रणदीप सिंह सुरजेवाला ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा -नमस्कार दोस्तों।
आज कांग्रेस पार्टी के लोकसभा में उपनेता गौरव गोगोई जी, लोकसभा और राज्यसभा के मेरे सम्मानित सांसद साथी माणिक टैगोर जी, राजीव सातव जी, गौरव गोगोई जी, जसबीर गिल डिंपा जी, हिबी ईडेन जी, हम सब आपके बीच में उपस्थित हैं।
प्रधानमंत्री पद पर बैठे, प्रधानमंत्री के उच्च पद पर बैठे व्यक्ति को झूठ बोलने, देश को बरगलाने से परहेज करना चाहिए। ऐसा कोई भी कार्य प्रधानमंत्री के लिए निंदनीय है और अशोभनीय भी, पर दुर्भाग्य से ये कहना पड़ेगा नरेन्द्र मोदी जी देश को झूठ बोल रहे हैं, प्रधानमंत्री मोदी जी झूठे हैं, किसान विरोधी हैं, खेत-मजदूर विरोधी हैं, खेत खलिहान पर आक्रमण बोल रहे हैं, खेती पर अतिक्रमण बोल रहे हैं। एक तरफ कोरोना महामारी की मार, दूसरी तरफ चीन से आमना-सामना किए हमारी सेना बहादुरी से खड़ी है और मोदी सरकार देश के किसान पर हमला बोल रही है। आज बिहार में प्रधानमंत्री ने बार-बार देश को बरगलाने के लिए ये कहा कि किसान विरोधी तीनों कानून किसान के पक्षधर कानून हैं। मोदी जी पांच सीधे सवालों का जवाब देश को और देश के किसान को दे दीजिए।
नरेन्द्र मोदी सरकार किसान का न्यूनतम समर्थन मूल्य खत्म करने का षडयंत्र कानून के माध्यम से क्यों कर रही है?
मोदी जी और उनके मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर जी, दोनों ही जो खेती नहीं करते, दोनों के नाम एक इंच खेती की जमीन नहीं, वो हमें और देश के किसान को पाठ पढ़ा रहे हैं और कह रहे हैं कि न्यूनतम समर्थन मूल्य जारी रहेगा। मोदी जी ये बताइए न्यूनतम समर्थन मूल्य या एमएसपी कैसे देंगे और कहाँ देंगे, क्योंकि मंडियां तो खत्म हो जाएंगी, मंडियों में तो किसान की उपज आएगी ही नहीं, तो एमएसपी कहाँ मिलेगा और कैसे मिलेगा? मोदी जी ये जवाब दीजिए, एमएसपी किसको देंगे और कौन देगा? क्योंकि आप तो कहते हैं कि किसान जाकर बड़े-बड़े उद्योगपतियों के गोदाम में अपनी फसल बेचेगा या उसके खेत में फसल बिकेगी, तो क्या फूड कोर्पोरेशन ऑफ इंडिया 62 करोड़ किसानों के खेत में जाएगी, एमएसपी देने के लिए? तो कौन देगा और कैसे देगा?
दूसरा सवाल, मोदी जी, क्या आप जानते हैं, आप कहते हैं कि किसान अपनी फसल देश में कहीं भी बेच सकता है, आपने बड़ा क्रांतिकारी कदम उठाया है, पर किसान तो पहले भी कहीं भी देश में बेच सकता है, पर क्या आप जानते हैं कि कृषि सेंसस 2015-16 के मुताबिक 86.2 प्रतिशत किसान 5 एकड़ भूमि का मालिक भी नहीं, उससे कम का है और देश का 60 प्रतिशत किसान 2 एकड़ भूमि का मालिक है, उस 2 एकड़ भूमि के मालिक किसान के पास तो गांव से एपीएमसी के मंडी तक जाने का बस का किराया भी नहीं। जिसके पास बस का किराया भी नहीं, वो पंजाब से मद्रास और मद्रास से कोलकाता अपनी फसल कैसे ले जाकर बेच कर आएगा? क्या ये देश को बताएंगे?
