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अशोक गहलोत का अब तक का सबसे धमाकेदार इंटरव्यू

सवाल- तमाम सियासी चीजें यहां चल रही हैं लेकिन सबसे पहले आज जो चर्चा में आपका वो बयान है कि आज आपने जो पूर्व डिप्टी सीएम या एमएलए कांग्रेस के सचिन पायलट के लिए कहा, कई बातें आज कही हैं आपने, उसका हम संदर्भ समझना चाहते हैं कि किस संदर्भ में आज आपने ये बात कही, लोग जानना भी चाहते हैं?जवाब- देखिए मैंने संगठन के संदर्भ में कही और जिस प्रकार संगठन उन्होंने चलाया, संदर्भ वो था कि जबसे वो आए हैं, इतना बड़ा विश्वास मुझपर भी किया गया था जब मैं आया था, युवा पीढ़ी का था और लगातार किया गया और बहुत कम समय में भी केंद्रीय मंत्री और प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष बनने का सौभाग्य मिला, मुख्यमंत्री बनने का सौभाग्य मिला। सचिन पायलट जी भी उस कैटेगरी में आते हैं।

By: वतन समाचार डेस्क
  • अशोक गहलोत का अब तक का सबसे धमाकेदार इंटरव्यू


सवाल- तमाम सियासी चीजें यहां चल रही हैं लेकिन सबसे पहले आज जो चर्चा में आपका वो बयान है कि आज आपने जो पूर्व डिप्टी सीएम या एमएलए कांग्रेस के सचिन पायलट के लिए कहा, कई बातें आज कही हैं आपने, उसका हम संदर्भ समझना चाहते हैं कि किस संदर्भ में आज आपने ये बात कही, लोग जानना भी चाहते हैं?जवाब- देखिए मैंने संगठन के संदर्भ में कही और जिस प्रकार संगठन उन्होंने चलाया, संदर्भ वो था कि जबसे वो आए हैं, इतना बड़ा विश्वास मुझपर भी किया गया था जब मैं आया था, युवा पीढ़ी का था और लगातार किया गया और बहुत कम समय में भी केंद्रीय मंत्री और प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष बनने का सौभाग्य मिला, मुख्यमंत्री बनने का सौभाग्य मिला। सचिन पायलट जी भी उस कैटेगरी में आते हैं। इस कांग्रेस पार्टी ने, सोनिया गांधी जी ने, राहुल गांधी जी ने उनको 25 साल की उम्र में मेंबर ऑफ पार्लियामेंट बनाया, लगभग 30 साल की उम्र में वो केंद्रीय मंत्री बन गए, 36 साल की उम्र में वो प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बन गए और 40 साल में लगभग वो डिप्टी सीएम बन गए, उनको चांस अच्छे मिले मेरी तरह। संगठन भी जो चलाया उस वक्त में, ऐसा संगठन मैंने तो, 40 साल का संगठन मेरा भी अनुभव है संगठन चलाने का, मैं तीन बार प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष रहा हूं, मैंने कई अध्यक्षों को देखा है, ये पहले अध्यक्ष थे जिन्होंने और मैं समझता हूं कि क्योंकि जब वो यूथ कांग्रेस में कभी रहे नहीं, एनएसयूआई में रहे नहीं, संगठन का अनुभव नहीं था, आते ही लैंड करते ही उन्होंने कहना शुरु किया "मैं मुख्यमंत्री बनने के लिए आया हूं समझ लीजिए आप, 40 साल राजनीति मुझे करनी है। आप तय कर लीजिए, किनके साथ रहना है आपको ? कल आप अशोक गहलोत के घर खड़े थे, परसों आप एआईसीसी में खड़े थे सीपी जोशी के ऑफिस के बाहर। मैं कोई सब्जी बेचने नहीं आया हूं यहां पर, बैंगन बेचने नहीं आया हूं", ये तो केवल एक बानगी है, ऐसी भाषा कार्यकर्ताओं में पूरे 5 साल तक चलती गई और कई लोगों को संगठन में काम करने की इच्छा होती है, भविष्य की इच्छा होती है तो जुड़ जाते हैं लोग-बाग। कई बोर्ड लगाए गए, कई तरह की बातें हैं जो मुझे अब रिपीट नहीं करनी चाहिए। इसलिए कई बार लगता है कि एक आदमी पढ़ा-लिखा इन्सान, बातचीत में वैल बिहेव, अच्छा व्यवहार रखने की फितरत, पारिवारिक पृष्ठभूमि पॉलिटिशियन की क्योंकि पिताजी हमारे साथ थे मेंबर ऑफ पार्लियामेंट, केंद्रीय मंत्री, वो व्यक्ति संगठन के बारे में और संगठन बनाने के बारे में, बजाय कि सहयोग सबका लो, जो मैंने उनको सलाह भी दी थी, आप तो खाली संगठन में सबकी सलाह लेकर चल लो, कोई दिक्कत नहीं आएगी आपको, हम सब आपके साथ हैं। पर जिस प्रकार उन्होंने वर्टिकल डिविजन कर दिया पार्टी का राजस्थान के अंदर, राजस्थान के इतिहास में किसी कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष के वक्त में नहीं हुआ होगा। तो संगठन का संदर्भ कोई मुझे पूछे, तो मैं वो भाषा काम लूंगा कि नाकारा-निकम्मा व्यक्ति होता है जो अनुभव रखता नहीं है, उस ढंग का संगठन चला। मेरा कोई व्यक्तिगत उनके प्रति पूर्वाग्रह नहीं है, पर आदमी गुस्से