अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिकित्सा के क्षेत्र में भारत की आन बान और शान को बढ़ाने वाले किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ कौसर उस्मान ने आज एक वेबीनार के माध्यम से देश और दुनिया के लोगों को करोना मिथ और सच्चाई के बारे में बताया। ज्ञात रहे कि यह वेबिनार अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय ओल्ड बॉय एसोसिएशन लखनऊ चैप्टर की ओर से आयोजित किया गया था जिसके अध्यक्ष राजनीति व्यापार शिक्षा और समाज सेवा के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान रखने वाले मोहम्मद तारिक सिद्दीकी हैं।
अमूबा लखनऊ के Hon सचिव जावेद सिद्दीकी ने प्रोग्राम मॉडरेट किया। इस अवसर पर डॉ कौसर उस्मान ने बताया कि बीमारियां दो प्रकार की होती है।
कम्युनिकेबल डिजीज
नॉनकम्युनिकेबल या लाइफस्टाइल डिज़ीज़
उन्होंने बताया कि आजादी के समय भारतीयों की औसत आयु 44 साल होती थी लेकिन खानपान में बदलाव और चीजों के बेहतर होने से आज मर्दों की आयु 66 साल और महिलाओं की आयु 70 साल है। उन्होंने बताया कि करोना से पहले चेचक निमोनिया स्वाइन फ्लू जैसी कई बीमारियां आ चुकी हैं इसलिए बीमारियों से घबराने की जरूरत नहीं है, बल्कि हमें बीमारी से लड़ने की आदत डालनी होगी और इसका सबसे बेहतरीन और सफल इलाज परहेज है। उन्होंने बताया कि अंटार्कटिका को छोड़ कर के यह बीमारी सभी जगह तकरीबन पहुंच चुकी है और 214 देश इस से प्रभावित हैं।
उन्हों ने कहा कि बेहतर यह है कि जब आदमी बात करे तो 2 मीटर की दूरी पर बात करे छींकते वक्त आदमी से 2 मीटर की दूरी बना ले और बात करने में भी सोशल डिस्टेंसिंग सबसे ज़्यादा जरूरी है। उन्होंने कहा कि 60 वर्ष की आयु के मरीजों के लिए इसमें ज्यादा खतरा है या वह जो शुगर ब्लड प्रेशर अस्थमा किडनी या किसी क्रॉनिक डिजीज से जूझ रहे हैं। उनके लिए जरूरी है कि वह अपना खास ख्याल रखें। उन्होंने कहा कि अगर आपको करोना के लक्षण लगते हैं तो आपके लिए जरूरी है कि आप घर के एक कमरे में खुद को अलग-थलग कर लें। घर के लोगों के माध्यम से या डॉक्टर से टेलीफोन पर बातचीत करते रहें। बातचीत बंद ना करें। पांच-छह दिन के बाद अगर आपकी तकलीफ बढ़ती है और आप को सांस लेने में अगर दिक्कत ज्यादा आती है तो फिर आप अस्पताल में जरूर जाएं।
उन्होंने कहा कि अगर आपका ऑक्सीजन 93 परसेंट से कम है या BP बढ़ा है तो आप डॉक्टर से संपर्क साधने में चूक ना करें। उन्होंने कहा कि जहां तक इसके इलाज की बात है तो अभी तक करोना का कोई इलाज नहीं आया है इसलिए बचाव सबसे जरूरी है। बिना वजह घर से ना निकलें, भीड़ भाड़ की जगहों पर ना जाएं, 2 मीटर की दूरी बनाकर रखे, मास्क लगाएं, बार-बार हाथ धोते रहें, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें। उन्होंने कहा कि जहां तक N 95 मास की बात है तो वह मात्र डॉक्टरों या स्वास्थ्य सेवाओं से संबंधित लोगों के लिए है। जब क्राइसिस होता है तो सिटीजनस की यह जिम्मेदारी होती है कि वह उन चीजों को ना लें जो डॉक्टरों या स्वास्थ संबंधित अधिकारियों के लिए जरूरी हैं, क्यों कि उसका शॉर्टेज हो सकता है। नॉर्मल मास्क से काम चला लें। साथ ही साथ अगर मास्क यूज एंड थ्रो हो तो ज्यादा बेहतर है।
