नयी दिल्ली: ओखला विधानसभा से विधायक और दिल्ली वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन अमानतुल्लाह खान ने दिल्ली सरकार के जरिए खुद को हटाए जाने के बाद एक बार फिर चेयरमैन के पद के लिए दावा ठोक दिया है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक अमानतुल्लाह ने कंसर्न डिपार्टमेंट को पत्र लिखकर कहा है कि वह आज भी चेयरमैन हैं और उन्हें उनके पद पर बहाल किया जाए. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक अमानतुल्लाह खान ने कहा है कि वक़्फ़ एक्ट की क्लाज़ 14a के तहत उनको हटाया गया है, क्योंकि 14a में वक्फ बोर्ड के गठन के लिए कहा गया है कि MLA कोटा से 1 सदस्य होना चाहिए. उन्होंने कहा कि उन्हें 14a के तहत हटाया जरूर गया है, लेकिन 11 फरवरी को जब विधानसभा भंग हुई उस वक़्त उन्हें विधायक के लिए प्रमाण पत्र मिल गए थे, ऐसे में वह By डिफॉल्ट वक़्फ़ बोर्ड के मेंबर हो जाते हैं और इस तरह उन का पद पर बने रहना संविधानिक है.
सूत्र बताते हैं कि केजरीवाल सरकार की दलील यह है कि अमानतुल्लाह को दोबारा विधायक चुना गया है ऐसे में जब तक उनको दोबारा बोर्ड का सदस्य चुना नहीं जाता तब तक वह बोर्ड के सदस्य नहीं बन सकते हैं.
सूत्र बताते हैं कि अमानतुल्ला ने अपने पत्र में यह भी कहा है कि वक़्फ़ एक्ट की क्लॉज़ 19 में कहा गया है कि अगर कोई सदस्य / चेयरमैन इस्तीफा दे देता है उसके बाद जब तक नया चेयरमैन या सदस्य नहीं आता है तब तक वह अपने पद पर बना रहेगा, इसलिए चेयरमैन के पद पर कानूनी तौर से वह बने रह सकते हैं, जबकि सरकार का कहना है कि उनको पद से हटाया गया है, ना कि उन्होंने इस्तीफा दिया है, ऐसे में सवाल यह पैदा होता है कि क्या दिल्ली सरकार अमानतुल्लाह खान को हटा कर खुद ही फंस गई है.
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक वक़्फ़ ग्रांट रिलीज़ ना होने के बाद बीते दिनों अमानतुल्लाह की वक़्फ़ मामलों के मंत्री कैलाश गहलोत से तीखी बहस हुई थी, जिसके बाद उसी रोज शाम को उन्हें उनके पद से हटा दिया गया था. सूत्र ये भी बताते हैं कि अमानतुल्लाह खान से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी इस्तीफा देने की बात कही थी, लेकिन उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया जिसके बाद सरकार उनसे नाराज थी.
सूत्रों की माने तो अमानतुल्लाह खान से उनके साथी विधायक भी नाराज बताए जा रहे हैं और उसके पीछे दलील दे रहे हैं कि अमानतुल्लाह खान ने वक़्फ़ रिलीफ की वजह से नॉर्थ ईस्ट दिल्ली को कैप्चर कर लिया है, जिससे उनकी सियासत खत्म होती दिख रही है.
जानकारों का मानना है कि अमानतुल्लाह खान को हटाए जाने के बाद दिल्ली सरकार की छवि काफी धूमिल हुई है और जिस तरह से वह लोगों के लिए रिलीफ का काम कर रहे थे उससे लोगों में उनके लिए सहानुभूति पैदा हुई थी. जानकारों के मुताबिक दिल्ली सरकार पर अब बोर्ड के गठन को लेकर काफी दबाव है और दिल्ली सरकार अपने ऊपर लगे दाग को खत्म करना चाहती है. सूत्र बताते हैं कि दिल्ली सरकार ने पिछली बार मुस्लिम सांसद के कोटे से किसी को नियुक्त नहीं किया था, लेकिन इस बार परवेज़ हाश्मी ने अपना दावा ठोक दिया है, क्योंकि इस वक्त दिल्ली में कोई मुस्लिम सांसद नहीं है, इसलिए पूर्व मुस्लिम सांसद के तौर पर उन्हों ने अपना दावा ठोक दिया है.
जानकारों की माने तो एक आईएएस अधिकारी को भी नियुक्त किया जा सकता है. जानकार बताते हैं कि अगर नए बोर्ड के गठन में अमानतुल्लाह खान को बोर्ड का सदस्य बनाया जाता है तो दिल्ली सरकार की ही एक लॉबी उनके खिलाफ काम कर सकती है और उन्हें हराया जा सकता है. ऐसे में आने वाले दिन अमानतुल्लाह के लिए काफी अहम् होंगे. ज्ञात रहे कि इस वक्त मुतवल्ली कोटे से चौधरी शरीफ शिया कोटे से नईम फातिमा मुस्लिम कोटे से रज़िया और बार काउंसिल के कोटे से हिमाल अख्तर वक्फ बोर्ड के इस तरह कुल 4 सदस्य हैं, जबकि एमएलए कोटा आईएस कोटा और पूर्व सांसद या सांसद का कोटा अभी तक खाली है यानी कुल तीन सीट खली हैं अगर अमानतुल्लाह अपने दावे में नाकाम होते हैं तो, ऐसे में आने वाले दिन वक़्फ़ बोर्ड के गठन के मामले में काफी दिलचस्प होंगे.
कहा यह भी जा रहा है कि केजरीवाल इस लिए भी परेशान हैं कि आने वाले दिनों में दिल्ली से अमानतुल्लाह संसद के लिए दावेदारी ना ठोंक दें, क्योंकि बीजेपी ने जहां सिकंदर बख्त को दिल्ली से लोकसभा का टिकट दिया था वहीँ कांग्रेस ने परवेज़ हाश्मी को राज्यसभा का टिकट दिया था.
इस पूरे मामले में अभी तक अमानतुल्लाह खान के पक्ष का हमें इंतज़ार है. जैसे ही उनकी तरफ से कोई रद्दे अमल आता है हम अपने पाठकों तक पहुंचाने की कोशिश करेंगे. अमानतुल्लाह से सोशल नेटवर्किंग साइट के ज़रिये उनका मत जानने की कोशिश की गई है और हमें उनके मत का इंतज़ार है.
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