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...लेकिन जो हमने देखा वो उसका उलट है। आम आदमी की मुश्किलें बढ़ रही हैं, गोदी

By: वतन समाचार डेस्क
Senior Congress leader Kapil Sibal | Photo Credit: PTI

कपिल सिब्बल ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि सबसे पहले तो We wish to offer our condolences to the family of Ram Jethmalani, who passed away at the age of 95. जेठमलानी साहब हिंदुस्तान के अहम वकीलों में से थे। एक रिफ्यूजी बनकर जब पार्टीशन हुआ था तो वो हिंदुस्तान आए और संघर्ष करके उन्होंने अपनी इस देश में एक पहचान बनाई। 1988 से मेम्बर ऑफ पार्लियामेंट रहे, वायपेयी जी की सरकार में  कानून मंत्री रहे और अर्बन डेवलपमेंट मंत्री रहे और मैं समझता हूँ कि हिंदुस्तान के इतिहास में वो चंद जाने-माने वकीलों में से एक हैं। हम अपनी ओर से, पार्टी की ओर से उनके निधन पर खेद व्यक्त करते हैं and we pray that his soul rests in peace.

अभी सुना है कि जावड़ेकर जी सौ दिनों की उपलब्धियों के- अपनी सरकार के बारे में बात करेंगे तो हमने सोचा कि कुछ हम उनसे सवाल पूछ लें और प्रधानमंत्री जी होते तो जवाब नहीं मिलता तो हमें उम्मीद है कि शायद जावड़ेकर जी जवाब दे दें !

पहली बात तो ये है कि इस लोकसभा चुनाव के बाद- 2019 के चुनाव के बाद जो पूर्ण बहुमत भाजपा को मिला, मैं समझता था कि बहुमत मिलने के बाद उनको एक मौका मिलेगा पहले सौ दिनों में कुछ ऐसे ठोस कदम उठाने का, कि आम आदमी कि जिंदगी में कुछ राहत मिलेगी। लेकिन जो हमने देखा वो उसका उलट है। आम आदमी की मुश्किलें बढ़ रही हैं, गोदी मिडिया और गोदी होता जा रहा है। महिलाओं के खिलाफ अत्याचार होता जा रहा है। शिक्षा और स्वास्थ्य के संदर्भ में कोई स्ट्रेटजी नहीं है। छोटा व्यापारी त्रस्त होता जा रहा है, पॉलिटिकल अपोनेंट्स के खिलाफ वैंडेटा पॉलिटिक्स हो रहा है. ईडी इंकम टैक्स और सीबीआई का दुरुपयोग हो रहा है, अपने लोगों के खिलाफ जहाँ एविडेंस हैं उनका बचाव हो रहा है और विपक्षी लोगों के खिलाफ जहाँ एविडेंस नहीं है, उनके खिलाफ कार्यवाही हो रही है और जो ये वातावरण बन रहा है वो मैं समझता हूँ कि जो भाजपा है they always work against the laws of gravity. क्यों अगर कश्मीर में सामान्य व्यवस्था नहीं है तो कहेंग सब नॉर्मल है, अगर इकॉनमी हमारी 5 प्रतिशत पर पहुँच गई, जीडीपी ग्रोथ नहीं है तो सब ठीक है, कोई प्रॉब्लम ही नहीं है। बैंक एक एनपीएज बढ़ते जा रहे हैं, कहेंगे कोई ऐसी प्रॉब्लम नहीं है हम उसका सुधार कर देंगे और कानून का व्यवस्था अगर खराब होते रहे तो बोलेंगे सब ठीक है तो जो इनको दिखता है, जो हम सबको दिखता है, इनको नहीं दिखता, ये इनकी राजनीति है।

आपको याद होगा कि स्मृति ईरानी जी कहतीं थी कि प्रधानमंत्री जी हमारे सबसे अच्छे इकॉनमिस्ट्स हैं, लिखित में उन्होंने कहा। अब सबसे अच्छे इकॉनमिस्ट्स होते हुए आज हमारी इकॉनमी कहाँ है? अर्थव्यवस्था का क्या हाल है, जरा प्रधानमंत्री जी बताएं, या उनके मंत्री बताएं, जीडीपी आज 5 प्रतिशत क्यों है? रियलिटी क्या है जरा मैं आपके सामने रखना चाहता हूँ जावड़ेकर जी थोड़ा जवाब दे दें - इंडस्ट्री में लगभग साढ़े तीन लाख वर्कर लेडऑफ हो गए नौकरी चली गई, तीन सौ डीलर्शिप ऑटोमोबाईल में बंद हो गई, Auto component maker Sundaram-Clayton Ltd announced that it would shut its Padi factory in Tamil Nadu for two days; Hero MotoCorp also announced the closure of its plants for four days; Bosch Ltd had also announced that it would temporarily stop production for a total of 13 days; Honda Motorcycle & Scooter India reportedly laid off about 700 contract workers; Nissan might cut over 1,700 jobs in India; Mahindra & Mahindra retrenched about 1,500 temporary workers.

