लखनऊ, 01 दिसम्बर: तंदूर से जुड़े खाने का जिक्र आते ही मुर्गे या रोटी का ख्याल आता है, जिसको लेकर लखनवी जायका पूरी दुनिया में मशहूर है लेकिन अब इसमें तंदूरी चाय ने भी अपनी जगह बना ली है और इसके शौकीनों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।
खासतौर से गुलाबी जाड़े में लोगों की सुबह की शुरुआत ही इस चाय की चुस्कियों से हो रही है। नवाबों के शहर लखनऊ के 1090 चौराहे, चौक सहित कुछ अन्य स्थानों पर इस चाय की चुस्कियां लेने वालों को रोजाना देखा जा सकता है। इसमें तपते छोटे तंदूर में गरमा गरम चाय डालने पर उससे निकलने वाली साेंधी खुशबू स्वाद को कई गुना बढ़ा देती है। बीस रुपये में बिकने वाली चाय को पीने के लिये लोग अपनी बारी का इन्तजार तक करते हैं, क्योंकि उन्हें पता ये आम नहीं बल्कि बेहद खास चाय है।
लखनऊ महोत्सव में भी लोग तंदूरी चाय की चुस्की लेते नजर आ रहे हैं है। वहीं 1090 चौराहे पर तंदूरी चाय बेचने वाले राजेन्द्र यादव कहते हैं कि पहले लगा था कि लोग इसे नापसन्द करेंगे, लेकिन अब इतने ग्राहक आते हें कि कभी-कभी उन्हें देर तक खड़ा रखना पड़ता है। राजेन्द्र बताते हैं कि उन्होंने करीब तीन महीने पहले ही तंदूरी चाय का कारोबार शुरू किया है।
इस बीच, पर्यटन विभाग के अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी ने कहा कि उन्हें भी इसके बारे में पता चला है। यह चाय यदि पर्यटकों को आकर्षित करने में सफल रहती है तो सरकार इसे प्रमोट करने के बारे में विचार कर सकती है।
राजेन्द्र ने बताया कि लकड़ी या कोयले के तंदूर में 20 मिट्टी की छोटी मटकियां गर्म होती रहती हैं। वहीं अलग बर्तन में लौंग, छोटी-बड़ी इलायची, दालचीनी, सोंठ, जावित्री, अदरक आदि डालकर चाय तैयार करते है। इसके बाद तंदूर से गर्म मटकी निकालकर उसमें चाय को मिट्टी के कुल्हड़ में डाल देते हैं।
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