देश के राजनीतिक क्षितिज पर देश सेवा पार्टी नाम की एक पार्टी उभर कर सामने आई है। इक़बाल अमरोही इस पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष हैं। यूसुफ़ अली नक़वी इस पार्टी के जनरल सैक्रेट्री हैं। इस पार्टी ने साल 2018 में 18 अक्तूबर को अपने काग़ज़ात पंजीकरण के लिए चुनाव आयोग के सामने पेश किए थे। पंजीकरण की कार्यवाही इस साल 14 अक्तूबर को पूरी हुई और चुनाव आयोग ने 26 अक्तूबर को इस पार्टी के पंजीकरण का प्रमाणपत्र जारी कर दिया।
हमारे संवाददाता ने देश सेवा पार्टी के आई.टी.ओ. स्थित कार्यालय में इस पार्टी के अध्यक्ष इक़बाल अमरोही से बात चीत की।
प्रश्न: इस पार्टी के गठन का उद्देश्य क्या है?
उत्तर: देश सेवा पार्टी के गठन का असली उद्देश्य देश की मौजूदा राजनीतिक व्यवस्था में बुनियादी तबदीली लाना है। जैसा कि आप जानते हैं कि आजकल देश में अफ़रातफ़री का माहौल है, क़ानून का आदर बाक़ी नहीं रह गया है, देश में बेकारी बढ़ती ही जा रही है, देश में सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश की जा रही है और देश की अर्थव्यवस्था लगातार ख़राब होती जा रही है। ऐसे हालात में आवश्यकता है कि देश की राजनीतिक व्यवस्था को बदलने की कोशिश की जाए।
प्रश्न: आप देश की राजनीतिक व्यवस्था को किस तरह बेहतर बनाएंगे?
उत्तर: हमारा मानना है कि देश में इस समय जो भी समस्याएं हैं उन की असली वजह यह है कि चुनाव में सभी पार्टियों के नेता ही पार्टी के प्रत्याशियों को टिकट बांटते हैं। देश की सब समस्याओं की जड़ यही व्यवस्था है। देश सेवा पार्टी इस व्यवस्था को बदलना चाहती है। इस पार्टी के संविधान में साफ़ लिखा है कि हर चुनाव में पार्टी के सदस्य ही पार्टी के प्रत्याशियों का चुनाव करें गे। इस के लिए पहले पार्टी के अन्दर ही चुनाव होगा। अमेरीका और पश्चिमि देशों में यही व्यवस्था स्थापित है। यही कारण है कि उन देशों में वो समस्याएं नहीं है जिन से आजकल हमारा देश जूझ रहा है।
हमारे देश की चुनावी व्यवस्था की सबसे बड़ी कमज़ोरी यह है कि चुनाव बहुत मंहगा हो गया है। ऐसे आरोप भी लगाए जाते हैं कि पार्टियां अपने उम्मीदवारों को पैसे ले कर टिकट देती हैं। टिकट हासिल करने के बाद प्रत्याशी को चुनाव पर बहुत बड़ी रक़म ख़र्च करनी होती है। फिर जब कोई प्रत्याशी चुनाव जीत जाता है तो उस का पूरा ध्यान ख़र्च की रक़म को हासिल करने और अगले चुनाव के लिए पैसा जमा करने की तरफ़ लग जाता है और वो जनता की कोई सेवा नहीं कर पाता।
इस के अलावा दो समस्याएं और भी हैं। एक तो यह कि आम तौर पर पार्टियां किसी भी क्षेत्र में किसी बाहरी व्यक्ति को प्रत्याशी बना देती हैं। इस से होता यह है कि उस क्षेत्र उस पार्टी के जो कार्यक्रता होते हैं वो मायूस हो जाते हैं। लोग सोचते हैं कि टिकट तो मिलनी नहीं है, और टिकट हासिल करना बहुत मंहगा है इस लिए वो राजनीति में हिस्सा लेने से कतराने लगते हैं। इस का अंजाम यह हुआ कि पार्टियों का जनता से नाता टूट गया और वो इस रिश्ते को जोड़ने के लिए भावुक मुद्दों, सांप्रदायिक मुद्दों और जात पात से संबंधित मुद्दों का सहारा लेती हैं। इसी कारण ऐसे बहुत से व्यक्तियों को टिकट दे दिया जाता है जिन पर आपराधिक मुक़दमे चल रहे होते हैं। आजकल हमारे देश की संसद और प्रदेशों की विधान सभाओं में ऐसे बहुत से लोग हैं जिन पर आपराधिक मामले चल रहे हैं।
अगर देश सेवा पार्टी नई व्यवस्था लाने में सफ़ल हो जाती है तो कुछ दिनों के बाद देश की सारी पार्टियां भी यही व्यवस्था अपनाने के लिए विवश हो जाएंगी और देश की सब समस्याएं दूर हो जाएंगी। हर क्षेत्र से स्थानीय उम्मीदवार ही मैदान में उतारे जाएंगे, जिन लोगों पर आपराधिक मामले चल रहे हैं उन का उम्मीदवार बनना मुश्किल हो जाएगा और देश से सांप्रदायिकता व जात पात की राजनीति का सफ़ाया हो जाए गा।
प्रश्न: लेकिन चुनाव के लिए बहुत पैसों की आवश्यकता होती है, आप के पास कितने पैसे हैं?
उत्तर: हमारी कोशिश चुनाव को सस्ता बनाना है। हमारा मानना है कि देश की समस्त समस्याओं की जड़ यह है कि चुनाव बहुत महंग हो गए हैं। अगर हमारी पार्टी भी इधर उधर से पैसे ले कर ख़र्च करने लगी तो हमारी पार्टी और दूसरी पार्टियों में क्या अन्तर रह जाएगा। हमारी पार्टी चुनाव में केवल उतना ही रुपया ख़र्च करेगी जितना इस को अपने सदस्यों से मिले गा। हमारी पार्टी किसी पूंजीपति या किसी और जगह से पैसे लेकर चुनाव में ख़र्च नहीं करेगी। (समाप्त)
देश में इस समय जो भी समस्याएं हैं उन की असली वजह यह है कि चुनाव में सभी पार्टियों के नेता ही पार्टी के प्रत्याशियों को टिकट बांटते हैं। देश की सब समस्याओं की जड़ यही व्यवस्था है। देश सेवा पार्टी इस व्यवस्था को बदलना चाहती है।
देश सेवा पार्टी के संविधान में साफ़ लिखा है कि हर चुनाव में पार्टी के सदस्य ही पार्टी के प्रत्याशियों का चुनाव करें गे। इस के लिए पहले पार्टी के अन्दर ही चुनाव होगा। अमेरीका और पश्चिमि देशों में यही व्यवस्था स्थापित है। यही कारण है कि उन देशों में वो समस्याएं नहीं है जिन से आजकल हमारा देश जूझ रहा है।
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति वतन समाचार उत्तरदायी नहीं है. इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं. इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार वतन समाचार के नहीं हैं, तथा वतन समाचार उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है.
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