अगर गुजरात विधानसभा चुनाव में चुनाव आयोग निष्पक्ष हो कर पूरी इमानदारी और जिम्मेदारी से काम करेगा तो भारतीय जनता पार्टी की हार यक़ीनी है. उन्होंने कहा कि अगर किसी तरह की कोई गड़बड़ी पाई गई तो फिर संग्राम के अलावा कोई विकल्प नहीं है.संवाददाताओं से बात करते हुए शरद यादव ने कहा कि गुजरात मैं देखकर आया हूँ और गुजरात की जमीन पूरी तरह से बीजेपी के पैरों के नीचे से खिसक चुकी है. उन्होंने राज्य सभा से अपने निलंबन पर बात करते हुए कहा कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट (उपराष्ट्रपति) के फैसले पर कोई सवाल नहीं उठाएंगे. उन्होंने कहा कि उपराष्ट्रपति निलंबन के मामले में सर्वोच्च हैं. लेकिन उन्होंने प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कहा कि एक व्यक्ति (विजय माल्या) जो देश लूट कर चला गया उसके मामले को निलंबन के सिलसिले में एथिक्स कमेटी के पास भेजा जाता है, और मैं ने 45 साल संसद में रहकर देश की सेवा की है मेरे मामले में डायरेक्ट (उपराष्ट्रपति) निलंबन का फरमान सुना दिया जाता है. उन्होंने कहा कि डायरेक्ट (उपराष्ट्रपति) सब कुछ होना है तो एथिक्स कमेटी और प्रिविलेज कमेटी का क्या मतलब है. उन्हों ने बताया कि 4 दिसंबर 2017 को उन्हें निलंबन का उस वक्त पता चला जब वह गुजरात में थे. रात 10:00 बजे उनके सरकारी आवास पर निलंबन का फरमान आया. उन्होंने बताया कि 1974 में वह पहली बार लोकसभा के लिए चुने गए और दो बार उन्होंने राज्यसभा की सदस्यता त्यागकर के लोकसभा के लिए चुनाव लड़ा. उन्होंने कहा कि मैं जिंदगी में हर तरह के त्याग के लिए तैयार हूं. जब उन से पुछा गया कि क्या आप इस फैसले के खिलाफ न्यायालय में अपील करेंगे? तो उन्होंने कहा कि इस सिलसिले में उनके साथी मीडिया को बता देंगे, लेकिन लड़ाई दोनों महाज पर जारी रहेगी. उन्होंने कहा कि देश का लोकतंत्र पूरी तरह से खतरे में है, इसलिए देश के लोकतंत्र को बचाने के लिए मैं हर तरह की क़ुरबानी देने को तैयार हूँ. एक सवाल के जवाब में उन्हों ने कहा कि उपराष्ट्रपति का फैसला सम्मानजनक है. मिल कर बातचीत करने का मौका मिला तो बातचीत करने की कोशिश करेंगे. जब संवाददाताओं ने पूछा कि क्या आप फोन पर बातचीत कर के उपराष्ट्रपति से मसले के बारे में जानकारी हासिल करेंगे तो उन्होंने कहा कि अगर मैंने फोन किया और लाइन पर ना आए तो यह अच्छी बात नहीं है, इसलिए मुलाकात होगी तो उसी में ही उनसे बात करेंगे.
एक और सवाल के जवाब में शरद यादव ने कहा कि अगर मैं भी बहती गंगा में चला गया होता तो आज इस की नोबत ना आती, लेकिन मैंने हमेशा प्रजातंत्र और जनतंत्र की लड़ाई लड़ी है और कोई भी ऐसा गरीबों पिछड़ों दलितों आदिवासियों का मुद्दा नहीं है जो मैंने संसद या संसद के बाहर नहीं उठाया हो. उन्होंने कहा कि अगर मुझे निलंबन करके इस चीज का इनाम दिया गया है तो मैं इसके लिए तैयार हूं.उन्होंने कहा कि देश के लोकतंत्र जनतंत्र प्रजातंत्र और पिछड़े लोगों के लिए उनकी लड़ाई जारी रहेगी. [caption id="" align="alignnone" width="1608"]
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