा किया कि कल कोई आपसे मिलेगा.
JS लॉ ड्राफ्टिंग पहुंचे आरिफ मोहम्मद खान के घर
आरिफ मोहम्मद खान ने बताया कि अगले ही दिन लॉ मिनिस्ट्री के लोग उनके घर आगए. जॉइंट सेक्रेटरी ड्राफ्टिंग ने उनसे कहा कि ड्राफ्ट बनाने में वह उन से सरकार की मदद चाहते हैं. जिस पर मैं ने कहा कि मै सिर्फ दो चीजें चाहता हूँ. इसमें सजा का प्रावधान होना जरूरी है, ताकि तलाक तलाक तलाक की प्रथा पर रोक लगे. मुझे खुशी है कि मेरी दोनों बातों को सरकार ने माना, और इस सदियों पुरानी बिदअत को खत्म कर दिया गया.
मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड पर निशाना:
आरिफ मोहम्मद खान ने बताया कि मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के लोग कहते हैं कि मेंटेनेंस पति की जिम्मेदारी नहीं है, और कुरान की आयत मुसलमानों के लिए नहीं बल्कि मुत्तकियों के लिए है. अगर मेंटेनेंस शरीयत का हिस्सा नहीं है, तो एक मजलिस की तीन तलाक भी शरीयत का हिस्सा नहीं है.
जिंदगी में कानून बनने से ख़ुशी हुई:
मीनाक्षी लेखी के जरिये 28 दिसंबर-२०१७ के संसद के दिन को आरिफ मोहम्मद खान और इन जैसे लोगों को समर्पित किए जाने की बात पर उन्होंने कहा कि मैं मीनाक्षी जी का शुक्रिया अदा करता हूं कि उन्होंने मुझे इस लायक समझा, लेकिन मैं इससे ज्यादा अल्लाह का शुक्र अदा करता हूं कि मेरी जिंदगी में इस पूरे मामले पर फैसला आ गया वरना होता यह है कि तहरीक चलाने वाले चले जाते हैं, उसके बाद कोई कानून आता है और लोग उनको याद करते हैं.
अल्लाह के साथ प्रधान मंत्री का भी शुक्रिया:
उन्होंने कहा कि मुझे कोई एजाज नहीं चाहिए मैं सिर्फ और सिर्फ अल्लाह का शुक्र अदा करता हूं और इस्लाम के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शुक्रिया अदा करता हूं, क्योंकि जो बंदों का शुक्र अदा नहीं करता वह अल्लाह रब्बुल आलमीन का भी शुक्रगुजार नहीं हो सकता.
तलाक़ इस्लाम का हिस्सा लेकिन...
आरिफ मोहम्मद खान के मुताबिक तलाक की प्रथा को दुनिया की कोई ताकत खत्म नहीं कर सकती है, क्योंकि अगर मियां बीवी साथ नहीं रहना चाहते तो उन्हें कोई रोक नहीं सकता, और इस्लाम ने दोनों को ही तलाक़ का अधिकार दिया है जिसे बीवी दे तो खुला कहा जाता है, लेकिन एक मजलिस की तीन तलाक यह सदियों पुरानी बिदअत थी इस पर रोक लगाना जरूरी था. इस संबंध में सरकार ने एक सराहनीय कदम उठाया है क्योंकि मुस्लिम बच्ची जब जवान होती है तो वह इस सोच के साथ जवान होती है कि उसका पति जब भी चाहेगा उसे तलाक तलाक तलाक कह कर अलग कर देगा, और इस तरह की बातें मैं अपनी जिंदगी में देख चुका हूं.
क़ानून एक सबक
जिस तरह से सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी यह बिदअत जरी थी और लोग बाज़ नहीं आ रहे थे तो यह कानून उन के लिए एक सबक है.
बोर्ड पर इस्लाम की छवि धूमिल करने का आरोप:.
आरिफ मोहम्मद खान ने AIMPLB पर आरोप लगाया कि इस्लाम के चेहरे को ख़राब करने के लिए बोर्ड पूरी तरह से जिम्मेदार हैं. अगर यह लोग किसी दूसरे देश में होते तो लोग सड़कों पर इनको सजा देते. 1986 में बोर्ड ने कहा कि क़ुरान के अनुसार मेंटेनेंस मुसलमानों के लिए नही बल्कि मुत्तकियों के लिए है, इस से गलत बात और क्या हो सकती थी.
बोर्ड पर सवाल:
मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के वकील पर सवाल उठाते हुए आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय में कपिल सिब्बल ने भी खुद को बोर्ड से अलग कर लिया था. ऐसा इतिहास में पहली बार देखा गया कि वकील यह कह रहा हो कि जिस तरह से उस की आस्था है कि अयोध्या में राम पैदा हुए उसी तरह से मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड की यह पुरानी आस्था है, बोर्ड ने इस से खुद को अलग क्यों नहीं किया.
बोर्ड के लोगों से सवाल:
तीन तलाक देने पर बोर्ड के जरिये सोशल बायकॉट के सवाल पर आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि यह लोग क्या सोशल बायकॉट करेंगे, मैंने तो यह पूछने की कोशिश की कि मुस्लिम पर्सनल बोर्ड में कितने ऐसे लोग हैं जिन्होंने तीन तलाक के जरिए से अपनी बीवियों को घरों से निकाल दिया है? इस पर खामूही क्यों है?
सजा कम है:
सज़ा के सवाल पर आरिफ मोहम्मद खान का कहना था कि जहां तक सजा में ज़ियादती की बात कही जा रही है तो यह बिल्कुल बेबुनियाद है. उन्होंने कहा कि अगर 40 कोड़े लगाए जायें जो हज़रत उमर RA के ज़माने में लगाए जाते थे तो कोई जिंदा नहीं बचेगा. इस हिसाब से यह सजा बहुत कम है.
बोर्ड ने संसद से की थी कानून बनाने की अपील ...
आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने सर्वोच्च न्यायालय में हलफनामा दिया था कि वह इस मामले में हस्तक्षेप न करे, अगर सरकार चाहे तो पार्लियामेंट के जरिए इस संबंध में कानून बना सकती है, और जब सरकार ने कानून बना दिया है तो अब यह लोग कह रहे हैं कि सरकार कानून इस संबंध में नहीं बना सकती है. और इसे शरीयत में मुदाखिलत बता रहे है, जबकि शरियत में कोई मुदाखिलत नहीं कर सकता है, सिर्फ सदियों पुरानी बिदअत को रोका गया है.
अल्लाह का शुक्रिया:
आरिफ मोहम्मद खान ने
वतन समाचार से बातचीत करते हुए कहा कि मैं अल्लाह का शुक्रगुजार हूं कि उसने मुझे शरीयत की समझ अत की है. सबसे बड़ी बात यह है कि मुझे कुरान की अल्लाह ने फहम अता की है, यह मेरे लिए सबसे बड़ा एजाज है.