BJP से चुनाव लड़ने का ऑफर मिला था: चन्द्र शेखर
सहारनपुर: सहारनपुर में चार साल पहले गठित हुई "भीम आर्मी" की चर्चा इन दिनों अंतराष्ट्रीय स्तर पर हो रही है. सियासी हलकों में भी भीम आर्मी सुर्खियों में है। भीम आर्मी प्रमुख चन्द्र शेखर रावण सहारनपुर हिंसा के बाद 15 माह की जेलकाट कर गुरुवार देर रात में रिहा हो गये। रिहाई के बाद हिन्दुस्तान से हुई विशेष वार्ता में चन्द्रशेखर आजाद उर्फ रावण ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के डर से उनकी समय से पहले रिहाई करायी है।
भाजपा समय से पहले इस रिहाई पर हमदर्दी बटोरने का जो काम कर रही है वह सिर्फ ढकोसला है। जेल से रिहा होने के बाद चन्द्र शेखर ने एक के बाद एक कई खुलासे किये हैं। उन्होंने दावा करते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी की की तरफ से उन्हें कैराना उपचुनाव में पेशकश की गई थी कि वह चुनाव लड़ें तो उन पर लगी रासुका हटा दी जाएगी। यब पूछने पर कि किसने यह पेशकश की थी, उन्होंने जवाब दिया कि याद करके बताऊंगा।
उन्होंने वार्ता के दौरान भाजपा को दोहरे चरित्र वाली पार्टी बताते हुए कहा कि भाजपा समाज को बांटने का काम कर रही है। कैराना चुनाव के समय आप चुप क्यों रहे सवाल के जवाब में उनका कहना था कि चूंकि मायावती हमारी बुआ चुप थी, इसलिए हम भी चुप थे, हम गठबंधन को मजबूत करेंगे और सभी को एकजुट करेंगे।
कैराना उपचुनाव के दौरान भाजपा के विधायकों, सांसदों और मंत्रियों ने यहां पर डेरा डाले रखा, लेकिन एक अकेला चन्द्रशेखर उन पर भारी प़ड़ा। रावण ने स्वीकार किया कि भाजपा से अकेले किसी भी पार्टी का जीतना मुश्किल है।
रावण का कहना था कि हमारे साथियों पर जुल्म किए गये उन पर रासुका लगायी गई। अब उनकी लड़ाई को लड़ने के काम को आगे बढ़ाऊंगा, जेल से रिहाई का यह फायदा होगा कि अपने रुके हुए कामों को पूरा करूंगा और सभी को एकजुट करूंगा।
भीम आर्मी प्रमुख ने दो अप्रैल को हुए दलित आंदोलन को लेकर सरकार से तीखे सवाल किए। पहला सवाल था कि दो अप्रैल का आंदोलन उचित था या नहीं, इस पर विस्तार से बात करते हुए रावण ने सवाल उठाया कि आंदोलनकारी अगर हिंसा करते तो दूसरे पक्ष के लोग मरते, फिर क्या कारण रहे मरने वाले सिर्फ आंदोलनकारी ही थे।
यदि यह आंदोलन उचित नहीं था तो भाजपा ने बाद में एक्ट में संशोधन क्यों किया। इसका सारा ठीकरा सरकार पर फोड़ते हुए उन्होंने कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट में केस चल रहा था तो सरकार ने ढुलमुल जवाब दिया, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय सुनाया। अगर सरकार की नीयत साफ होती तो मुकदमें में यह फैसला आता ही नहीं। 2019 में चुनाव लड़ने के संबंध में पूछे गये सवाल पर उन्होंने कहा कि अभी वह चुनाव नहीं लड़ेंगे, भविष्य में क्या होगा, कोई नहीं जानता।
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