में जब होता है, लगता है कि हो क्या रहा है ? संगठन में कैसे इन्होंने बिताया समय? अभी डिप्टी सीएम साहब बन गए, कोई 8-10 बार गए होंगे सचिवालय, कोई बात नहीं, पर साथ में सोनिया गांधी जी, राहुल गांधी जी ने इनको प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद भी रखा, वन मैन वन पोस्ट वाली बात नहीं रखी इनके लिए, विशेष इनके लिए छूट दी गई और हमने ऐतराज़ भी नहीं किया। तो संगठन का मुखिया होने के नाते उनकी जिम्मेदारी बढ़ जाती है और संगठन का मुखिया खुद ही होकर अगर पार्टी की सरकार को गिराने का काम करे उसको हम क्या कहेंगे? नंबर एक। नंबर दो, जब मैं विपक्ष में था, लगातार 5 साल मैंने अटैक किए वसुंधरा राजे की सरकार पर, श्रीमती वसुंधरा राजे जी पर पहले मुख्यमंत्री थीं तब। मेरे स्टेटमेंट जारी होते ही मिस्टर अशोक परनामी, बीजेपी के तत्कालीन अध्यक्ष और मिस्टर राजेंद्र राठौड़ या और कोई नेता, सराफ साहब, जो भी होते थे, वो उसी वक्त साथ में प्रेस कॉन्फ्रेंस करते या स्टेटमेंट जारी करते, मेरे स्टेटमेंट का खंडन नहीं करते थे कंडेम करते थे, ये कायदा होता है। अभी डेढ़ साल से अधिक समय हो गया हम लोगों को सरकार में आए हुए, एक बार भी हमारे पीसीसी प्रेसिडेंट साहब ने, जिनका नाम सचिन पायलट साहब है या था, एक बार भी, प्रेस कॉन्फ्रेंस तो छोड़ दीजिए, उनके जो मुझपर आरोप लगा रहे हैं लगातार, विपक्ष जो आरोप लगा रहा है, एकबार भी उन्होंने उचित नहीं समझा उन आरोपों का खंडन करें, कंडेम करें, प्रेस कॉन्फ्रेंस तो छोड़ दीजिए, स्टेटमेंट तक जारी नहीं किया, बल्कि उल्टा हमारी गवर्नमेंट के बारे में छींटाकशी की गई। जिस सरकार के वो डिप्टी सीएम साहब हैं उस सरकार में अगर कोई कमियां भी हैं खामिया हैं तो सामूहिक जिम्मेदारी होती है। उसकी बजाय उन्होंने हर बार कोई न कोई बहाना करके नीचा दिखाने के लिए, क्या बीतती है कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर, जनता क्या सोचती है कि सरकार का डिप्टी सीएम खुद ही आलोचना कर रहा है और विपक्ष की आलोचनाओं का जवाब नहीं दे रहा है। हम क्या कहेंगे उस पीसीसी प्रेसिडेंट को? मुझे मालूम है कि लोगों को लगा कि निकम्मा- नाकारा शब्द कैसे काम ले लिया, मेरा उनके प्रति कोई पूर्वाग्रह नहीं है। स्वतः ही कई बार मन में भाव आते हैं कि एक जिम्मेदारी होती है जब हम पदों पर आते हैं, जिम्मेदारी बन जाती है, जिम्मेदारी निभाएं। हाईकमान है, शिकायत करते हैं, आज तक ये परंपरा रही है, मुख्यमंत्री के खिलाफ आप डेलिगेशन लेकर जाओ, अकेले जाओ, बात करो, बताओ कि भई मैं ये फील करता हूं। सरकार में काम नहीं हो रहे हैं, मुख्यमंत्री से हमें शिकायत है, अच्छा व्यवहार नहीं है, गवर्नेंस अच्छी नहीं चल रही है, मंत्रियों के बारे में शिकायत है, कुछ भी कीजिए कोई दिक्कत नहीं है, पार्टी के अंदर रहकर कीजिए। आप पार्टी के मुखिया होने के बाद में, आप 6-8 महीने से ये कॉन्सिपरेसी चल रही है बीजेपी के साथ मिलकर और आप सरकार को गिराने का कोई षड्यंत्र चल सकता है क्या? मेरे ख्याल से मेरी जिंदगी के अंदर मैंने कभी सुना नहीं कि पार्टी का खुद का मुखिया ही अपनी पार्टी की सरकार को गिराने के लिए षड्यंत्र में शामिल हो। तो गुस्सा होना स्वाभाविक है। व्यक्तिगत रूप से आज भी उनसे स्नेह करता हूं, हम मिलते हैं तो अच्छी हंसी-मजाक चलती है, अच्छा व्यवहार रखते हैं और महसूस होने देते ही नहीं हैं कि हमारे बीच में कोई मतभेद भी है।
सवाल- पर अभी भी आपने एक बार ये बयान दिया कि अगर वो वापस अभी भी आना चाहें तो आप उनको गले लगाएंगे ?जवाब- क्यों नहीं, अगर पार्टी हाईकमान फैसला कर देती है तो मैंने हमेशा यही कहा है कि पार्टी हाईकमान का फैसला हम सबको मान्य होना चाहिए, ऐसे ही पार्टी चलती है।

 