पार्ले बिस्कुट, जो आम आदमी खरीदता है, उन्होंने one tenth works lay off  कर दी लोग पार्ले बिस्कुट भी नहीं खरीद पा रहे हैं अब। टैक्सटाईल सैक्टर- ये सबसे बड़ी खबर है कि कॉटन यान जिसका निर्यात होता है उसकी घटौती 34.6 प्रतिशत हुई है, अप्रेल 2018 से, 34.6 प्रतिशत और जॉब लॉस है- तीस मिलियन लोगों का जॉब लॉस हुआ है। one third of the spinning mills are not functioning to full capacity और जो आने वाली कपास की फसल है वो 40 मिलियन बेल्स का, 80 हजार करोड़ की वो फसल है उसको कोई खरीदार नहीं मिल रहा, इसलिए नहीं मिल रहा क्योंकि जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर की जो कपास की कीमत है वो वो कम है और हमारी ज्यादा, तो 80 हजार करोड़ की जो कॉटन बेल्स हैं, 40 million bales worth Rs 80,000 crores, no buyer.

गोल्ड सैक्टर 40 प्रतिशत कम हुआ है, रियल एस्टेट में 4,50,000 अनसोल्ड अपार्टमेंट्स हैं एड 8 मेजर सिटीज, लाखों की तादाद में लोग ले ऑफ हो गए हैं। अनएंप्लॉयमेंट रेट अब 8.2 प्रतिशत पहुँच गया है और रुपया आपको मालूम है कहाँ पहुँच रहा है प्रधानमंत्री जी कहते थे कि जब रुपए की गिरावट होती है तो प्रधानमंत्री की प्रेस्टीज की भी गिरावट होती है, तो मैं पूछना चाहता हूँ कि क्या मोदी जी की प्रेस्टीज की गिरावट हुई है? और अब भी नहीं मानते कि खास वजह इस गिरावट की वो नोटबंदी है, 8 नवंबर का फैसला है। प्रधानमंत्री जी कहते थे, भाईयो और बहनों, मुझे 50 दिन दो, केवल 50 दिन दो, अगर सामान्य स्थिति नहीं हुई तो मुझे किसी भी चौराहे पर खड़ा करके जो आप सजा देना चाहते हो, दो। हम सजा नहीं देना चाहते क्योंकि आपको सजा देने से क्या फायदा हम तो यही उम्मीद करते हैं कि जो सजा आप हिंदुस्तान की जनता को दे रहे हो उनकी जिंदगी में कुछ राहत ले आओ, हमारे लिए वही काफी है।

यही मैं लॉ ऑफ ग्रेविटी की बात कर रहा था कि जो हो रहा है, उसके उलट ये बोलते हैं। नोटबंदी एक ऐसा फैसला था लेकिन आज भी कहेंगे और आज की स्थिति क्या है कि 21 लाख करोड़ कैश आज मार्केट में है, नोटबंदी के वक्त केवल 18 लाख करोड़ था। कैश तो बढ़ गया, करप्शन बढ़ गया, फेक नोट जारी हैं, तो बदलाव क्या हुआ? फिर इनके घमंड की राजनीति, पिछले सौ दिनों में मैं देख रहा हूँ जो इन्होंने घमंड की राजनीति की है उसका कोई मुकाबला नहीं है। 39 बिल इन्होंने इंट्रोड्यूस किए पार्लियामेंट में 28 को पारित कर दिया बिना सिलेक्ट कमेटी को भेजे, बिना स्टैंडिंग कमेटी को भेजे, ये एरोगेंस है। बिल लाते हैं 370 का, हमें पता नहीं चलता, बहस शुरु हो जाती है बिल बाद में आता है, ये घमंड है।

