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श्री अजय माकन ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से खासतौर से जैसे

सबसे पहले भारतीय जीवन बीमा निगम, क्योंकि हम सब लोगों में शायद कोई भी ऐसा व्यक्ति या परिवार नहीं होगा जो भारतीय जीवन बीमा निगम से संबंधित ना हो। किसी ना किसी तरीके से हर परिवार के अंदर कोई ना कोई व्यक्ति पॉलिसी धारक है। अब भारतीय जीवन बीमा निगम जैसी बड़ी संस्था के ऊपर, इसके भविष्य के ऊपर अगर प्रश्नचिन्ह लगना शुरु हो जाए और अगर भारतीय जीवन बीमा निगम जैसे संस्थान खराब अर्थव्यवस्था की बलि चढ़ने लग जाए, तो आप समझ सकते हैं कि पूरे देश के अंदर जो गरीब लोग है, मध्यमवर्गीय लोग हैं, उनकी क्या हालत होगी।

By: वतन समाचार डेस्क
फाइल फोटो

प्रणव झा ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि हमारे साथ हैं आदरणीय अजय माकन जी, पूर्व महामंत्री, अखिल भारतीय कांग्रेस समिति, पूर्व चेयरमैन मीडिया समिति और पूर्व केन्द्रीय मंत्री, भारत सरकार।

 

जैसा कि आप सब जानते हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था पिछले कुछ दिनों से ढलान पर है, रोज मंदी की खबरें, रोजगार बंदी की खबरें हैं। पिछले 3 महीनों में नौकरी बंदी के कारण लगभग साढ़े तीन लाख परिवार जो हैं, वो बेरोजगारी की दलदल में धकेल दिए गए हैं और दूसरी तरफ भारतीय स्टॉक एक्सचेंज को देखें तो भारतीय निवेशकों का पिछले 18 महीनों में लगभग 20 लाख करोड़ का नुकसान हुआ है।

अगर सरकार से पूछें कि इस मंदी से निपटने के लिए क्या कारगर कदम उठाए गए हैं, तो पहला यह पाएंगे कि रिजर्व बैंक का जो रिजर्व राशि (contingency fund) है वो उनसे जबरदस्ती सरकार ने ले लिया है और अब ये सामने आया है कि एलआईसी की जो जमा पूंजी है, हमारी-आपकी है, वो हमारा निवेश होता है, उससे लगभग साढ़े दस लाख करोड़ रुपए सरकार लेकर बैंकों में निवेश कर रही है, उन बैंकों में जिनकी हालत पहले से ही खराब है।

तो इन्हीं विषयों पर, इन्हीं तथ्यों पर बात करने के लिए, आंकड़ों के आधार पर और आपके माध्यम से अपनी बात को लोगों तक लेकर जाएंगे और सरकार से प्रश्न भी पूछेंगे। मैं आग्रह करता हूँ कि वो अपनी बात कहें...

 

श्री अजय माकन ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से खासतौर से जैसे-जैसे एक-एक करके भारत सरकार के ही अलग-अलग संस्थानों की रिपोर्ट सामने आ रही हैं, इस सरकार की अर्थव्यवस्था की एक-एक करके परत दर परत पोल खुलती जा रही है। कोई ऐसा दिन नहीं गुजरता जब किसी ना किसी रिपोर्ट के अंदर कोई भयावह चीज हमारे समाने ना आ जाए। आज मैं आप लोगों से जो चर्चा कर रहा हूं, 14 -15 सितंबर को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने हैंड बुक ऑफ स्टैटिस्टिक्स ऑन इंडियन इकॉनमी (Handbook of Statistics on Indian Economy) निकाली और उसके अंदर कुछ भयावह चीजें भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में हैं, जिसकी चर्चा हम करेंगे।

दो विषयों के ऊपर मैं उस रिपोर्ट को लेकर मुख्यत: चर्चा करना चाहूंगा। जैसे प्रणव जी ने एलआईसी के बारे में बताया और दूसरा एसबीआई की रिसर्च विंग ने उसी के अंदर से जो हाउस होल्ड लायबिलिटी यानि पारिवारिक कर्जा जो हमारे देश में पिछले सालों के अंदर, लोगों पर, हर परिवार के ऊपर जो कर्जा है, उसमें किस तरह से बढ़ोतरी हुई है, उसका जिक्र इस आरबीआई की हैंड बुक के अंदर है, जिसको एसबीआई की रिसर्च विंग ने निकाला है। इन दो चीजों की मुख्यत: चर्चा मैं आप लोगों के बीच करना चाहता हूं। दोनों बहुत भयावह है और दोनों चीजें आम जनता के साथ जुडी हुई हैं।

 

