‘‘हमारे संवैधानिक अधिकारों और देश की गंगा-यमुना संस्कृति की सुरक्षा के लिए फासीवाद के खिलाफ संयुक्त संघर्ष से ही देश में आए नफरत और खौफ के तूफान का मुकाबला किया जा सकता है। अगर हम बीते और मौजूदा दौर से कुछ सबक लेने के लिए तैयार हैं, तो हमारी यह सोच बिल्कुल बेतुकी साबित होगी कि फासीवादी ताकतों को खुश करके उन्हें राम किया जा सकता है। दूसरी ओर साम्प्रदायिक फासीवाद-विरोधी ताकतों के साथ एकजुटता बनाना हमारी नस्लों का सबसे अकलमंदी भरा मिशन होना चाहिए, जिसे इतिहास में सुनहरे अक्षरों से लिखा जाएगा।’’
इन विचारों को पाॅपुलर फ्रंट आॅफ इंडिया के राष्ट्रीय सचिव अनीस अहमद ने पाॅपुलर फ्रंट नाॅर्थ ज़ोन की ओर से रविवार को इंदिरा गांधी स्टेडियम में आयोजित एक दिवसीय जन अधिकार सम्मेलन में मुख्य भाषण प्रस्तुत करते हुए रखा।
अनीस अहमद ने 2014 और 2019 चुनावों के बीच के फर्क पर रोशनी डालते हुए कहा कि बीजेपी ने 2014 के चुनावों में सत्ता की कुर्सी तक पहुंचने के लिए झूठे वादों का सहारा लिया, लेकिन 2019 में उनसे हिंदुओं के ध्रुवीकरण के आधार पर वोट लिए। तीन तलाक बिल पर अपने विचार रखते हुए उन्होंने कहा कि सरकार को महिलाओं की सुरक्षा से कोई लेना देना नहीं हैै। इसका सबूत बीजेपी नेताओं के खिलाफ बलात्कार के हालिया मामले हैं। राष्ट्रीय सचिव ने कहा कि काले कानूनों का मकसद पाॅपुलर फ्रंट जैसे जन अधिकारों के लिए आवाज़ उठाने वाले संगठनों को दबाना और खामोश करना है।
जन अधिकार सम्मेलन के दौरान मुहम्मद अली जिन्ना ने 9 बिंदुओं पर आधारित नई दिल्ली की घोषणा पेश की। कांफ्रेंस में सरकार से उन सभी कानूनों और कार्यवाहियों को वापस लेने की मांग की गई, जो लोगों के अधिकार छीनते हैं, उनके बीच भेदभाव करते हैं और अल्पसंख्यकों और कमज़ोर वर्गों को इंसाफ से वंचित करते हैं। साथ ही समाज के सभी वर्गों को याद दिलाते हुए कहा गया कि बेख़ौफ जीना और बाइज़्ज़त जीना उनका बुनियादी अधिकार है और साम्प्रदायिक, फासीवादी और विभाजनकारी ताकतों को शिकस्त देने के लिए एकजुट होना उनकी ज़िम्मेदारी है।
घोषणा में यहा कहा गया कि जम्मू-कश्मीर से धारा 370 और 35ए को हटाने, वहां बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों की तैनाती और एक खुदमुख़्तार राज्य को केंद्र शासित राज्य में बदलने के गृह मंत्रालय द्वारा बड़ी जल्दबाज़ी में लिये गए फैसले ने कश्मीर को एक खुली जेल में बदल दिया है। घाटी से आने वाली रिपोर्ट यह बताती है कि बच्चों सहित हज़ारों लोग जेलों में क़ैद कर दिये गए हैं और सुरक्षा बल रातों को छापेमारी करके लोगों को उठाते हैं और उन्हें प्रताड़ित करते हैं। घाटी मंे इस हिंसा को सरकारी छूट हासिल है, जिसने अनगिनत लोगों की ज़िंदगियां तबाह कर दी हैं, लेकिन सरकार की वफादार भारतीय मीडिया यह दिखाने के लिए तैयार नहीं है।
घोषणा में यह भी कहा गया कि बाबरी मस्जिद 1528 में अयोध्या में मुसलमानों द्वारा बनाई गई थी और तब से मुसलमान उसमें नमाज़ पढ़ते चले आ रहे थे, यहां तक कि 1949 में मस्जिद के अंदर जबरन और गैरकानूनी तरीके से मूर्तियां रख दी गईं। सुप्रीम कोर्ट में चल रहे अयोध्या मामले में मस्जिद की ज़मीन के मालिकाना हक का फैसला होना है, जिस मस्जिद को 1992 में हिंदुत्व ताकतों ने गैरकानूनी तरीके से गिरा दिया था। इसलिए इंसाफ यही है कि बाबरी मस्जिद को फिर से उसी जगह पर बनाया जाए और विध्वंस के ज़िम्मेदार सभी अपराधियों को सज़ा दी जाए। दूसरे किसी भी मालिकाना हक के मामले की तरह, इस मामले को भी सबूतों के आधार पर हल किया जाना चाहिए, न कि किसी पक्ष की आस्था और भावनाओं के आधार पर। हम यह मानते हैं कि इस्लाम धर्म और उसके कानून के अनुसार, किसी भी व्यक्ति या समूह को यह अधिकार नहीं है कि वह मस्जिद की ज़मीन किसी और को दे, क्योंकि उसका असल मालिक सिर्फ अल्लाह है।