सवाल- आपके सारे शब्दों में बातों में एक पीड़ा नज़र आ रही है। एक सवाल ये है कि ये सब जो चल रहा है जो बहुत दुःखद है क्योंकि 5 साल चुनी हुई सरकार आई लोकतंत्र में और फिर ये सब हो रहा है, किस पर आपको गुस्सा या नाराज़गी या पीड़ा या दुःख या फिर क्या ये बैठकर सुलझ सकता था ? कोई शिकायत किसी से कि जिस दिन दो पॉवर सेंटर बनाए गए, एक मुख्यमंत्री और एक डिप्टी सीएम, उस दिन से ये शुरु हुआ, बैठकर बातचीत हो सकती थी? क्या राहुल जी सोनिया जी के सामने हो सकती थी, बजाय कि ये पूरा रायता फैला ?जवाब- यही तो शिकायत है हमारी, सरकार मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री डिक्लेयर होने के साथ-साथ ही, शपथ ग्रहण समारोह के वक्त से ही ऐसा माहौल बना दिया गया जैसे कोई दो पॉवर सेंटर बना दिए गए हैं, जबकि राहुल गांधी जी ने हमें बैठाकर बात की थी कि आप दोनों मिलकर चलें, काम करें और सबकी सलाह लें मंत्रिमंडल की, अच्छी गवर्नेंस दें। वादे किए हम लोगों ने पब्लिक से, राहुल जी ने खुद ने कैंपेन किया, उन वादों को अमलीजामा पहनाएं। हमें खुद को कहकर भेजा था। दुर्भाग्य से यहां आने के बाद हम ऐसे हो गए जैसे एक-दूसरे को पहचानते ही नहीं हैं। डेढ़ साल के अंदर, सीएम सीएम होता है, मंत्री डिप्टी सीएम अपने मंत्रालय की कोई प्रॉब्लम्स हों, फाइनेंस की प्रॉब्लम्स हों, अधिकारी कहना नहीं मानते हों, फाइल नहीं आ रही हो जो शिकायत भी वो करते हैं, तो आकर शिकायत तो करें मुख्यमंत्री से कि मुझे ये लगता है कि बात नहीं मान रहे मेरी, क्या बात हो गई? या मैं ये महसूस करता हूं या मुझे इस प्रकार की सुविधा की और अधिक आवश्कता है, कुछ भी कहें। आज तक डेढ़ साल के अंदर हमारी बातचीत नहीं हुई। आप सोच सकते हो, क्या बीतती होगी मुख्यमंत्री पर? प्रोटोकॉल का निर्वाह करना तो छोड़ दीजिए, मैं हमेशा मानता था ये हमारे डिप्टी सीएम ही नहीं हैं हमारी प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी हैं। अध्यक्ष को मैं मुख्यमंत्री से भी अलग मानता हूं, उनकी अलग गरिमा होती है पद की, उस पद का मैंने हमेशा सम्मान किया है। जब ये नए बनकर आए थे तो मैं खुद खड़ा होता था, जिससे कि बाकी लोग समझें और सीखें कि प्रदेशाध्यक्ष के मायने क्या होते हैं। इस प्रकार से मैंने यहां कल्चर डवलप किया, क्यों क्योंकि मैं बनकर आया था 34 साल की उम्र में प्रदेशाध्यक्ष, उस वक्त के जो बुजुर्ग थे हमारे, हरिदेव जोशी जी हों या नवलकिशोर शर्मा जी हों या जो नेता थे उस वक्त में, चंदनमल जी वैद हों, पहाड़िया जी हों, हीरालाल जी हों, जो नेता थे उस जमाने के अंदर, परसराम मदेरणा जी हों, पीसीसी प्रेसिडेंट को क्या सम्मान मिलना चाहिए वो सम्मान मुझे उस वक्त में उन्होंने दिया था, जब मैं 34 साल का प्रदेशाध्यक्ष था। तो मेरी जिम्मेदारी है कि मैं नई पीढ़ी के लिए भी परंपराएं आगे सिखाऊं लोगों को। तो जब ये आए तो मैंने खुद ने खड़ा होना शुरु किया, सबको सिखाया कैसे बिहेव करते हैं। मेरे घर जो आया 6 साल में, सबको मैंने कहा कि अध्यक्ष साहब से जाकर मिलो। राजनीति का मतलब ये नहीं है कि हम तो आपसे मिलने आए हैं, मैंने कहा कि नो-नो, अध्यक्ष अध्यक्ष ही होता है, उनकी गरिमा होती है उनसे जाकर मिलना चाहिए। इस प्रकार मैंने हमेशा परंपराएं कायम करवाईं, पूरा राजस्थान जानता है।
सवाल- गहलोत साहब आप तीन बार के मुख्यमंत्री हैं, प्रदेशाध्यक्ष भी रहे हैं और मैं इन सब लाइन्स पर इसलिए पूछना चाह रही हूं क्योंकि जो माहौल आज है, हॉर्स ट्रेडिंग की बात है, हालांकि बीजेपी कह रही है कि बीजेपी के इन्वॉल्वमेंट का सवाल ही नहीं है, ये आंतरिक कलह है और कांग्रेस बार-बार हॉर्स ट्रेडिंग की बात करती है, मैं उसपर भी आऊंगी लेकिन ऐसा बहुत बार रहा होगा, आपने तबकी पॉलिटिक्स और अबकी पॉलिटिक्स देखी है, कितना बदलवा है? कई बार मौका आपको भी मिला होगा कि आप विपक्ष में हैं और सरकार किसी की गिरा सकने की क्षमता रखते होंगे और कभी कुछ ऐसा किया क्या आपने क्योंकि एक किस्सा भी मैंने सुना भैरोंसिंह शेखावत वाला कि सरकार गिराने के बहुत सारे चांसेज आपको मिले पर आप नहीं गिरा पाए। तो तबकी पॉलिटिक्स अबकी पॉलिटिक्स, तबकी हॉर्स ट्रेडिंग अबकी हॉर्स ट्रेडिंग, उस पूरे में कितना बदलाव आ गया है ?