Hindi Urdu TV Channel

NEWS FLASH

मुझे उम्मीद है कि इमाम साहब इस पर विचार विमर्श जरूर करेंगे

By: Administrators
File Photo

शराब से लेकर कबाब तक दुनिया में कोई भी चीज़ ऐसी नहीं है जिसको अल्लाह ने बेकार बनाया हो. शराब इस्लाम में हराम है, लेकिन क़ुरआन ने इसके हराम होने की वजह बताते हुए यह भी कहा है कि इसके फायदे कम हैं और इसके नुकसानात इंसानियत को तबाह करने के लिए काफी हैं इसलिए इसको हराम करार दे दिया गया.

 

 जब हम और आप सोशल मीडिया की बात करते हैं तो सोशल मीडिया की भी जहां तबाहकारियाँ हैं वहीँ इसके कुछ फायदे भी हैं. यह आदमी पर डिपेंड है कि वह किस चीज को किस तरह से इस्तेमाल करता है. सोशल मीडिया को अच्छे कामों के प्रचार-प्रसार के लिए भी हम इस्तेमाल कर सकते हैं और अल्लाह के रसूल की हदीस है "अल्लाह अपने बंदे के गुमान के साथ होता है" जिस का सीधा सीधा अर्थ है कि आदमी को अच्छा सोचना अच्छा समझना और अच्छा करना चाहिए, ताकि सब कुछ अच्छा हो.

 

 कल ही सोशल मीडिया के जरिए एक मैसेज मिला जिसमें लिखा था इंसान को दूसरों की आख़िरत और अपनी दुनिया की ज्यादा फिक्र होती है, जबकि कुरान को जब आप पढ़ेंगे तो पाएंगे कि कुरान में अल्लाह फरमाता है कि "वह बात क्यों कहते हो जिसको करते नहीं हो" कुरान एक ऐसी किताब है जो आदमी की पूरी जिंदगी को अपने पन्नों के अंदर समोए हुए है. 

 

 

यही वजह है कि कुरान मीडिया की अहमियत से लेकर वाटर लेवल की अहमियत तक को बयान करता है, बीते जुमे की नमाज में इमाम साहब ने ख़ुत्बे में ज़कात की अहमियत और उसकी फजीलत को बेहतर अंदाज में बयान किया. उन्हों ने लोगों को ज़कात न देने वालों की सज़ा के बारे में भी विस्तार से बताया. जब इमाम साहब जकात के फजाइल और उसकी अहमियत को बयान कर रहे थे उसी वक्त एक सवाल मेरे मन में आ रहा था कि क्या यह बातें सिर्फ सुनने और सुनाने के लिए हैं या इस पर अमल करना भी जरूरी है, क्योंकि अल्लाह के नबी की पूरी जिंदगी सुनने सुनाने से कहीं ज्यादा उसको प्रेक्टिकल करके दिखाने की है.

 

 

 इमाम साहब की तकरीर बड़ी अच्छी थी. मेरा दिल उसी वक्त अपने आपसे पूछ रहा था कि इमाम साहब की आंखें उस वक्त बंद क्यों हो जाती हैं जब मस्जिद के ही एक हिस्से को बारात घर के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है और बारात घर में जिस तरह से लोग आते हैं उस से मस्जिद की हुरमत पामाल होना लाज़मी है. खुद इमाम साहब इस चीज़ को आसानी से समझ सकते हैं. मस्जिद को बरात घर बनाने कि वजह से मस्जिद कि गली और लोगों का आम रास्ता पार्किंग बन जाता है. लोगों को आने जाने के रास्ते को बंद कर दिया जाता है. जबकि इस्लाम का हुक्म है कि रास्ते से पत्थर हटाना सवाब. हम उम्मीद करते हैं कि इमाम साहब इन बातें कर गंभीरता पूर्वक विचार करेंगे.

नोट: यह जामिया नगर, ओखला की एक मस्जिद का वाक़िया है 


ताज़ातरीन ख़बरें पढ़ने के लिए आप वतन समाचार की वेबसाइट पर जा सक हैं :

https://www.watansamachar.com/

उर्दू ख़बरों के लिए वतन समाचार उर्दू पर लॉगिन करें :

http://urdu.watansamachar.com/

हमारे यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करना न भूलें :

https://www.youtube.com/c/WatanSamachar

ज़माने के साथ चलिए, अब पाइए लेटेस्ट ख़बरें और वीडियो अपने फ़ोन पर :

https://t.me/watansamachar

आप हमसे सोशल मीडिया पर भी जुड़ सकते हैं- ट्विटर :

https://twitter.com/WatanSamachar?s=20

फ़ेसबुक :

https://www.facebook.com/watansamachar

यदि आपको यह रिपोर्ट पसंद आई हो तो आप इसे आगे शेयर करें। हमारी पत्रकारिता को आपके सहयोग की जरूरत है, ताकि हम बिना रुके बिना थके, बिना झुके संवैधानिक मूल्यों को आप तक पहुंचाते रहें।

Support Watan Samachar

100 300 500 2100 Donate now

You May Also Like

Notify me when new comments are added.

Poll

Would you like the school to institute a new award, the ADA (Academic Distinction Award), for those who score 90% and above in their annual aggregate ??)

SUBSCRIBE LATEST NEWS VIA EMAIL

Enter your email address to subscribe and receive notifications of latest News by email.

Never miss a post

Enter your email address to subscribe and receive notifications of latest News by email.