AMU- में Gandhi Jayanti पर क्या ख़ास हुआ? देश जानना चाहता
अलीगढ़, 2 अक्टूबरः राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी को उनकी 153 वीं जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए गांधी जयंती के उपलक्ष में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय द्वारा आज मौलाना आजाद लाइब्रेरी के सांस्कृतिक हॉल में एक विशेष समारोह का आयोजन किया गया जिसमें उनके जीवन, उपलब्धियों और योदान पर विचार विमर्श किया गया। इस अवसर पर गाँधी जी पर तथा उनके द्वारा लिखित पुस्तकों, उनके पत्रों तथा छत्रों की एक प्रदर्शनी भी लगाया गयी। इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि महात्मा गांधी की कहानी महाद्वीपों और संस्कृतियों में गूंजती है क्योंकि उनके अहिंसा के सिद्धांत ने कई नागरिक अधिकार आंदोलनों को प्रेरित किया।
प्रदर्शनी का उद्घाटन करने के उपरांत, शिक्षकों, छात्रों और कर्मचारियों को सम्बोधित करते हुए कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर ने कहा कि महात्मा गांधी आज भी समस्याओं से घिरी दुनिया में मानवता के लिए आशा की किरण बने हुए हैं। गांधीजी की शिक्षाएं हमें याद दिलाती हैं कि आखिरकार हम मानव हैं और सबसे असाधारण और अद्भुत उपलब्धियों के लिए सक्षम हैं, केवल अहिंसक साधनों और शांति के माध्यम से हम मानवजाति के हितों के लिए कार्य कर सकते जो हमारी इच्छा और हमारे अधिकार की भावना के अनुरूप है।
एएमयू के साथ महात्मा गांधी के घनिष्ठ संबंधों पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान, गांधीजी कई बार अलीगढ़ आये थे। एएमयू के पुस्तकालय में उनकी यादों को संजोने वाले पत्र और तस्वीरें मौजूद हैं। एएमयू छात्र संघ ने उन्हें पहली आजीवन सदस्यता दी और महात्मा गांधी की अपील पर छात्रों ने कैंपस के अंदर विदेशी सामान और कपड़े जलाए।
कुलपति ने कहा कि महात्मा गांधी भारत के स्वतंत्रता संग्राम में सबसे प्रमुख व्यक्ति थे, फिर भी उन्होंने स्वतंत्र भारत का प्रधान मंत्री या गवर्नर जनरल बनने की इच्छा नहीं जताई बल्कि उन्होंने ओरों को स्वतंत्र भारतीय राज्य के नेतृत्व के लिये चुना और गरीबों और उत्पीड़ितों के लिए अपना काम जारी रखा।
उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी का जीवन उनके विचारों और कार्यों का एक आदर्श प्रतिबिंब था और हिंदू धर्म के एक धर्मनिष्ठ अनुयायी के रूप में उनका मानना था कि दूसरे के धर्म का सम्मानपूर्वक अध्ययन एक पवित्र कर्तव्य है और इस से स्वयं उसके आदर में कोई कमी नहीं होती।
प्रोफेसर मंसूर ने कहा कि महात्मा गाँधी सभी महान धर्मों को मौलिक रूप से समान मानते थे और उनका दृढ़ विश्वास था कि उनके लिए जन्मजात सम्मान होना चाहिए, न कि केवल आपसी सहिष्णुता। धर्म पर गांधीजी के विचार और अन्य धर्मों के प्रति उनका दृष्टिकोण पूरी दुनिया में विचार करने और लागू करने के लिए धर्मनिरपेक्षता का एक खाका प्रदान करता है।
उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी से प्रेरित महान नेताओं और विचारकों की एक लंबी, विविध और विस्मयकारी सूची है। उनमें से एक मार्टिन लूथर किंग जूनियर थे, जिन्होंने सत्याग्रह के गांधीवादी सिद्धांत का इस्तेमाल समानता और सामाजिक न्याय को आगे बढ़ाने और अफ्रीकी अमेरिकियों के लिए समान नागरिकता अधिकार हासिल करने के लिए किया था।
कुलपति ने कहा कि महात्मा गांधी पूरी दुनिया के थे। उन्हें दक्षिण अफ्रीका में उनके नागरिक अधिकारों के आंदोलन के लिए उसी प्रकार याद किया जाता है जैसे भारत में उन्हें भारतीय स्वतंत्रता के लिए उनके संघर्ष के लिए याद किया जाता है।
प्रोफेसर मंसूर ने बाद में राष्ट्र की स्वतंत्रता और अखंडता को संरक्षित और मजबूत करने के लिए समर्पण के साथ काम करने की शपथ दिलाई। उन्होंने एएमयू शिक्षकों, छात्रों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों को एक ‘स्वच्छता शपथ’ यह कहकर दिलाई कि महात्मा गांधी ने एक विकसित और स्वच्छ देश का सपना देखा था।