ट्रिपल तलाक में सिलेक्ट कमेटी या स्टैंडिंग कमेटी को नहीं भेजते। राइट टू इंफोर्मेशन एक्ट के, जो बड़ी मुश्किल से हमने लोगों को हक दिए थे, उसका खात्मा कर रहे हैं ये और आज भी खुश नहीं हैं कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से इनको 1 लाख 76 हजार करोड़ रुपया मिला, बोला ज्यादा मिलना चाहिए था। हालांकि आपको याद होगा कि उर्जित पटेल साहब ने इस बारे में, इस मुद्दे पर त्यागपत्र दे दिया, श्री रघुराम राजन ने इसका विरोध किया और इनका हर जो रिएक्शन होता है ये नी-जर्क होता है ये भी इनकी ऐरोगेंस है।

कहते हैं कि हम बैंक के मर्जर कर देंगे। अभी वाई वी रेड्डी साहब, जो रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर थे, उन्होंने खुद कहा है कि इससे क्या होने वाला है, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जब भी मर्जर हुए, आधे बैंक तो तबाह हो गए, फेलियर हो गए और 2-3-4 साल तो लगेंगे ये ब्यूरोक्रेट मुद्दों पर कि किसकी सीनियोरिटी कहाँ पर करे, कैसे उसका मर्जर हो, कैसे उसका सक्सेस हुआ जाए, 2-3 साल तो उसी में लग जाएंगे। यही बात सुब्बाराव साहब ने कही, जो भी एक्स गवर्नर है कि मर्जर से कुछ नहीं होने वाला लेकिन ये एक धमाका, इनकी धमाके की राजनीति है ! धमाका करो फिर कहो सब ठीक हो जाएग जब नहीं होगा तो फिर एक और धमाका कर दो, जब वो नहीं होगा तो चौथा धमाका कर दो, मीडिया तो है ही आपके साथ।

इनकी वैंडेटा पॉलिटिक्स, मैं पूछना चाहता हूँ इनसे की आपने कुलदीप सेंगर का क्यों साथ दिया, क्यों उसका बचाया? ये तो अदालत की वजह से आज उनके खिलाफ कार्यवाही हो रही है लेकिन बीजेपी ने तो कोई कसर नहीं छोड़ी थी। मुकुल रॉय को शारदा स्कैम में क्यों बचा रहे हैं ये? क्यों नहीं उनके खिलाफ कार्यवाही करते, उनका भी तो नाम है न। रमेश पोखरियाल 'निशंक जो लैंड एंड हाईड्रोइलैक्ट्रिक प्रोजेक्ट में उनके खिलाफ कई सबूत हैं, उनके खिलाफ कार्यवाही क्यों शुरु नहीं की, उनको तो इन्होंने मंत्री बना दिया। बाबुल सुप्रियो के खिलाफ क्यों नहीं कार्यवाही करते? येदियुरप्पा साहब आपको मालूम है वो तो चीफ मिनिस्टर बन गए, जो इनके लोग हैं वो पाक-साफ हैं, उनके खिलाफ एविडेंस भी हो तो कुछ नहीं होने वाला इसलिए तो बिरला, सहारा डायरेजी जिनके बड़े-बड़े नाम हैं कुछ नहीं हुआ और ये पूछना चाहता हूँ मैं आज, जावड़ेकर साहब से कि ये बता दीजिए कि बेलारी ब्रदर्स के पैसे गए कहाँ, किसको पहुँचे, किसने इस्तेमाल किया? और व्यापक स्कैम पर जो लिड आपने लगा रखा था इतने साल से, क्यों किया? लेकिन जहाँ इनको विपक्ष के नेता दिखते हैं, बिना एविडेंस के कार्यवाही शुरु कर देते हैं और हम तो रोज के रोज देखते हैं, रोज खबर मिलती है, तो ये भेदभाव की राजनीति ये 100 दिनों की इनकी बड़ी भारी उपलब्धि है।

