BSP नेता अरशद सिद्दीकी का बाबरी मज्सिद मामले में आया अहम बयान वहीं आरएसएस ने...
राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद विवादित मामले में सुप्रीम कोर्ट के संभावित फैसले को लेकर BSP के वरिष्ठ नेता और धौराहरा लोकसभा से पार्टी के सिंबल पर क़िस्मत आजमा चुके पूर्व लोकसभा सांसद इलियास आजमी के पुत्र अरशद आजमी ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि हमें आज भी बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद भड़के फसाद याद हैं, जिन्होंने न सिर्फ देश के भाईचारा और एकता को नुकसान पहुंचाया था बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी काफी चोट पहुंचाया था.
उन्होंने कहा कि फसाद या दंगे चाहे वह किसी समाज की तरफ से हों वह देश हित में नहीं होते हैं. उन्होंने कहा कि देशवासियों की यह जिम्मेदारी है कि वह जो भी फैसला सुप्रीम कोर्ट का आए चाहे वह जिस भी ग्रुप के पक्ष में आए उसे सर्वसम्मति से स्वीकार करें. उन्होंने कहा कि भारत हमेशा से गंगा जमुनी तहजीब का मरकज रहा है. हमने हमेशा सभी लोगों को अपने यहां सम्मान दिया है और एकता में अनेकता ही हमारी विरासत है.
इसलिए हम सब की यह कोशिश होनी चाहिए कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दुनिया के सामने एक मिसाल पेश करें कि किस तरह से हम भारत के लोग मिलजुलकर कर रहते हैं. उन्होंने कहा कि अगर हम लोग मिलजुल कर रहें तो दुश्मन देश चाहे वह कोई भी हो हमें कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकता है. उन्होंने कहा कि किसी देश के लिए विदेशी चैलेंज से ज्यादा अंदरूनी चैलेंजेज खतरनाक होते हैं.
उन्होंने कहा कि अगर अंदरूनी चैलेंजेज़ से हम निकलेंगे और हमारे अंदर एकता शांति और सद्भाव होगा तभी हम दुश्मन देशों को जवाब देने में पूरी तरह सक्षम होंगे. उन्होंने लोगों से अपील की कि लोग किसी भी तरह से सड़क पर ना उतरें और ना ही किसी तरह का उग्र माहौल बनाए, बल्कि सर्वसम्मति के साथ इस फैसले को स्वीकार करें क्योंकि यह फैसला हमारे देश की सबसे बड़ी न्यायालय का फैसला है.
दूसरी ओर अयोध्या मामले पर फैसला आने से पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने बुधवार को सभी पक्ष से आपसी भाईचारे और शांति की अपील की. संघ ने ट्वीट कर कहा, उच्चतम न्यायालय के आने वाले निर्णय का सभी को खुले दिल से स्वागत करना चाहिए. फैसला चाहे जो हो सौहार्द बनाए रखना सभी की जिम्मेदारी है.
संघ नेतृत्व ने भाजपा के शीर्ष नेताओं के साथ राम मंदिर, दो राज्यों के चुनाव नतीजों और अनुच्छेद 370 जैसे मुद्दों पर विचार-विमर्श किया. संघ के प्रचार प्रमुख अरुण कुमार ने बैठक के बारे में ट्वीट कर जानकारी दी. उन्होंने कहा, अयोध्या पर फैसले को सभी को खुले मन से स्वीकार करना चाहिए.
माना जा रहा है कि अदालत का फैसला राम जन्मभूमि के पक्ष में आ सकता है. ऐसे में इसकी प्रतिक्रिया भी हो सकती है. इस बारे में सबसे अहम भूमिका गृह मंत्रालय की रहेगी. संघ का ट्वीट इसी चिंता को लेकर है. बता दें कि 16 अक्तूबर को शीर्ष अदालत की पांच सदस्यीय संविधान पीठ अयोध्या विवाद पर फैसला सुरक्षित रख लिया था. अब देखना यह है कि कोर्ट का फैसला क्या होने वाला है?
विवादित जमीन हिंदुओं को सौंपें: कल्बे सादिक
वरिष्ठ शिया धर्मगुरु और इस्लामी विद्वान मौलाना कल्बे सादिक ने कहा है कि उनकी निजी राय है कि उच्चतम न्यायालय का फैसला आने से पहले मुसलमानों को चाहिए कि वे अयोध्या के विवादित स्थल की जमीन हिन्दुओं को मंदिर निर्माण के लिए सौंप दें।
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