नयी दिल्ली: बसपा सुप्रीमो मायावती की ओर से 2019 के लोकसभा चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पर जोरदार प्रहार और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव की भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को लेकर के खामोशी बहुत सारे सवाल जन्म दे रही है. राजनीतिक पंडितों का यह मानना है कि बसपा सुप्रीमो मायावती के कांग्रेस को लेकर के आक्रामक तेवर उनके लिए घातक साबित हो सकते हैं और मायावती 20 सीटों तक सिमट सकती हैं. ज्ञात रहे कि लोकसभा चुनाव को लेकर के अटकलें फैलाई जा रही हैं कि अगर भारतीय जनता पार्टी को सरकार बनाने के लिए कुछ सीटों की जरूरत पड़ी तो वह कमी बसपा सुप्रीमो मायावती पूरी कर सकती हैं और उस पर मायावती का कांग्रेस पर हमला उस को बल देता है, वैसे भी मायावती का भारतीय जनता पार्टी के साथ जाने का रिकॉर्ड कोई नया नहीं है.
लोग यह भी मान रहे हैं कि अगर भारतीय जनता पार्टी को 1 सीट की भी जरूरत होगी तो अखिलेश यादव इस से समझौता नहीं कर सकते हैं, क्योंकि वह जहां कांग्रेस को ले करके पूरी तरह से चुप्पी साधे हुए हैं, वहीँ भारतीय जनता पार्टी को लेकर के उनके आक्रामक तेवर और उनका यह कहना कि नेता जी ने जिन को आशीर्वाद दिया है क्या वह दोबारा लौट कर के आए हैं यह दर्शाता है कि वह भारतीय जनता पार्टी से किसी भी सूरत में समझौते को तैयार नहीं होंगे.
राजनीतिक पंडितों का मानना है कि कांग्रेस को लेकर के बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती के आक्रामक तेवर उनको भारी नुकसान पहुंचा सकते हैं. उनका मानना है कि जहां बहुजन समाज पार्टी का वोट ट्रांसफर होना बहुत ज्यादा आसान है वहीँ समाजवादी पार्टी का ट्रांसफर होना इतना आसान नहीं है इसका खामियाजा भी मायावती को भुगतना पड़ेगा बावजूद इसके कि उन्होंने गठबंधन में तमाम सीटें अपनी पसंद की ली हैं और अखिलेश पूरी तरह से खामोश रहे हैं.
राजनीतिक पंडित यह भी मान रहे हैं कि बहुजन समाज पार्टी ने ना तजुर्बाकार खिलाड़ियों को मैदान में उतारा है जबकि समाजवादी पार्टी ने माहिर खिलाड़ियों को मैदान में उतारा है. उनका मानना है कि बहुजन समाज पार्टी की सीटों पर मुस्लिम और दलित वोटरों की तादाद ज़ियादा होने के बावजूद भी बसपा को इस का नुकसान उठाना पड़ेगा, क्योंकि मुसलमान यह महसूस कर रहे हैं की मायावती बीजेपी को जरूरत पड़ने पर भाजपा का दामन थाम सकती हैं, इसलिए मुसलमान बसपा की कमज़ोर सीटों पर कांग्रेस को वोट करने की सोच रहे हैं.
राजनीतिक पंडित मान रहे हैं कि जहां गठबंधन में सबसे ज्यादा फायदा समाजवादी पार्टी को होने का अनुमान है और उसकी सीटें 25 से 30 तक पहुंच सकती हैं वही बहुजन समाज पार्टी 20 सीटों से पहले ही सिमट सकती है. राजनीतिक पंडित यह भी मानते हैं कि अगर कांग्रेस पार्टी ने प्रियंका गांधी को चुनाव में उतारा तो कांग्रेस पार्टी दो नंबर की पार्टी हो सकती है और उसकी सीटें 20 के पार जा सकती हैं, जबकि 20 सीटों से पहले भारतीय जनता पार्टी सिमट सकती हैं, कुछ तो यह भी मान रहे हैं कि बीजेपी 10 का आंकड़ा छू ले तो इसे चमत्कार मना जाएगा. जब कि वह कांग्रेस के लिए चमत्कार मान रहे हैं. उनका माना है कि कांग्रेस की सीटें 20 के पार जाने की संभावना है और वह 2009 वाली position में आ सकती है.
यह तो चुनावी नतीजे बताएंगे कि किस के प्रहार से किसको फायदा और किसको नुकसान हुआ लेकिन इतना जरूर है कि इस चुनाव में समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव किसी तरह का कोई जोखिम नहीं लेना चाहते हैं और वह हर कदम फूंक-फूंक कर रख रहे हैं. नंबर एक पर कौन होगा और नंबर 4 पर कौन जाएगा यह तो 23 मई की तारीख बताएगी, लेकिन इतना जरूर है कि वोट और नेता दोनों होशियार हैं.
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