Hindi Urdu TV Channel

NEWS FLASH

किलर इंस्टिंक्ट के बगैर जीत नहीं मिलती. कांग्रेस यही डिज़र्व करती है.

2. भारत में हिन्दू राइटविंग हमेशा से रहा, यही राइटविंग पहले कांग्रेस में था. हमने हैदराबाद पुलिस एक्शन और जम्मू क़त्ल आम के बारे में सुना था. अहमदाबाद 1969 का दंगा जो बहुत बड़ा फसाद था और उस ज़माने में ओआईसी के सेशन में 'हॉररस ऑफ़ अहमदाबाद' फिल्म दिखाई गयी थी. उत्तर प्रदेश में स्कूलों से उर्दू ख़त्म करना, नौकरियों से मुसलमानों को बाहर करना, कस्टोडियन की ज़्यादतियां, ये तो थीैं. अपनी आँखों से और बचपन से हमने जो सुना देखा उसमें तुर्कमान गेट फायरिंग से हाशिमपुरा-मलियाना, भागलपुर, अलीगढ, मुरादाबाद, फ़िरोज़ाबाद, मुंबई, सूरत, नेल्ली जैसे दर्जनों बड़े फसाद देखे, फिर राजीव गाँधी के हुक्म से शिलान्यास और नरसिंहराव के दौर में बाबरी मस्जिद की शहादत देखी

By: वतन समाचार डेस्क

1. किलर इंस्टिंक्ट के बगैर जीत नहीं मिलती. कांग्रेस यही डिज़र्व करती है. 2004 से 2014 तक कांग्रेस हुकूमत में थी, सीधे सीधे संघ के बड़े नेता मालेगांव समेत आठ बड़े केसों में शक के दायरे में थे, सुबूत थे, आरएसएस बैन हो सकता था और उससे बढ़ कर गुजरात दंगे में तो सीधे अहम लोगों पर कार्रवाई का स्कोप था कोई पर्स्नाल्टी कल्ट न बनता जिसके नाम पर आज वोट पड़ते हैं. मगर हद तो तब हुई जब एसआईटी का चीफ राघवन को बनाया जो संघ का सपोर्टर था. श्रीकुमार-संजीव भट जैसे लोग विटनेस थे, करियर दांव पर लगाया मगर कांग्रेस को तो कुछ करना नहीं था, किसी केस में कुछ नहीं कर पायी, हाँ एनआरसी शुरू कर आसाम में मुसलमानों के लिए आज़ादी के बाद की एक बड़ी मुसीबत ज़रूर ले आयी....  

 

2. भारत में हिन्दू राइटविंग हमेशा से रहा, यही राइटविंग पहले कांग्रेस में था. हमने हैदराबाद पुलिस एक्शन और जम्मू क़त्ल आम के बारे में सुना था. अहमदाबाद 1969 का दंगा जो बहुत बड़ा फसाद था और उस ज़माने में ओआईसी के सेशन में 'हॉररस ऑफ़ अहमदाबाद' फिल्म दिखाई गयी थी. उत्तर प्रदेश में स्कूलों से उर्दू ख़त्म करना, नौकरियों से मुसलमानों को बाहर करना, कस्टोडियन की ज़्यादतियां, ये तो थीैं. अपनी आँखों से और बचपन से हमने जो सुना देखा उसमें तुर्कमान गेट फायरिंग से हाशिमपुरा-मलियाना, भागलपुर, अलीगढ, मुरादाबाद, फ़िरोज़ाबाद, मुंबई, सूरत, नेल्ली जैसे दर्जनों बड़े फसाद देखे, फिर राजीव गाँधी के हुक्म से शिलान्यास और नरसिंहराव के दौर में बाबरी मस्जिद की शहादत देखी 

 

3. इसलिए कांग्रेस से अज़ली नफरत रही. भाजपा को वोट दे नहीं सकते थे, वह भी दुश्मन थी, इसलिए तीसरी पार्टियों को देते रहे जो निस्बतन बेहतर थीं. मगर जो नस्ल नब्बे या उसके बाद आई उसको कांग्रेस बेहतर लगती थी, वैसे यूपी में अभी भी एक पुरानी जनरेशन है जिसके लिए कांग्रेस दूध की धुली है और पाक साफ़ है. बहरहाल, ये साबित हो गया कांग्रेस मुसलमानों की लिंचिंग पर खामोश रह कर भी, हिन्दू वोट नहीं हासिल कर सकती... 