सबसे पहले भारतीय जीवन बीमा निगम, क्योंकि हम सब लोगों में शायद कोई भी ऐसा व्यक्ति या परिवार नहीं होगा जो भारतीय जीवन बीमा निगम से संबंधित ना हो। किसी ना किसी तरीके से हर परिवार के अंदर कोई ना कोई व्यक्ति पॉलिसी धारक है। अब भारतीय जीवन बीमा निगम जैसी बड़ी संस्था के ऊपर, इसके भविष्य के ऊपर अगर प्रश्नचिन्ह लगना शुरु हो जाए और अगर भारतीय जीवन बीमा निगम जैसे संस्थान खराब अर्थव्यवस्था की बलि चढ़ने लग जाए, तो आप समझ सकते हैं कि पूरे देश के अंदर जो गरीब लोग है, मध्यमवर्गीय लोग हैं, उनकी क्या हालत होगी।

 

एलआईसी 1956 के अंदर फॉर्म हुई, अभी एलआईसी की लेटेस्ट एस्टिमेटिड़ ऐसेट वेल्यू 31.11 लाख करोड़ की है। हमारी 2018 की एनुअल रिपोर्ट के अंदर ये कहा गया है कि 28 करोड़ 24 लाख पॉलिसी धारक हमारे एलआईसी के अंदर है और लगभग 29 करोड़ पॉलिसी धारक, ये इंडिविजुअली पॉलिसी धारक हैं, जो पूरे देश के अंदर एलआईसी का इतना बड़ा विस्तार है। एलआईसी के अंदर 1 लाख 12 हजार इम्पलोई हैं और 10.72 लाख एक्टिव ऐजेंट्स हैं, जो एलआईसी के ऐजेंट है, तो इतनी बड़ी तादात में एलआईसी से लोग अपने जीवन यापन के लिए जुड़े हैं।

जैसे कि यहाँ आप स्लाईड में देख रहे होंगे कि लगभग 29 करोड़, (28.24 करोड़) जो लोग हैं वो इसके पॉलिसी धारक हैं, इंडिविजुअली पॉलिसी धारक हैं। अगर मान लीजिए ग्रुप या दूसरी मदों को भी लेंगे तो ये बहुत ज्यादा हो जाएगा, लेकिन ये इंडिविजुअली पॉलिसी होल्डर 28.24 लाख हैं और ये 2018 की इनकी एनुअल रिपोर्ट के आधार पर है।

 

एलआईसी के अंदर जो पैसा, जैसे मैंने कहा कि लगभग 31 लाख करोड़ रुपए उसकी कुल ऐसेट वैल्यू है, उसका पैसा सरकार निवेश करती है। हमारी आरबीआई की रिपोर्ट के अंदर ये पाया गया है कि 2014 तक जितनी टोटल क्युमुलेटिव इनवेस्टमेंट इन लोगों की पब्लिक सेक्टर, जो रिस्की पब्लिक सेक्टर है, उसके अंदर 11.94 लाख करोड़ का इनवेस्टमेंट हुआ था, जब तक 1956 से लेकर ये 2014 तक के, 6 दशक के अंदर लगभग इतनी क्युमुलेटिव इनवेस्टमेंट हुई थी और केवल पिछले 5 वर्ष के अंदर ये बढ़कर 22.64 लाख करोड़ यानि डबल निवेश, रिस्की पब्लिक सेक्टर अंडर टेकिंग के अंदर और रिस्की बैंक के अंदर किए गए हैं। इसके उदाहरण भी मैं दूंगा। यानि 1956 से लेकर 2014 तक जितनी इनवेस्टमेंट हुई, रिस्की पब्लिक सेक्टर बैंक के अंदर उतनी अकेले 5 वर्ष के अंदर मोदी सरकार ने कर दी है। कुल मिलाकर ये 10.7 लाख करोड़ है। अभी आरबीआई के रिजर्व सरकार को भेंट दिए जाने की बात कर रहे थे, वो सिर्फ 1.76 लाख करोड़ हैं और ये मैं बात कर रहा हूं, 10.7 लाख करोड़ की। तो आप सोचिए कि कितना बड़ा अमाउंट है और ये केवल और केवल पिछले 5 वर्ष के अंदर हुआ है।

 

मैं एलआईसी के अंदर पिछले सालों के अंदर साल दर साल के आंकड़े आपको दूंगा, ये चौंकाने वाले हैं –

 

2015 के अंदर 1.75 लाख करोड़, उतने ही अभी जितने आरबीआई ने दिए हैं।

 

2016 में ये बढ़कर 2 लाख 9,000 करोड़, 2017 में 2 लाख 19,000, 2018 में 2 लाख 49 हजार और 2019 में 2 लाख 17 हजार। पिछले 2-3 साल का आप मिला लें तो ये रिकोर्ड है इतना पैसा एलआईसी ने पब्लिक सेक्टर अंडर टेकिंग के अंदर और बैंक के अंदर जो सबसे ज्यादा रिस्की है, उसके अंदर ये पैसा इनवेस्ट किया है। इससे ज्यादा भयावह स्थिति एलआईसी के लिए नहीं हो सकती है और ये क्यों भयावह है, इसके कुछ उदाहरण मैं आपको देना चाहता हूं।

