देश की राजधानी दिल्ली और देश के विभिन्न राज्यों और बड़े शहरों में करोना की भयानक स्थिति को देखते हुए इंडियन मुस्लिमस फॉर प्रोग्रेस एंड रिफॉर्म्स ने देश के मुसलमानों से अपील की है कि वह अगले 1 महीने तक मस्जिदों में नमाज पढ़ने के बजाय अपने घरों में ही नमाज पढ़ें, जैसे वह पहले पढ़ते चले आए हैं। IMPAR ने कहा कि जिस तरह से देश के विभिन्न राज्यों और बड़े शहरों से खबरें आ रही हैं कि कई जगहों पर बड़े शहरों में मरीजों को इलाज के लिए बेड भी नहीं मिल पा रहे हैं और करोना के मरीजों से लाखों रुपए इलाज के नाम पर वसूले जा रहे हैं ऐसे में यह बात और भी अहम् हो जाती है कि लोग सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखें और पहले की तरह अपने घरों में नमाज पढ़ें।
IMPAR ने कहा है कि छोटे-छोटे शहरों में भी इसकी पाबंदी इसलिए करनी जरूरी है ताकि बीमारी भयावह रूप ना ले सके। IMPAR ने यह भी कहा है कि देश के विभिन्न चिकित्सकों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि अभी भारत में करोना अपने पीक पर नहीं है और अगर महीने नहीं तो हफ्ते करोना को पीक पर आने में लगेंगे, इसलिए यह इतियात और जरूरी हो जाता है। ज्ञात रहे कि देश की राजधानी दिल्ली की जामा मस्जिद को भी आज 11 जून शाम 8 बजे से 30 जून 2020 तक के लिए बंद कर दिया गया है, क्योंकि बीते रोज शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी के सचिव अमानुल्लाह की करोना की वजह से मृत्यु हो गई थी, जिसके बाद शाही इमाम अहमद बुखारी ने इस फैसले की सूचना दी। इम्पार की ओर से कहा गया है कि देश की राजधानी दिल्ली में करोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए यह फैसला अत्यंत महत्वपूर्ण है।
इम्पार ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में यह भी कहा है कि देश के मुसलमानों से अपील की जाती है कि वह एक महीने तक अपने घरों में ही नमाज अदा करें। इम्पार ने मीडिया को जारी विज्ञप्ति में कहा है कि यह फैसला देश के विभिन्न इस्लामिक स्कॉलर और जनता के प्रतिनिधियों से बातचीत के बाद लिया गया है।
ज्ञात रहे कि बीते दिनों मौलाना सैयद अरशद मदनी ने भी करोना महामारी को देखते हुए कहा था कि मस्जिद तो खुल गई है लेकिन एहतियात की जरूरत है। मौलाना ने यह भी कहा था कि करोना का जोखिम कम नहीं हुआ है बल्कि बढ़ रहा है, सावधानी और संयम से काम लेना होगा। मौलाना ने कहा था कि "अब एक सीमा निर्धारित कर दी गई है तो एक मस्जिद में कई जमाअतें भी हो सकती हैं। इसकी सूरत यह है कि एक बार जहां जमाअत हो गई है इसकी दाएं-बाएं की जगह छोड़कर तीसरी और चैथी भी हो सकती है। हम समझते हैं कि इसमें कोई समस्या नहीं है। यदि ऐसा संभव न हो तो फिर मुसलमान जिस तरह पहले घरों में नमाज़ अदा करते थे वर्तमान स्थिति में भी उसी तरह घरों में ही नमाज़ अदा करें इसलिये कि खतरा अभी टला नहीं है, बल्कि आंकड़े यह बताते हैं कि समय बीतने के साथ यह महामारी एक खतरनाक मोड़ लेती जा रही है। "
इम्पार ने जारी विज्ञप्ति में कहा है कि कुछ लोग नमाज़ मस्जिद में पांचो टाइम पाबंदी से पढ़ सकते हैं। इम्पार ने कहा है कि कुरान 5:32 में मुसलमानों को बताया गया है कि अगर किसी ने किसी की जान बचाई तो ऐसा होगा जैसे उसने पूरी मानवता की जान बचाई हो।
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