आज मुझे बड़ा अचम्भा हुआ और मैं इस बात पर जावड़ेकर साहब से सवाल पूछना चाहता हूँ, हेड लाइन न्यूज है, इंडियन एक्सप्रेस की, “Easing of curbs in J&K depends on Pakistan’s behavior”, मुझे समझ नहीं आया इस बयान का मतलब क्या है? मतलब कि अगर पाकिस्तान टेरर एक्टिविटी चालू रखेगा तो आप अपने नागरिकों के हाल में कोई सुधार नहीं लाने वाले, उनको आप क्यों पीनलाइज कर रहे हो? अरे हमे मालूम है पाकिस्तान तो चालू रखेगा, पाकिस्तान कभी हटेगा पीछे? तो इसका मतलब जब तक वो साथ देगा टेररिस्ट का तब तक Easing of curbs नहीं होता तब तक टेलिकम्यूनिकेशन नॉर्मल नहीं होगा, इंटरनेट नॉर्मल नहीं होगा, गिरफ्तारी होती जाएंगी, तब तक मंडियाँ नहीं खुलेंगी, तब तक जो सेब के बाग हैं वो नहीं बिकेंगे, तब तक ट्रांस्पोर्ट नहीं चलेगा, तब तक लोगों को राशन नहीं मिलेगा क्योंकि पाकिस्तान अपने जो टेररिस्ट्स का साथ देने का काम करता जाएगा। कश्मीर में हो क्या रहा है! 2,500 होटल खाली हैं, 15,000 सेल्समैंन, जो मार्केट में काम करते थे, उनकी नौकरी खत्म हो गई। कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट बंद हैं, तो लोगों को रोजगार नहीं मिल रहा, लाइफ सेविंग ड्रग्स short supply में है। तो घर में कोई बीमार हो जाए, खास बीमारी हो तो उसको लाइफ सेविंग ड्रग नहीं मिलेगी। आयुष्मान भारत की रुकावट हो चुकी है, बच्चे स्कूल में नहीं जा रहे, मां-बाप स्कूल भेज नहीं रहे हैं, ये तो हालत है कश्मीर की और डोभाल साहब कहते हैं कि 92 प्रतिशत कश्मीर नॉर्मल है, तो अगर नॉर्मल है तो 92 प्रतिशत कश्मीर में जो रुकावटें हैं, उनको खत्म किया जाए। इनकी नॉर्मलटी का हमें डेफिनेशन बता दीजिए कि नॉर्मलटी का डेफिनेशन क्या होता है।

एनआरसी के बारे में क्या हो रहा है ! पहले इन्होंने कहा था कि 40 लाख ऐसे लोग हैं, जो घुसपैठिए हैं, NRC Co-ordinator हजेला साहब ने कहा, गलत, फिर उसका विरोध कर रहे हैं क्योंकि ये तो अगेंस्ट दा लॉ ऑफ ग्रेविटी हैं न, जो असलियत है उसको ये देखेंगे नहीं। अब बात आ गई 1.9 मिलियन की हालांकि 19 लाख लोगों की, उसका भी विरोध हो रहा है। वो कहते हैं कि इसमें क्योंकि इनकी जो सारी राजनीति है वो धर्म के आधार की राजनीति है न।

मैं आपको एक व्यक्तिगत बात सुनाता हूँ कि मैं कुछ दिन पहले, दो महीन पहले एयरपोर्ट पर था तो एक जज साहब मुझे मिले, असम के जज साहब थे, वो रिटायर हो चुके हैं, बोले मेरी सारी फैमिली एनआरसी में है लेकिन मैं एक्सक्लूडिड हूँ, ये खुद उन्होंने मुझे कहा और ऐसे कई उदाहरण हैं असम में। मतलब कि फखरुद्दीन अली अहमद साहब के 4 members of the family are excluded तो मुझे अचम्भा होता है इस देश में इनके पास मुद्दे क्या हैं, इनके पास तो पूर्ण बहुमत है न सुधार लाते लेकिन ये भेदभाव की राजनीति करके ये दिखाना चाहते हैं और मतलब की हर चीज पर धमाका होना चाहिए वो फोटो लेने का धमाका हो, रोने-धोने का धमाका हो, हर चीज पर धमाका होना चाहिए। हंसने का धमाका हो, हाथ पर हाथ मारने का धमाका हो, धमाका होना चाहिए और गोदी मीडिया दिखाएगा।

फिर एक सस्पेंस की राजनीति भी चल रही है, घमंड की राजनीति, uncertainty की राजनीति, anguish का राजनीति, सस्पेंस की राजनीति। सस्पेंस क्या है? कब ये जीडीपी 5 प्रतिशत से आगे बढ़ेगी, किसी को नहीं मालूम कैसे बढ़ेगी। GDP slide for 5th straight quarter; a six year low at 5% . Private consumptions spending has slumped to an 18-quarter low. Gross Fixed Capital Formation (GFCF), has grown at 4 percent as against 13.3 in the last year, Construction activity down to 5.7% as against 9.6% in the earlier period of last year, Manufacturing as 0.6% as against 12.1% a year ago, Growth of eight core industries at 2.1% as against 7.3% in the same month last year. Agriculture grew at 2% as against 5.1 in the same month last year. World Bank’s 2018 GDP rankings we are now down to the seventh economy behind Great Britain and France and… सुब्रमण्यम स्वामी कहते हैं कि get ready to say good bye to five trillion rupees economy, why! Because we have to have a nominal growth of 12% to reach that figure in the next few years.