 

जैसा अभी प्रणव झा जी ने जो बैंक के बारे में बताया है कि किस तरह से कुछ बैंक के अंदर पैसे खर्च किए गए, 2018 के अंदर पिछले वर्ष एलआईसी ने 21,000 करोड़ रुपए आईडीबीआई बैंक के अंदर कुल इनवेस्ट किए और उसका शेयर 51 प्रतिशत हो गया। वो सारा का सारा पैसा वाईप आउट हो गया है, क्योंकि उसकी इतनी देनदारी थी और उसके इतने एनपीए थे कि वो सारा का सारा जो लगाया गया वो वाईप आउट हो गया। उसके बाद क्या हुआ कि इस महीने के शुरु में भारत सरकार ने फिर ये तय किया कि इस 21,000 करोड़ से कुछ नहीं होगा, अब 9,300 करोड़ रुपया और इसके अंदर हम लोग देंगे और उस 9,300 करोड़ रुपए में से 4,743 करोड़ रुपए अकेले एलआईसी का था, जो एलआईसी का पैसा हमारे और आप जैसे साधारण लोगों का पैसा था, जो उसके अंदर डाल दिया गया। अब उसमें क्या होता है- आईडीबीआई बैंक ने अभी जून के अंदर 3,800 करोड़ रुपए का लॉस दिखाया है और 29 प्रतिशत उसका नॉन परफोर्मिंग ऐसेट है और इसके अंदर आप सोचिए कि कैसे 23,000 करोड़ पहले और 4,743 करोड़ रुपए अब इस महीने एलआईसी ने उसके अंदर इनवेस्ट किया है और अब आईडीबीआई कोई सरकारी बैंक नहीं है, आरबीआई ने उसको प्राईवेट बैंक भी करार दे दिया है। तो ऐसी जगहों के ऊपर ये पैसे डाले गए हैं और हमारी एलआईसी जो है, ना केवल हमारे इंशोरेंस के लिए बल्कि हमारे इनवेस्टमेंट का भी एक तरीका है, जिसके अंदर हम लोग, साधारण लोग अपना पैसा इनवेस्ट करते हैं और इसके अंदर पूरा का पूरा हमारा जो सेंसेक्स है वो पिछले 5 वर्षों के अंदर 73 प्रतिशत ग्रो किया है, लेकिन जहाँ एलआईसी ने इनवेस्ट किया है, उसमें मात्र 20 प्रतिशत ग्रोथ हुई है, सब पीएसयू की। उसके अंदर से भी ज्यादातर वहाँ पर इनवेस्टमेंट की गई हैं, जहाँ पर कि इस तरीके की आईडीबीआई जैसे बैंक, जहाँ पर कि सरकार का ये काम था कि उनको किस तरह से उनको बचाकर रखा जाए, सरकार की तरफ से उस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया, कंसोलिडेटिड फंड ऑफ इंडिया (consolidated fund of India) की तरह से कोई ध्यान नहीं दिया गया, बल्कि एलआईसी का as an instrument इस्तेमाल किया गया कि किस तरह से इन बैंक को या इन रेड पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग को ठीक किया जाए। सरकार ने खुद अपनी जिम्मेदारी से पीछे हटकर हमारे और आपके, साधारण लोगों के पैसे का इस तरह से दुरुपयोग किया है।

 

दूसरा महत्वपूर्ण मुद्दा, जो हमारे आरबीआई की स्टैटिस्टिक्स हैंड बुक है, उसके एक और तथ्य की तरफ हम आपका ध्यान दिलाना चाहते हैं। वो हमारा पारिवारिक कर्जा, हमारे देश के अंदर हर परिवार नहीं, लेकिन कई परिवार हमारे बैंक से और दूसरी जगहों से कर्जे लेते हैं और उन कर्जों की रिपोर्ट भी बड़ी भयावह है, जिसकी हम आप लोगों से चर्चा करना चाहते हैं। पिछले 5 वर्षों का अगर देखा जाए तो वो डबल से भी ज्यादा कर्जा हुआ है।

 

2012-13 के अंदर 3.30 लाख करोड़ का कर्जा हमारे हाउस होल्ड लायबिलिटी जो कहते हैं, वो था। 5 वर्ष के अंदर यह बढ़कर 2017-18 में 7.41 लाख करोड हो गया है, डबल से भी ज्यादा। यानि कि हमारे हर हाउस होल्ड का, कुल पूरे देश के अंदर जो परिवार हैं, उनके ऊपर कर्जा जो है वो 4.11 लाख करोड़ केवल पिछले 5 वर्षों के अंदर बढ़ा है। ये 100 प्रतिशत से भी ज्यादा है। अगर हम पिछले 3 वर्षों को देखें तो पिछले 3 वर्ष सबसे ज्यादा खराब रहे हैं, क्योंकि पिछले 3 वर्ष के अंदर आप देखेंगे, 3.85 लाख करोड़ 2015-16 में, 2016-17 में 4.68 लाख करोड़ और 4.68 लाख करोड़ से बढ़कर 7.40 लाख करोड़ जो कि 58 प्रतिशत की ग्रोथ अकेले 2017-18 में हुई है, पिछले साल के मुकाबले। एक-एक वर्ष में 58-58 प्रतिशत पारिवारिक कर्जे की ग्रोथ रहेगी तो आप सोच सकते हैं कि हमारे देश की अर्थव्यवस्था किस डॉयरेक्शन में जा रही है।

