ईद उल-अज़्हा के लिए दिशा-निर्देश जारी करते हुए मुस्लिम थिंक टैंक इम्पार ने कहा है कि ईद-उल-अज़हा को देखते हुए हमें यह तय करना है कि कोविड-19 संक्रमण के प्रसार की रोकथाम के लिए स्थानीय व राज्य सरकार द्वारा जारी किये जाने वाले नियमों को ध्यान में रखते हुये इस साल त्यौहार को निम्न उसूलों को अपनाते हुए मनाना है और इस के बारे में हमें व्यापक जनसहमति बनानी चाहिये।
इम्पार (इंडियन मुस्लिम्स फॉर प्रोग्रेस एंड रिफॉर्म्स) के कुछ सदस्यों के बीच हुयी बातचीत रायमशवरे और कुछ उलेमाओं द्वारा दिए गये विचारों और महामारी के सम्बंध में उ0प्र0 व कर्नाटक सरकार ने जो ताज़ा आदेश जारी किये है उनको ध्यान में रखते हुये इम्पार ने ईदुलअज़हा के लिए निम्न दिशानिर्देश जारी किये हैं। इम्पार ने कहा है कि ईदुलअज़्हा सादगी और किफ़ायतशुआरी से मनानी चाहिये।
ईदुलफ़ितर की तरह ही हमें ईदुलअज्हा की नमाज़ भी घर पर ही अदा करनी चाहिये क्योंकि कोविड 19 के केसों में बजाये कमी होने के उनमें तेज़ी से वृद्धि हो रही है। सार्वजनिक स्थानों पर सामाजिक व धार्मिक मेलमिलाप के आयोजन नही किये जाने चाहियें इसके स्थान पर त्यौहार मनाने के लिए माबाईल फ़ोन, कम्प्यूटर या टीवी जैसे वैकल्पिक आभासिये साधनों का इस्तेमाल करना चाहिये। परिवार और मित्रों में ऐसा मेल-मिलाप जिसे टाला न जा सके उसके लिए आपस में दो मीटर की भौतिक दूरी बनाये रखने के नियम का सख़्ती से पालन करना चाहिये।
सामाजिक व सांस्कृतिक बधाई देने के लिए बिना भौतिक सम्पर्क वाले उपाय अपनाने चाहिये। बाज़ार व भीड़भाड़ वाले स्थानों पर जाने से बचें और अगर मजबूरी में जाना भी पड़े तो मास्क लगाकर, सेनेर्टाइज़र साथ में लेकर और आपस में भौतिक दूरी बनाकर जाना चाहिये। सामान खरीदने के लिए बाज़ार में जाने की जगह ईकामर्स को प्राथमिकता दें और सामान आनलाईन मंगायें। व्यापारिक वस्तुओं के लेन-देन के समय हाथों और पेकिट की स्वच्छता की प्रक्रिया को ज़रुर अपनायें।
भीड़ के समय पशुबाज़ार जाने से बचें। अगर पशुबाज़ार आपके इलाके में हो तो कोविड 19 के लिए निर्धारित सुरक्षा नियमों का अवश्य पालन करें और आपस में दो मीटर की भौतिक दूरी बनाये रखें। आप बकरे की आनलाईन खरीद की प्रक्रिया अपना सकते हैं क्योंकि कुछ संगठनों ने इस तरह की खरीद-फ़रोख़्त की प्रक्रिया को शुरु किया है। ऐसे मामलों में जहां स्थानीय प्रशासन कुरबानी करने की इजाजत दे आप अपने घर में या घर के नज़दीक इसे कर सकते हैं बशर्ते कि पशु का बचा हुआ बेकार अंश सड़क या फुटपाथ या सीवर की नालियों में दिखार्य न पड़े। इसके अलावा पशुओं को सड़क पर न बांधे और न ही खिलायें ताकि राहगीरों और पढ़ोसियों को असुविधा या एतराज़ न हो।
कुरबानी लाज़िमी है लेकिन उसे करते समय इस बात को ज़हन में रखें कि यह अगर किसी की असुविधा या परेशानी का सबब बनती है तो हराम है। इसके अलावा स्वास्थय को ध्यान में रखते हुये अपने इलाके में बकरीद के मौके पर पशु के बचे हुये अवशेषों के निपटान के लिए विशेष स्वच्छता अभियान चलाये जायें जिसमें स्थानीय स्वंयसेवको की मदद लें सकते हैं।
इस साल ईदुलअज़्हा बरसात के बीच पड़ रही है इसलिए इस बार यह और भी ज़रुरी हो जाता है कि हम कूड़े का प्रभावी तरीके से निस्तारण करें क्योंकि जानवरों के बचे हुये अवशेष डेंगू फैलाने वाले मच्छरों के प्रजननस्थल होते हैं। यह बेहद महत्वर्पूण है कि हम कुरबानी के काम को तमाशा न बनने दें। कुरबानी को घनी आबादी वाले इलाके़ या गली या सार्वजनिक स्थान पर न करें। जानवर की कुरबानी सही निर्धारित स्थान पर इस काम में दक्ष व्यक्ति के हाथों ही करायें।
खाल के निस्तारण और कुरबानी के गोश्त को ज़रुरतमंदों में बांटने के लिए करीब की मस्जिद के पेश इमाम अथवा मदरसे की देखभाल करने वाले से सम्पर्क कर सकते हैं। उनमें से ज़्यादातर के पास इस तरह के कामों को करने के लिए स्वंयसेवक होते हैं। आख़री बात जानवर की कुरबानी की फ़िल्म बनाकर उन्हें सोशलमीडिया पर डालने से बचें।
आखिर में यह बात जोड़ना ज़रुरी है कोविड 19 महामारी के समय मौजूदा हालात जिस तेज़ी से बदल रहे हैं उनमें ईदउल अज़्हा के ऐन मौक़े पर पहले से तयशुदा कोई बात नही कही जा सकती इसलिए इम्पार द्वारा जारी उपरोक्त दिशानिर्देश केवल आजकी परिस्थितियों के लिए हैं। नई परिस्थितियों में अगर इनमें बदलाव या सुधार ज़रुरी हो तो व्यवहारिक ज्ञान और सद्भावना के आधार पर किया जाये।
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