देश के नंबर एक विश्वविद्यालय जामिया मिलिया इस्लामिया के जरिए मेरिट बेस्ड छात्रों के एडमिशन लिए जाने की ख़बरों के बाद छात्रों के अंदर काफी रोष पाया जा रहा है। अब छात्र विंग AISA ने इस संबंध में वाइस चांसलर ऑफिस के बाहर जाकर के प्रदर्शन और रोष जताते हुए कहा है कि जामिया को फौरन मेरिट बेस एडमिशन का प्रपोजल वापस लेना चाहिए और प्रशासन को इस बात का स्पष्टीकरण देना चाहिए कि वह मेरिट पर कोई एग्जाम लेने नहीं जा रहा है।
AISA की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में देश के कई अखबारों का हवाला देते हुए कहा गया है कि जामिया मिल्लिया इस्लामिया की वेबसाइट पर भी यह बात स्पष्ट शब्दों में नोटिफिकेशन के जरिए देखी जा सकती है कि जो डाटा आपने दिया है उसी की बुनियाद पर मेरिट लिस्ट तैयार होगी। इससे साफ है कि जामिया मिल्लिया इस्लामिया प्रशासन मेरिट पर ही छात्रों को एडमिशन देने का पूरा मन बना चुका है। छात्रों का कहना है कि प्रशासन को अपने इरादे को बदलना चाहिए और वह छात्र जो गांव देहात और कस्बों से आते हैं उनके भविष्य पर ग्रहण लगाने के बजाय उनके साथ इंसानी मामला करना चाहिए और जैसे एंट्रेंस की प्रक्रिया चली आ रही थी उसको उसी ढंग से चलाना चाहिए।
छात्रों का कहना है कि प्रशासन का यह फैसला न सिर्फ छात्रों के हितों के खिलाफ है बल्कि कमजोर शोषित वंचित और आदिवासी वर्ग के छात्रों के खिलाफ है। प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि 27 अगस्त को एक डेलिगेशन की शक्ल में AISA और दूसरे संगठनों के छात्रों ने वाइस चांसलर से मुलाकात की कोशिश की लेकिन उन्हें वाइस चांसलर ऑफिस के बाहर ही सुरक्षा गार्डों ने रोक दिया। डेलिगेशन का मकसद यह था कि वह वाइस चांसलर को मेमोरेंडम देते और उनसे संवाद करते और उन्हें बताते कि मेरिट बेस एग्जाम के क्या नुकसानात हैं और इससे छात्रों को कितना नुकसान होने वाला है। छात्रों का यह भी आरोप है कि जब यूनिवर्सिटी मुशायरा करा सकती है तो एडमिशन के लिए एग्जाम क्यों नहीं कंडक्ट करा सकती है।
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