अयोध्या में मंदिर की इमारत बन रही है। सदियो पुराना मसला खत्म हो रहा है। मंदिर की इमारत बनने से सत्ता की चाभी देने वाला मुद्दा खत्म हो जाएगा। सियासी पार्टियो ने इस मुद्दे से खूब राजनीतिक मुनाफ़ा हासिल किया। अफसोस इस बात का है, ये मुद्दा जिस कांग्रेस ने गढ़ा वो आज दुविधा में है। हालांकि उसके कुछ नेता ज़रूर सच बोलने की कोशश कर रहे हैं, पर कमोबेश पार्टी खमोश है। कांग्रेस को श्रेय इस सिर्फ इस बात का नही जाता है कि उसके प्रधानमंत्री ने शाहबानो के मामले के काउन्टर में बहुसंख्यको का ध्रुवीकरण करने के लिए मस्जिद के ताले खुलवाये, बल्कि 1989 और 1991 के अपने इलेक्शन मेनोफेस्टो में लिखा था कि उसकी सरकार आयी तो मस्जिद तोड़ कर मंदिर बनवाएगी।
1991 में सरकार आने के बाद कांग्रेस ने अपना वादा 1992 में पूरा कर लिया था, विवादित स्थल पर सिर्फ इमारत बननी थी जो अब बन रही है।
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