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डॉ. जय प्रकाश को जर्मन ग्लोबल यंग एकेडमी की सदस्यता प्रदान की गई

By: वतन समाचार डेस्क

डॉ. जय प्रकाश को जर्मन ग्लोबल यंग एकेडमी की सदस्यता प्रदान की गई

अलीगढ़, 4 मार्चः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के भौतिकी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डा जय प्रकाश का जर्मन की प्रतिष्ठित ग्लोबल यंग अकादमी सदस्यता के लिए चुना गया है। चयन समिति ने पांच साल के लिए डा प्रकाश का चयन किया है।

ग्लोबल यंग एकेडमी (जीवाईए) का दृष्टिकोण सभी के लिए विज्ञान है और इसका उद्देश्य भविष्य के लिए विज्ञान, और इसका मिशन दुनिया भर के युवा वैज्ञानिकों को जागरूक करना है।

अकादमी हर वर्ष अपनी सदस्यता के लिए सभी देशों से आवेदन आमंत्रित करती है। इस वर्ष, जीवाईए ने 45 शोधकर्ताओं का चयन किया है जिनका कार्यकाल पांच साल के लिए होगा। नए सदस्य समूह में 30 अलग-अलग देशों के प्रतिनिधि शामिल हैं। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, अलीगढ़ के भौतिकी विभाग के डा जय प्रकाश उनमें से एक हैं। उन्हें 7-10 मई 2024 के दौरान वाशिंगटन, डी.सी., यूएसए में होने वाली वार्षिक आम बैठक में आधिकारिक तौर पर जीवाईए में शामिल किया जाएगा।

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एएमयू की दो छात्राओं ने अखिल भारतीय वाद विवाद प्रतियोगिता जीती

अलीगढ़, 4 मार्चः यूनिवर्सिटी डिबेटिंग एंड लिटरेरी क्लब, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की वाद-विवाद टीम, जिसमें एम.ए. अंग्रेजी साहित्य की छात्रा ऐमान खान और बी.ए. राजनीति विज्ञान के छात्रा सैयद अक्सा शामिल थीं, ने अखिल भारतीय श्री नंदलाल गादिया मेमोरियल डिबेट (अंग्रेजी) में प्रथम स्थान हासिल किया है। इस प्रतियोगिता का आयोजन, मेवाड़ विश्वविद्यालय (चित्तौड़गढ़) द्वारा एकात्म मानवदर्शन अनुसंधान, नई दिल्ली के सहयोग से किया गया। बतौर पुरस्कार उन्हें 21 हज़ार रूपये की राशि के अलावा स्मृति चिन्ह और प्रकाशित पत्र प्रदान किया गया।

बहस का विषय, ‘भारत में जाति जनगणना राष्ट्रीय हित में है। विषय पर केन्द्रितपा

ऐमन खान और सैयद अक्सा की टीम ने अंग्रेजी बहस में भाग लिया और प्रथम पुरस्कार हासिल किया।

इसके साथ ही प्रतियोगिता में सैयद अक्सा को सर्वश्रेष्ठ वक्ता का पुरस्कार प्रदान यिका गया।

यूनिवर्सिटी डिबेटिंग एंड लिटरेरी क्लब की अध्यक्ष डॉ. सदफ फरीद और समन्वयक सीईसी प्रो. एफएस शेरानी ने विजेताओं को उनकी सराहनीय उपलब्धि के लिए बधाई दी है।

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‘माइक्रोबायोम-कैंसर कनेक्शन पर तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन

अलीगढ़, 4 मार्चः ‘माइक्रोबायोम-कैंसर, ब्रिजिंग साइंस एंड मेडिसिन‘ विषय पर आयोजित दिवसीय कार्यशाला में सूक्ष्मजीवों, जीनोमिक्स और ऑन्कोलॉजिकल डायग्नोस्टिक्स और थेरेपी के लिए उनके प्रभावों पर चर्चा की गई। इस कार्यक्रम का आयोजन जे.एन मेंडिकल कालिज के रेडिऐशन आनकलेजी विभाग द्वारा बायोकैमिस्ट्री, लाइफ साइंसेज, कैंसर नैनोमेडिसिन कंसोर्टियम, पैथोलॉजी और माइक्रोबायोलॉजी विभागों के सहयोग से किया गया।

एआरओआई के यूपी चैप्टर के तत्वावधान में मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, एएमयू ने बायोमेडिकल क्षेत्र में चिकित्सकों, वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं को कैंसर अनुसंधान में माइक्रोबायोम की भूमिका के बारे में ज्ञान और विचारों का आदान-प्रदान किया गया।