 

तो जैसे मैंने कहा कि जिस-जिस तरीके से हमारे देश के अंदर अलग-अलग रिपोर्ट, ये एसबीआई के रिसर्च डिपार्टमेंट ने अपनी रिपोर्ट निकाली है, इसके अंदर उन्होंने कहा कि जब एक तरफ हमारा पारिवारिक कर्जा, हाउस होल्ड लायबिलिटी बढ़ रही है तो साथ-साथ जो हमारी फैमिली की डिस्पोजेब्ल इंकम है वो कम हो रही है, उसका नेट रिजल्ट ये है कि हमारी कुल हाउस होल्ड सेविंग कम हो रही हैं। तो अकेले पिछले वर्ष के अंदर 6 प्रतिशत से ज्यादा हमारे हाउस होल्ड की सेविंग कम हुई हैं। तो हमारे देश के अंदर हम लोग सबसे ज्यादा इस चीज पर गर्व करते थे कि अमेरिका के अंदर जो लोग हिंदुस्तान से गए हैं, वहाँ पर सेटल हुए हैं, वहाँ पर जाते हैं तो कहते हैं कि वहाँ हर परिवार के ऊपर कर्जा होता है। हम ये कहते हैं कि वहाँ के लोग सेविंग ही नहीं कर पाते हैं। तो अमेरिका के अंदर जो परिवार कर्जे में डूबे होते हैं, सेविंग नहीं कर पाते हैं, हमें जिस बात का गुमान होता था कि भारत के अंदर हम लोग कर्ज में डूबे नहीं हैं, सेविंग सबसे ज्यादा करते थे, ये दोनों चीजें उसके उल्ट हुई है, दोनों एक – दूसरे से संबंधित है। यही आरबीआई की रिपोर्ट ने कहा है, स्थिति बहुत भयावह है। तो ना केवल मेक्रो लेवल पर बल्कि हाउस होल्ड इकॉनमी, उसके अंदर भी एक बहुत बड़ा प्रश्नचिन्ह लग गया है, हमारी एलआईसी जैसे संस्थाएं भी उसके अंदर फंसती जा रही हैं। मान लीजिए कोई बड़े बैंक या जहाँ पर भी उनकी इनवेस्टमेंट हैं, वो रेड में हैं तो हमारी एलआईसी स्कीम, हमारे अपने पैसे वाली, वो भी रेड में आ जाएगी और उसके अंदर भी आगे आने वाले समय में दिक्कत आ जाएगी।

 

एक प्रश्न पर कि पार्टी इस विषय को आसान भाषा में जनता को कैसे समझाएगीश्री माकन ने कहा कि आपने बड़ा अच्छा प्रश्न पूछा है, लेकिन मैं आपसे अनुरोध करुँगा कि आप सबसे पहले तो इसको आसान भाषा में अपने-अपने प्रकाशनों मे और अपने-अपने चैनलों में दिखाएं, ताकि लोगों को समझाने में मदद मिले। जब आप एक कदम उठाएंगे तो साथ-साथ में हमारी पार्टी भी करेगी। हम चाहे जो मर्जी कर लें आज भी हमारे देश का विश्वास मीडिया के ऊपर बहुत है और अगर इसको मीडिया अच्छे तरीक से दिखाएगी तो जाहिर बात है कि आप लोगों के अंदर जागरुकता पैदा करेंगे, पार्टी को जो करना होगा पार्टी करेगी।