जवाब- गिरा नहीं पाए नहीं, गिराने का विरोध किया ये कहो। ये ही भंवरलाल शर्मा जी उस वक्त घूमते थे गिराने के लिए सरकारों को। भैरोंसिंह जी की सरकार में मंत्री भी रहे, मंत्री नहीं भी रहे, कई अटैंप्ट किए इन्होंने पर कामयाब नहीं हुए। मेरे पास ये आए थे तब मैंने इनको समझाया था कि हॉर्स ट्रेडिंग के माध्यम से हमें ये काम नहीं करना चाहिए। एक बात तो जब शेखावत साहब बहुत सीरियस थे, अमेरिका गए थे, आप समझ लीजिए वो जिंदा वापस आ गए मुश्किल से, पूरा उनका परिवार जानता है, पूरा राजस्थान जानता है, उनके करीबी लोग जानते हैं। उस वक्त मैं नरसिम्हा राव जी से मिला जाकर, प्रधानमंत्री जी थे हमारे और मैंने कहा कि ये भंवरलाल शर्मा जी और कंपनी जो घूम रही है पैसे बांटती हुई, गलत है। हम इसमें भागीदार नहीं बनना चाहते हैं। बलिराम भगत जी थे यहां पर राज्यपाल महोदय उनके पास मैं गया कि ये परंपरा राजस्थान में कभी रही नहीं है। मैं प्रदेशाध्यक्ष हूं कांग्रेस का, मैं कभी नहीं चाहूंगा कि इस प्रकार की हरकतें यहां पर हों। ये बात भैरोंसिंह शेखावत साहब को खुद को मालूम है और जब वो आए यहां पर और सुना राज्यपाल महोदय से, बड़े भावुक हो गए वो लोग, उनका परिवार जानता है इन बातों को। आप बताइए, आज हमारी सरकार को गिराने के लिए उसी पार्टी के नेता लोग इतने लालायित हैं, दिल्ली वाले और केंद्र वाले और राज्य वाले कि पता नहीं अगर राज्य सरकार नहीं गिरी तो पता नहीं केंद्र सरकार पर कोई संकट पैदा हो जाएगा क्या, इतना जैसे होता है डर लगता है उस प्रकार की स्थिति बना दी गई है, ऐसा माहौल बना दिया गया है राजस्थान के अंदर जिसकी जरूरत ही नहीं थी यहां पर। पता नहीं क्यों ये ऐसी हरकतों पर उतर आए हैं, जबकि मैंने अपनी बात कही आपको, मैं वो व्यक्ति हूं जिसने 30 साल पहले सरकार बचाने का काम किया, भारतीय जनता पार्टी की सरकार बचाने का काम किया, इतना फर्क है।

 


सवाल- तो ये फर्क बताया, लेकिन आपने एक बात ये समझना चाहेंगे कि अब क्योंकि कहते हैं कि एवरी थिंग इज फेयर इन लव एंड वॉर एंड पॉलिटिक्स, तो अब जहां पर पॉलिटिकल लड़ाई थी, नाराज़गी होगी, कुछ विधायकों में हो सकती है, डिप्टी सीएम साहब में थी, तमाम चीजें हुईं लेकिन अब इसमें कोर्ट आ चुका है, अब इसमें सीबीआई की बात भी आ चुकी है, इसमें लीगल मैटर्स आ चुके हैं, आगे आप अब क्या करेंगे क्योंकि कोर्ट कल क्या फैसला देता है, अगर कोर्ट कल पायलट साहब के और उस खेमे के पक्ष में फैसला देता है, उनकी सदस्यता रद्द नहीं होती है, हालांकि सीपी जोशी साहब के उस फैसले में कोर्ट नहीं बोल सकता है, तमाम चीजें हैं लेकिन मेरा ये एक सवाल है कि अगर ये उनके पक्ष में फैसला देता है तो आगे आप अपनी सरकार बचाने के लिए क्या करेंगे?जवाब- हमारी सरकार को कोई खतरा है नहीं राजस्थान के अंदर, चाहे कोर्ट कोई फैसला दो उससे सरकार के फ्यूचर का कोई संबंध नहीं है। ये तो एंटी-डिफेक्शन बिल है कि अगर 2/3 बहुमत आपके पास है किसी पार्टी के पास में तो आप मर्ज कर सकते हो, अलग हो सकते हो, ये लड़ाई वो चल रही है। मेज्योरिटी हमारे पास आज भी है, कल भी थी और कल भी रहेगी। बल्कि जो लोग गए हैं वो बहुत पश्चाताप कर रहे हैं वहां पर, बाउंसर लगा रखे हैं वहां पर, पुलिस के पहरे लगा रखे हैं वहां पर, टेलीफोन ले लिए गए हैं उनके, उनमें से कई लोग आना चाहते हैं वो आ नहीं पा रहे हैं। तो तकलीफ में वो लोग हैं, पुकार रहे हैं, हम लोगों में से कई लोग बातचीत कर रहे हैं यहां पर, हम लोगों के यहां पूरी छूट है। टेलीफोन इनके पास है, बातचीत करो किसी से, बातचीत होती भी है उन लोगों से वहां पर। तो हमारे यहां और उनके वहां में बहुत बड़ा फर्क है। ये जो लड़ाई बता रहे हैं आप ये लड़ाई नहीं है, ये तो जो एंटी-डिफेक्शन बिल है, जिसमें अगर किसी की मंशा सामने आती है कि मैं पार्टी के साथ था, अब मैं रहना नहीं चाहता, तो उसकी मेंबरशिप खत्म हो जाती है। बल्कि एक-दो केस तो ऐसे भी हुए हैं कई राज्यों में जहां पर डेलिगेशन किसी और पार्टी का था, दूसरी पार्टी के लोग साथ चले गए, उनकी मेंबरशिप खत्म कर दी गई। एक जगह प्रेस कॉन्फ्रेंस में बैठ गए दूसरी पार्टी के, उसकी मेंबरशिप खत्म हो गई। सुप्रीम कोर्ट के सारे फैसले मैसेज देते हैं, तर्क देते हैं कि जब आपकी खुद की मंशा ही खत्म हो गई तो फिर आपकी मेंबरशिप किस बात की है जिससे आप जीतकर आए हो। तो क्लियर कट केस वो है, जिसकी पिटीशन हमारे मुख्य सचेतक ने की है। ये काम अब असेंबली के स्पीकर का है, वो उनकी सुनवाई करके फैसला दे। तो इतना क्या इनको भय सताया, अगर उन्होंने कोई गलती नहीं की है, तो मैंने कहा कि कॉर्पोरेट हाउसेज के बड़े-बड़े स्पॉन्सर, वकील लंदन से पैरवी कर रहे हैं हरीश साल्वे जी, मुकुल रोहतगी जी बड़ा नाम हैं, अटॉर्नी