तीसरी बात, आप कहते हैं कि मैंने किसान को आजाद कर दिया, वो अपनी फसल किसी को भी बेचे। किसान को तो आज भी एसडीएम और कलेक्टर के दफ्तर में कोई घुसने नहीं देता, पुलिस की चौकी में कोई घुसने नहीं देता, वो किसान बड़े-बड़े उद्योगपतियों के सामने खड़ा होकर वकील करके दो एकड़ का किसान, तीन और चार एकड़ का किसान, जो इस देश में है, वो एसडीएम और कलेक्टर के सामने बड़ी-बड़ी कंपनियों के सामने किस प्रकार से खड़ा हो पाएगा? आप कहते हैं कि मंडी के आढती, मंडी का व्यापारी बिचौलिया है, उसे खत्म करना है, क्या आप जानते हैं मोदी जी, जब आप मंडी में फसल लेकर जाते हैं, एपीएमसी में फसल लेकर जाते हैं, तो किसान की सामूहिक ताकत और संगठन के आधार पर न्यूनतम समर्थन मूल्य के आधार पर उसकी फसल के मूल्य का निर्धारण होता है, यही उसकी ताकत है, पर जब आप मंडी तोड़ देंगे, जब एपीएमसी एक्ट ही तोड़ देंगे, जब उसको अपनी फसल अपने खेत में बेचनी पड़ेगी, तो साढ़े 15 करोड़ किसान या कुल 62 करोड़ देश का किसान और खेत मजदूर अपने-अपने खेत में दो-दो एकड़ के लिए सामूहिक संगठन बनाकर रेट का निर्धारण कैसे करेगा और उन करोड़ों मजदूरों का क्या होगा जो मंडियों में काम करते हैं? उन लाखों-करोड़ों ट्रांसपोर्टर का क्या होगा, मुनीमों का क्या होगा, गरीबों का क्या होगा जो फसल को छानते हैं, साफ करते हैं और फिर एफसीआई को बेचते हैं? क्या आपने इस बारे में सोचा और प्रांतों की आय, वो मार्केट कमेटी की फीस से होती है, ग्रामीण विकास फंड से होती है, उससे गांव की सड़कें बनती हैं। कल भी हमने बताया कि अकेले पंजाब में 70 हजार किलोमीटर ग्रामीण सड़कें हमने मार्केट फीस से बनाई, जब ये पैसा ही खत्म हो जाएगा, तो गांव का विकास कौन और कैसे करेगा?
सच्चाई ये है कि ‘खेती खाएं, किसान को सताएं, मजदूर को रुलाएं, पूंजीपतियों को पैसा कमाएं, तो नरेन्द्र मोदी कहलाएं’। मोदी जी आप मुट्ठी भर पूंजीपतियों के हाथ खेती और किसानों को गिरवी रखना चाहते हैं, ये नामंजूर है। एक आखिरी बात और कहेंगे, कुरुक्षेत्र के युद्ध में, इस धर्म युद्ध में सेनाएँ आमने - सामने खड़ी हैं, कौरव नरेन्द्र मोदी सरकार हैं, पांडव इस देश का किसान और खेत मजदूर है। कांग्रेस उस किसान के साथ पांडवों के पाले में खड़ी है।