कुलपति ने मौलाना आज़ाद पुस्तकालय में ‘महात्मा गांधी पर पुस्तकों और तस्वीरों की प्रदर्शनी’ का भी उद्घाटन किया, जिसमें महात्मा गांधी के बचपन, एक वकील और नागरिक अधिकार कार्यकर्ता के रूप में उनके जीवन, साबरमती आश्रम में उनकी गतिविधियों तथा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भागीदारी पर आधारित उनकी तथा उन पर पुस्तकों और दस्तावेजों और दुर्लभ छवियों को प्रदर्शित किया गया है। यह प्रदर्शनी कल तक खुली रहेगी।
मातृभाषा के प्रति गांधीजी के प्रेम और सभी भारतीय भाषाओं के प्रति उनकी चिंता पर बोलते हुए भाषाविज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर एमजे वारसी ने कहा कि राष्ट्रपिता ने शिक्षा के अनिवार्य माध्यम के रूप में ‘मातृभाषा’ का उपयोग करने के बारे में बहुत भावुकता से बात की। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 गांधीवादी सिद्धांतों को प्रतिबिंबित करती है।
उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने शिक्षा प्रणाली के पुनर्गठन के लिए एक महत्वपूर्ण अवधारणा की स्थापना की। उनके विचार दक्षिण अफ्रीका में उनके प्रयोगों और साबरमती, अहमदाबाद और सेवाग्राम, वर्धा के आश्रमों में उनके अनुभवों पर आधारित थे। ‘नई तालीम’ की उनकी अवधारणा, जिसे बुनियादी शिक्षा के रूप में भी जाना जाता है, ने भारत में कई शैक्षिक विधियों की नींव के रूप में कार्य किया। सामाजिक परिवर्तन लाने और शिक्षा को सभी के लिए सुलभ बनाने के लिए, उन्होंने ज्ञान और रोजगार, शिक्षण और सीखने के बीच अंतर को रेखांकित किया।
प्रोफेसर वारसी ने बताया कि गांधीजी का ‘नई तालीम’ के प्रति विचार स्थानीय रूप से उपलब्ध प्रौद्योगिकियों के साथ कार्य-केंद्रित शिक्षा को जोड़ना था जो छात्र के व्यापक विकास पर केंद्रित था। उन्होंने शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण के बीच सम्बन्ध पर जोर दिया और कहा कि यह काम न केवल सामाजिक रूप से उपयोगी और उत्पादक होना चाहिए बल्कि आत्मनिर्भर भी होना चाहिए।
उर्दू विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर मोहम्मद अली जौहर ने कहा कि महात्मा गांधी ने सच्चाई और सभी मानव जाति के लिए न्याय में अपने विश्वास से दुनिया को प्रेरित किया। वह एक महान आत्मा थे जो अहिंसा के साथ शांति लाने के उनके आदर्शों के खिलाफ लड़ने वालों से भी प्यार करते थे। महात्मा गांधी ने सभी समस्याओं के समाधान के लिए काम किया और अहिंसा के साथ दुनिया को एक शाश्वत, प्राकृतिक और सर्वाेच्च मानवीय मूल्य, सिद्धांत और व्यवहार पर आधारित एक नया आयाम दिया।
उनके विचार और व्यवहार भारत के लोगों के लिए समान रूप से अनुकूल और दुनिया भर के लोगों के लिए मार्गदर्शक शक्ति साबित हुए।
एएमयू की छात्रा, ज़हरा असद (बीएससी फाइनल ईयर ) और छात्र जावेद अशरफ (उर्दू रिसर्च स्कॉलर) ने भी महात्मा गांधी के योगदान पर भाषण दिए।
कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर विभा शर्मा ने किया तथा प्रो निशात फातिमा (विश्वविद्यालय पुस्तकालयाध्यक्ष) ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
एएमयू रजिस्ट्रार, मोहम्मद इमरान (आईपीएस) और विभिन्न विभागों के शिक्षकों ने कार्यक्रम में भाग लिया।
-----------------------
केस डेवलपमेंट पर एफडीपी का समापन
अलीगढ़ 2 अक्टूबरः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन विभाग द्वारा ‘केस डेवेलपमेंट एंड केस टीचिंग एंड केस कॉलोक्वियम’ पर आयोजित एक सप्ताह के फैकल्टी डेवेलपमेंट प्रोग्राम के समापन समारोह के दौरान विषय विशेषज्ञों और शिक्षक-प्रतिभागियों ने केस डेवेलपमेंट के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की और केस एनालिसिस में उत्पन्न होने वाली चुनौतियों पर चर्चा की।
