नई दिल्ली, 17 अगस्त। दिल्ली हाईकोर्ट ने यूपी के कानपुर की एक महिला के पेट से ट्यूमर निकालने के लिए आपरेशन करने से मना करने पर एम्स को नोटिस जारी किया है। हाईकोर्ट ने एम्स से 4 दिन के अंदर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट ने एम्स से पूछा है कि गंभीर मरीजों की सर्जरी करने से क्यों रोका गया है। इस मामले पर अगली सुनवाई 21 अगस्त को होगी।
कानपुर की 37 वर्षीया महिला गुलशन फारुकी की ओर से वकील अशोक अग्रवाल ने याचिका दायर की है। महिला के गर्भाशय में ट्यूमर और खून की कमी की बीमारी है। महिला का इलाज पिछले 31 जुलाई से 6 अगस्त तक कानपुर के नेवा केयर अस्पताल में चला। नेवा केयर अस्पताल ने गुलशन की दिल्ली के एम्स में इलाज कराने की सलाह दी। गुलशन 8 अगस्त को कानपुर से दिल्ली आई और उसी दिन एम्स के इमरजेंसी में पहुंची। इलाज के लिए बार-बार गुहार लगाने के बावजूद एम्स ने गुलशन का सर्जरी करने से मना कर दिया।
गुलशन ने एम्स में इलाज की उम्मीद पर दिल्ली में ही रहना बेहतर समझा। वह 8 अगस्त को सीताराम भरतिया अस्पताल में भर्ती हो गई। वहां उसका ईडब्ल्युएस कैटेगरी में इलाज चल रहा है। भरतिया अस्पताल ने गुलशन को हाईअर टर्शियरी केयर सेंटर में इलाज कराने की सलाह दी जो केवल एम्स में है। ऐसी स्थिति में अगर एम्स अस्पताल इलाज नहीं करता है तो गुलशन की मौत हो सकती है। याचिका में कहा गया है कि गुलशन काफी गरीब है और वह निजी अस्पताल का खर्च वहन करने की स्थिति में नहीं है। दिल्ली का कोई दूसरा सरकारी अस्पताल भी गुलशन का इलाज करने को तैयार नहीं है। याचिकाकर्ता के पास एम्स अस्पताल में इलाज के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं है। गुलशन ने 8 अगस्त के बाद अपने इलाज के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के दफ्तर से भी गुहार लगा चुकी है। लेकिन उसका कोई लाभ नहीं हुआ।
याचिका में कहा गया है कि देश भर के हजारों मरीज अपनी गंभीर बीमारियों का इलाज कराने के लिए एम्स में आते हैं। ऐसे में अगर उन्हें ये कहा जाए कि वो सर्जरी नहीं करेगा तो ये मरीज कहां जाएंगे। याचिका में कहा गया है कि एम्स का सर्जरी नहीं करने का फैसला मनमाना और अमानवीय है। सर्जरी के लिए एम्स की ओर से इनकार करना न्यायसंगत नहीं है।
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