आखिर क्या चाहते हैं शाहीन बाग़ के प्रदर्शनकारी जिन को आरिफ मोहम्मद खान ने आतंकवादी तक कह दिया है
व्हाइट हाउस ने भी इस बात को कंफर्म कर दिया है कि अमेरिका के राष्ट्रपति भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने धार्मिक स्वतंत्रता का मुद्दा उठाएंगे। साथ ही मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अमेरिकी राष्ट्रपति CAA और NRC जैसे मुद्दों पर भी भारत के प्रधानमंत्री से बात करेंगे। इसके बाद यह स्पष्ट हो जाता है कि एनपीआर NRC CAA की गूँज भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में है। चाहे वह यूरोपियन यूनियन हो या फिर अमेरिका, खाड़ी के देश हो या फिर दुनिया के और दूसरे कोने। UN समेत ब्रिटिश सांसद भी इस मुद्दे को उठा चुके हैं और उन्हों ने इस पर अपनी राय रखी है।
डोनाल्ड ट्रंप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगे नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) का मुद्दा भी उठाएंगे। इसके साथ ही धार्मिक स्वतंत्रता पर भी ट्रंप पीएम मोदी के साथ बात करेंगे। व्हाइट हाउस ने कहा कि अमेरिका भारत की लोकतांत्रिक परंपराओं और संस्थानों का बहुत सम्मान करता है। भारत दौरे से पहले अमेरिकी प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अपने भारत दौरे पर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ धार्मिक स्वतंत्रता के मुद्दे पर भी बात करेंगे, जो अमेरिकी प्रशासन के लिए बेहद अहम है। अधिकारी ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) पर अमेरिका चिंतित है। ट्रंप अपनी यात्रा के दौरान धार्मिक स्वतंत्रता के साथ ही सीएए और एनआरसी का मुद्दा भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगे उठाएंगे।
अमेरिकी प्रशासन के मुताबिक राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बैठक में बताएंगे कि दुनिया यह देख रही है कि भारत अपनी लोकतांत्रिक मान्यताओं में आगे बढ़ रहा है। अधिकारी का कहना है कि डोनाल्ड ट्रंप पीएम मोदी के साथ बातचीत में साझा लोकतंत्र, व्यक्तिगत और सार्वजनिक स्वतंत्रता की भी बात करेंगे।
इस बीच शाहीन बाग धरने की गूंज भी पूरी दुनिया में सुनाई दे रही है। आप इससे सहमत भी हो सकते हैं और असहमत भी हो सकते हैं, क्योंकि भारत के लोकतंत्र की खूबी भी यही है कि आप अपनी सहमति और असहमति दोनों जता सकते हैं, लेकिन उसके लिए हमारे संविधान में सीमाएं तय की गयी हैं.
इस बीच अहम सवाल यह है कि पिछले 70 दिनों से अपने घर बार और दूसरी चीजों को छोड़ करके सड़क पर बैठे शाहीन बाग के प्रदर्शनकारी चाहते क्या हैं, जिनको 500 रुपये या बिरयानी पर बिकने वाला कहा गया या उनको बदनाम किया गया और भारत सरकार के मंत्रियों की ओर से तो यहां तक कह दिया गया कि वह बात करने के लायक ही नहीं हैं. ऐसे में यह समझना जरूरी हो जाता है कि शाहीन बाग के प्रदर्शनकारी क्या चाहते हैं और उनकी मंशा क्या है? उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के द्वारा वार्ताकारों से क्या बात की है और उनके सामने क्या मुद्दे रखे हैं?
-प्रदर्शनकारी सुरक्षा चाहते हैं और वे चाहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट भी इस पर एक आदेश जारी करे।
-प्रदर्शनकारी चाहते हैं कि शाहीन बाग और जामिया के लोगों के खिलाफ मुकदमे वापस लिए जाएं।
-शाहीन बाग में एक दादी ने कहा कि जब CAA वापस लेंगे तो रोड खाली होगा नहीं तो नहीं होगा।
-एक दूसरी महिला ने कहा कि अगर आधी सड़क खुलती है तो सुरक्षा और अलुमिनियम शीट चाहिए।
-प्रदर्शनकारियों की सुरक्षा की पुलिस नहीं बल्कि सुप्रीम कोर्ट जिम्मेदारी ले।
-*स्मृति ईरानी* ने हम (प्रदर्शनकारी महिलाएं) पर टिप्पणी की कि 'शाहीन बाग की महिलाएं बातचीत के लायक नहीं हैं'
-जिन लोगों ने शाहीन बाग के खिलाफ गलत बोला है उनके खिलाफ कार्यवाही हो।
साधना रामचंद्रन ने प्रदर्शनकारियों से कहा कि कल (शुक्रवार को) हमने सड़क के बारे बात की थी। कल हमने आधी रोड की बात की, आपने सुरक्षा की बात की। मैंने ये नहीं कहा कि शाहीन बाग से चले जाएं। वहीं प्रदर्शनकारियों ने कहा कि अगर हमें लिखित में सुरक्षा का आश्वासन नहीं मिलता तो बात खत्म। इस रामचंद्रन ने कहा कि क्या आप चाहते हैं, हम खुश होंगे? शाहीन बाग में एक खूबसूरत जगह खोजें, एक खूबसूरत बाग बने और वहां प्रोटेस्ट हो। क्या आपको ये आइडिया पसंद है? इस पर सारी महिलाओं ने साफ मना कर दिया।
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