पाॅपुलर फ्रंट आफ इंडिया की केंद्रीय सचिवालय बाबरी मस्जिद मालिकाना हक के मुकदमे पर सुप्रीम कोर्ट के आज के फैसले को अनुचित समझती है और इस पर गहरी निराशा व्यक्त करती है। हालांकि अभी विवरण का इंतेज़ार है, लेकिन खबरों के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद की ज़मीन, मंदिर निर्माण के लिए दे दी है और मुसलमानों को किसी दूसरी जगह पर दी जाने वाली ज़मीन पर मस्जिद के निर्माण की अनुमति दी गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस तथ्य पर बल दिया है कि कोई मंदिर गिराकर मस्जिद नहीं बनाई गई है और कोर्ट ने यह माना है कि 1949 में मस्जिद के अंदर मूर्तियां रखना और 1992 में मस्दिज को ढहाना कानून का उल्लंघन था। लेकिन दुर्भाग्य से, इन माने गए तथ्यों के विपरीत, विध्वस्त मस्जिद की पूरी ज़मीन को मंदिर निर्माण के लिए दे दिया गया। कोर्ट का यह निर्देश कोई महत्व नहीं रखता कि मस्जिद के लिए मुसलमानों को दूसरी जगह दी जाए। यह कोई इंसाफ नहीं है।
हम समझते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से न सिर्फ अल्पसंख्यक अधिकारों बल्कि भारतीय संविधान के मौलिक सिद्धांतों पर गंभीर परिणाम सामने आएंगे। दुनिया ने बाबरी मस्जिद के खिलाफ सुनियोजित बर्बरता की कई घटनाएं देखी हैं यहां तक कि 1992 में मस्जिद को गिरा दिया गया। उस वक्त के प्रधानमंत्री का दोबारा उसी जगह पर मस्जिद निर्माण का वादा आज भी बाकी है।
मुसलमानों द्वारा बनाई गई और सदियों तक इबादत के लिए इस्तेमाल की गई बाबरी मस्जिद के साथ इंसाफ के लिए तमाम लोकतांत्रिक और काूननी तरीकों को अपनाया जाएगा। हम इंसाफ की बहाली के लिए आॅल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लाॅ बोर्ड और यूपी सुन्नी वक़्फ बोर्ड के संघर्ष में उनके साथ हैं। पाॅपुलर फ्रंट आफ इंडिया तमाम लोगों से ऐसे नाजुक समय में देश में हर जगह शांति और सौहार्द्र बनाए रखने की अपील करती है।
एम. मोहम्मद अली जिन्ना
महासचिव
पाॅपुलर फ्रंट आफ इंडिया
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