बजट सत्र की शुरुआत हो चुकी है। सत्र से पहले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व वाली सरकार की खूबियों को गिनाते हुए अनुच्छेद 370 और नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 को मोदी सरकार की उपलब्धियों के तौर पर गिनाया। जिसके बाद संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में सत्ता पक्ष के लोगों के जरिए से जमकर तालियां बजाई गई। तालियों के बाoद विपक्ष की ओर से जोरदार हंगामा हुआ।
इसके बाद देशभर में यह सवाल उठ रहा है कि आखिर राष्ट्रपति के भाषण में राष्ट्रीय रोजगार रजिस्टर यानी नेशनल रजिस्टर फॉर अनइंप्लॉयमेंट का ज़िक्र क्यों नहीं है, जबकि देश अपने इतिहास के सबसे खराब दौर से गुजर रहा है। देश में पूरी तरह हाहाकार मचा हुआ है। पिछले 45 सालों में सबसे भयानक बेरोजगारी की स्थिति उत्पन्न हो गई है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के भाषण में तीन तलाक के संदर्भ में महिलाओं को न्याय दिलाने की बात कही गई, लेकिन फिर वही सवाल यह उत्पन्न होता है कि पिछले तकरीबन 2 महीने से सड़क पर देशभर में लाखों मुस्लिम महिलाएं बैठी हैं, जिसमें बुर्का भी है और बिंदी भी है, लेकिन इन हिंदू और मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए सरकार कोई काम क्यों नहीं कर रही है और अगर सरकार कोई फिक्र नहीं है तो क्या राष्ट्रपति के पास शक्ति नहीं है कि वह इसका उल्लेख करें और संविधान की रक्षा के लिए कोई फैसला लें
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