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अहमद पटेल के निधन के बाद बहुत सारे लोग उनके साथ अपनी यादों को साझा कर रहे हैं. सभी धर्म और समुदाय के लोगों का यही कहना है कि अहमद पटेल जैसा कोई नहीं था. वह कांग्रेस पार्टी के सबसे बड़े संकटमोचक थे. उनके जाने के बाद कांग्रेस पार्टी बड़ी मुसीबत में फंस सकती है, लेकिन बात 2010 के आस पास की है. उस वक्त अहमद पटेल गांधी परिवार के बाद सबसे पावरफुल नेता थे. गांधी परिवार के बाद देश की सत्ता में अगर सबसे ताकतवर कोई था तो सिर्फ और सिर्फ और सिर्फ अहमद पटेल थे.
2010 में मैं हमारा समाज में एक पत्रकार के तौर पर अपनी सेवाएं दे रहा था. उस वक्त किसी काम से लोकसभा के डिप्टी अपोजिशन लीडर गोपीनाथ मुंडे से मिलने के लिए मेरा जाना हुआ. मेरे कई पत्रकार दोस्तों का यह मानना था कि गोपीनाथ मुंडे से मेरे रिश्ते काफी अच्छे हैं और वह मुझसे काफी मोहब्बत करते हैं. विपक्ष में गोपीनाथ मुंडे देश के सबसे पावरफुल लोगों में से एक थे वहीं सत्ता पक्ष में अहमद पटेल गांधी परिवार के बाद सबसे पावरफुल थे.
मुंडे साहब से मिलने के बाद जैसे ही मैंने देखा कि अहमद पटेल पार्लियामेंट के गेट से बाहर निकल कर अपनी गाड़ी की ओर बढ़ रहे हैं, मैंने मुंडे साहब से अनुमति ली और अहमद पटेल साहब की तरफ बढ़ा. अहमद पटेल साहब अपनी गाड़ी अंबेसड के पास पहुंच चुके थे. दरवाजा खुद ही खोलने वाले थे - आप इससे अंदाजा लगा सकते हैं कि वह कितने शालीन कितने सभ्य और कितने सादा मिजाज थे कि गांधी परिवार के बाद सबसे ताकतवर थे लेकिन फिर भी अपनी गाड़ी का दरवाजा खुद ही खोलते थे. कोई सिक्योरिटी नहीं, कोई तामझाम नहीं. बहुत सादा बहुत सीधे साधे इंसान थे और सादगी को पसंद करते थे- इससे पहले कि अहमद पटेल अपनी गाड़ी का दरवाजा खोलते मैं उनके पास पहुंचा.
मैंने उनसे सवाल किया कि क्या आप अहमद पटेल हैं? थोड़ी देर के लिए वह चौंके जरूर, लेकिन फिर उन्होंने खुद को संभालते हुए कहा जी मैं अहमद पटेल ही हूं. मैं कहा मैं भी अहमद हूं!!! मुस्कुराये, अपना हाथ मेरी ओर खुद बढ़ाया. बोले मुबारक हो आप मेरे हम नाम है. बताइए आपको क्या काम है मुस्कुराते हुए सवाल किया? मैंने कहा नहीं सर मैंने बहुत आपका नाम सुना है. पत्रकारिता में आए हुए अभी कुछ ही साल हुए हैं. बड़ी तारीफ़ सुनी है आप की. आपको देखने और आपसे मिलने की ख़ाहिश थी!!!
अगर मैंने कोई गलत सवाल किया हो या कोई आपकी शान में गुस्ताखी की हो तो उसके लिए क्षमा का प्रार्थी हूं. पटेल साहब मुस्कुरा कर जवाब दिए, नहीं!!! उन्होंने मेरे सर पर शफ़क़त का हाथ फेरा और बड़ी बात यह है कि उस वक्त लगभग 10 से 15 मिनट तक एक हाथ से गाड़ी का दरवाजा पकड़े और दूसरा हाथ मेरे बदन पर रखे बात करते रहे.
उन्होंने मुझे खुद अपने घर का नंबर दिया. मुझे घर आने की दावत दी. बोले आप जरूर मुझसे मेरे घर आकर के मिलिए. यह और बात है कि मैं अहमद पटेल साहब के घर पर उन से अपॉइंटमेंट लेकर कभी मिलने नहीं गया. हां एक दो बार किसी काम से जाना हुआ, लेकिन किसी के साथ गया और उस समय भी अहमद पटेल साहब से मुलाकात नहीं हुई और ना ही मिलने की कोई ख़ाहिश थी.
हां!!! एक बार मेरे ही किसी काम से 2019 में मुशावरत के अध्यक्ष नावेद हामिद साहब उनके घर गए थे. वह पहले पहुंच गए और मैं बाद में पहुंचा. उस वक़्त तक मेरा काम हो चुका था और नावेद हामिद साहब करवा चुके थे. उस वक़्त भी अहमद पटेल साहब से मुलाक़ात नहीं हुयी थी. सिर्फ उनके घर के अंदर तक दाखिल हुआ था.
अहमद पटेल के साथ 10:15 मिनट की जो बात हुई उसमें मैंने काफी सख्त सवालात किए थे, लेकिन अहमद पटेल साहब ने मुस्कुराकर सबके विनम्रता पूर्वक जवाब दिए और घर पर आमंत्रित किया, कई बार आने की दावत दी. कहा आपके सवाल जायज हैं और वाजिब हैं. उस से किसी को कोई दिक़्क़त नहीं हो सकती, लेकिन कुछ सियासी दिक्कतें और दुश्वारियां होती हैं. क्योंकि आप अभी नौजवान हैं बच्चे हैं इसलिए शायद आप ... लेकिन अहमद पटेल बार-बार कहते रहे कि आप मेरे घर आइए मेरा नंबर लीजिए फोन करके जरूर आइएगा.
मैं कभी नहीं गया. हां!!! ऐसे थे अहमद पटेल, इतने सालीन थे, इतने विनम्र थे, इतने दयालु और कृपालु थे अहमद पटेल कि देश की सत्ता में गांधी परिवार के बाद सबसे पावरफुल होने के बावजूद एक छोटे से पत्रकार से तकरीबन 10 से 15 मिनट तक पार्लियामेंट के लान में खड़े होकर बात करते रहे और सभी सवाल का मुस्कुराकर जवाब दिया उस वक़्त जब उनसे सवाल किया गया हो कि "क्या आप ही अहमद पटेल हैं???
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