एनडीए-भाजपा के 96 दिन: – दमन, अत्याचार और अराजकता
मनीष तिवारी ने कहा कि एनडीए-भाजपा की दूसरी बार सरकार बने आज 96 दिन हुए हैं और अगर तीन शब्द इन 96 दिनों की कहानी बयां कर सकते हैं, तो वो तीन शब्द हैं – दमन, अत्याचार और अराजकता। पिछले 96 दिनों के प्रशासन की कहानी तीन शब्दों में छुपी है और वो शब्द हैं - दमन, अत्याचार और अराजकता।
आज भारत की अर्थव्यवस्था का जो वृद्धि दर है वो सिर्फ 5 प्रतिशत पर नहीं पहुंचा है, आज जो सबसे गंभीर समस्या भारत की अर्थव्यवस्था में उत्पन्न हुई है, वो ये है कि जिस बुनियाद के ऊपर भारत की अर्थव्यवस्था खड़ी है, आज वो बुनियाद खतरे में है।
प्रधानमंत्री और गृहमंत्री कहते हैं कि भारत की अर्थव्यवस्था की बुनियाद मजबूत है, the fundamentals of the economy are strong, पर आज वास्तविकता ये है कि उस बुनियाद को ही एक बहुत बड़ी चुनौती है और उस पर एक बहुत बड़ा खतरा है। उसका कारण ये है कि जब आप भारत की अर्थव्यवस्था की बुनियाद की बात करते हैं, तो वो बुनियाद क्या है - भारत चीन की तरह सरकारी अर्थव्यवस्था नहीं है, चाहे भारत का कृषि क्षेत्र ले लीजिए, चाहे भारत का औद्योगिक क्षेत्र ले लीजिए, चाहे आप सर्विस सेक्टर को संज्ञान में ले लीजिए। आज जो निजी निवेशक है, आज निजी निवेशक को भारत सरकार की नीतियों पर बिल्कुल कोई भरोसा नहीं रहा। इसलिए सरकारी निवेश को छोड़कर और सरकारी एक्सपेंडिचर को छोड़कर भारत की अर्थव्यवस्था में कोई इकोनॉमी एक्टिविटी नहीं हो रही है।
पिछले 5 वर्ष से जो कृषि का क्षेत्र है, वो एक बहुत बड़े संकट के दौर से गुजर रहा है। भारत के किसान की जेब में पैसा नहीं है और यही कारण है कि बुनियादी चीजों के ऊपर भी, खान-पान की बुनियादी चीजों के ऊपर भी आज खर्च रोज घटता जा रहा है। औद्योगिक क्षेत्रों की बात कर लीजिए, कई बार इस मंच से उसका जिक्र किया गया है, पर भारत की जो कोर इंडस्ट्री है वो सिर्फ 2.1 प्रतिशत से बढ़ रही है।
सरकार ने पिछले 5 वर्ष में ‘मुद्रा स्कीम’ का बहुत ढिंढोरा पीटा है, अब कुछ तथ्य जो सार्वजनिक हुए हैं, उससे एक चीज साफ प्रमाणित होती है कि ‘मुद्रा’ की जो नीति थी, या नीति है, ये एक बहुत बड़ा फेलियर है। ‘मुद्रा’ की नीति पूरी तरह से असफल रही है और यही कारण है कि जो ऋण दिए गए हैं, उनमें से 10 प्रतिशत ही ऋण नए रोजगार को पैदा करने में सक्षम रहे हैं। ‘मुद्रा स्कीम’के तहत 90 प्रतिशत जो ऋण दिए गए हैं, उससे रोजगार पैदा नहीं हुए हैं।
कश्मीर की परिस्थिति आपके सामने हैं, एक महीने से अघोषित आपातकाल से भी खराब परिस्थिति कश्मीर में है। जम्मू-कश्मीर बिल्कुल फूटने की कगार पर खड़ा है और सरकार को कोई अंदेशा नहीं है कि जो उन्होंने नीति अख्तियार की है, उसका कितना नकारात्मक परिणाम आगे आने वाले दिनों में हमें देखने को मिलेगा। वही परिस्थितियाँ असम की है, NRC के ड्राफ्ट के बाद 19 लाख लोगों से ज्यादा स्टेटलैस करार हो गए हैं। आप उसके ऊपर किसी भी शब्दावली का इस्तेमाल कर लीजिए, जो बुनियादी तथ्य ये है वो ये है कि NRC के दूसरे ड्राफ्ट के बाद 19 लाख लोग स्टेटलैस हो गए हैं। अब जो भी कानूनी प्रक्रिया बची है, उसके बाद अगर ये आंकड़ा 50 प्रतिशत से भी कम हो जाए तो क्या भारत सरकार के पास कोई नीति है कि उन लोगों का क्या करना है, जिनको इस प्रक्रिया के बाद भारतीय नागरिक नहीं माना जाएगा?