एक अन्य प्रश्न पर कि अगर आंकड़ों की बात करें तो गौरव वल्लभ ने संबित पात्रा से पूछा था कि ट्रिलियन में कितने जीरो होते हैंअगर आपसे पूछें कि करोड़ के पीछे कितने जीरो होते हैंतो आप जनता को कैसे बताएंगेश्री माकन ने कहा कि तो आप मेरा भी इम्तिहान ले रहे हैं। देखिए, मैं संबित पात्रा नहीं हूँ, मैं तो तैयारी के साथ में आता हूँ। और करोड़ में कितने जीरो हैं अगर आप पूछ रहे हैं तो हमारी बड़ी सीधी सी बात है कि जैसे मिलियन, बिलियन, ट्रिलियन के अंदर हजार के ऊपर हजार लगते जाते हैं वैसे ही हजार के ऊपर दो-दो जीरो और बढ़ाते जाएं, तो लाख, करोड़, अरब, खरब हो जाते हैं। जैसे थाऊंजेंड टू दा पावर ऑफ हंड्रेट करेंगे, तो वो लाख हो जाएगा, थाऊंजेंड टू दा पावर ऑफ थाऊंजेंड अगर करेंगे, दो जीरो और उसमें लगा देंगे तो करोड़ हो जाएंगे, तो इस तरीके से थाऊंजेंड टू दा पावर ऑफ थ्री थाऊंजेंड है, टैन टू दा पावर ऑफ थ्री थाऊंजेंड है, टैन टू दा पावर ऑफ फाइव, लैक है, टैन टू दा पावर ऑफ सैवन, करोड़ है, टैन टू दा पावर ऑफ नाइन, अरब है और अरब और मिलियन एक है। तो ये मैं थोड़ा सा आपको बताना चाहता हूँ इसमें, मेरे मैथ में बड़े अच्छे नंबर आते थे। और उसी तरीके से इंग्लिश के अंदर अगर थाऊजैंड इन टू थाऊजैंड, मिलियन होता है, टैन टू दा पावर ऑफ सिक्स, मिलियन है, टैन टू दा पावर ऑफ नाइन, बिलियन है, जो कि अरब भी वही होता है और टैन टू दा पावर ऑफ टवैल्व, ट्रिलियन है।

एक अन्य प्रश्न पर कि हाउस होल्ड पर कर्ज कैसे बढ़ा हैआप क्या मानते हैंश्री माकन ने कहा कि कर्ज में क्यों होते हैं लोग? कर्ज लोग इसलिए लेते हैं क्योंकि उनकी बेरोजगारी बढ़ती है, उनके काम-धंधे कम हो रहे हैं तो हाउस होल्ड के अंदर परिवार जब कर्ज के अंदर और डूबता चला जाता है और डबल से भी जाता है तो इसका सीधे-सीधे मतलब ये है कि लोगों का कारोबार मंदा है, लोगों का रोजगार ठंडा है, लोगों का रोजगार भी नहीं है और कारोबार भी नहीं है।

एक अन्य प्रश्न पर कि कांग्रेस हर रोज अर्थव्यवस्था पर नई बात लेकर आती हैक्या सरकार इस रिपोर्ट को नहीं मानती हैश्री माकन ने कहा कि सरकार की ही रिपोर्ट है। तो एक सशक्त और सजग विपक्ष होने के नाते हमारी ये कोशिश है कि हम सरकार को उसी की रिपोर्ट पढ़ाएं और हम बताएं कि उस रिपोर्ट के अंदर कहाँ-कहाँ ये रेड लाइन्स है, जिनको सरकार को एकदम से ठीक करने की जरुरत है, जो अगर वक्त पर उसको ठीक नहीं किया जाएगा, तो आने वाले समय में स्थिति और भयावह हो जाएगी कि आगे संभलते नहीं संभलेगी।

एक अन्य प्रश्न पर कि क्या क्युमुलेटिव इंवेस्टमेंट पब्लिक सैक्टर बैंक और पब्लिक सैक्टर अंडरटेकिंग में वो सारे क्या रिस्की हैं या ऐसा कांग्रेस पार्टी मानती हैश्री माकन ने कहा कि दोनों मिलाकर हैं। जो उदाहरण अभी मैंने दिए हैं, जिस तरीके का सेलेक्शन हो रहा है, उसमें कोई प्रूडेंस सैट नहीं हो रहा है। तो इन लोगों को इंवेस्टमेंट से पहले ध्यान रखना चाहिए कि उनकी इंवेस्टमेंट कहाँ सेफ है, जैसे मैंने आईडीबीआई का उदाहरण एक दिया है, तो आईडीबीआई का उदाहरण देकर आप खुद समझ सकते हैं कि उसको प्रूडेंस प्रोपर नहीं किया जा रहा है। तो इसके पीछे मकसद सिर्फ ये है कि सरकार जहाँ पर विफल हो रही है और सरकार को सप्लीमेंट करने के लिए किया जा रहा है न कि जो एलआईसी के जो इंवेस्टर्स हैं उनका फायदा ध्यान में रखा जा रहा है, जो कि साधारण जनता है।

एक अन्य प्रश्न पर कि कुल कितना पैसा लगाया गया है जो रिस्की जगहों पर लगा हैश्री माकन ने कहा कि मैंने बताया टोटल जो पीएसयूज का लगभग 22 लाख करोड़ रुपए की खरीद है, तो टोटल वो पैसा उसमें है और वो पांच सालों के अंदर डबल हो गया है।