हम मोदी जी को ये भी कहेंगे कि महाभारत के युद्ध में दोनों तरफ सेनाएँ अब खड़ी हैं और बिसात बिछ चुकी है। एक तरफ भारतीय जनता पार्टी है, जो कौरव हैं इस देश के किसानों के विरोधी हैं और दूसरी तरफ किसान और खेत मजदूर पांडव खड़े हैं, कांग्रेस पांडवों के पाले में खड़ी है। अब केवल भारतीय जनता पार्टी को नहीं, अब सत्ता की चाश्नी और मलाई खा रहे हर राजनीतिक दल को निर्णय लेना पड़ेगा, नीतीश बाबू, जनता दल को ये निर्णय करना पड़ेगा, वो कौरवों के पाले में मोदी जी के साथ खड़े होंगे, किसान के विरोध में या किसान के पक्ष में? अकाली दल, बादल को भी ये निर्णय करना पड़ेगा कि वो कौरवों के साथ हैं या किसान के साथ हैं? उनके साथ-साथ टीआरएस को भी ये फैसला करना पड़ेगा, एआईएडीएमके को भी ये फैसला करना पड़ेगा, भारतीय जनता पार्टी, जेजेपी को भी ये फैसला करना पड़ेगा, वाईएसआर कांग्रेस को भी ये फैसला करना पड़ेगा, इस देश के हर राजनीतिक दल को अब ये फैसला करना पड़ेगा कि वो किसान विरोधी, मोदी सरकार कौरवों के साथ खड़े हैं या वो पांडवों के साथ देश के किसानों के पाले में खड़े होने को तैयार हैं? ये निर्णय अब सबसे आवश्यक है, सत्ता की मलाई और चाश्नी बहुत खा ली, अब देश के किसान और मजदूर के पक्ष में खड़े होने का समय है और यही वक्त की मांग भी है। इससे पहले कि हम आपके सवाल लें, मैं लोकसभा में डिप्टी लीडर गौरव गोगोई जी को कहूंगा कि वो अपनी बात जोडेंगे और अंत में हम आपके सवाल लेंगे।
श्री गौरव गोगोई ने कहा कि मैं संक्षेप में कहूंगा, पिछले दिन प्रधानमंत्री मोदी जी का जन्मदिन था। लेकिन उनके जन्मदिन के जश्न में भारत का किसान शामिल नहीं था। उनके जन्मदिन के जश्न में भारत का वो बड़ा – बड़ा उद्योगपति, जो कृषि क्षेत्र में घुसकर अपना मुनाफा कमाना चाहता है, उनके लिए कल का दिन जश्न का दिन था। लेकिन वो पंजाब और हरियाणा का किसान, जिसने पिछले देश को अनाज दिया, हमारे भूखे श्रमिकों को खाना दिया, कल का दिन उनके लिए काला दिन साबित हुआ।
अफसोस की बात ये है कि प्रधानमंत्री मोदी जी अब जिस कृषि क्षेत्र के बिल पर भाषण दे रहे थे, कल जब बिल सदन में था, तो आप सदन में अनुपस्थित थे। सदन में रहकर लोगों को समझा पाते कि क्यों ये बिल किसानों के हित में है, इतना साहस आपमें नहीं था। एक राजनीतिक दल की एक चुनावी मंशा के साथ भाषण देना तो आसान है, भाषण तो आपने काफी दिए, सपने तो आपने काफी दिखाए- 15 लाख, 2 करोड़ नौकरी, डिजीटल इंडिया, स्मार्ट सिटी, स्मार्ट इंडिया, गैट अप इंडिया, इन भाषणों और झूठे सपनों की तालिका बहुत लंबी है और भारत के लोग भी पहचान चुके हैं।
अफसोस की बात ये है कि अब जिस बिहार में जाकर आज आपने चुनावी भाषण दिया, उस बिहार में एपीएमसी एक्ट अबोलिश हुआ। आप वहाँ पर बताइए कि बिहार में जब एपीएमसी एक्ट खत्म हुआ, तो बिहार के किसान को कितनी पीड़ा हुई, क्या इसका अंदाजा है आपको?