यही कारण है कि इस कुशासन से लोगों का ध्यान हटाने के लिए विपक्ष के नेताओं के ऊपर, कांग्रेस के नेताओं के ऊपर निरंतर और लगातार प्रहार, अत्याचार और दमन किया जा रहा है। डीके शिवकुमार की जी को गिरफ्तारी हुई है, ये इसी प्रक्रिया की एक कड़ी है। डीके शिवकुमार जी का सिर्फ एक जुर्म था, वो ये कि जब गुजरात में राज्यसभा के चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने असंवैधानिक, अलोकतांत्रिक तरीके से जो कांग्रेस के विधायक हैं, उनको दबाने की कोशिश की तो डीके शिवकुमार जी ने उनको कर्नाटक में पनाह दी, डीके शिवकुमार जी का और कोई गुनाह नहीं है। ये इस बात से प्रमाणित होता है कि 5 साल से अब एनडीए-भाजपा सरकार ये दमन और द्वेष की नीति को क्रियांवित करती रही है। आज तक किसी अदालत ने किसी विपक्ष के नेता को गुनहगार नहीं ठहराया है। अंग्रेजी में कहते हैं कि persecution or prosecution में फर्क होता है। सरकार की एजेंसियों का दुरुपयोग करके आप persecution तो कर सकते हैं, पर क्योंकि आपके पास ठोस प्रमाण नहीं है तो आपका या आपके जो मुकदमें हैं, वो अदालतों में खड़े नहीं हो पाते।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस इस दमन से डरने वाली नहीं है। हमारा बड़ा लंबा इतिहास है, हमने दमन और अत्याचार का पहले भी सामना किया है और भारत के लोकतंत्र को मजबूत रखने के लिए जो एक रचनात्मक विपक्ष की भूमिका है, उसको निभाते हुए हम सरकार की जो खामियां हैं, उसको उजागर करते रहेंगे और लोगों को इस सरकार के जो नकारात्मक मंसूबे हैं, उनके बारे में हम आगाह करते रहेंगे।
जम्मू-कश्मीर से संबंधित एक प्रश्न के उत्तर में श्री तिवारी ने कहा कि ये बहुत ही एक अद्भुत संवाद पिछले पांच साल से इस देश में प्रस्तुत किया गया है और वो संवाद ये है कि अगर आप सरकार की नीतियों के बारे मे सवाल उठाओ, तो आप देश विरोधी हैं। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को किसी से प्रमाण पत्र नहीं चाहिए कि राष्ट्रवाद और राष्ट्रवादी होना क्या है। गलत चीज को गलत चीज कहना एक लोकतंत्र में हर नागरिक का, हर जिम्मेवार राजनैतिक दल का उत्तरदायित्व बनता है और ये जो बिल्कुल ही हास्यास्पद संवाद है कि अगर आप हमारे ऊपर सवाल उठाएं तो आप राष्ट्रविरोधी हैं, इस तरह की सोच राष्ट्र को कमजोर करती है, राष्ट्र को मजबूत नहीं करती है।
अगर सरकार को अपने ऊपर इतना ही भरोसा होता तो विपक्ष के नेताओं को श्रीनगर के हवाई अड्डे के ऊपर डिटेन करने की क्या जरुरत थी? जिन लोगों ने और जिन राजनैतिक दलों ने पिछले 70 साल से भारत का झंडा जम्मू-कश्मीर में उठाया है, उनको हिरासत में रखने की क्या जरुरत थी? तो अगर आपकी नीतियों के ऊपर आपको इतना ही भरोसा है और आपको लगता है कि आपने देश हित में सही काम किया है तो फिर इतने लोगों को हिरासत में लेने की क्या जरुरत है, वहाँ पर स्कूल बंद करने की क्या जरुरत है,महाविद्यालय, विश्वविद्यालय बंद करने की क्या जरुरत है, इंटरनेट बंद करने की क्या जरुरत है, संचार सेवाएं बंद करने की क्या जरुरत है? क्योंकि वास्तविकता ये है कि एक बहुत गलत कदम उठाया गया है, जिसके बहुत नकारात्मक दूरगामी परिणाम होने वाले हैं।