इसी से संबंधित एक अन्य प्रश्न पर कि उसमें से कितना पैसा है जो रिस्की हैश्री माकन ने कहा कि  मुझे तो लगता है कि सारा का पैसा ही, क्योंकि 22 लाख करोड़ रुपया है, मतलब ये कोई छोटा अमाउंट नहीं है। तो इतना बड़ा अमाउंट है, 22 लाख करोड़ रुपया है, और मुझे लगता है जैसे मैंने कहा कि अगर टोटल ओवरऔल अगर आप टोटल पीएसयूज की ग्रोथ पांच वर्षों के अंदर देखें, जहाँ पर ओवरऔल सेंसेक्स 73 प्रतिशत ग्रो किया है, वहाँ पर पीएसयूज सिर्फ 20 प्रतिशत ग्रो किया है, तो सीधी-सीधी बात है कि उसमें इस बात का ध्यान नहीं रखा गया कि जो उसके इंवेस्टर्स हैं, या जिन लोगों ने एलआईसी के अंदर अपना पैसा लगाया है, अपनी पॉलिसी ली है, उनको किस तरीके से रिटर्न बेहतर मिले, बल्कि सरकार को किस तरीके से ये उनकी टैक्स कलैक्शन्स के अंदर जो कमी है, उनकी जीएसटी, जो फेल हो गई है, सरकार का जो फेलियर्स हैं, अलग-अलग उसको किस तरीके से सप्लीमेंट किया जाए, सिर्फ वही ध्यान में रखकर काम किया जा रहा है।

एक अन्य प्रश्न पर कि ये फैसलों की चूक हैनाकामी हैया किसी वित्तीय घोटाले की तरफ आप इशारा कर रहे हैंश्री माकन ने कहा कि जो अभी सीधे, जैसे आईडीबीआई जैसा बैंक, जो है, उसके अंदर पैसे लगाए गए हैं और एनपीए वहाँ का 29% है तो एक तरीके से एनपीएज को भी कवर करने की कोशिश की जा रही है तो ये चूक भी है और गड़बड़ भी दोनों चीजें हो सकती है, लेकिन सरकार इसको समय रहते ठीक करे तो हम इसे चूक कहेंगे, अगर सरकार आँख पर पट्टी बाँध कर रहे, और हमारे कहने के बाद भी, रिपोर्ट आ जाने के बाद भी, तो फिर ये चूक के बाद गड़बड़ तो है ही जो सरकार इसको ठीक नहीं कर रही है।

एक अन्य प्रश्न पर कि एलआईसी जैसी एजेंसियों का पिछली सरकारों के समय से ऐसे ही इस्तेमाल हुआ हैतो एक पैटर्न रहा है हर सरकार का कि एलआईसी को इस्तेमाल किया गया है अपने क्राइसिस को दूर करने के लिएक्या कहेंगेश्री माकन ने कहा कि आपने अच्छा किया ये प्रश्न पूछ लिया, मैं इसका पुराना पूरा का पूरा रिकॉर्ड इसमें देख रहा था और इतना मैं कह सकता हूँ कि पिछले पांच वर्षों के अंदर जितना पैसा इसके अंदर लगाया गया है, पीएसयूज के ऊपर उतना आज तक इतिहास में नहीं लगा है, इसलिए मैंने कहा कि 1956 से लेकर 2014 तक टोटल जितनी इंवेस्टमेंट थी, पूरे 60 वर्षों के अंदर, उतनी इंवेस्टमेंट पिछले 5 वर्षों के अंदर पीएसयूज के अंदर कर दी गई और साथ में जो दूसरे हैं, उसके अंदर इंवेस्टमेंट का रेशियो कम हो गया है।

एक अन्य प्रश्न पर कि मायावती का कहना है कि कांग्रेस दोगली पार्टी है और भाजपा से लड़ने में विपक्ष नाकाम हैक्या कहेंगेश्री माकन ने कहा कि अगर किसी ने पिछले पांच वर्षों के अंदर पार्लियामेंट के अंदर, पार्लियामेंट के बाहर, सड़क पर हर राज्य के अंदर एक सशक्त विपक्ष की भूमिका निभाई है, किसी ने आज तक के इतिहास में 1947 से लेकर आज तक कभी भी फिरका परस्त ताकतों से हाथ नहीं मिलाया है, हिस्टोरीकली, तो वो अकेली कांग्रेस पार्टी है और अगर किसी नेता ने पिछले पांच वर्ष में  पूरे जी-जान से पार्लियामेंट में आँख से आँख डालकर नरेन्द्र मोदी के साथ लड़ाई लड़ी है इस हद तक कि लोग ये कहें कि आप जरुरत से ज्यादा पर्सनल अटैक कर रहे हैं तो वो राहुल गांधी हैं, कोई और नहीं।