 

4. कांग्रेस ने संघ तो छोड़िये बजरंग दल, विहिप को नहीं रोका, सनातन संस्था को बैन नहीं किया, हाँ आजमगढ़ से भटकल तक ज़ुल्म और गिरफ्तारियां कीं. कांग्रेस की सबसे बुरी हरकत ये थी कि इसने मुसलमानों के लिए कुछ नहीं किया मगर मेसेज ये दिया कि ये 'तुष्टिकरण' करती है. बीजेपी के इस नैरेटिव का जवाब कांग्रेस के पास नहीं था, वह वह बहुत खुल कर नहीं कह पायी कि हम तो हज़ारों मरवा देते थे, और फिर भी सेक्युलर बने रहते थे. तो ये अपीजमेंट वाला इलज़ाम ऐसा लगा कि बहुसंख्यक कांग्रेस के खिलाफ हो गए. 

 

5. क्यूँ हार्मनी ज़रूरी है, क्यूँ यूनिटी ज़रूरी है, पार्टी की क्या आइडियोलॉजी है कांग्रेस ये तक न समझा पाई. हद तो ये है कि ये इतनी निकम्मी पार्टी है कि फ्रीडम मूवमेंट में अपने रोल और संघ के धोके को भी कभी प्रोजेक्ट नहीं कर पायी, आज़ादी के बाद आईआईटी, आईआईएम से ले कर सैकड़ों इंस्टीट्यूशन और एटॉमिक पावर बनने तक का क्रेडिट क्लेम नहीं कर पायी. एक प्रोपेगंडा वार होता रहा और ये खामोश तमाशा देखती रही. पूरे हिंदी अख़बार सन अस्सी के दशक से संघ की भाषा बोलने लगे थे, फिर चैनल आये, कांग्रेस के पास कोई स्ट्रेटजी नहीं थी या उसे कुछ करना ही नहीं था. 

 

6. क्यूंकि अब कांग्रेस के दौर के बड़े दंगे जिनमें हज़ारों मरते थे, करवा पाना अब मुश्किल था इसलिए भाजपा ने फियर फैक्टर बनाये रखने के लिए लिंचिंग का सहारा लिया. इसमें दर्जनों मुसलमान मारे गए, हौसले पस्त हुए. वैसे समाजवादी पार्टी के दौर में इस से ज़्यादा मुज़फ्फरनगर के दंगे में मार दिए गए थे. सीधी बात है मुसलमान को दबाये रखने या डराने पर अकसरियत अवाम पार्टी को रिवॉर्ड देती है. 

 

7. दलित हो या आदिवासी कोई फैक्टर नहीं है, सब हिन्दू हैं और हिंदुत्व पर वोट देते हैं. सबको भगवा अच्छा लगता है, साधू और साध्वी से अपनापन लगता है और कांवड़ यात्रा या कलश यात्रा निकलने का दिल चाहता है. अच्छा है, सब के अरमान निकल जाएँ, ये लेबल 'सैक्युलर, लिबरल', ये सब ठीक हैं किताबी बातें. हिन्दू भाइयों को जो तय करना है उन्होंने तय किया. अब आप किसी को पैट्रोनॉइज़ नहीं कर सकते कौन मोरल है कौन इम्मोरल, किसको जीतना चाहिए और किसको नहीं. लोगों को अब अंग्रेजी बोलने वाले नेताओं से नफरत है, 'सॉफिस्टिकेटेड' लगने वाले लीडर नहीं चाहिए, ये साफ़ समझ में आता है. अपने जैसे, अपनी गली मोहल्ले वाले, उस मुहावरे उसी लेवल के बाएसेज़ वाले लोग चाहिए 

 