भाजपा नेता श्री मुरली मनोहर जोशी द्वारा दिए बयान कि देश में ऐसे नेताओं की आवश्यकता है जो प्रधानमंत्री से निडर होकर सवाल पूछ सकें, श्री तिवारी ने कहा कि श्री मुरली मनोहर जोशी भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष रहे हैं और हम ये उम्मीद करते हैं कि वो निडर होकर प्रधानमंत्री जी से सवाल पूछेंगे।
उत्तर प्रदेश में एक पत्रकार के द्वारा मिड डे मील के घोटाले को उजागर करने पर उन्हें प्रताड़ित करने से संबंधित एक अन्य प्रश्न के उत्तर में श्री तिवारी ने कहा कि हमारे देखने से ज्यादा मीडिया को इसके ऊपर गौर करने की जरुरत है, क्योंकि बहुत ही अजीब परिस्थिति है। देश के हितों की रक्षा तो मीडिया क्या करेगा, अपने हितों की रक्षा नहीं कर पा रहा है। मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ कि जिन पत्रकार महोदय ने उत्तर प्रदेश में मिड डे मील में जो घोटाला हो रहा है, बच्चों को नमक खिलाया जा रहा है, उसको जब उजागर किया और उसके बाद उनके ऊपर कार्यवाही की गई तो एडिटर्स गिल्ड की तरफ से एक औपचारिक बयान के अलावा मीडिया में कोई हरकत दिखाई नहीं दी गई। थोड़ा सा लोगों को इस बात को संज्ञान में लेने की जरुरत है कि वो पत्रकार क्यों बने हैं!
हरियाणा में चुनाव संबंधित समितियां बनाए जाने संबंधित एक अन्य प्रश्न के उत्तर में श्री तिवारी ने कहा कि महाराष्ट्र और झारखंड जहाँ पर चुनाव होने वाले हैं, वहाँ पर जो भी फैसले जरुरी थे वो ले लिए गए हैं और हरियाणा में भी फैसला ले लिया जाएगा, बाकी जो निर्णय हैं, जिनका जिक्र पत्रकार साथी ने किया था वो कांग्रेस अध्यक्ष के अधिकार क्षेत्र में है।
केन्द्र सरकार द्वारा यातायात नियमों के उल्लंघन पर जुर्मानों में भारी बढ़ोतरी और एक 15,000 के दुपहिया वाहन पर 23,000 रुपए जुर्माना होने के बारे में पूछे एक अन्य प्रश्न के उत्तर में श्री तिवारी ने कहा कि जब संसद में इस विधेयक के ऊपर बात हो रही थी तो विपक्ष की तरफ से बहुत ही जोर से बात रखी गई थी कि जिस तरह के आप फाइन्स और जिस तरह की पनिशमेंट आप इंपोज करने जा रहे हैं, इसके ऊपर दोबारा विचार करने की जरुरत है, पर सरकार की तरफ से तब ये दलील दी गई कि इस देश में अनुशासन लाने के लिए, डिसिप्लिन लाने के लिए ये कठोर कदम जरुरी है। कानून लागू किया गया है और लोगों का जो रोष है वो सरकार को दिखाई दे रहा है और अगर सरकार संवेदनशील होगी तो उस पर जरुर पुनर्विचार करेगी।
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