तो मैं नहीं समझता कि मायावती जी की इस बात में जरा सी भी सच्चाई है और भारत की जनता और आप लोग तो शायद इस चीज को अच्छे से जानते हैं। कांग्रेस के लिए कई बार ये जरुर हमारे कई लोग ये कहते हैं कि आप थोड़ा सॉफ्ट हो जाएं, आप जरुरत से ज्यादा क्यों हार्श होते है, आप पर्सनल क्यों अटैक करते हैं, लेकिन कोई ये नहीं कह सकता कि कांग्रेस ने विपक्ष की भूमिका निभाने में कोई भी कमी रखी है। हमारे नेता और कांग्रेस पार्टी बहुत ही दमदारी के साथ, सड़क के ऊपर, पार्लियामेंट के अंदर, पार्लियामेंट के बाहर, जहाँ-जहाँ पर हमारे लेजिस्लेटर्स हैं, वहाँ-वहाँ पर हम लोगों ने लड़ाई लड़ी है, और इसी वजह से हमारी कांग्रेस पार्टी और हमारे नेता ही भाजपा की आँख में खटकते हैं, और वो हर तरीके से कोई न कोई जरिया ढूँढते हैं, जिससे कि हमारे नेताओं को तंग किया जाए, ये सब आप लोगों के सामने है।

 

एक अन्य प्रश्न पर कि श्री अमित शाह ने राहुल गांधी जी से पूछा है कि क्या वो 370 हटाने के पक्ष में हैं या मुखालफत कर रहे हैंश्री माकन ने कहा कि शायद उन्होंने हमारा सीडब्लूसी का रेजोल्यूशन नहीं पढ़ा है। कांग्रेस का सीडब्लूसी का रेजोल्यूशन स्पष्ट है और सीडब्लूसी के रेजोल्यूशन के बाद राहुल गांधी जी ने अपनी बात को बहुत दमदार तरीके से कहा है, वो भी सपष्ट है। अमित शाह जी जवाब दें, जो देश की अर्थव्यवस्था है, जिसके लिए सीधे-सीधे वो जिम्मेदार हैं, उसके बारे में उनका क्या कहना है? जो बेरोजगारी आज चरम सीमा के भी ऊपर है, 45 सील की रिकॉर्ड बेरोजगारी है उसके बारे में उनका क्या कहना है? उनके मंत्री ये कहते हैं कि हमारे युवाओं के अंदर हुनर नहीं है, हमारे पास रोजगार बहुत है, उसके बारे में उनका क्या कहना है? उनकी एक मंत्री कहती हैं कि 23 से 38 साल के युवाओं ने गाड़ी और स्कूटर खरीदना बंद कर दिया है इसलिए ऑटोमोबाईल सेक्टर में मंदी है, इसके बारे में उनका क्या कहना है? अब जो है, हम अपोजीशन में हैं, हम सवाल पूछेंगे, वो जवाब देंगे।

एक अन्य प्रश्न पर कि उद्धव ठाकरे ने नेहरू जी और सावरकर जी की तुलना करते हुए कहा है कि वो 14 साल जेल में रहेऔऱ कहा है कि अगर सावरकर जी प्रधानमंत्री होते तो पाकिस्तान ही नहीं बनताश्री माकन ने कहा कि जवाहर लाल नेहरु जी के बारे में जहाँ तक आपने कहा मैं नहीं समझता कि उसके बारे में कुछ भी हम कहें, तो वो उसका जवाब देने वाली बात होगी और शायद भाजपा और शिवसेना के लोग ये जानते हैं कि खामख्वाह की उनकी कोई भी पंडित नेहरु के बारे में बात बोले और हम उसका जवाब देकर क्यों उसको तूल दें। जवाहर लाल नेहरू जी का कंट्रीब्यूशन, कितने साल वो जेल के अंदर रहे, पूरी जवानी उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ लड़-लड़कर जेलों के अंदर काट दी और किस तरीके से कांग्रेस पार्टी का कंट्रीब्यूशन है, ये सारा देश, पूरा हिंदुस्तान अच्छी तरीके से जानता है। और उनको नीचा दिखाकर अगर ये अपने नेताओं को बेहतर दिखाना चाहते हैं, तो मेरे ख्याल से ये संभव ही नहीं है, ये  हो ही नहीं सकता इसलिए इसके ऊपर मैं इससे ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहता। जहाँ तक आज की स्थिति की बात है, ये लोग इस वजह से ये सब बातें कह रहे हैं क्योंकि आज देश के अंदर जो एक गंभीर समस्या है, बेरोजगारी की, युवाओँ की, हमारी अर्थव्यवस्था की, हमारे अर्थव्यवस्था के साथ जो जुड़ी हुई मंदी है उसकी, इन सब चीजों की जो समस्या है, लोगों के अदर बहुत अजीब सा एक माहौल हमारे देश के अंदर है,  उससे लोगों का ध्यान भटकाने के लिए इस प्रकार से बातें करते हैं और इस प्रकार से एजेंडा सेट करने की कोशिश करते हैं। मैं नहीं समझता कि हम लोग इसके ऊपर ज्यादा बात करके इस एजेंडा को, हमारे अपोजीशन को हम मदद करें कि वो अपना एजेंडा सेट कर सकें। हम अपनी बात यहाँ पर कहना चाहते हैं और आपसे भी निवेदन करेंगे कि ये असली मुद्दे हैं, जिनके बारे में हम लोग आपसे बात कर रहे हैं और इसी की चर्चा करनी चाहिए।