देश के विभिन्न संगठन, किसान संगठन, विभिन्न प्रतिनिधि सभी कहते हैं कि बिहार एक ऐसा उदाहरण है, आप ये मत समझिए कि एपीएमसी को खत्म करने से किसानों के दिन अच्छे होंगे, नहीं, किसानों के दिन और खराब हुए हैं। अगर किसान कहीं सुरक्षित अपने आप को महसूस करता है, तो पंजाब जैसे राज्य में जहाँ पर हमारे मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने उनको आशा की किरण दिखाई है, इसलिए मैंने कल भी ये बात रखी थी कि भाजपा और मोदी जी की बातें, ये जैसे मकड़ी का जाल है, वैसे हैं, सुनने में तो अच्छे लेकिन आप जब करीब जाते हो तो उस मकड़ी के जाल में फंसकर आपका घर नष्ट हो जाता है। यही हुआ डिमोनेटाइजेशन में, यही हुआ लॉकडाउन में, यही हुआ जिस तरीके से जीएसटी प्रक्रिया पूरे देश में लगाई। तो मोदी जी के भाषणों में न विश्वास सुनाई देता है, न विकास दिखाई देता है, सिर्फ दिखाई देता है तो उद्योगपतियों के चेहरों की मुस्कान।
श्री राजीव सातव ने कहा कि पिछले 6 सालों में प्रधानमंत्री के कार्यकाल को अगर आप देखेंगे, तो न किसान की कर्जा मुक्ति हुई, न किसान को कर्जा मिला, न किसान को जो उपज है, उसका अच्छा दाम मिला। ये पूरी तरह से जो प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना थी, वो प्राइवेट प्लेयर्स के हाथों में दी गई और पूरी तरह से उसमें सौदेबाजी रही। पिछले 6 साल में इस सरकार के कार्यकाल में किसान परेशान रहा, दुःखी रहा।
कल 17 सितम्बर, हम हैदराबाद मुक्ति संग्राम दिन के रूप में मनाते हैं, लेकिन जहाँ मैं मराठवाड़ा से आता हूँ, हैदराबाद मुक्ति संग्राम की हम बात करते हैं, वही कल किसान के लिए एक बंदी दिन के रूप में कल का दिन याद रखा जाएगा, क्योंकि किसान को सही मायने में जो थोड़ा-बहुत किसान कमा पाता था, वो खत्म करने की बात इस सरकार द्वारा आई है। इस सरकार ने पहले ही एयरपोर्ट्स का प्राइवेटाइजेशन किया, पोर्ट्स का प्राइवेटाइजेशन किया, अभी किसान का जो मार्केट है, उसका भी प्राइवेटाइजेशन करने की दिशा में ये सरकार जा रही है, बड़े-बड़े कॉर्पोरेट्स को, प्राईवेट प्लेयर्स को ये देकर, जो छोटा किसान है, जो 90 प्रतिशत की आबादी में है, उसको खत्म करने की दिशा में इस सरकार की ये साजिश है और उसके खिलाफ कांग्रेस पार्टी ताकत से खड़ी रहेगी।
पिछले कई दिनों से हम प्याज के बारे में कह रहे हैं, महाराष्ट्र की भाजपा भी कह रही है कि प्याज का जो एक्सपोर्ट का बैन है वो उठाइए, क्यों मोदी सरकार सुनना नहीं चाह रही है, क्यों इसके बारे में पहल नहीं कर रही है क्योंकि महीना पहले दूध का जो पाउडर है, उसका इंपोर्ट करने का डिसीजन लिया गया, जब देश में इतना दूध का पाउडर है, फिर भी आप इंपोर्ट कर रहे हो, आपकी पूरी नीति इस सरकार की किसान के खिलाफ भी है और किसान को खत्म करने की ये साजिश के खिलाफ कांग्रेस पार्टी आवाज उठाएगी।