प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए, मुख्य अतिथि प्रो-वाइस चांसलर, प्रोफेसर मोहम्मद गुलरेज़ ने भारतीय अर्थव्यवस्था में सेवा क्षेत्र से औद्योगिक क्षेत्र में बदलाव पर प्रकाश डाला। केस टीचिंग के महत्व पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि कैसे केस विश्लेषण पद्धति को लागू करने से भारत और विदेशों में उनका अनुभव अधिक ज्ञानवर्धक हो गया। उन्होंने आशा व्यक्त की कि भारत जल्द ही अपने अभिनव तरीकों से दुनिया में एक उत्कृष्ट मक़ाम बना लेगा।
मानद अतिथि, एएमयू रजिस्ट्रार, श्री मोहम्मद इमरान (आईपीएस) ने एक प्रबंधन छात्र के रूप में अपने दिनों को याद किया और केस पद्धति की बढ़ती प्रासंगिकता और शिक्षण अवधारणाओं में यह कितना महत्वपूर्ण है, इस पर चर्चा की।
उन्होंने प्रतिभागियों से शोध में कड़ी मेहनत करने और अधिक महत्व के केस अध्ययन के साथ आगे आने का आग्रह किया जो उनके छात्रों को उनके करियर में बड़ी सफलता हासिल करने और इस विभाग को रैंकिंग ढांचे में एक उच्च स्थान खोजने में मदद करेगा।
उन्होंने एएमयू के प्रबंधन संकाय के लिए अद्वितीय केस स्टडी करने के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान बनाने की आशा की।
इससे पूर्व, अतिथियों और प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए, प्रो सलमा अहमद (डीन, फैकल्टी ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज एंड रिसर्च तथा ऑर्गनाइजिंग सेक्रेटरी, एफडीपी) ने एफडीपी के दौरान चर्चा की गई सामग्री का संक्षेप में वर्णन किया और केस लीड्स की पहचान, केस एनालिसिस और केस टीचिंग पर विशेष ज़ोर दिया।
केस कोलोक्वियम में केस असेसमेंट की प्रक्रिया पर विस्तार से चर्चा करते हुए प्रो सलमा ने प्रतिभागियों से केस स्टडी करते समय लगन, दृढ़ता और धैर्य पर विशेष ध्यान देने का आग्रह किया।
प्रो. जमाल अहमद फारूकी (अध्यक्ष, व्यवसाय प्रशासन विभाग) ने एफडीपी की एक संक्षिप्त रिपोर्ट प्रस्तुत की और प्रतिभागियों से पहले सिद्धांत को अभ्यास से जोड़ने, केसों को विकसित करने और तब समाधान पर पहुंचने का आग्रह किया।
एफडीपी में बेस्ट केस आइडिया, बेस्ट केस टाइटल, एक्टिव पार्टिसिपेशन, ब्रेविटी और बेस्ट लर्नर के लिए प्रतिभागियों को पुरस्कृत करना भी शामिल था।
केस कोलोक्वियम में, 10000/- रुपये का बेस्ट-केस अवार्ड दो केस स्टडीज द्वारा साझा किया गया जिनमें एक आईबीएस केस रिसर्च सेंटर, हैदराबाद से सुश्री फारिया जफर और सुश्री इंदु पेरेपू द्वारा प्रस्तुत किया गया था। उनके केस का शीर्षक था ‘एयरबीएनबीः बीटिंग कोविड-19 अस्तित्व संकट समाधान ऑनलाइन अनुभवों के माध्यम से’।
दूसरा केस डॉ शिराज खान द्वारा ‘शहनाज हुसैन - अपना उदाहरण आप’ शीर्षक के तहत लिखा गया था।
जूरी सदस्यों, प्रो. नईमा खातून (प्रिंसिपल, विमेंस कॉलेज), प्रो. सलमा अहमद और प्रो. फ़िज़ा तबस्सुम आज़मी ने यूनिक थीम अवार्ड, इनोवेटिव आइडिया अवार्ड और जजेज़ स्पेशल मेंशन अवार्ड सहित कुछ और श्रेणियों के पुरस्कारों का सुझाव दिया।
डॉ. तारिक अजीज (कोषाध्यक्ष, एफडीपी) ने धन्यवाद ज्ञापित किया। डॉ ज़रीन हुसैन फारूक (सह-संगठन सचिव) ने एफडीपी को व्यवस्थित करने में अपना योगदान दिया।
ताज़ातरीन ख़बरें पढ़ने के लिए आप वतन समाचार की वेबसाइट पर जा सक हैं :
https://www.watansamachar.com/
उर्दू ख़बरों के लिए वतन समाचार उर्दू पर लॉगिन करें :
http://urdu.watansamachar.com/
हमारे यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करना न भूलें :
https://www.youtube.com/c/WatanSamachar
ज़माने के साथ चलिए, अब पाइए लेटेस्ट ख़बरें और वीडियो अपने फ़ोन पर :
आप हमसे सोशल मीडिया पर भी जुड़ सकते हैं- ट्विटर :
https://twitter.com/WatanSamachar?s=20
फ़ेसबुक :
यदि आपको यह रिपोर्ट पसंद आई हो तो आप इसे आगे शेयर करें। हमारी पत्रकारिता को आपके सहयोग की जरूरत है, ताकि हम बिना रुके बिना थके, बिना झुके संवैधानिक मूल्यों को आप तक पहुंचाते रहें।
Support Watan Samachar
100 300 500 2100 Donate now
Enter your email address to subscribe and receive notifications of latest News by email.