जामिया मिल्लिया इस्लामिया की फैकल्टी आॅफ फाइन आट्र्स के पेन्टिंग विभाग और इलाहाबाद के हमीदिया गल्र्स पीजी कॉलेज के महिला अध्ययन केन्द्र ने 22 जून को वेबिनार पर महिला केन्द्रित एक कविता पाठ का आयोजन किया। इसका मकसद कोविड-19 महामारी के इस घातक माहौल में महिलाओं को पेश आ रही भावनात्मक और अन्य परेशानियों को एक ‘‘नारीवादी‘‘ परिप्रेक्ष्य में रखना था। इसमें नौ महिला कवियों ने हिस्सा लिया।
हमीदिया डिग्री कॉलेज और जामिया के भावनात्क रिश्ते हैं। ख्वाजा अब्दुल मजीद जामिया मिल्लिया इस्लामिया के संस्थापकों में हैं और उनकी पत्नी बेगम खुर्शीद ख्वाजा ने हमीदिया डिग्री काॅलेज की स्थापना की थी। जामिया अपनी स्थापना का शताब्दी वर्ष मना रहा है। ऐसे में इन दोनों संस्थानों का एक साथ आकर संयुक्त रूप से इस कार्यक्रम को आयोजित करना और भी प्रासंगिक हो जाता है।
जामिया के पेंटिंग विभाग ने कुलपति प्रो नजमा अख्तर के सामने यह वेबिनार आयोजित करने का प्रस्ताव रखा, जिसे उन्होंने न केवल प्रोत्साहित किया बल्कि, इसमें उर्दू और हिंदी विभाग को भी शामिल करने का अच्छा सुझाव दिया।
प्रसिद्ध उर्दू विद्वान और उर्दू विभाग के प्रमुख प्रो शहजाद अंजुम ने सत्र की अध्यक्षता की। सत्र की शुरुआत हमीदिया गल्र्स कॉलेज की प्रबंधक श्रीमती अहसान उल्लाह की टिप्पणियों से हुई। प्रो नुज़हत काज़मी ने फैकल्टी आॅफ फाइन आट्र्स के बारे में बताया।
कार्यक्रम की शुरुआत प्रसिद्ध कवयित्री और कथा लेखिका, प्रो सविता सिंह की चार मशहूर कविताओं से हुई जिनमें इस जंगल में, सुंदर बातें, सारा का सुन्दर बदन और जब मॉन्ट्रियल मेरा शाहर था, शामिल हैं।
प्रो फरहत नसरीन ने मातृत्व के बारे में ‘ज़िन्दगी यूं निकल गई‘ सहित अपनी चार चर्चित कविताओं का पाठ किया। फिरदौस अज़मत सिद्दीकी ने विविध दृष्टिकोण वाली अपनी दो कविताएं ‘हरम‘ और ‘मैं एक आम लड़की हूं‘ का पाठ किया है।
अपर्णा दीक्षित ने अपनी विख्यात कविता, ‘जेब‘ का पाठ किया, जिसमें बताया गया है कि पैसों के लिए महिलाओं को किस तरह पुरूषों पर निर्भर बना दिया गया है। सुश्री सुषमा सिंह और डॉ सुजाता ने भी महिलाओं की स्थिति के बारे में अपनी कविताएं पेश की।
कार्यक्रम का समापन हमीदिया डिग्री कॉलेज के प्रिंसिपल डा यूसुफ नफीस और महिला अध्ययन केंद्र की निदेशक डॉ सबिहा आज़मी के संबोधन से हुआ। वेबिनार में लगभग 100 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।
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