कार्यक्रम के आयोजन सचिव प्रोफेसर मोहम्मद अकरम ने शोधकर्ताओं और चिकित्सकों के बीच अंतर को पाटने के महत्व पर जोर देते हुए प्रतिभागियों का स्वागत किया। आयोजन अध्यक्ष प्रोफेसर सलीम जावेद ने माइक्रोबायोम प्रगति और नैदानिक अनुप्रयोगों का अवलोकन प्रस्तुत किया।

मुख्य अतिथि, सीएसआईआर-सीएफटीआरआई मैसूर के वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक प्रोफेसर सैयद मुस्तहपामीरन ने कैंसर कोशिका चयापचय रिप्रोग्रामिंग में आहार कारकों की भूमिका पर प्रकाश डाला। अन्य सम्मानित वक्ता प्रोफेसर मोहम्मद अजहर अजीज, डॉ. मो. शादाब आलम और डॉ. अर्पिता घोष ने इंटरैक्टिव सत्रों में अपने विचार रखे।

पीजीआई चंडीगढ़ के प्रोफेसर अमित बहल ने कैंसर के पैथोफिजियोलॉजी पर विस्तार से चर्चा की और विशेषकर वृद्धावस्था में इसकी बढ़ती घटनाओं पर प्रकाश डाला। यूसीएमएस दिल्ली में पैथोलॉजी की निदेशक प्रोफेसर सोनल शर्मा ने इंट्राट्यूमोरल माइक्रोबायोम और कैंसर निदान और उपचार में इसके निहितार्थ पर चर्चा की।

उद्घाटन में डॉ. समरीन जहीर द्वारा संपादित एक प्रोटोकॉल हैंडबुक का विमोचन भी हुआ, जिसमें पैथोलॉजिकल, माइक्रोबायोलॉजिकल और आणविक जैविक जांच पर एसओपी शामिल थे। पहले दिन 200 से अधिक प्रतिभागियों के साथ, 60 को दूसरे और तीसरे दिन के कार्यशाला सत्रों के लिए शॉर्टलिस्ट किया गया, जो मेटागेनोमिक्स, साइटोपैथोलॉजी और माइक्रोबायोलॉजी में व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान करते हैं। इस व्यावहारिक अनुभव का उद्देश्य कैंसर का पता लगाने और उपचार के लिए नए तरीकों का पता लगाना, कैंसर तंत्र की समझ में योगदान देना और सूक्ष्म जीव-मध्यस्थता वाली कैंसर दवा के विकास को सुविधाजनक बनाना शामिल था।

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एएमयू के मल्लापुरम सेंटर में अंतर विभागीय मूट कोर्ट प्रतियोगिता प्रारंभ

अलीगढ़, 4 मार्चः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के मलप्पुरम सेंटर की मूट कोर्ट सोसाइटी ने संकाय संयोजक डॉ. शैली विक्टर और डॉ. अबसार आफताब अबसार के मार्गदर्शन में तीन दिवसीय इंट्रा-डिपार्टमेंटल मूट कोर्ट प्रतियोगिता का आयोजन किया है।

जज पैनल में डॉ. शैली विक्टर और डॉ. इमरान अहमद, एडवोकेट प्रबिता शामिल थे।

मलप्पुरम केंद्र के निदेशक डॉ. फैसल के.पी. ने अपने उद्घाटन भाषण में प्रतियोगिता के आयोजन के लिए मूट कोर्ट सोसाइटी के सदस्यों के प्रयासों की सराहना की और प्रतिभागियों को अपनी शुभकामनाएं दीं।

विधि विभाग के पाठ्यक्रम समन्वयक डॉ. शाहनवाज अहमद मलिक ने स्वागत भाषण दिया। उन्होंने कहा कि विभाग की स्थापना के बाद से इंट्रा डिपार्टमेंटल मूट कोर्ट प्रतियोगिता एएमयू सेंटर की एक नियमित विशेषता है।

गालिब नश्तर ने प्रतियोगिता के आयोजन में मूट कोर्ट सोसाइटी के सदस्यों की कड़ी मेहनत की प्रशंसा की।

मूट कोर्ट सोसाइटी की संयोजक डॉ. शैली विक्टर ने प्रतिभागियों को नियमों और विनियमों के बारे में बताया।

मूट कोर्ट सोसाइटी के संयोजक डॉ. अबसार आफताब अबसार ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। कार्यक्रम का संचालन श्री अरशद खान एवं सुश्री अफीना एस. द्वारा किया गया।

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प्रोफेसर वारसी ने केरल में प्लेटिनम जुबली व्याख्यान दिया

अलीगढ़, 4 मार्चः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के भाषा विज्ञान विभाग के अध्यक्ष एवं भारतीय भाषा सामिति के अध्यक्ष प्रोफेसर एम जे वारसी ने केरल विश्वविद्यालय के भाषा विज्ञाान विभाग द्वारा भाषा के 60 वर्ष पर आयोजित कार्यक्रम में प्लेटिनम जुबली भषण दिया।