एक प्रश्न पर कि एनसीपी और शिवसेना का क्या स्टैंड है इस पर, श्री सुरजेवाला ने कहा कि मेरी संजय राउत जी से इस बारे में चर्चा हुई है और आप उनसे बात कर सकते हैं। किसान के पक्ष में हमारे मित्र दल खड़े हैं। ये सवाल अब दलों का भी नहीं रहा, ये सवाल अब इस देश में रोटी-रोजी, खेत-खलिहान की आजीविका का है। प्रधानमंत्री मोदी हमलावर हैं, इस देश के खेत और खलिहान पर और दूसरी तरफ किसान और खेत मजदूर और कांग्रेस और उसके साथी खड़े हैं। जैसे भूमि अध्यादेश मोदी जी लेकर आए और राहुल गांधी जी के संघर्ष ने, कांग्रेस के संघर्ष ने उन्हें झुकाया, इन काले कानूनों को भी हम वापस करवाकर दम लेंगे, ये हमारा संकल्प है।
एक अन्य प्रश्न पर कि भाजपा कह रही है कि जो बिल लाए गए हैं उनके खिलाफ एक मिसइंफोर्मेशन कैंपेन चलाया जा रहा है, श्री सुरजेवाला ने कहा कि आपकी बात बिल्कुल सही है। प्रधानमंत्री देश को बरगला रहे हैं। प्रधानमंत्री देश को दिग्भ्रमित कर रहे हैं, प्रधानमंत्री देश को झूठ बोल रहे हैं। बड़े दुःख से हमको ये कहना पड़ता है, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी झूठे हैं, किसान विरोधी हैं, मजदूर विरोधी हैं, ये तीनों काले कानून इस देश की खेती को पूंजीपतियों की ड्योढ़ी पर गिरवीं रखने का भाजपाई षड़यंत्र है, न्यूनतम समर्थन मूल्य खत्म करने का षड़यंत्र है, मंडियों को, जहाँ किसान को उपज की कीमत मिलती है, उन्हें खत्म करने का षड़यंत्र है।
किसानों को लेकर कांग्रेस मैनिफेस्टो से संबंधित एक अन्य प्रश्न के उत्तर में श्री सुरजेवाला ने कहा कि भाजपा को झूठ बोलने, बरगलाने, बहकाने और भटकाने की गंदी आदत पड़ गई है। झूठ बोलना, भटकाना और बरगलाना ही भाजपाई चरित्र है। आदरणीय मित्रों, मैं आपसे अनुरोध करूँगा कि कांग्रेस पार्टी का घोषणापत्र निकालकर अवश्य देखें, उसकी एक प्रतिलिपि मैं लेकर भी आया हूँ। ये है कांग्रेस का वो घोषणापत्र (कांग्रेस का घोषणापत्र दिखाते हुए) जो राहुल गांधी जी के नेतृत्व में हमने बनाया था, इसकी पहली लाइन ये है, सब कुछ इंतजार कर सकता है, खेती नहीं, जो पंडित जवाहर लाल नेहरू ने कहा, ये भी है कि किसान को कर्ज के बोझ के नीचे दबा दिया गया है और हमने स्पष्ट तौर से कहा कि हमारे तीन प्रांतो में कर्जमाफी हुई, पर अब कर्जमाफी नहीं, किसान को कर्जमुक्ति होगी, ये पहला बिंदु है।
दूसरा बिंदु है, कि जो छोटा किसान है, मार्जिनल फार्मर और भूमिहीन मजदूर, उसके लिए एक विशेष कमीशन बनेगा। एक स्टैंडिग कमीशन, नेशनल कमीशन ऑन फार्मिंग डेवलपमेंट बनेगा, वो फसल बीमा योजना, जिसकी चर्चा राजीव सातव जी ने की, उस पर पुनर्विचार कर उसे किसान पक्षधर बनाया जाएगा, किसान के खाद पर, किसान के बीज पर, किसान के कीटनाशक दवाई और डीजल पर कांग्रेस की सरकार सब्सिडी देगी, एक किसान बजट जिसका वादा राहुल गांधी जी ने किया था, कांग्रेस लेकर आएगी और हम हजारों फार्मर मार्केट, किसान मार्केट बनाएंगे, एपीएमसी का सुधार फार्मर मार्केट है, क्योंकि एपीएमसी का दायरा 60-70-80 किलोमीटर है। किसान को 60 किलोमीटर जाने में भी दिक्कत है, हमने इसलिए बिंदु नंबर 12 में कहा कि हम 2 किलोमीटर, 3 किलोमीटर के अंदर हजारों किसान मार्केट बनाएंगे, ये एपीएमसी का सुधार है, ये कांग्रेस ने वादा किया था, इसलिए झूठे भाजपाईयों, अब तो बरगलाने से और भटकाने से देश को बाज आ जाओ क्योंकि सात पुश्तें भाजपाईयों की, उन्हें इस किसान का विरोध भुगतना पड़ेगा, जो आपने किया है।
