इंडियन मुस्लिम्स फॉर प्रोग्रेस एंड रिफॉर्म्स ने अपनी 30 सदस्य स्टीयरिंग कमेटी में विस्तार करते हुए उसमें 7 और नामचीन लोगों की वृद्धि की है, इस तरह अब इम्पार की SC में कुल 37 सदस्य हो गए हैं। इन सात लोगों में डॉ अज़ीज़ कुरैशी पूर्व गवर्नर, जस्टिस इक़बाल ए अंसारी, अध्यक्ष, पंजाब मानवाधिकार आयोग और पूर्व मुख्य न्यायाधीश, पटना उच्च न्यायालय, श्री अफज़ल अमानुल्लाह, (IAS सेवानिवृत्त) भारत सरकार, के पूर्व सचिव, डॉ। एसडब्ल्यू अख्तर, चांसलर, इंटीग्रल यूनिवर्सिटी, लखनऊ, श्री शमशेर ए। सिद्दीकी, एमडी, एवरग्रीन इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड गुड़गांव, डॉ। नगमा अब्बासी, एमडी, नेक्स्टजेन लाइफ साइंसेज प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली, श्री पीएम बशीर अहमद, आईएएस (सेवानिवृत्त), पूर्व सचिव, तमिलनाडु सरकार, चेन्नई के नाम शामिल है।
माना यह जा रहा है कि स्टीयरिंग कमेटी के सदस्यों की अधिकतम संख्या 41 के आस-पास हो सकती है। इम्पार सेंट्रल कमेटी के सदस्य और नेशनल कन्वीनर डॉ एमजे खान ने वतन समाचार से बातचीत में बताया कि इम्पार स्टीयरिंग कमेटी में हमने 7 नामों की वृद्धि की है।
उन्होंने बताया कि यह 7 नाम देश के जाने-माने नाम है, जिनके बारे में देश के हर व्यक्ति को पता है। जिन्होंने देश के सामाजिक ताने-बाने को बनाए रखने में एक बड़ा योगदान दिया है। उन्होंने बताया कि इम्पार का मकसद रोगी मीडिया के जरिए मुसलमानों की छवि को धूमिल किए जाने के संबंध में उन तथ्यों को सामने लाना है जो सच्चाई पर आधारित हों। उन्होंने कहा कि इम्पार की पहली प्राथमिकता देश के सामाजिक ताने-बाने को बनाए रखना के लिए संवैधानिक मूल्यों के अनुसार काम करना है।
उन्होंने कहा कि इम्पार पहले दिन से इस बात को लेकर के वचनबद्ध है कि वह देश में नफरत फैलाने वाली शक्तियों के नफरत को मोहब्बत से बदल कर उस मोहब्बत का प्रचार करेगा। उन्होंने कहा कि हम ने इम्पार मस्जिद मदरसा कमेटी भी बनाई है जिसका मकसद मदरसों की उस छवि को देश के सामने लाना है जो स्वतंत्रता संग्राम के दौरान मदरसों की छवि रही है। साथ ही साथ मदरसे के बच्चों को उन चीजों से अवगत कराना जो जमाने की रफ्तार के साथ चल रही हैं और उनके सेवा भाव के जज्बे को मदरसों की चारदीवारी से निकालकर समाज तक पहुंचाना है।
एमजे खान ने कहा कि हमें यह समझना होगा कि मुसलमानों का मफाद देश के मफाद से अलग नहीं है, बल्कि देश के फायदे के साथ उनका फायदा जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि आज अगर भारत के आम नागरिक को शिक्षा स्वास्थ्य सड़क बिजली पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं की जरूरत है तो यही जरूरत मुसलमानों को भी है। उन्होंने कहा कि दुख की बात यह है कि मुसलमानों के फायदे को और देश के आम नागरिकों के फायदे को अलग-अलग कर के कुछ लोग बयान करते हैं जो की ठीक नहीं है ।
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