प्रेस क्लब आफ इंडिया में आयोजित प्रेस काॅन्फ्रेंस में जारी बयान
संविधान, देश और जन विरोधी क़ानून वापस लो
संविधान पर हमला मंज़ूर नहीं, अत्याचार के खि़लाफ आवाज़ दो, अभी नहीं उठे तो कभी नहीं उठने दिया जाएगा
ब्राह्मणों और संघियों को सभी अधिकार देकर गैर-ब्राह्मणों को सभी अधिकारों से वंचित करने कि कोशिश है CAA: AIIC
आल इंडिया इमाम्स कौंसिल ने प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया में पत्रकारों से बात चीत के बाद मीडिया को जारी बयान में कहा है कि फिरऔन की तरह भारतीय नागरिकों को ब्राह्मण (ऊँची जाति) और गैर-ब्राह्मण (नीची जाति) में बांटा जा रहा है। ब्राह्मणों और संघियों को सभी अधिकार देकर गैर-ब्राह्मणों को सभी अधिकारों से वंचित किया जा रहा है। माॅब लिंचिंग, एनकाउंटर और जातिवाद के द्वारा गैर-ब्राह्मणों में डर और भय का माहौल पैदा किया जा रहा है। सभी सभ्यताओं को खत्म करके ब्राह्मणों द्वारा बनाए गई वर्ण व्यवस्था को बढ़ावा देने की गंदी साज़िश चल रही है। और अब गैर-ब्राह्मण सवा सौ करोड़ भारतीयों को घर, जायदाद और नागरिक अधिकारों से पूरी तरह से वंचित करने के लिए क़ानून बनाया गया है।
नागरिकता संशोधन क़ानून (सीएए), यानी धर्म के नाम पर विदेशियों को नागरिकता देने का क़ानून, राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी), यानी सरकार के मनमाने तरीके से नागरिकता प्रमाण देना और राष्ट्रीय आबादी रजिस्टर (एनपीआर), बीजेपी सरकार के एनआरसी का पहला क़दम है। जिसमें माता-पिता के जन्मस्थान आदि के बारे में प्रश्न हैं। 6 महीने के बाद इसका सबूत पूछा जाएगा और यही एनआरसी हो जाएगी।
हम भारत के लोग सीएए, एनआरसी और एनपीआर को रद्द और बाइकाॅट करते हैं। क्योंकि यह क़ानून भारतीय संविधान की धारा 5, 10, 14, 15 और 21 के खिलाफ, धार्मिक भेदभाव पैदा करने वाला, लोकतंत्र को ख़त्म करके गैर भारतीयों को भारतीय और भारतीयों से नागरिकता छीनने वाला असंवैधानिक क़ानून है। यह बिल भारतीयों को एक के बाद एक (आज मुसलमानों को, कल ईसाइयों को, फिर कम्युनिस्टों को, फिर दूसरों को) फासीवादी ताक़तों का शिकार और गुलाम बनाने, सभी धर्मों के मानने वालों की संस्कृतियों और धार्मिक पहचान को खत्म करके ‘‘काॅमन सिविल कोड’’ लागू करने और देश के गद्दार और अंग्रेज़ों के वफादार सावरकर और गोलवालकर की विचारधारा को लागू करने और लोकतांत्रिक भारत को ख़त्म करके ‘‘हिंदुत्व राष्ट्र’’ बनाने के लिए लाया गया है। नागरिकता संशोधन बिल पास होने से देश के एक कट्टरवादी मुस्लिम विरोधी ज़मीन में बदल जाने की आशंका है।
मुसलमानों को दूसरे दर्जे का नागरिक या फिर गैर-नागरिक बनाने के लिए, उन्हें इस कानून से अलग करना हमारे सेक्युलर एवं लोकतांत्रिक देश को एक तानाशाही और जातिवादी देश में बदलने की तरफ एक बड़ा क़दम है। इस नए क़ानून के द्वारा इस देश को हिंदुत्व राष्ट्र से बढ़कर एक मुस्लिम विरोधी राष्ट्र बनाया जा रहा है।
संघ परिवार के इशारे पर बीजेपी देश को खतरनाक रास्ते पर डाल चुकी है। नोटबंदी करके लगभग 150 लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया। जीएसटी लगाकर देश के करोड़ों लोगों को बेरोज़गार किया, और जिस जनता ने चुनकर उन्हें कुर्सियों पर बिठाया, उन्हीं के खिलाफ क़ानून बनाना शुरू कर दिया। पहले भारतीय संस्कृति के खिलाफ समलैंगिकता को कानूनी रूप से जायज़ ठहराया गया, फिर विवाहित महिलाओं से नाजायज़ संबंध को सही क़रार दिया गया, फिर संविधान के ख़िलाफ तीन तलाक़ बिल पास किया गया, उसके बाद कश्मीर के विशेष दर्जे को ख़त्म करने के लिए 370 को खत्म किया गया, जो संविधान पर खुला हमला था, फिर 500 वर्ष पुरानी बाबरी मस्जिद पर गलत फैसला सुनाया गया, जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सर्वोच्च न्यायालय का अपमान है। उसके बाद देश की जनता के खिलाफ एनआरसी का मामला उठाया गया और एनआरसी को ठीक करने के लिए संवैधानिक धाराओं को तोड़कर सीएए बिल पास कराया गया। जनता के विरोध के बाद अब एनआरसी को चोर दरवाज़े से पूरा करने के लिए एनपीआर लाया जा रहा है।