उन्होंने विश्व के भाषा परिवारों में भारत- आर्य, ड्राबिडियन, ऑस्ट्रो-एशियाटिक, हिबिदो-बर्मन तथा अंडमानीज़ चार भाषा-परिवारों को रेखांकित किया। उन्होेंने कहा कि नवीन शोध के उपरांत अंडमानीज को इस सूची में जोड़ा में जा चुका है।

प्रो वारसी ने कहा कि वर्तमान में नवीन एवं विकसित भाषा के उदय पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। इस संदर्भ में जैसे परिनिष्ठित हिन्दी तथा उर्दू का उदय मुगल शासन में हुआ जब उर्दू फारसी न्यायालय की भाषा का प्रभाव मध्य भारत की बोलियों पर जोरदार प्रभाव से  बोली, जिसे रेख्ता का नामकरण किया गया के नाम से जाना गया का उद्भव हुआ। और यही हिन्दुस्तानी नाम से प्रतिष्ठित भी हुई।

उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति-2020 के आने के बाद के बाद से सारे शिक्षण संस्थानी में बच्चों को उनकी भाषा में ही शिक्षण कार्य किया जाना समीचीन एवं शिक्षा को बहुपयोगी बनाएगा। भारत - सरकार की नीति सभी भारतीय भाषाओं का विकास करना है।

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खाद्य सुरक्षा में बाजरा की भूमिका पर अंतरर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन

अलीगढ़, 4 मार्चः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, प्लांट प्रोटेक्शन विभाग, कृषि विज्ञान संकाय ने हाल ही में ‘खाद्य सुरक्षा के लिए बाजराः जलवायु परिवर्तन, कीट और रोगों के लिए सतत लचीलापनः विषय पर एक संयुक्त अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन की मेजबानी की। जेएनएमसी ऑडिटोरियम में आयोजित इस कार्यक्रम में जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों के बीच वैश्विक खाद्य सुरक्षा में बाजरा की भूमिका पर विश्व विशेषज्ञों के अलावा देश के विद्वानों ने चर्चा की।

उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए, एएमयू के कुलपति, प्रोफेसर मोहम्मद गुलरेज ने आबादी की पोषण सुरक्षा के बारे में अपनी गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने हमारे दैनिक आहार में प्रचलित पोषण संबंधी कमियों को दूर करने में एक बहुमूल्य संसाधन के रूप में बाजरा की प्रभावकारिता को रेखांकित किया।

मुख्य अतिथि, प्लांट वैराइटीज़ एण्ड फामर्स राइटस प्राधिकरण के अध्यक्ष डॉ. त्रिलोचन महापात्र ने कहा कि राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के हितधारकों को खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने और जलवायु अनुकूलन की दिशा में कार्रवाई करने के लिए टिकाऊ बाजरा उत्पादन के लिए हाथ मिलाना चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ‘‘बाजरा उत्पादन और खपत के लिए गंभीर प्रयास होने चाहिए।

इस अवसर पर केन्या से डॉ. टी मार्क नास युगांडा से डॉ. स्कोविया एडिकिनीय और डॉ. पी.के. चक्रवर्ती, पूर्व एडीजी, और सदस्य, एएसआरबी, आईसीएआर भी मौजूद रहे।

संयोजक और आयोजन सचिव प्रोफेसर मुजीबुर रहमान खान ने वैश्विक खाद्य सुरक्षा में बाजरा के महत्वपूर्ण महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि चरम जलवायु और बीमारियों के प्रति अपनी लचीलापन के साथ, बाजरा खाद्य उत्पादन में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक स्थायी मार्ग प्रदान करता है। उन्होंने बाजरा की खेती में पौधों की सुरक्षा के पहलुओं पर ध्यान देने की आवश्यकता पर जोर दिया, जो जलवायु परिवर्तन के कारण कीटों और बीमारियों से होने वाले संभावित खतरों को कम करने के लिए महत्वपूर्ण है।

सम्मेलन ने खाद्य सुरक्षा और किसानों की आजीविका सुनिश्चित करते हुए बाजरा उत्पादकता बढ़ाने के लिए नवीन रणनीतियों पर चर्चा की सुविधा प्रदान की। डॉ. केविन वी. पिक्सले ने समकालीन कृषि चुनौतियों से निपटने में बाजरा के महत्व को रेखांकित किया और स्थायी समाधान विकसित करने में सम्मेलन के परिणामों के बारे में आशावाद व्यक्त किया।

