मॉब लिंचिंग के खिलाफ क़ानून लाने की आवश्यकता: जमाअत इस्लामी हिन्द
नई दिल्ली: “मुसलमानों और दलितों के खिलाफ घृणा अपराध और लिंचिंग में विगत दिनों में बहुत वृद्धि हुई है। असामाजिक और आपराधिक तत्वों के साथ कुछ सुसंगठित समूह और गौरक्षक गिरोह इतने साहसिक हो गए हैं कि दिन के उजाले में लिंचिंग को अंजाम देते हैं, उन्हें फिल्माते हैं और सोशल मीडिया पर प्रसारित करते हैं। वे बेखौफ होकर ऐसा करते हैं क्योंकि पुलिस द्वारा उनके खिलाफ कोई गंभीर कार्रवाई नहीं की गई है और इसलिए उन्होंने इसे एक संकेत के रूप में लिया है कि सरकार को अल्पसंख्यकों और हाशिए के लोगों की सुरक्षा की चिंता नहीं है। इससे आम नागरिकों में डर पैदा हो रहा है।
जमाअत झारखंड सरकार की 'भीड़ हिंसा रोकथाम और मॉब लिंचिंग विधेयक 2021' के पारित किए जाने सराहना करती है। ये बातें जमाअत इस्लमी हिन्द के उपाध्यक्ष प्रोफेसर मोहम्मद सलीम इंजीनियर ने आज जमाअत के मुख्यालय में आयोजित मासिक प्रेस कांफ्रेंस में कहीं। उन्होंने बताया की राजस्थान और पश्चिम बंगाल के बाद झारखंड भारत का तीसरा राज्य है जिसने मॉब लिंचिंग के खिलाफ कानून पारित किया है। देश के अन्य राज्यों में भी मॉब लिंचिंग के खिलाफ क़ानून लाने की आवश्यकता है।
जो लोग हिंसा और क़त्लेआम की बात करते हैं वे धर्म के सच्चे प्रतिनिधि नहीं हैं। जमाअत महसूस करती है कि अपने नागरिकों के जीवन की रक्षा करना केंद्र और राज्य सरकारों का कर्तव्य है। इसलिए, उन्हें आगे बढ़ना चाहिए और इसी तरह के 'मॉब लिंचिंग रोकथाम' विधेयकों को जल्दी से पारित किया जाना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि लिंचिंग हमारे देश में इतिहास बन जाए। प्रोफेसर मोहम्मद सलीम इंजीनियर ने कहा कि जमाअत कुछ सुव्यवस्थित समूहों द्वारा खुले तौर पर 'इस्लामोफोबिक' और एक विशेष समुदाय को लक्षित करने वाले घृणास्पद भाषण देने के फैसले पर गंभीर चिंता व्यक्त करता है। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि नफरत की यह राजनीति वास्तविक मुद्दों से लोगों का ध्यान हटाने के लिए (खासकर जब चुनाव आसपास है) की जाती है ताकि सरकार और सत्ता प्रतिष्ठान के विकास प्रदर्शन से लोगों का ध्यान अन्य भावनात्मक मुद्दों पर स्थानांतरित हो जाए।
मोहम्मद सलीम इंजीनियर ने मीडिया को ब्रीफ करते हुए कहा कि महिलाओं के लिए शादी की कानूनी उम्र बढ़ाकर 21 करना चिंता का विषय है। माताओं और नवजात शिशुओं के खराब स्वास्थ्य का कारण गरीबी और कुपोषण है। यदि खराब स्वास्थ्य देखभाल और गरीबी इतने उच्च स्तर पर बनी रहती है, तो आयु सीमा बढ़ाने से स्थिति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। यह प्रकृति के नियम के खिलाफ है। इसकी वजह से मनोवैज्ञानिक, चिकित्सा, सामाजिक और मानवाधिकार जैसी समस्याएं जन्म लेंगीं । अगर यह प्रस्ताव कानून का रूप लेता है, तो यह आदिवासी समुदायों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और कानून प्रवर्तन मशीनरी उन्हें और परेशान करेगी ।
देश के विधानसभा चुनावों और कोविड वायरस से सम्बंधित पूछे गए सवाल के जवाब में प्रोफेसर सलीम इंजीनियर ने कहा कि उत्तर प्रदेश में आगामी चुनाव में विशाल राजनीतिक रैलियां देखने को मिल रही हैं। प्रधान मंत्री सहित सरकार में शीर्ष पदों पर काबिज सत्ताधारी दल के नेता इन राजनीतिक रैलियों में भाग ले रहे हैं जो सभी स्वास्थ्य सावधानियों की अवहेलना हैं। जमाअत महसूस करती है कि भाजपा सहित चुनाव आयोग और राजनीतिक दलों को स्वेच्छा से इन बेहद महंगी और जोखिम भरी राजनीतिक रैलियों के आयोजन से बचना चाहिए। वे इन गलतियों से बचकर अपना और देश का बहुत बड़ा उपकार करेंगे जो कोविड महामारी की तीसरी लहर का कारण बन सकती हैं।
ताज़ातरीन ख़बरें पढ़ने के लिए आप वतन समाचार की वेबसाइट पर जा सक हैं :
https://www.watansamachar.com/
उर्दू ख़बरों के लिए वतन समाचार उर्दू पर लॉगिन करें :
http://urdu.watansamachar.com/
हमारे यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करना न भूलें :
https://www.youtube.com/c/WatanSamachar
ज़माने के साथ चलिए, अब पाइए लेटेस्ट ख़बरें और वीडियो अपने फ़ोन पर :
आप हमसे सोशल मीडिया पर भी जुड़ सकते हैं- ट्विटर :
https://twitter.com/WatanSamachar?s=20
फ़ेसबुक :
यदि आपको यह रिपोर्ट पसंद आई हो तो आप इसे आगे शेयर करें। हमारी पत्रकारिता को आपके सहयोग की जरूरत है, ताकि हम बिना रुके बिना थके, बिना झुके संवैधानिक मूल्यों को आप तक पहुंचाते रहें।
Support Watan Samachar
100 300 500 2100 Donate now
Enter your email address to subscribe and receive notifications of latest News by email.