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सरकार के दावे का मजाक उड़ा रहा है जेएनयू, हो कठोर कार्रवाई: नोमानी

By: Administrators
ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस-ए-मुशावरत और यूनाइटेड मुस्लिम मोर्चा के महासचिव (मौलाना) अब्दुल हमीद नोमानी

ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस-ए-मुशावरत और यूनाइटेड मुस्लिम मोर्चा के महासचिव (मौलाना) अब्दुल हमीद नोमानी ने जेएनयू एडमिनिस्ट्रेशन के जरिए इस्लामिक आतंकवाद के शीर्षक से कोर्स शुरू किए जाने की घोर शब्दों में निंदा करते हुए कहा है कि यह जेएनयू इंतजामिया की संकीर्ण मानसिकता का जीता जागता सबूत है और इसे अपने कदम को फौरन वापस लेना चाहिए. उन्होंने कहा कि इस तरह के कदम से देश की पूरी दुनिया में बदनामी होगी और पूरी दुनिया में भारत विरोधी माहौल पैदा होगा. उन्होंने कहा कि  हम सभी की जिम्मेदारी है कि अपने देश की एकता अखंडता और उसकी हजारों साल पुरानी गंगा जमुनी तहजीब को आगे बढ़ाने में अपनी भूमिका अदा करें और हर कीमत पर देश की नेकनामी का सबब बनें.

 

 

अब्दुल हमीद नोमानी ने कहा कि कोई भी ऐसा कदम जिससे देश की बदनामी हो वह स्वीकार नहीं किया जा सकता है और इस्लामिक आतंकवाद के शीर्षक से पाठ्यक्रम शुरू किया जाना भी इसी कड़ी का एक हिस्सा है, जिसे किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

 

  (मौलाना) अब्दुल हमीद नोमानी ने कहा कि सड़क से संसद तक हमारे प्रधानमंत्री गृह मंत्री और दूसरे नेता हमेशा यह कहते रहे हैं कि इस्लाम या किसी भी धर्म का आतंकवाद से कोई नाता नहीं है. उन्होंने कहा कि लोकसभा में भारत के गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने भी आईएसआईएस से भारत के मुसलमानों के रिश्तो का खंडन करते हुए कहा था कि भारत के  मुसलमानों का isis से कोई संबंध नहीं है. नोमानी ने कहा कि जेएनयू इंतेज़ामिया सरकार के इस दावे का भी मज़ाक़ उड़ा रही है जो वह सड़क और संसद दोनों जगह में करती आई है.

 

(मौलाना) अब्दुल हमीद नोमानी ने कहा कि इस्लामी आतंकवाद के शीर्षक से पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाना विश्वस्तरीय जूस आंदोलन का यह अंग है. यह बिल्कुल उचित नहीं है कि किसी भी शीर्षक से आतंकवाद को इस्लामी परिभाषा या इस्लाम से जोड़ा जाए. यह संकीर्ण मानसिकता और दूषित सोच का परिचायक है. इस कदम को अविलंब वापस लेना चाहिए इसे किसी भी कीमत से किसी रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता है.

 

 इस्लामी आतंकवाद कोई चीज नहीं है हम हिंदू आतंकवाद ईसाई आतंकवाद सब के खिलाफ हैं. कुछ व्यक्तियों के नफरत के कार्यों को किसी धर्म या समुदाय विशेष से जोड़ कर देखना गलत सोच का परिणाम है. इस से बचना चाहिए इस तरह की प्रवृति से सरकार की बदनामी होती है और कई तरह के संदेहों को बढ़ावा मिलता है.  

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