केन्द्र सरकार के ई सिगरेट बैन करने से संबंधित एक अन्य प्रश्न के उत्तर में श्री माकन ने कहा कि ई सिगरेट के ऊपर बैन ये अच्छी बात है, होना चाहिए, लेकिन हम लोग सरकार से पूछना चाहते हैं कि क्या वो दूसरी सिगरेट भी बैन करेंगे? तो जब ई सिगरेट पर बैन हो सकता है तो दूसरी सिगरेट पर भी बैन हो सकता है, तो क्या वो पान मसाला पर भी बैन करेंगे? जब ई सिगरेट पर बैन हो सकता है, तो पान मसाला पर भी क्यों नहीं बैन हो सकता, दूसरी सिगरेट पर क्यों नहीं बैन हो सकता? तो जब ई सिगरेट के बैन का हम स्वागत करते हैं लेकिन दूसरी सिगरेट के ऊपर भी क्या वो बैन करेंगे, ये हम उनसे पूछना चाहते हैं और साथ में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दो दिन पहले ही कहा है कि ई सिगरेट बैन होना चाहिए, तो मोदी जी अगर उनके बयान से पहले कह देते तो हम लोग भी ये सोचते कि वो यह सब डोनाल्ड ट्रंप को खुश करने के लिए नहीं कह रहे हैं, लेकिन बहरहाल हम इस प्रकार के किसी भी बैन का स्वागत करते हैं, लेकिन ई सिगरेट बैन के साथ में ये भी सवाल उठता है कि जो तम्बाकू वाला सिगरेट है, जो पान मसाला है, वो भी क्या बैन होगा? जब ई सिगरेट बैन हो सकता है तो उन पर   बैन क्यों नहीं हो सकता!

इसी से संबंधित एक अन्य प्रश्न पर कि कैबिनेट की बैठक  विषय पर होने वाली थीलेकिन आज इकॉनमी पर तो कोई चर्चा नहीं हुईई सिगरेट को प्रायोरिटी पर रखाक्या कहेंगेश्री माकन ने कहा कि ई’ फॉर इकॉनमी, ई’ फॉर ई सिगरेट। शायद उन लोगों ने ऐसा सोच लिया होगा, लेकिन आपकी बात सही है, मैं इसको फिर से दोहराना चाहता हूँ, जैसा कि मैंने पहले कहा कि आज देश के अंदर जो मुख्य मुद्दा है वो हमारे देश की गिरती अर्थव्यवस्था, बेरोजगारी, आर्थिक मंदी, कामधंधों के अंदर कमी और लोगों के अंदर एक बेचैनी, घबराहट का माहौल, ये हमारे देश का मुद्दा है और हमारे देश की कैबिनेट को इन सब मुद्दों पर चर्चा करके इनको ठीक करने की कोशिश करनी चाहिए, ई सिगरेट के बारे में जैसे मैंने कहा, ई सिगरेट के बैन का हम स्वागत करते हैं, लेकिन दूसरे सिगरेट का, और दूसरे मसालों का भी बैन वो कब करेंगे, इस सवाल का जवाब भी उनको देना चाहिए।

एक अन्य प्रश्न पर कि एक रिपोर्ट कहती है कि 6 साल में 5,000 से ज्यादा लोगों से400 करोड़ रुपए का चंदा लिया हैपॉलिटिकल पार्टीज जिनका पैन नंबर गलत या अधूरा बताया गया हैतो एक जिम्मेदार राजनीतिक दल के तौर पर हम आपसे पूछते हैं कि इस पर आपका क्या कहना हैश्री माकन ने कहा कि हम तो इसमें सिर्फ यही कहेंगे कि हम तो अपोजीशन पार्टी हैं। अगर कोई गलती हुई है तो सरकार इसकी जांच कराए, देख ले, हम सब लोग तैयार हैं, लेकिन इसमें विंडिक्टिव नहीं होना चाहिए, पिक एंड चूज नहीं होना चाहिए। रुलिंग पार्टी होने के नाते भाजपा को इसमें सबसे आगे बढ़कर एग्जाम्पल सेट करना चाहिए और ये भी बताना चाहिए कि सबसे ज्यादा, 90 प्रतिशत से ज्यादा चंदा उनके पास क्यों आ रहा है, क्या रुलिंग पार्टी होने का ये पर्क्स हैं, जो उनको मिल रहा है? उनको भी इन सब चीजों का जवाब देना चाहिए।

On the question of reaction of the Congress party on the tweet of Shri Rahul Gandhi on Veer Savarkar and court’s order on that, Shri Ajay Maken said it is a legal issue, as you yourself have pointed out that the Court has issued a Notice. So it is a legal matter, we will see what the notice is and how to respond.            

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