संविधान, देश और जन विरोधी काले क़ानून के खिलाफ लोकतांत्रिक तरीके से प्रदर्शन करने वालों पर लाठियां और गोलियां चलाई जा रही हैं। यूपी में गुंडाराज का मंज़र सारी दुनिया ने देखा है और अब सरकार और पुलिस की नाकामी और गुंडागर्दी को छुपाने के लिए एक संवैधानिक संगठन पाॅपुलर फ्रंट आॅफ इंडिया पर इसका आरोप थोपने की कोशिश की जा रही है, जो सरासर गलत और झूठ है। हम सभी भारतवासी पाॅपुलर फ्रंट के साथ हैं।
जो लोग इस बिल का समर्थन कर रहे हैं कल उन्हें अपनी नस्लों की दुखद स्थिति पर रोना पड़ेगा और तब उस रोने का कोई फायदा नहीं होगा। अभी समय है, अभी होश से काम नहीं लिया गया तो फिर कभी इसका मौका नहीं मिलेगा।
अपने देश की जनता पर अत्याचार करना बीजेपी और बीजेपी शासित राज्यों की पहचान बन चुकी है। असम और यूपी की दास्तान हमारे सामने है।
भारत का बच्चा-बच्चा इस संविधान विरोधी बिल का विरोध करता है और इसे खत्म करने के लिए लोकतांत्रिक तरीके से आखरी समय तक क़ानूनी लड़ाई जारी रखेगा।
सरकार से मांगें ।
संविधान, देश और जन विरोधी क़ानून सीएए, एनआरसी और एनपीआर को वापस लो।
सीएए, एनआरसी के ख़िलाफ हो रहे शांतिपूर्ण एवं लोकतंात्रिक प्रदर्शनों में रूकावट डालना बंद करो।
जन संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं पर आरोप लगाने का गंदा खेल बंद करो।
कफर््यू, छापेमारी और जबरन हिरासत में लेने जैसे सभी दमनकारी तरीकों और पुसिल के अत्याचार को तत्काल रूप से रोको।
रातों को घरों में घुसकर बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों को डराने-धमकाने और तोड़-फोड़ करने वाली पुलिस पर कार्यवाही करो।
प्रदर्शनकारियों और प्रदर्शन में शामिल नहीं रहे लोगों पर लगाए गए सभी झूठे मुकदमों को वापस लो।
गिरफ्तार किये गए सभी लोगों को रिहा करो।
मुत एवं घायल लोगों के परिजनों को मुनासिब मुआवज़ा दो।
दोषी पुलिस और अधिकारियों के खिलाफ तत्काल क़ानूनी कार्यवाही करो।
फायरिंग की घटनाओं सहित हर तरह के अत्याचार में पुलिस को रोल पर न्यायिक जांच का आदेश दो।
मदरसों के बच्चोंए उस्तादों ए इमामों और उलमा पर बे दरेग ज़ुल्म बंद किया जायेए ज़ुल्म धने वालों के क़ानूनी करवाई की जाये ।
इसी के साथ हम सभी नागरिकों और आगे बढ़कर इन प्रदर्शनों का नेतृत्व करने वाले सिविल सोसाइटी के समूहों से अपील करते हैं कि वे इस बात पर पूरी नज़र रखें कि बाहरी दखलअंदाज़ों या पुलिस के द्वारा उनका प्रदर्शन हिंसा का रूप न लेने पाए।
प्रेस काॅन्फ्रेंस में शामिल पदाधिकारीः
मौलाना मोहम्मद अहमद बेग नदवी- राष्ट्रीय अध्यक्ष, आॅल इंडिया इमाम्स कौंसिल व अध्यापक, नदवतुल उलेमा, लखनऊ, यूपी
मुफ्ती हनीफ अहरार क़ासमी सुपोलवी- राष्ट्रीय महासचिव, आॅल इंडिया इमाम्स कौंसिल
मौलाना जाफर सादिक़ फैज़ी- राष्ट्रीय सचिव, आॅल इंडिया इमाम्स कौंसिल
मुफ्ती इरशाद क़ासमी- उपाध्यक्ष, आॅल इंडिया इमाम्स कौंसिल, दिल्ली प्रदेश
मौलाना शादाब क़ासमी-नेशनल कमिटी मेंबर आॅल इंडिया इमाम्स कौंसिल
जाफर फैज़ी
कार्यालय सचिव,
आल इंडिया इमाम्स कौंसिल
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