8. जहां तक हमारा मामला है, पूरी दुनिया में हर जगह तरीके हैं किस तरह माइनॉरिटीज ने कम होने के बाद भी अपना असर, इक़बाल बनाये रखा. सब मुमकिन है. अपने अपने सूबों के कैपिटल्स में इंटेलेक्टुअल, सोशल, ह्यूमन लीडरशिप तैयार कीजिये. हेट से लड़ना है, हेट ट्रेक कीजिये, साथ में हारमनी भी, अपने इलाक़े में अलग अलग उलूम,फुनून जिनमें महारत है उनमें आगे बढ़ कर खुद को प्रोजेक्ट कीजिये, अपनी क़ाबलियत बढ़ाइए, सोशल वर्क भी कीजिये और डेवलपमेंटल इशूज़ पर भी बोलिये, हिस्ट्री से हेल्थ और फारेस्ट से एजुकेशन-लॉ एक्सपर्ट तक, अपने शहर में लीडर बनने की सिम्त आगे बढिये, शहर में किसी भी फील्ड के माहिर की बात हो आपके लोगों का नाम ज़हन में आये, ज़िंदा कौम की तरह रहिये, अमल करते रहिये. सब करिये, रोना धोना छोड़ कर. अज़्म से, हौसले से. 

 

9. हमें कोई अफ़सोस नहीं, इस मुल्क की मेजोरिटी ने ये चुना, हमने तो जो बस में था किया, हमेशा हिन्दू नेताओं को वोट दिए. कुछ को लगता होगा कि मुसलमान अब रोये, धोएगा, चिढ़ेगा, और वह इससे ख़ुशी मनाएंगे, नहीं ये ख़ुशी भी हम आपको नहीं देने वाले. 

 

10. मुसलमान किसी के रहम पर ज़िंदा नहीं है, कांग्रेस ख़त्म हो या सपा, मुसलमान जियेगा, रहेगा. कांग्रेस की तबाह हाली पर कोई अफ़सोस नहीं, इसी लायक थी. दो मूज़ी थे, उनमें एक ही रह सकता था इससे ज़्यादा की अब जगह नहीं थी. जो होना था हो गया, अब सबक़ लें, आगे देखें.

 

Shams Ur Rehman Alavi

( सीनियर जौर्नालिस्ट और एडिटर हिन्द न्यूज़ अब्दुल निज़ामी के वाल से)  

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति वतन समाचार उत्तरदायी नहीं है. इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं. इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार वतन समाचार के नहीं हैं, तथा वतन समाचार उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है.

 

ताज़ातरीन ख़बरें पढ़ने के लिए आप वतन समाचार की वेबसाइट पर जा सक हैं :

https://www.watansamachar.com/

उर्दू ख़बरों के लिए वतन समाचार उर्दू पर लॉगिन करें :

http://urdu.watansamachar.com/

हमारे यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करना न भूलें :

https://www.youtube.com/c/WatanSamachar

ज़माने के साथ चलिए, अब पाइए लेटेस्ट ख़बरें और वीडियो अपने फ़ोन पर :

https://t.me/watansamachar

आप हमसे सोशल मीडिया पर भी जुड़ सकते हैं- ट्विटर :

https://twitter.com/WatanSamachar?s=20

फ़ेसबुक :

https://www.facebook.com/watansamachar

यदि आपको यह रिपोर्ट पसंद आई हो तो आप इसे आगे शेयर करें। हमारी पत्रकारिता को आपके सहयोग की जरूरत है, ताकि हम बिना रुके बिना थके, बिना झुके संवैधानिक मूल्यों को आप तक पहुंचाते रहें।

Support Watan Samachar

100 300 500 2100 Donate now

You May Also Like

Notify me when new comments are added.

Poll

Would you like the school to institute a new award, the ADA (Academic Distinction Award), for those who score 90% and above in their annual aggregate ??)

SUBSCRIBE LATEST NEWS VIA EMAIL

Enter your email address to subscribe and receive notifications of latest News by email.

Never miss a post

Enter your email address to subscribe and receive notifications of latest News by email.