जनरल रहे हुए हैं एनडीए गवर्नमेंट के, वो पैरवी कर रहे हैं, इन लोगों की फीस 50-50 लाख रुपए होती है पर डे की, कौन उनको पेमेंट कर रहा है? इनकी जरूरत क्या थी? हाईकोर्ट में तो पैरवी करने कभी आते नहीं हैं ये लोग। ये जाते हैं सुप्रीम कोर्ट के अंदर, ये जो पूरा तमाशा बनाया जा रहा है, इतनी घबराहट पैदा क्यों हुई? इसका मतलब कि कुछ तो लगा होगा कि हमने गलती कर दी है और इनको इतना मौका दिया गया, अब भी घर वापस आ जाओ आप, घर वापसी कर लो। हमने इनके लिए एक अलग मीटिंग बुलाई विधायकदल की कि चलो पहले नहीं आए कोई बात नहीं अब आ जाएंगे, हम गले लगा लेंगे इन लोगों को, पुरानी बातें भूल जाएंगे, तब भी वो नहीं आए और बीजेपी के साथ में हॉब नॉबिंग करके राजनीति चलती रही, उनको हम क्या कहेंगे? ये स्थिति ये बन गई है राजस्थान में, दुःखद स्थिति है, जनता उम्मीद करती है सरकार से कि कोरोना की लड़ाई जो भयंकर लड़ी जा रही थी, लड़ी जा रही है, लड़ी जाएगी, ये एक्टिविटी भी साइड में चलती है, मेरे लिए मेरा धर्म पहला कहता है कि जब तक मुझे प्रथम सेवक बनाया है जनता ने यहां पर, मैं मेरी सरकार तो बची हुई है, कोई उसपर खतरा नहीं है, ये मीडिया में कई खबरें चलती रहती हैं, चलती जाएंगी, वो मीडिया का काम है, मेरी सरकार को कोई खतरा नहीं है, मैं टोटली रोज मॉनिटरिंग करता हूं कोरोना को लेकर, शानदार व्यवस्था हमने कर रखी है, कहां तो टैस्टिंग के लिए हम पुणे जाते थे, आज 40 हजार टैस्ट राजस्थान में होते हैं जो सबसे ज्यादा देशभर के अंदर हमने करना शुरु किया। हमारे यहां मृत्यु के आंकड़े कम हैं, डबलिंग रेट हमारे यहां शानदार है, रिकवरी रेट 80 पर्सेंट से ज्यादा हो गई है। तो तमाम, मेरे लिए प्रायोरिटी है कोरोना से जीवन बचाना और जीवन के साथ में आजीविका बचाना, जो हम संकट में हैं, व्यक्ति खाएगा क्या? हमने यहां पर लोगों को कैश बांटा, गेहूं बांटा, काम चल गया। अब हम और जल्दी फैसला करने वाले हैं आगे हम जनता के लिए क्या कर सकते हैं। ऐसे माहौल के अंदर क्या केंद्र सरकार के नेता बीजेपी के हों, राज्य के हों या हमारी अपनी पार्टी के कुछ नेता हों, क्या उनका ये धर्म कहता था कि कोरोना की लड़ाई के बीच में हम लोग सरकार गिराने का षड्यंत्र करें? ये कहां की नैतिकता है बताइए आप? नैतिकता है क्या ये इनकी? जनता इनको कभी माफ नहीं करेगी। घर-घर में चर्चा है कि लड़ाई कोरोना से है और सरकार गिराने के लिए ये लोग लगे हुए हैं, जनता इनको माफ नहीं करेगी।
सवाल- बिलकुल सर, एक बॉम्ब ब्लास्ट बीच में हुआ टेपिंग, जो टेप निकला, जिसमें मीडिया में ये बातें थीं कि एसीएस होम हुआ, सीएस हुआ, उन्होंने कहा कि हमें कोई जानकारी नहीं है। तो आपको लगता है कि जहां से भी ये टेप निकला उसमें केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की आवाज है? आपको वाकई लगता है कि, इस टेप के बारे में आप क्या कहना चाहेंगे क्योंकि ये बहुत निर्णायक रहा ?जवाब- देखिए बात सुनिए, ये इतने घबरा गए हैं, सबको मालूम है कि किसकी आवाज है, जनता इतनी मूर्ख नहीं है कि उनको सफाई देनी पड़े कि गंगानगर की है कि धौलपुर की है कि जयपुर की है कि जोधपुर की है आवाज, सबको मालूम है और राजस्थान में परंपरा कभी रही नहीं है इललीगल टैप करने की, इललीगल सर्विलांस करने की परंपरा रही नहीं है यहां पर। इसलिए इनके तर्ज जो हैं उनके कोई मायने नहीं हैं। चीफ सेक्रेटरी हों चाहे होम सेक्रेटरी हों, उनको नौकरी करनी होती है, वो इललीगल काम कभी नहीं कर सकते हैं। जो कुछ भी यहां पर सर्विलांस होती है, जिन लोगों के लिए होनी चाहिए वो कायदे से होती है। ये कहना कि मुख्यमंत्री हमारे फोन टेप करवा रहा है, अरे मैं जब आरोप लगाता हूं केंद्र सरकार पर तो आज पूरा देश डरा हुआ है, टेलीफोन पर बात करते हुए डरता है कि भई व्हाट्सएप पर बात करो, कहीं बात हमारी टेप हो रही होगी। पूरे देश के इंडस्ट्रियलिस्ट्स हों, व्यापारी हों, पॉलिटिशियन हों, डरे हुए हों और मेरे आरोप के अंदर तो ये होता है कि ये माहौल बन गया है पूरे देश के अंदर, वो व्यक्ति कैसे इललीगल सर्विलांस करवा सकता है बताइए आप? इसलिए मैंने कहा, "कुछ लोगों ने कहा आपके घर पर टेप बन गई, आपके ऑफिस में टेप बन गई, उन्होंने रिलीज़ की है", मैं राजनीति छोड़ दूंगा अगर प्रूव कर दें तो।

 