और ये जो 5 प्रतिशत भी जीडीपी की ग्रोथ है, ये भी नए फॉर्मूले के साथ है अगर पुराना फॉर्मूला अप्लाई किया जाए तो 3.5 प्रतिशत से कम रहेगी। जो जीडीपी ग्रोथ 3.5 प्रतिशत 2000 और 2001 में थी और फिर 2008-09 में थी, वो स्थिति आज पहुँच गई है। उस समय तो लेमन ब्रदर्स का क्राईसिस था आज तो क्राइसिस ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन है, आज ये शासन का क्राईसिस है, राष्ट्रीय स्तर का क्राईसिस है, अंतर्राष्ट्रीय लेमन ब्रदर्स का क्राईसिस नहीं है।

The Indian rupee is the worst performing currency in August, 2019. Foreign Portfolio Investors have taken out Rs 5,920 crores in August a loan. GST shortfall has come down to Rs. 98,000 crores. और एक और बात आप नोट कर लीजिए और बता दीजिए उनके मंत्री को, जो प्रेस कांफ्रेंस करेंगे कि Revenue neutral rate in GST is 24%. इनकी कभी आमदनी पहुँच ही नहीं सकती जो ये भाषण देते हैं और जो ये उम्मीद रखते हैं। जीएसटी हमेशा शॉर्टफॉल में रहेगा, इंवेस्टमेंट में शॉर्टफॉल हो गया। 304 प्रोजेक्ट्स अनाउंस किए गए which were 87 % lower when compared to a year on year basis in June 2019 as supposed to April-June 2018.

मैं बस केवल इतना ही पूछना चाहता हूँ कि भईया, ये जो स्पलैश की राजनीति है इसको छोड़ दो। ये रैश की राजनीति है इसको बंद करो, समझ के फैसले लो। आप फैसले तो लेते हो लेकिन उनका परिणाम क्या होगा कुछ महीनों बाद, कुछ सालों बाद उनका आपको कोई मालूम नहीं है? और देश को आप गलत रास्ते पर ले जा रहे हो और जो कनेक्टीविटी, जिसकी वजह से विक्रम लैंडर कनेक्टीविटी नहीं कर पाया, वो कनेक्टीविटी तो हो जाएगी, लेकिन राजनीति में भी थोड़ी कनेक्टीविटी ले आओ, शायद उससे देश का फायदा हो, जनता का फायदा हो।

प्रधानमंत्री जी के दिए बयान कि विकास करेंगे, विश्वास करेंगे और परिवर्तन करेंगे से संबंधित एक प्रश्न के उत्तर में श्री सिब्बल ने कहा कि किसका विकास, किसका विश्वास और किसका परिवर्तन जरा हमें बता दें। किसका विश्वास पाया है उन्होंने, छोटे व्यापारियां का ! हां, विश्वास पाया है उन्होंने ईडी का विश्वास, सीबीआई का विश्वास, इंकम टैक्स का विश्वास, ये सही है। परिवर्तन हम देख रहे हैं, मैंने आपको आंकड़े दे दिए, वो विकास से भी जुड़ा हुआ है, परिवर्तन हो रहा है लेकिन गिरावट का परिवर्तन हो रहा है।

एक अन्य प्रश्न पर कि आपने कहा कि ये पूर्ण बहुमत की सरकार है उसके बावजूद भी सरकार क्यों विफल हो रही है, क्या कहेंगे, श्री सिब्बल ने कहा कि तभी तो हम कह रहे हैं कि जब उनको पूर्ण बहुमत मिल चुका है तो ये उसका फायदा क्यों नहीं उठाते। अब तो ये कोई भी विधेयक पास कर सकते हैं, कोई रुकावट नहीं है, लोकसभा में भी, राज्यसभा में भी, कोई भी फैसला ले सकते हैं तो अब क्या रुकावट है तो। 6 साल का तो शासन चला न, तो 6 साल के बाद हुआ क्या? 2014 के बाद, 2014 में हिंदुस्तान की क्या स्थिति थी और 2019 में क्या स्थिति है, उसके लिए आप आंकड़े देख लीजिए तो पता चल जाएगा कि किस किस्म की राजनीति इस देश में चल रही है।

