नयी दिल्ली: फरवरी 2020 के आखिरी हफ्ते के 3 दिनों में देश की राजधानी दिल्ली में जो कुछ हुआ उसने देश की छवि पूरी दुनिया में धूमिल की। दिल्ली में हुए इन सांप्रदायिक दंगों में कई अलग अलग थ्योरियां सामने आती रही हैं, लेकिन कई बार दिल्ली पुलिस के कामकाज पर सवालिया निशान खड़ा होता रहा है, लेकिन इन दंगों में दिल्ली पुलिस ने अपने एस कांस्टेबल रतन लाल को भी खो दिया था। इन सांप्रदायिक दंगों में कुल 53 लोगों की जान गई थी। इन सांप्रदायिक दंगों को लेकर दिल्ली बीजेपी के नेता कपिल मिश्रा कई बार सवालों के घेरे में आते रहे हैं, लेकिन दिल्ली पुलिस ने अभी तक कपिल मिश्रा के नाम को लेकर अपनी चुप्पी नहीं तोड़ी है।
हालांकि दिल्ली दंगों में पहली बार कपिल मिश्रा का नाम सामने आ रहा है। साथ ही स्वराज अभियान के योगेंद्र यादव का नाम भी दिल्ली दंगों में आ रहा है। ज्ञात रहे कि दिल्ली में इस साल फ़रवरी में हुए सांप्रदायिक दंगों में कुल 53 लोगों की जानें गई थीं जिनमें दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल रतनलाल भी थे। इस मामले में दिल्ली पुलिस ने अपनी चार्जशीट दायर की है जिसमें स्वराज अभियान के योगेंद्र यादव का नाम लिया गया है। इसके अलावा पहली बार एक गवाह ने बीजेपी नेता कपिल मिश्रा का भी नाम लिया है। हम अपने पाठकों को बता दें कि उत्तर पूर्वी दिल्ली 24,25,26 फ़रवरी को सांप्रदायिक दंगों में जल रही थी।
एक तरफ अमेरिका के राष्ट्रपति दिल्ली में मौजूद थे और दूसरी तरफ दिल्ली में हैवानियत का खेल चल रहा था, जिस से पूरी दुनिया में भारत की छवि धूमिल हुयी। इन दंगों में भीड़ ने चांदबाग इलाक़े में हेड कांस्टेबल रतनलाल का बेरहमी से क़त्ल कर दिया था। इस मामले में दिल्ली पुलिस ने अपनी चार्जशीट में कुल 17 लोगों को आरोपी बनाया है। दिल्ली पुलिस ने दंगों के लिए नागरिकता कानून के ख़िलाफ़ (एंटी CAA) प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों को दोषी ठहराया है। अहम बात यह है कि इस चार्जशीट में योगेंद्र यादव का भी नाम है, हालांकि उन्हें आरोपी नहीं बनाया गया है। चार्जशीट के अनुसार उन्होंने चांदबाग में भड़काऊ भाषण दिया था।
योगेंद्र यादव के अलावा वकील डीएस बिंद्रा, छात्र नेता कंवलप्रीत कौर के भी नाम चार्जशीट में हैं। योगेंद्र यादव ने मीडिया से बातचीत में कहा कि उन्होंने कोई हिंसा भड़काने वाला भाषण और बयान नहीं दिया। वह दंगों में लगातार शांति की अपील कर रहे थे। हालांकि पहली बार एक गवाह ने बीजेपी नेता कपिल मिश्रा का नाम लिया है, जिस के बाद बहुत सारे सवाल खड़े हो रहे हैं। गवाह नज़्मुल हसन ने मजिस्ट्रेट को दिए बयान में कहा है कि" “ पंडाल में कपिल मिश्रा के कुछ लोगों ने आग लगा दी, मैंने ये देखा नहीं पर लोग ऐसा शोर मचा रहे थे “ हालांकि कपिल मिश्रा की भूमिका को लेकर दिल्ली पुलिस ने चुप्पी साध रखी है।
दिल्ली पुलिस के मुताबिक ये एक एजेंडे के तहत हुआ। चार्जशीट में लिखा गया है, "योगेंद्र यादव, सफ़ूरा ज़रगर, डीएस बिंद्रा, कंवलप्रीत कौर और पिंजड़ा तोड़ की देवांगना कलिता के चांदबाग में हो रहे प्रदर्शन के आयोजकों के साथ संबंध ये साफ़ करते हैं कि हिंसा के पीछे इनका छिपा हुआ एजेंडा था “। जिस को लेकर दिल्ली पुलिस पर सवाल उठते रहे हैं। दिल्ली पुलिस की तमाम चार्जशीटों से साफ़ है कि दिल्ली पुलिस दिसंबर से लेकर फ़रवरी तक नागरिकता कानून विरोधी प्रदर्शन में शामिल हुए हर्ष मंदर, योगेन्द्र यादव जैसे उन तमाम लोगों को दंगो की साज़िश का दोषी मान रही है जिन्हों ने इस क़ानून का किसी न किसी तरह विरोध किया था। लेकिन दिल्ली पुलिस ने कहीं भी कपिल मिश्रा द्वारा दिए गए भड़काऊ भाषणों का ज़िक्र तक नहीं है।
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