सवाल- हनुमान बेनीवाल ने एक सवाल किया कि दोनों मिले हुए हैं, पूर्व मंत्री वसुंधरा राजे और अशोक गहलोत मिले हुए हैं, हालांकि जिसपर जेपी नड्डा ने या सतीश पूनिया हों, सबको समझाया भी कि कहते हैं कि फोन कर या मिलकर डांटा भी, लेकिन इस बयान को आप कैसे देखते हैं कि आप दोनों मिले हुए हैं, आप दोनों के रास्ते के कांटे इन पूरी चीजों से हटते हैं या इस तरह का कह सकते हैं, ये मीडिया की बातें हैं या सोशल मीडिया की बातें हैं। क्या आप दोनों साथ हैं जिससे कि आपकी सरकार न गिरे और चुनाव हों 2023 में फिर वो अपना आगे चुनाव लड़ें?जवाब- बड़ी इंटरेस्टिंग बात कही आपने, भैरोंसिंह शेखावत साहब जब थे जिंदा, तब भी हम अटैक करते थे एक-दूसरे पर, भयंकर अटैक करते थे पॉलिटिकली, शाम को मिलते थे शादी-ब्याह के अंदर तो लगता ही नहीं था कि हम लोगों ने एक-दूसरे के खिलाफ स्टेटमेंट दिए हैं, प्यार से स्नेह से बातें करते थे। जब मैं मुख्यमंत्री बन गया, 156 सीटें आई थीं मेरे पास, 32 सीटों पर रह गए थे वो, तब भी हमारे संबंध कायम रहे। मैं उनके घर जाता था वो मेरे घर आते थे, होली-दिवाली भी, वैसे भी। मेरे 5-7 मंत्री बहुत ही सीनियर थे, शेखावत साहब के जमाने के थे जो शेखावत साहब के नजदीक थे, उनके घर जाकर चाय पीते-नाश्ता करते, गपशप करते थे, मैंने कभी ऐतराज़ नहीं किया। मेरी ख्वाहिश थी कि मैं जब चुनाव में कामयाब नहीं हुआ 2003 के अंदर तो मेरे रिश्ते भी वसुंधरा जी से वो ही रहे। पर जो वसुंधरा जी के आस-पास के जो लोग थे, जो आज ये नेता बने फिरते हैं जयपुर के अंदर और छिपते फिरते थे दिल्ली जाकर, दिल्ली जाने वाला है क्या छिपना उसके, दिल्ली जाकर कोई भी आ सकता है, हम भी जाते-आते रहते हैं। दिल्ली जाकर भी छिपकर आ रहे हो आप और खंडन कर रहे हो, इतने झूठे साबित हो रहे हो, जनता क्या सोचती होगी? जो बीजेपी के अध्यक्ष बने बैठे हैं, उपनेता बने बैठे हैं क्या लोग सोचते होंगे कि दिल्ली भी छिपकर जाओ, कमाल की बात है। तो ये स्थिति बन सकती थी, ऐसे उनके सलाहकार मिल गए, ऐसी दूरियां बढ़ा दीं हम लोगों की कि टॉकिंग टर्म नहीं रहें हमारे। 15 साल हो गए हमें, हमने वन टू वन बैठकर कभी बात ही नहीं की। अगर हमारे शेखावत साहब की तरह इनसे संबंध होते तो हमें एक-दूसरे से सीखने का ज्यादा मौका मिलता, अच्छी गवर्नेंस देने में हो सकता था हम लोग ज्यादा कामयाब होते, उनके अनुभव मेरे काम आते, मेरे अनुभव उनके काम आते, अच्छी गवर्नेंस मेरे काम आती। हार-जीत होती रहती है, सरकारें बदलती रहती हैं, हालांकि अगली सरकार मेरी बनेगी, ये गलतफहमी नहीं होनी चाहिए, पूरे 5 साल निकलेंगे, अगली सरकार हमारी बनेगी, इस बार बदलने वाला नहीं है मामला।
सवाल- आपको जो जादूगर कहा जाता है कि अशोक गहलोत जादूगर हैं, हर जगह राजस्थान के जादूगर। एक सवाल इसमें है कि जितने भी लोग आज बाड़ेबंदी में हैं फेयरमाउंट होटल में, उनमें से कई ऐसे हैं जो सचिन पायलट के सिपहसालार थे और आज आपके साथ पिछले 5-7-10 दिन से हैं और शोले भी पिक्चर भी देखते हैं तो वो हम होंगे कामयाब भी गाते हैं, ऐसा कैसे?जवाब- देखिए ये कोई अच्छी परंपरा नहीं है देखो, मैं इसको कोई लाइक नहीं कर रहा हूं, पर जनता के हितों को देखते हुए जिन्होंने जनता ने विश्वास हमारे प्रति प्रकट किया हो, सरकार बनाई हो, उस सरकार को बचाने की मेरी जिम्मेदारी बनती है। इस सरकार को गिराना चाहते हैं, जो गिरा नहीं पाएंगे ये लोग, पर जिम्मेदारी मेरी बनती है, तो मजबूरी में हम लोग सब लोगों को वहां रखे हुए हैं। तोड़-फोड़ ये कर रहे थे, हॉर्स ट्रेडिंग कर रहे थे, अमाउंट कितना आप सुन चुके हो 25-30-35 करोड़ किसे कहते हैं। तो ये जो स्थिति बनी और जिनको ले गए वहां बैठा दिया है, अब मैं उनके बारे में क्या कहूं, उनके क्या-क्या कमेंट आ रहे हैं क्योंकि कमेंट दिलवाए जा रहे हैं उनसे, चाहे अनचाहे उनको कमेंट देना पड़ता है।

 


सवाल- कल भी ट्वीट आया था ?जवाब- परंतु मेरा मानना है कि ये कोई अच्छी बात नहीं है, जनता ने विश्वास किया है, हम सब मिलकर इलेक्शन लड़े, हर जाति हर धर्म के लोग साथ थे हमारे, जनता क्या सोचती होगी? वो सबको बुरा कहती होगी, हमें अच्छा नहीं लग रहा है। हमारी मजबूरी है कि हमारी ड्यूटी है कि जनता का विश्वास हम कायम रखें, इसलिए हम लोग वहां बैठे हुए हैं। अब मान लीजिए कोई पिक्चर देख रहे हैं या हम होंगे कामयाब के गाने गा रहे हैं, तो ये तो खाली एंटरटेनमेंट का एक साधन है कि टाइम कैसे पास हो।
