जनता से असम के बाहर एनआरसी का विरोध करने की पॉपुलर फ्रंट की अपील
राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के बहुत जल्द लागू किए जाने को लेकर देश में हो रही बातों को देखते हुए, पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया ने सभी वर्ग के लोगों से असम के बाहर एनआरसी का विरोध करने की अपील की है। देश के मौजूदा हालात पर विचार करने के लिए केरल के कालीकट में आयोजित संगठन की राष्ट्रीय कार्यकारिणी परिषद की 3 दिवसीय बैठक में कुछ अन्य प्रस्ताव भी पास किए गए। बैठक में सुप्रीम कोर्ट में बाबरी मस्जिद की पैरवी करने वाले वकीलों और पैरूकारों पर बढ़ते हमलों और उन्हें धमकाने की कोशिशों पर गहरी चिंता व्यक्त की गई। एक दूसरे प्रस्ताव में पुलिस और प्रॉसीक्यूशन की ओर से बरती गई आपराधिक लापरवाही की आलोचना की गइर्, जिसने देश को चैंका देने वाली मॉब लिंचिंग की भयानक वारदातों में अपराधियों को सजा से बच निकलने में मदद की।
न केवल संघ परिवार के जुनूनी नेता जो धार्मिक, भाषाई तथा नस्ली अल्पसंख्यकों के प्रति नफरत रखते हैं, बल्कि एनआरसी के असल शिकार मुस्लिम समुदाय के नुमाइंदे के तौर पर बात करने वाले कुछ अन्य नेता भी देशभर में एनआरसी के लागू किए जाने का आगे बढ़ कर स्वागत कर रहे हैं। यहंा तक कि कुछ समूह तो नागरिकों को अपनी नागरिकता की परीक्षा देने के लिए तैयार रखने हेतु हेल्प डेस्क तक लगाने की योजना बनाने में लगे हैं, जबकि अभी इस सिलसिले में कोई सरकारी घोषणा भी नहीं की गई है। एक तरफ अल्पसंख्यकों को अपने आसपास मौजूद असुरक्षा के माहौल पर काबू पाने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ रहा है, वहीं देश भर में मंडलाते एक दूसरे खतरे के शोर ने एनआरसी के भय की एक नई लहर को जन्म दे दिया है।
असम के बंगाली बोलने वाले अल्पसंख्यकों के लिए एनआरसी पिछले चार दशकों से तबाही का सामान रहा है, जिसने न केवल उन्हें उनके संसाधनों से बेदखल कर दिया, बल्कि उनके जीवन से चैन और सुकून का एक-एक लम्हा उनसे छीन लिया है। साथ ही एनआरसी की फाइनल लिस्ट से बाहर रह जाने वाले कुछ लाख लोगों को हिरासती केंद्रों का सामना करना पड़ेगा, जो राज्य के विभिन्न हिस्सों में बनाए जा रहे हैं। जो नेता देश भर में एनआरसी को लेकर बिना कुछ सोचे-समझे बयान दे रहे हैं, वे जाने अनजाने में बरसों लंबी मुसीबत के जन्म लेने की राह हमवार कर रहे हैं, जिसका अंजाम आखिरकार पूरे देश में ऐसे ही हिरासती केंद्रों की सूरत में सामने आएगा। भारत जैसे सेक्युलरिज़्म और लोकतंत्र का दावा करने वाले देश के लिए एनआरसी बड़े ही शर्म की बात है। बस अब बहुत हुआ। अब असम में भी एनआरसी को खत्म करना होगा। बैठक ने जनता और सभी दलों से अपील की कि वे असम के बाहर एनआरसी को लागू किए जाने की हर बातचीत का पूर्ण विरोध करें।
आर्थिक संकट बीजेपी सरकार की कारिस्तानी का नतीजा