तकनीकी सत्रों में वैश्विक खाद्य उत्पादन परिदृश्यों से लेकर बदलती जलवायु परिस्थितियों में बाजरा की खेती के लिए शमन रणनीतियों तक विविध विषयों पर चर्चा की गई। विशेष रूप से, चर्चाओं में कृषि-जलवायु क्षेत्रों में बाजरा की खेती को बढ़ावा देने, बेहतर पोषण के लिए आहार की आदतों में बाजरा को एकीकृत करने और अन्य फसलों में कीटों और बीमारियों के प्रबंधन के लिए फसल चक्र में बाजरा का लाभ उठाने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया।

सम्मेलन से प्रमुख सिफारिशें सामने आईं, जिनमें जैव-कीटनाशकों और जैव-उर्वरक को बढ़ावा देना, एकीकृत कीट प्रबंधन रणनीतियों की वकालत करना और बाजरा की खेती को प्रोत्साहित करना शामिल है। इसके अतिरिक्त, सम्मेलन में माइक्रोबियल फॉर्मूलेशन पर गुणवत्ता नियंत्रण उपायों का आग्रह किया गया और ट्यूबवेल सिंचाई के तहत अत्यधिक चावल की खेती को हतोत्साहित करके जल संसाधनों के संरक्षण पर जोर दिया गया।

कार्यक्रम का समापन सर्वश्रेष्ठ पोस्टर पुरस्कारों की प्रस्तुति और प्रतिनिधियों द्वारा अनुमोदित सम्मेलन रिपोर्ट को विभिन्न एजेंसियों को प्रस्तुत करने के साथ हुआ। प्रो. खान ने सभी प्रतिभागियों को उनके योगदान के लिए आभार व्यक्त किया।

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ऑटोमेशन, रोबोटिक्स, एआई और एप्लीकेशन पर दो दिवसीय सेमिनार आयोजित

अलीगढ़, 4 मार्चः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) में जाकिर हुसैन कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी ने एएमयू के कंप्यूटर विभाग के सहयोग से इंस्टीट्यूशन ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियर्स (आईईटीई) द्वारा आयोजित दो दिवसीय सेमिनार आयोजन किया।

एएमयू के कुलपति प्रो. मोहम्मद गुलरेज ने स्वास्थ्य सेवा और अनुशंसा प्रणालियों सहित विभिन्न क्षेत्रों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के प्रभाव को रेखांकित किया। अतिथि वक्ता तकनीकी कार्यक्रम समिति के अध्यक्ष प्रोफेसर ए.पी. ठाकरे ने शिक्षा और कंप्यूटर विज्ञान में एआई के महत्व पर एक व्यावहारिक व्याख्यान दिया, जबकि ब्रिगेडियर वी.के. आईईटीई के नॉर्थ जोन मेंटर पांडे ने संगठन के भीतर मानकीकरण की आवश्यकता पर जोर दिया।

एआई में हाल की प्रगति के बारे में विस्तार से बताते हुए, आईईटीई अलीगढ़ केंद्र के अध्यक्ष प्रो. मुजफ्फर ए. सिद्दीकी ने समकालीन प्रौद्योगिकी में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। कंप्यूटर इंजीनियरिंग विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर इजहारुद्दीन ने स्वागत भाषण दिया, जबकि कार्यक्रम के आयोजन अध्यक्ष डॉ. अब्दुस समद ने उद्देश्यों और प्रत्याशित परिणामों का व्यापक अवलोकन प्रदान किया।

जेएचसीईटी के प्रिंसिपल प्रोफेसर एम एम सुफियान बेग ने एएमयू के इतिहास और शैक्षणिक उत्कृष्टता पर जोर देते हुए एक आकर्षक व्याख्यान दिया। अतिथियों को उनके बहुमूल्य योगदान के सम्मान में विशेष स्मृति चिन्ह भेंट किये गये और श्री तहजीब अब्बासी ने धन्यवाद प्रस्ताव के साथ सत्र का समापन किया।

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एएमयू में मतदाता जागरूकता रैली आयोजित ष्मेरा पहला वोट -राष्ट्र के लिए

अलीगढ़, 4 मार्चः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के बाब ए सैयद गेट से सेंटेनरी गेट तक ‘मेरा पहला वोट-देश‘ थीम के तहत आगामी आम चुनावों में पहली बार मतदान करने वाले युवाओं के महत्व को उजागर करने के लिए एक मतदाता जागरूकता रैली का आयोजन किया गया।

शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के दिशानिर्देशों के अनुसार। एएमयू के रजिस्ट्रार श्री मोहम्मद इमरान आईपीएस ने बाब ए सैयद गेट पर रैली को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। डॉ. अरशद हुसैन, कार्यक्रम समन्वयक, एनएसएस, एएमयू, सैकड़ों छात्र स्वयंसेवकों और एनएसएस के कार्यालय कर्मचारियों ने बड़ी संख्या में भाग लिया।

 

 

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