जोधपुर 18 जुन। जहां भी मुसलमान बड़ी तादाद में वहां अक्सर उनकी सुबह गाली गलौच से होती है और हंगामें के साथ शाम होती है ऐसा माहौल क्यों है क्या इस्लाम हमें यहीं सिखाता है कि आप अपने पड़ौसी और दूसरों का तकलीफ दे।
नहीं बिल्कुल नहीं, बल्कि इस्लाम तो यह कहता है कि जो अपने पड़ौसी को तकलीफ वो हम मंे से नहीं। हमें अपनी जिन्दगी को इस्लामी तरीके से नबी मुहम्मद सल्लललाहों अलैह वसल्लम की ज़िन्दगी की तरह गुज़ारनी चाहिए ताकि हम दूसरों के लिए आदर्श बनें और इस्लाम व मुसलमान की सही तस्वीर लोगों तक पहुंचें।
ये कहना है सुन्नी दावते इस्लामी मुम्बई के संस्थापक एवं मशहूर इस्लामी स्कोलर मौलाना शाकिर अली नूरी का। वे फैजाने गौसो रजा कमेटी जोधपुर की ओर से प्रतापनगर फैजे आम मस्जिद, आदर्श प्याऊ चैराहे के पास आयोजित ‘उर्से हुजूर ताजुश्शरीया अलैहिर्रहमा व जश्ने विलादते आला हजरत अलैहिर्रहमा‘ प्रोगाम में बतौर मुख्य वक्ता अपना उद्बोधन दे रहे थे।
उन्होंने कहा कि पुराने अज्ञानता के दौर में मुसलमान के जो हालात थे वो आज भी देखने को मिलते है हमें जरूरत है आज शिक्षा, अनुशासन, समय प्रबन्धन व अच्छे व्यवहार के साथ ज़िन्दगी गुजारने की।
हम अल्लाह को एक माने, किसी को उसका शरीक (भागीदार) न बनायें। कुरान के बताये रास्ते पर चलें। नमाज की पाबन्दगी करें, मां बाप की खिदमत करें। दीन (धर्म) और दुनिया की तालीम (शिक्षा) हासिल करें। जुआ, शराब, सट्टा और सभी बुराईयों से बचें। दुसरों की भलाई करें और ईमानदारी के साथ अपने काम में खूब मेहनत करें। रोजाना थोड़ा इल्म (शिक्षा) हासिल करें।
इस मौके पर विशिष्ट अतिथि सुन्नी दावते इस्लामी मालेगांव के निगरान (प्रभारी) सय्यद अमीनुल कादरी ने कहा कि आज हम खुद के गलत कामों पर दुसरों का नाम लगाते है जो सही नहीं है हम खुद का जायजा लें और रातों की तन्हाईयों (अकेलेपन) में गुनाह करना छोड दें। अल्लाह का फरमान है कि हम जिसके लिए चाहते है मोहब्बत पैदा करते है और जिसके लिए चाहते है नफरत पैदा करते है। रातों को अल्लाह से अपने गुनाह की माफी मांगते हुए नमाज अदा किया करो। हम खुद बदलें दुनिया को दोष न दें।
जिस दिन आप मज़हब से मुंह मोड़ेंगे आप कहीं के नहीं रहेंगे क्योंकि जिस मज़हब की बातों को अपनाकर अल्लाह मिलता है तो उस मज़हब पर चलकर दुनिया की कौनसी चीज नहीं मिल सकती। शौहर बीवी के जोड़े अल्लाह के यहां बनते है इस बात को मानते हुए एक दूसरें पर भरोसा रखें व एक दूसरें का सम्मान करें। औरतें पर्दा करें। पर्दा उनकी सुरक्षा व तहजीब का हिस्सा है।
आप किसी का दिल न तोड़े। उस दिल तोडने वाले की नमाज भी कुबूल नहीं होगी। जो लोग मां बाप का दिल दुखाकर, नाटक व फिल्में देखकर भाग कर शादी करते है उसे जिन्दगी की खुशियां कैसे मिलेगी। किस्मत में जिसे जो मिलना है वहीं मिलेगा। आला हजरत अलैहिर्रहमा व हुजूर ताजुश्शरीया अलैहिर्रहमा हमारे मार्गदर्शक है। हमें उनकी बताई बातों पर अमल करना चाहिए।
अन्त में पाली के मशहूर नात खां कारी मोहम्मद शरीफ ने ‘सुन्नियों का नारा है अहमद रजा हमारा है......‘ पेश कर खूब दाद बटोरी। इस मौके पर जोधपुर की नूरी पब्लिक स्कूल के हिन्दी भाषा के नूरी कायदे का विमोचन भी मौलाना साकिर नूरी, मौलाना फय्याज रिज्वी व अन्य अतिथियों के हाथों किया गया। प्रोग्राम में मौलाना मुफ्ती फय्याज अहमद रिज्वी, मौलाना कारी इकराम, मौलाना मौलाना अब्दुल हक, मौलाना मोईन मिस्बाही, कारी एजाज, हाफिज जावेद, मौलाना आरिफ, मोहम्मद सिकन्दर रजा सहित प्रदेश भर से पधारें सभी ओलमाए अहले सुन्नत, समाजसेवी, शिक्षाविद् एवं आमजन मौजूद थे।
प्रोग्राम की कामयाबी में हाजी सिद्दीक, हाजी रोशन, साजिद खान, राजू सिद्दीक, साजिद नानू, मोहम्मद सिराज नूरी, मोहम्मद अशफाक कादरी मोहम्मद जाहिद, मोहम्मद इस्तियाक, मोहम्मद शाकीर, मोहम्मद अल्ताक, मोहम्मद नौशाद, फुरकान, रिजवान अत्तारी सहित फैजाने गौसो रजा कमेटी के सदस्यों का विशेष सहयोग रहा।
निजामत (संचालन) मौलाना साजिद हुसैन रिज्वी व मोहम्मद अशकाफ कादरी ने की। अन्त सलातो सलाम के साथ मुल्क में शान्ति, कौमी एकता, खुशहाली व तरक्की की दुआ कराई गई। सभी लोगों को शीरनी भी दी गई।
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