सवाल- आपके साथ खड़े हैं वो लोग पहले उस खेमे के थे?जवाब- उनका यह कहना है कि हम उनको नेता मानते थे। हमने उनका साथ दिया चुनावों में। हम पांच साल खड़े रहे उनके साथ। पर यह हमारे खून में नहीं है कि हम गद्दारी करें अपनी पार्टी के साथ में। जिस पार्टी ने हमें चुनाव चिन्ह दिया हो, जिस पार्टी कांग्रेस नाम है पार्टी का उसके सिद्धांत, उसकी नीति, उसके कार्यक्रम हमने अपनाए हो। उस पार्टी को छोड़ने के लिए कोई हमें कहें चलो बीजेपी चलते हैं तो हम कैसे जा सकते थे। या तीसरा मोर्चा बनाएंगे। अलग पार्टी बना लेंगे तोड़कर के और बीजेपी समर्थन देगी हमें और जब आप वापस खड़े होंगे इस्तीफा देने के बाद में तो बीजेपी से हमने वादा करा लिया है। बीजेपी हमारे सामने कोई उम्मीदवार खड़ा नहीं करेगी। आप बताइए बीजेपी हमारे सामने उम्मीदवार खड़े नहीं करेगी वादा हो गया है और मंत्रिमण्डल बन जाएगा पहले ही हमारा। सरकार हमारी बनेगी। आप कल्पना कर सकते हो वो कहते हैं कि हमारे खून में यह बात नहीं है। हम पार्टी के साथ गद्दारी करें इसलिए हमें मजबूर होकर उनका साथ छोड़कर आपके बीच में आना पड़ा है। यह बात है।


सवाल- जब भी किसी राज्य में आपदा आती है, फ्लड आता है केन्द्र में जो भी सरकार हो राज्य सरकार केंद्र सरकार के पास जाती है और मदद मांगती है या सलाह मश्विरा करती है। आपके दिमाग में इस तरह की बात है इस तरह की आपदा इस तरह की चीजे हैं। आप केंद्र सरकार से या प्रधानमंत्री से उनसे बातचीत करेंगे कि ये स्थितियां सही नहीं है?जवाब- देखिए वीडियो कॉफ्रेंसिंग हुई थी पीएम के साथ में अच्छी हुई थी। प्रधानमंत्री जी ने बहुत रेस्पोंस दिया। नीति आयोग की मीटिंग हुई तो उन्होंने बहुत एप्रिशिएट किया। व्यक्तिगत संबंध हमेशा अच्छे रहे हैं, जब कभी वो मुख्यमंत्री थे तब भी और जब भी राजस्थान आए वो वसुंधरा राजे जी के शपथ ग्रहण समारोह में आए। एयरपोर्ट पर मिले हों दिल्ली मिले हों। लगता ही नहीं कि हम कोई दुर्भावना रखते हैं एक-दूसरे के प्रति। बहुत स्नेह के साथ हम बात करते हैं और प्रॉब्लम मैंने बताई उनको चाहे वो वीडियो कॉफ्रेंसिंग के माध्यम से हो। पत्र में लगातार लिखता रहता हूं। अभी मैं चाहूंगा कि यह जो परिस्थिति है। सोच रहा हूं मुझे उनको पत्र लिखना चाहिए कि एक मौका दिया है देश की जनता ने आपको दो बार प्रधानमंत्री बनने का। बहुत बड़ी बात है। आजादी के बाद में यह मौका मिलना बहुत बड़ी बात है। इतिहास बनाइए, इतिहास बनना चाहिए। इस इतिहास में कालिख नहीं पुतनी चाहिए कि मिस्टर नरेंद्र मोदी जी के वक्त के अंदर हॉर्स ट्रेडिंग करके सरकारों को गिराने का काम किया गया। कर्नाटक के अंदर, मध्यप्रदेश के अंदर, राजस्थान को टार्गेट बनाया जा रहा है। तो प्रधानमंत्री की ड्यूटी है दो बार प्राइम मिनिस्टर हैं दो बार किसे कहते हैं। बीजेपी की फुल बहुमत लाने वाला व्यक्ति संघर्ष चला 50-60 साल इनका। इनको एक कांग्रेस की सरकारों से भी अच्छा रिकॉर्ड बनाने का प्रयास करना चाहिए। एक शब्द इनके मुंह से नहीं निकलता है कि 70 साल में क्या हुआ। पूछते हैं क्या हुआ तो कुछ नहीं हुआ। भाई जब आज बंदूकें नहीं थीं हमारे पास चाइना के साथ युद्ध हुआ 1962 का। तोपें नहीं थीं हमारे पास। आज सब कुछ है, आधुनिक हथियार हैं हमारे पास। 1974 में इंदिरा गांधी ने परमाणु बम छोड़ दिया। यहां पर प्रयोग कर लिया पोकरण के राजस्थान में कर लिया। पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिए बांग्लादेश बना दिया। 