अपने उद्घाटन भाषण में पाॅपुलर फ्रंट आॅफ इंडिया के चेयरमैन ई. अबूबकर ने कहा कि मौजूदा सरकार की फासीवादी नीतियों के कारण पूरे देश में खौफ का माहौल पैदा हो गया है। आज हिंदुत्व ताकतों ने जातिवादी हिंदुओं और दलितों के बीच, और हिंदुओं और मुसलमानों के बीच नफरत पैदा कर दी है। अबूबकर ने कहा कि जब से मोदी सरकार आई है, हम बड़े बड़े नारे सुन रहे हैं। एक समय में उनका नारा था ‘‘कांग्रेस मुक्त भारत’’ जो आज ‘‘एक देश एक पार्टी’’ बन गया है। आने वाले समय में यह ‘‘एक पार्टी एक शाह’’ में बदल जाएगा।
साथ ही उन्होंने ‘‘एक राष्ट्र, एक भाषा’’ और ‘‘एक राष्ट्र, एक कानून’’ जैसे नारों की भी कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि इन्ही नारों का नतीजा हम कश्मीर में देख रहे हैं, जहां से धारा 370 को हटा दिया गया है।
अबूबकर ने माॅब लिंचिंग, राजनीतिक ध्रुवीकरण, नफरत, एनआरसी, कश्मीर, बाबरी मस्जिद और काले कानून आदि जैसे देश के सुलगते मुद्दों और नीतियों पर बात की। उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था लगातार नीचे गिरती चली जा रही है, जबकि सरकार हर मोर्चे पर नाकाम साबित हुई है। उन्होंने कहा कि सरकार को कुछ समझ नहीं आ रहा कि इस आर्थिक संकट से कैसे निकला जाए। उन्होंने आगे कहा कि हमें इस फासीवादी सरकार को लेकर ज़्यादा चिंता करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि हिंदुत्व और नफरत की राजनीति का खात्मा शुरू हो चुका है।
कांफ्रेंस के दौरान अपने विचार रखते हुए दिल्ली की फतेहपुरी मस्जिद के शाही इमाम डाॅक्टर मुफ्ती मुकर्रम अहमद ने कहा कि मुसलमानों को भयभीत करने की लगातार कोशिश की जा रही है, लेकिन ऐसा करने वालों को उनके मकसद में कभी कामयाबी नहीं मिलेगी। उन्होंने देश के विकास और निर्माण में मुसलमानों की कुर्बानियों और योगदान पर भी रोशनी डाली। साथ ही उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यकों और कमज़ोर वर्गों को अनदेखा करके एकता और सद्भाव को कभी हासिल नहीं किया जा सकता।
अयोध्या से आए महंत युगल किशोर शरण शास्त्री ने कहा ‘‘राष्ट्रीय एकता और अखंडता को मुसलमानों और पाकिस्तान से नहीं बल्कि हिंदुत्व आतंकवाद से खतरा है।’’ माॅब लिंचिंग की घटनाओं की निंदा करते हुए, युगल शास्त्री ने कहा कि भीड़तंत्र की हिंसा को हर हाल में रोका जाना चाहिए। साथ ही उन्होंने कश्मीर पर सरकारी कार्यवाही की निंदा करते हुए कहा कि इस कार्यवाही ने कश्मीर की जनता को और दूर कर दिया है।
सिख समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हुए प्रोफेसर बलजिंदर सिंह (खालसा काॅलेज, अमृतसर) ने कश्मीर से धारा 370 और 35ए को हटाने पर सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा कि धारा 370 जम्मू कश्मीर और भारत के बीच एक पुल की तरह था लेकिन मौजूदा शासकों ने हालात को समझे बगैर उसको खत्म कर दिया।
कार्यक्रम का आरंभ पाॅपुलर फ्रंट के राष्ट्रीय सचिव अब्दुल वाहिद सेठ के हाथों संगठन का झण्डा फेहरा कर हुआ और उसके बाद राष्ट्रीय गीत ‘‘सारे जहां से अच्छा’’ से प्रोग्राम की शुरूआत की गई।
इस अवसर पर कांफ्रेंस को संबोधित करने वाले अन्य वक्ताओं में अनीस अंसारी, ज़ोनल सचिव (स्वागत भाषण), ए.एस. इस्माईल, ज़ोनल अध्यक्ष (अध्यक्षीय भाषण), लुबना मिनहाज सिराज (उपाध्यक्ष, नेशनल विमेंस फ्रंट), एड. शरफुद्दीन अहमद (राष्ट्रीय सचिव, एसडीपीआई), एस.एम. अनवर हुसैन (पूर्व अध्यक्ष, ए.एम.यू छात्र यूनियन), एम.एस. साजिद (राष्ट्रीय अध्यक्ष, केम्पस फ्रेंट आफ इंडिया), अशोक भारती (प्रिंसिपल एडवाइज़र, एन.ए.सी.डी.ए.ओ.आर), मेहरून्निसा खान (राष्ट्रीय अध्यक्ष, विमेन इंडिया मूमेंट), मुफ्ती हनीफ अहरार कासमी (राष्ट्रीय महासचिव, आल इंडिया इमाम्स कौंसिल), मुहम्मद इलियास, प्रोग्राम कन्वीनर (धन्यवाद) शामिल हैं। वहीं मौलाना सैयद खलीलुर्रहमान सज्जाद नोमानी (प्रवक्ता, आॅल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड) ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के द्वारा बात की।
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