श्रीमती हरसिमरत कौर बादल के त्यागपत्र से संबंधित एक प्रश्न के उत्तर में श्री सुरजेवाला ने कहा कि हरसिमरत कौर बादल जी जवाब देंगी कि जून से आज तक वो चुप्पी क्यों साधे थीं? दिखावे और प्रपंच से कुछ नहीं चलेगा, जब ये तीनों काले कानून मंत्रीमंडल में आए थे, तो हरसिमरत कौर जी ने उसमें सहमति क्यों जताई थी, क्या इसका जवाब अकाली दल बादल के पास है।
आज जब ये लगा कि पंजाब में कदम रखना मुश्किल हो जाएगा और सामाजिक बहिष्कार हो जाएगा, तो आपने गुप-चुप तरीके से, अपनी खाल बचाने के लिए इस्तीफा दे दिया, पर क्या हम पूछ सकते हैं कि सरकार सुखबीर सिंह बादल और माननीय हरसिमरत बादल जी बीजेपी और अकाली दल के सांझे उम्मीदवार के तौर पर संसद में चुनकर आए हैं, अगर वो किसान पक्षधर हैं, तो दोनों सबसे पहले अपने संसदीय पद से इस्तीफा दें और आज भी अकाली दल बादल क्यों पक्षधर बना हुआ है सरकार का, मोदी जी की गोदी में क्यों बैठा हुआ है, एनडीए के अंदर क्यों है? वो भाजपा की मोदी सरकार से समर्थन वापस क्यों नहीं लेते और पड़ोस में दुष्यंत चौटाला, जो उप मुख्यमंत्री के पद का आनंद उठा रहे हैं, वो घोर पाप कर रहे है, वो ऐसा पाप कर रहे हैं, जिससे हरियाणा का किसान उनको कभी माफ नहीं करेगा।
वो सत्ता का आनंद लेना छोड़कर, मनोहर लाल खट्टर की गोदी में बैठना छोड़कर, भाजपा के तलवे चाटना छोड़कर, भाजपा का पिछलग्गू बनना छोड़कर बाहर आएं और किसान की लड़ाई में खड़े हों, वरना जजपा का नामोनिशान हरियाणा से मिट जाएगा। वो जनता दल(यु ) बिहार के अंदर हो, वो वाईएसआर कांग्रेस आंध्र प्रदेश के अंदर हो, वो टीआरएस हो, वो बीजू जनता दल हो, वो अकाली दल बादल हो, वो जेजेपी हो, ये सत्ता की मलाई खाने वाले, इन सब राजनीतिक दलों को अब निर्णय करना पड़ेगा, कि महाभारत की लड़ाई में वो मोदी सरकार के, कौरवों के साथ खड़े हैं या पांडवों के साथ, धर्म और न्याय और नीति के साथ।
एक अन्य प्रश्न पर कि बिहार भी एक कृषि प्रधान राज्य है, वहाँ चुनाव होने वाला है, ऐसे वक्त में ये विधेयक पारित हुआ है, तो बिहार के अलावा पूरे देशभर में आपकी पार्टी है और तमाम आप जिन सहयोगी पार्टियों की बात कर रहे हैं, अगर वो आपके साथ हैं, तो आने वाले दिनों में रणनीति क्या होगी, श्री सुरजेवाला ने कहा कि कहीं न कहीं किसान विरोधी इन कानूनों के सूत्रधार नीतीश कुमार और वहाँ वाले छोटे मोदी जी हैं, सुशील मोदी जी। 2006-07 में इस षड़यंत्र की शुरुआत करते हुए मोदी जी के नेतृत्व में छोटे मोदी जी और नीतीश बाबू ने ये काला कानून बिहार में लागू किया था, आज बिहार का किसान जैसा गौरव गोगोई जी ने तफ्सील से बताया, दर-दर की ठोकरें खा रहा है। संसद से सड़क तक कांग्रेस पार्टी संघर्ष को लेकर संकल्पबद्ध है, इस बात को लेकर सुनिश्चित रहिए, हम इस सरकार की ईंट से ईंट बजा देंगे, पर किसानों के ऊपर इस काले कानून का साया पड़ने से जहाँ तक, जब तक आखिरी कतरा हमारे अंदर खून का है, हम इसके लिए श्री राहुल गांधी जी और श्रीमती सोनिया गांधी जी के नेतृत्व में लड़ते रहेंगे।
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