90 हजार सैनिकों को कर्नल-जनरल सभी को सरेंडर करा दिया। एक नए देश का उदय हो गया। हरित क्रांति कर दी देश के अंदर। भीख मांगते थे गेहूं की, अमेरिका से गेहूं आता था भीख के रूप में। हम पैरों पर खड़े हो गए किसानों के बलबूते पर हुए। गरीबी हटाने की बात उन्होंने की। कई प्रोग्राम दिए देश को, क्या नहीं किया उन्होंने। देश का मान-सम्मान बढ़ाया दुनिया के अंदर। थर्ड वर्ल्ड कंट्री कहलाती है निर्गुट राष्ट्र वाली की उसकी वो अध्यक्ष बनीं। उसकी नेता चुनी गईं दुनिया के अंदर। इस देश में पंडित नेहरू का विजन था और पूरे खानदान को जिसका आजादी से पहले आनंद भवन इलाहाबाद का सुपुर्द कर दिया अंग्रेजों के राज के अंदर। दस साल तक पंडित नेहरू जेल में बंद रहे। क्या बीतती होगी जेलों में उस वक्त क्या जेलें थी। लंबा इतिहास है, क्या कहूं मैं अभी और 70 साल में जो कुछ किया उसके बाद आप कहो मैं कांग्रेस मुक्त भारत बनाऊंगा। आपने कुछ नहीं किया देश के लिए कुछ नहीं किया। अरे जहां बिजली क्या होती है लोग समझते नहीं थे। सावन-भादों की बिजली कड़कती थी आसमान में उसको समझते थे कि बिजली कड़क रही है। बिजली नहीं जानते थे क्या होती है। आज चम-चमाचम पूरा हिन्दुस्तान हो रहा है। घरों में ढाणियों में भी बिजली जल रही है। किसानों के खेतों में बिजली जल रही है। कुछ नहीं किया कांग्रेस ने। कैसे सुन सकते हैं हम लोग। तो ये इनको गोल्डन अवसर मिला है मोदी जी को। उसमें ये काले अध्याय जोड़ रहे हैं। इनको चाहिए कि अपनी टीम को दुरस्त करें। मैं किसी का नाम नहीं लेना चाहूंगा। इतिहास ने आपको मौका दिया। देश की जनता ने तो इतिहास बनाए। इतिहास विकृत नहीं करें। वो तब बनेगा जब आप स्टेटमेनशिप दिखाएंगे। खाली आप अच्छे वक्ता हैं, अच्छी स्पीच देते हैं, जनता आपकी बात को स्वीकार करती है। चाहे ताली बजाओ क्या थाली बजाओ कम बात है क्या वो बड़ी बात है। थाली बजवा दी, ताली बजवा दी, मोमबत्ती लगवा दी, तो ये तमाम बातें आपको गर्व होना चाहिए कि मेरी बात जनता मान रही है। आप अगर सत्य का साथ नहीं दोगे, आप असत्य को आधार बनाकर चलोगे तो सत्य ही ईश्वर है ईश्वर ही सत्य है ये महात्मा गांधी ने कहा था। सत्य का कोई विकल्प नहीं होता है। इस बात को मोदी जी आपको समझना होगा और ये जो आपके इर्द-गिर्द लोग हैं जो सरकारें गिरा रहे हैं। रोकना पड़ेगा। इतिहास माफ नहीं करेगा।


सवाल: तो ये थे प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जिन्होंने पूरे सियासी घटनाक्रम पर बेबाक एक तरफ दूसरी तरफ दिल का हाल बताया है। वो हमेशा कहा करते हैं कि मैं थासूं दूर नहीं। एक बार और फिर मैं प्रदेश की जनता के लिए खुद उनके मुंह से कहलवाना चाहती हूं, आप अक्सर कहा करते हैं मैं थासूं दूर नहीं। आज जब यह हालात हैं तो वहीं जनता जो आपको जिताकर लाई है, मुख्यमंत्री बनाया आप प्रधान सेवक से वो सुनना चाहती है ?जवाब: देखिए मैं सेवक ही रहूंगा जनता का। मैं बहुत ही भावुक हो जाता हूं जब मैं यह सोचता हूं कि मैं माली कम्युनिटी का एक कार्यकर्ता। मेरी कोई बहुत बड़ी मार्शल कौम नहीं। जाति धर्म सभी को साथ लेकर चलता हूं और 36 कौम मुझे प्यार करती है मोहब्बत करती है सभी धर्म-जाति के लोग। मुझे 40 साल से अधिक हो गया। जबसे मैंने राजनीति शुरू की है तब से मुझे जो प्यार जो विश्वास जो आशीर्वाद मिला है। हिन्दुस्तान में गिने-चुने लोग होंगे जिनको जनता का इतना प्यार मिलता हो, आशीर्वाद मिलता हो, श्रेय मिलता हो, विश्वास मिलता हो। आज भी कोरोना की लड़ाई के घर-घर के अंदर विश्वास है कि ये व्यक्ति जिसकी सरकार को गिराने का भी षड्यंत्र भी हो रहा है। तब भी हमारी सेवा करने के लिए 24 घंटे चिंता है। यह मेरा सौभाग्य है। इसलिए मैंने आपसे कहा मैं थासूं दूर नहीं। आज मैं कहता हूं मैं थासूं दूर नहीं चाहे कुछ भी हो जाए मैं राजनीति अंतिम सांस तक करता रहूंगा। मैं निःस्वार्थ भाव से करूंगा। मेरा खुद को कोई स्वार्थ नहीं है। पूरी तरह से समर्पित होकर, प्रतिबद्ध होकर गरीब से गरीब इंसानों की सेवा करने के लिए पिछड़ों की, दलितों की सेवा करने के लिए और गांधी जी ने कहा था कि जो पंक्ति में अंतिम खड़ा है व्यक्ति अंतिम पंक्ति में खड़ा उस गरीब तक आप सोच सको अपनी। उस सोच से मैं राजनीति करता हूं। करता आया हूं करता जाऊंगा। चाहे इनकम टैक्स के छापे पड़वाओ मिलने वालों के यहां, सीबीआई भेजो, ईडी का उपयोग करों कुछ भी करो जो नया माहौल बना देश के अंदर तमाम मेरे दोस्तो, मिलने वालों पर करो हम घबराने वाले नहीं है। उसी रूप में अंतिम सेवा करूंगा मैं अपनी सेवा करूंगा। इसलिए मैं आपको कहना चाहता हूं इसलिए मैंने कहा मैं जनता के दिलों के अंदर बात पहुंचाना चाहता हूं मैं थासूं दूर नहीं मैं आपसे दूर नहीं।

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