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया की एनईसी की बैठक में पारित एक अन्य प्रस्ताव में विनाशकारी आर्थिक संकट के हल के लिए सरकारी प्रयासों पर सवाल उठाया गया है। आखिरकार सरकार ने यह मान लिया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था एक ऐसे संकट से गुजर रही है जिसकी मिसाल नहीं मिलती। लेकिन सरकार का रवैया यह बतलाता है कि सरकार या तो जानते बूझते इसे स्वीकार कर रही है या वह अब भी अंधेरे में है कि हम इस परिस्थिति में कैसे आ गए और इस पर काबू पाने का तरीका क्या हो सकता है। आर्थिक पैमानों में गिरावट सिर्फ इसलिए नहीं है कि अमीरों ने कारें खरीदना बंद कर दी हैं। बल्कि इससे कहीं ज्यादा चिंता की बात वह है जो कुछ असंगठित सेक्टर और खेती-बाड़ी में हो रहा है, जिसने देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था की कमर तोड़कर रख दी है। पॉपुलर फ्रंट की एनईसी का मानना है कि केंद्रीय वित्त मंत्री ने हाल में जिन कार्रवाइयों का ऐलान किया है उनसे पिछली मोदी सरकार में नोटबंदी और जीएसटी जैसे लिए गए अजीबो गरीब फैसलों की वजह से अर्थव्यवस्था को पहुंचे भारी नुकसान की भरपाई नहीं की जा सकती। इन खूबसूरत कार्रवाइयों से भारतीय अर्थव्यवस्था के अंदर विश्वास बहाल करके उसे मोदी सरकार द्वारा बनाए गए जीरो विकास के ब्लैक होल से बाहर नहीं निकाला जा सकता।
दूसरी ओर सरकार अभी भी गाय के गोबर और गौमूत्र की अर्थव्यवस्था जैसी बेतुकी बातों के पीछे पड़ी हुई है। बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र व राज्य सरकारें गौरक्षा योजनाओं और उन तथाकथित गौरक्षकों पर करोड़ों रुपया खर्च करने की योजना बना रही है जिनका मिशन पशुओं के नाम पर दहशत फैलाना है।
बाबरी मस्जिद के पैरोकार और वकीलों को धमकाने की कोशिशों की निंदा
पॉपुलर फ्रंट की राष्ट्रीय कार्यकारिणी परिषद ने सुप्रीम कोर्ट में बाबरी मस्जिद की पैरवी करने वालों पर बढ़ते हमलों और उन्हें धमकाने की कोशिशों पर चिंता व्यक्त की है। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील राजीव धवन को सांप्रदायिक ताकतों की ओर से लगातार धमकियां मिल रही हैं, क्योंकि वह बाबरी मस्जिद मामले में मुस्लिम पक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। धवन ने मुस्लिम पक्षों की ओर से कोर्ट में हाज़िर होने की वजह से उन्हें धमकी देने पर 2 लोगों के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की है। उनके क्लर्क का भी मजाक उड़ाया गया। बाबरी मस्जिद विवाद के मुख्य पैरोकार इकबाल अंसारी पर दो लोगों ने उनके घर पर हमला कर दिया था। यहां तक कि उन्हें मुकदमा वापस न लेने की सूरत में जान से मारने की भी धमकी दी गई। खुद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए आरोपियों के खिलाफ नोटिस जारी किया था। कोर्ट ने इकबाल अंसारी पर हमले को लेकर विचार करने पर भी अपनी रजामंदी दिखाई थी।