एक अन्य प्रश्न पर कि जम्मू–कश्मीर में धारा 370 नहीं लगाते तो और क्या कर सकते थे, श्री सिब्बल ने कहा कि रिस्ट्रिक्शन लगाते, नहीं लगाते, आप ये बात विपक्ष से नहीं पूछ सकते। फैसला तो हमारा नहीं था, उनका फैसला है, पार्लियामेंट से पारित हो चुका है, कानून बन चुका है। अब जब इन्होंने फैसला लिया होगा, सोच-समझकर लिया होगा हम तो ये मानकर चलते हैं। उस सोच-समझ का जो परिणाम है वो आप देख रहे हैं, मैं देख रहा हूँ। अब अगर हमारा नेशनल सिक्योरिटी एडवाईजर ये कह दे कि ये कर्ब तभी उठेगा जब पाकिस्तान का बिहेवियर ठीक होगा, तो फिर आप हमसे ये सवाल नहीं पूछ सकते, फिर तो आप ये सवाल एनएसएसए से पूछिए और उनके जो मंत्री हैं जो आज प्रेस ब्रीफिंग देने वाले हैं कि आपने ये किया क्यों? देखिए ऐसा है कि आज के दिन एक महीना तो बीत गया, एक महीने में न इंटरनेट, न लैंडलाइन, न मोबाईल फोन, न अस्पताल में लोग ले जा सकते हैं। किसी का निधन हो जाए तो चार लोग जाते हैं, कोई घर ईद मनाने जाए तो वहाँ घर में बैठा रहता है, बाहर नहीं निकल सकता, रोजगार चला गया, करोड़ों रुपए का जो माल है, ऑर्चिड का माल है वो खत्म हो गया, ट्रांस्पोर्टेशन हो नहीं सकती, तो फायदा किसका हो रहा है। जो इन्होंने फैसला लिया पार्लियामेंट में उसको पारित कर दिया, उस पर तो आज हमारी बात नहीं हो रही लेकिन उसकी जो पैनल्टी है, पीनल कॉन्सीक्वेंसीज हैं, वो जनता भुगत रही है और ये सवाल उठता है, क्यों और कब तक? ये सवाल उनसे पूछिए आप, क्यों और कब तक?

एक अन्य प्रश्न कि सरकार सौ दिन की अपनी उपलब्धियों को अलग-अलग शहरों में जाकर बताने वाली है, इसके विरुद्ध आपकी क्या योजना है, श्री सिब्बल ने कहा कि उनकी नाकामी हमने अभी आप लोगों को बताई अब आप लोग इसे आगे बताएंगे- इनकी नाकामी तो आप लोग जनता के सामने पहुँचाएंगे। पहले तो आप पहुँचाना शुरु कीजिए, हम तो दौरा करेंगे ही। हो क्या रहा है !, जनता को इस स्थिति में जो ये लोग लाए हैं, अब जनता को कहीं दौरा न पड़ जाए, ये सिचुएशन है इस देश में। Economy is stand-still और इनको ये नहीं मालूम कि आगे करना क्या है!

एक अन्य प्रश्न पर कि प्रधानमंत्री जी अपने भाषण में आज भी किसानों की आय दोगुना करने की बात कर रहे थे, क्या कहेंगे, श्री सिब्बल ने कहा कि बड़ी अच्छी बात है, मैं तो कहता हूँ achive it! जब 2022 आएगा and if they not achive ये भूल जाएंगे। इन्होंने कहा था न कि अच्छे दिन आएंगे, अब भूल गए, अब अच्छे दिन की बात करते हैं ये? पहले कहते थे कि आपने 60 साल उनको दिए हमें 60 महीने दो, वो अब 60 महीने की बात भूल गए अब कहते हैं कि हमें 10 साल और दो, तो इनका जो माइल स्टोन है वो आगे बढ़ता जाता है, तो जब 2022 में नहीं होगा ये तो कहेंगे कि 2027 में करेंगे और 2027 में नहीं होगा, तो कहेंगे 2032 में करेंगे, हमें मौका तो दो, आपने इतना मौका दूसरों को दिया अब आपको 6 साल तो मौका मिल चुका है अब धोखा मत देना।

 

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