डॉक्टर कौसर उस्मान ने बताया कि इम्यूनिटी बेटर करना जरूरी है और ऐसा नहीं लगता है कि 2021 से पहले COVID-19 की कोई दवा आएगी। दवा आपको सिर्फ करोना से बचाये गी, लेकिन इम्यूनिटी आपके अंदर बीमारियां आने से आपको बचाएगी, इसलिए हर रोज 7 से 8 घंटे नींद लें। एक्सरसाइज 30 से 40 मिनट जरूर करें। फल खाए, पानी पिए, विटामिन बी लें, बैलेंस और हेल्दी डाइट लें, क्योंकि करोना से 97 साल और 106 साल तक के लोग भी पॉजिटिव पाए जाने के बाद नेगेटिव हुए हैं।
उन्होंने कहा कि एक सवाल यह पैदा होता है कि क्या एक व्यक्ति को अगर करोना हो गया तो दोबारा नहीं होगा? तो इस तरह की बीमारियों में दोबारा होने के चांसेस कम होते हैं, जब तक कि उस बीमारी में कोई बदलाव ना आए और उसके वायरस में कुछ फेर बदल ना हो, लेकिन परहेज़ जरूरी है। उन्होंने कहा कि फ्रंट लाइन पर आप खुद खेलते हैं लास्ट लाइन पर डॉ खेलता है। यह मिथ बदलें कि आप लास्ट लाइन और डॉ फ्रंट लाइन पर खेल रहा है।
उन्होंने कहा कि सफेद डाइट जैसे शुगर घी मैदा से बचें हां! दही इम्यून सिस्टम को बढ़ाने में कारगर है। कलरफुल चीज़ें -सब्जियां फल ज्यादा से ज्यादा लें। उन्होंने कहा कि अगर एक बार वायरस हवा में चला गया तो वह आपके प्रभावित नहीं करेगा इसलिए सोशल डिस्टेंसिंग सबसे ज्यादा कारगर है। उन्होंने कहा कि हमें अच्छे कपड़ों से ज्यादा अच्छे खाने की जरूरत है और हमें उसी पुरानी लाइफस्टाइल पर लौटना होगा कि 9:00 बजे से पहले अगर हम खाना खा लें तो ज्यादा बेहतर है। उन्होंने कहा कि वेंटिलेटर पर जाने के बाद 85 फीसद लोग बच नहीं पाते हैं इसलिए हमें एहतियात करना होगा।
धन्यवाद प्रस्ताव अमूबा के अध्यक्ष तारिक़ सिद्दीकी ने दिए। उन्होंने कहा कि आज के युग में बड़ी बात है कि जब ज्यादातर लोग पैसा कमाने के लिए डॉक्टरी पेशे से जुड़ते हैं ऐसे में डॉक्टर कौसर उस्मान जैसे लोग सेवा भाव से डॉक्टरी के पेशे से जुड़े हैं और विपरीत परिस्थितियों के बावजूद अपने समय में से वक्त निकालकर लोगों को करोना के लिए अवगत करा रहे हैं, जिसके लिए हम डॉक्टर कौसर उस्मान के आभारी हैं। उन्होंने कहा कि डॉ कौसर उस्मान की जिंदगी के एक नहीं कई अलग-अलग पहलू है, शिक्षा सेवा स्वास्थ्य वह इन तमाम चीजों के संगम हैं, जो कम इंसानों में होता है। उन्हों ने कहा कि डॉ कौसर उस्मान जैसे लोगों को आज देश की जरूरत है जो सिर्फ सेवा भाव से मानव जाति की सेवा करें ताकि गरीबों के दुःख को कम किया जा सके।
DR. KAUSAR USMAN IS A MEMBER CORONA TASK FORCE AND FACULTY CO-INCHARGE TRIAGE UNIT (KGMU launches triage system to curb coronavirus spread) The triage system, set up under head of pediatrics department Prof Shally Awasthi and Prof Kausar Usman of medicine department, entails sorting of patients based on requirement of immediate medical treatment.
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