यह लोग डराने धमकाने और प्रताड़ना के अपने पुराने तरीके का सहारा लेते हैं क्योंकि वह न्याय पर यकीन नहीं रखते। भय और डर को पराजित करने का तरीका यही है कि देश के उच्चतम न्यायालय में सच्चाई और न्याय की लड़ाई पूरी ताकत से लड़ी जाए। पॉपुलर फ्रंट ने बाबरी मस्जिद मामले में सच्चाई और न्याय की लड़ाई लड़ने वालों के साथ एकजुटता का इजहार किया और सुप्रीम कोर्ट से अपील की कि वह धमकियों के शिकार सभी पक्षों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए जरूरी कदम उठाए।
मॉब लिंचिंग के मामलों में पुलिस और प्रॉसीक्यूशन की आपराधिक लापरवाही न्याय की राह में रुकावट
पॉपुलर फ्रंट की एनईसी ने कहा कि पुलिस और प्रॉसीक्यूशन की ओर से बरती गई आपराधिक लापरवाही ने देश को चैंका देने वाली मॉब लिंचिंग की दर्दनाक घटनाओं में सजा से बच निकलने में अपराधियों की मदद की।
भारत में निर्दोष लोगों की माॅब लिंचिंग में हत्या की वारदातें काफी बढ़ गई हैं। वास्तव में यह इतना गंभीर मामला बन चुका है कि खुद सुप्रीम कोर्ट ने इसके खिलाफ नए कानून बनाने का मशवरा दिया है। हालिया कई घटनाओं को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि इस मामले में पुलिस और प्रॉसीक्यूशन का रवैया उनकी ओर से आपराधिक लापरवाही का पता देता है। झारखंड पुलिस ने 22 वर्षीय तबरेज अंसारी की हत्या के 11 आरोपियों पर लगाए गए हत्या के मुकदमों को खत्म कर दिया है। यह इस बात की मिसाल है कि पुलिस निर्दोष मुसलमानों कि मॉब लिंचिंग के मामलों में किस तरह हत्यारों के साथ हाथ मिलाकर काम कर रही है। इस मामले में पुलिस की कार्रवाई के खिलाफ गंभीर सवाल उठाए गए हैं। तबरेज अंसारी को सर में गंभीर चोट आई थी लेकिन इसके बावजूद उसे मुनासिब इलाज देने के बजाय हिरासत में ले जाया गया और उसकी की मौत के बाद ही शिकायत दर्ज की गई। पूरे देश ने देखा था कि किस बेदर्दी से तबरेज अंसारी को मारा पीटा गया और जय श्री राम कहने पर मजबूर किया गया था, लेकिन पुलिस कह रही है कि कोर्ट में हत्या का मुकदमा नहीं चलेगा। पहलू खान हत्या मामले में भी यही हुआ। मौत से पहले अपने बयान में पीड़ित ने जिन 6 आरोपियों का नाम लिया था उन सभी को बरी करते हुए अलवर की निचली अदालत ने राजस्थान क्राइम ब्रांच की गंभीर लापरवाही की तरफ इशारा किया जो कि लिंचिंग की वीडियो सहित कोर्ट के सामने महत्वपूर्ण सबूत पेश करने में नाकाम रही।
यह साबित करता है कि देश बड़े संकट से गुजर रहा है, जो आपराधिक न्याय प्रणाली की ईमानदारी पर सवाल खड़े करता है। बैठक ने अपील की कि उच्च न्यायालय अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए, देश की न्याय व्यवस्था को दुरुस्त करे, ताकि सिस्टम में घुस चुके भ्रष्ट तत्वों को निकाल बाहर किया जाए।
चेयरमैन ई अबू बकर ने बैठक की अध्यक्षता की, जिसमें महासचिव एम. मोहम्मद अली जिन्ना, उपचेयरमैन ओ.एम.ए. सलाम, सचिव अनीस अहमद, अब्दुल वाहिद सेठ तथा राष्ट्रीय कार्यकारी सदस्य ई.एम. अब्दुर्रहमान, प्रोफेसर पी. कोय, के.एम. शरीफ, एडवोकेट ए. मोहम्मद यूसुफ, ए.एस. इस्माईल, मोहम्मद रोशन, एम. अब्दुस्समद, मोहम्मद इस्माईल, यामुहियुद्दीन, अफसर पाशा, एम. कलीमुल्लाह, एस. अशरफ मोलवी व अन्य शरीक रहे।
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