सिटिजन अमेंडमेंट बिल यानी नागरिकता संशोधन विधेयक कल मोदी सरकार राज्य सभा में टेबल कर सकती है. लोकसभा से पास होने के बाद यह बिल राज्यसभा में पेश होने के लिए कल पारित किया जा सकता है. जानकारों का मानना है कि राज्यसभा के कुल 245 वोटों में से पारित करने के लिए बीजेपी को 121 वोटों की जरूरत होगी क्योंकि राज्यसभा के 245 सीटों में से 5 सीट फिलहाल खाली है जिसके चलते राज्यसभा में कुल सदस्यों की संख्या 240 है.
जानकार मानते हैं कि अगर जेडीयू टीडीपी और Y S आर कांग्रेस जैसे संगठन इस बिल का समर्थन करते हैं तो बीजेपी को इस बिल को पास कराने में ज्यादा दिक्कत आने वाली नहीं है और इस तरह सरकार के पक्ष में 127 वोट होने की संभावना है.
बीजेपी के पास 127 वोट?
राज्यसभा में नागरिक संशोधन बिल पास कराने के लिए मोदी सरकार को जितने सांसदों के वोट चाहिए उससे काफी ज्यादा संख्या में सांसद उनके पक्ष में वोट कर सकते हैं. आपको बता दें कि राज्यसभा में बीजेपी के 83, जेडीयू के 6, एआईएडीएमके के 11, बीजेडी के 7, एसएडी के 3, आरपीआई के 1, एलजेपी के 1, वाईएसआर कांग्रेस के 2, टीडीपी के 2, एजीपी के 1, बीपीएफ के 1, एनपीएफ के 1, एसडीएफ के 1, नॉमिनेटेड 3 सदस्य, निर्दलीय एवं अन्य 4 सदस्यों के साथ कुल 127 सांसद हैं जो बिल के पक्ष में वोट कर सकते हैं.
लेकिन अगर यह दल इधर-उधर होते हैं तो बीजेपी के लिए प्रॉब्लम आ सकती है. जानकारी यह भी मान रहे हैं कि अगर नॉर्थ ईस्ट, पूर्वोत्तर में विरोध का स्वर इसी तरह से मुखर रहा तो बीजेपी इस बिल को कुछ दिनों के लिए ठंडे बस्ते में डाल सकती है और इस से पीछा छुड़ाने के लिए इसको जेपीसी के पास भेज सकती है.
बिल के विरोध में हैं सिर्फ 113 वोट
वहीं जो दल इस बिल का विरोध कर रहे हैं राज्यसभा में उनकी कुल संख्या सिर्फ 113 ही है. बिल के विरोध में कांग्रेस के 46, टीएमसी के 13, एनसीपी के 4, सपा के 9, आप के 3, बसपा के 4, सीपीआई के 1, सीपीएम के 5, डीएमके के 5, आईयूएमएल के 1, पीडीपी के 2, जेडीएस के 1, केरल कांग्रेस एम के 1, एमडीएमके के 1, पीएमके के 1, आरजेडी के 4, शिवसेना के 3, टीआरएस के 6, 1 नॉमिनेटेड सदस्य और 2 निर्दलीय एवं अन्य के साथ कुल 113 सांसद हैं.
अब देखना यह है की क्या विपक्ष सात वोटों का इंतज़ाम इस बिल को रोकने के लिए कर सकता, जबकि अकेले JDU के पास ही 6 वोट हैं. और JDU के काई नेता अब इस बिल के विरोध की बात भी कर रहे हैं.
अब देखना यह होगा कि सरकार इस बिल को पास कराना चाहती है या नहीं क्योंकि इससे पहले एक बार यह बिल लोकसभा में 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले पास हो चुका था, लेकिन सरकार ने लोकसभा चुनाव और नॉर्थ ईस्ट में विरोध के स्वर को देखते हुए इस को राज्यसभा में पास कराने की जिद नहीं की थी.
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