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PC में गैस के दो बाटले ले कर आई कांग्रेस प्रवक्ता, जानिये पूरा मामला

सुप्रिया श्रीनेत ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि आप यहाँ पर ये दो गैस सिलेंडर देख रहे हैं और इसी के बारे में ये चर्चा है। बड़े-बड़े वायदे किए गए थे, तो हम लोगों ने भी उस पर दो लाइनें लिखी हैं। आपको जरुर सुनाना चाहेंगे – “बहुत हुआ है अत्याचार, कमर तोड़ महंगाई की मार, यही है मोदी सरकार”।

By: वतन समाचार डेस्क
  • PC में गैस के दो बाटले ले कर आई कांग्रेस प्रवक्ता, जानिये पूरा मामला

 

सुप्रिया श्रीनेत ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि आप यहाँ पर ये दो गैस सिलेंडर देख रहे हैं और इसी के बारे में ये चर्चा है। बड़े-बड़े वायदे किए गए थे, तो हम लोगों ने भी उस पर दो लाइनें लिखी हैं। आपको जरुर सुनाना चाहेंगे – “बहुत हुआ है अत्याचार, कमर तोड़ महंगाई की मार, यही है मोदी सरकार”।

 

नरेन्द्र मोदी जी की निर्मम, असंवेदनशील और अनैतिक सरकार ने किसानों के साथ तो अन्याय करने की ठान ही ली है और यह सरकार हर तरह का अन्याय, हर तरह की बर्बरता कर रही है, इसने अब देश के हर चुल्हे, चौके, हर गृहणी, हर आम आदमी की कमर तोड़ने का भी फैसला कर लिया है, हर चुल्हे – चौके में आग लगा दी है। पेट्रोल  और डीजल के दाम आप सबको पता है, 100 रुपए के पार हो गए हैं, पेट्रोल का दाम। एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है सरकार ने और अब घरेलू गैस जिसको कि रसोई गैस कहा जाता है, जिसके कि ये सिलेंडर रखे हैं, इनके दाम निरंतर बढ़ाए जा रहे हैं। 10 दिनों के अंदर, आज 15 तारीख है, मात्र 10 दिनों के अंदर इन सिलेंडर में, रसोई गैस के सिलेंडर में 75 रुपए कीमत का इजाफा हुआ है। 75 रुपए कीमत बढ़ी है। 4 फरवरी को सिलेंडर की कीमत 25 रुपए बढ़ी थी और अब आज सुबह, कल रात 12 बजे से, मतलब 15 तारीख को आज कीमत 50 रुपए और बढ़ा दी गई है और यही नहीं, दिसंबर 2020, मतलब दो महीने के अंदर इसकी कीमत 175 रुपए प्रति सिलेंडर बढ़ाई जा चुकी है। आपको याद होगा कि दिसंबर में भी दो बार 50-50 रुपए की वृद्धि हुई थी। इस प्रकार यही सिलेंडर जो दिसंबर में दिल्ली में 594 रुपए का बिकता था, वो आज दिल्ली शहर में 769 रुपए का बिक रहा है।

 

मुझे लगता है कि यहाँ पर ये याद दिलाना जरुरी होगा कि जब हमारी सरकार थी और हमारी सरकार में जब कच्चा तेल, जिसको क्रूड ऑयल कहते हैं, उसका दाम जब 100 डॉलर से 150 डॉलर था, तब भी रसोई गैस की कीमत 400 रुपए के आस-पास थी। तो सबसे पहले मेरा मानना है कि शर्म आनी चाहिए इस सरकार को, जिसके कारण आज अर्थव्यवस्था पूरी तरह से ठप्प हो चुकी है, बेरोजगारी हर रोज बढ़ रही है। सरकार के कुप्रबंधन के चलते लोगों का वेतन घटता जा रहा है और अब आप लोगों पर कमर तोड़ महंगाई का प्रहार कर रहे हैं। चाहे वो पेट्रोल – डीजल के दाम हों या रसोई गैस की कीमतें और इसका प्रभाव अमीर से अमीर और गरीब से गरीब आदमी पर पड़ता है।

 

पर मुझे ऐसा लगता है सरकार को इससे रत्ती भर फर्क नहीं पड़ता है और इसलिए फर्क नहीं पड़ता है कि कच्चे तेल की कीमत कुछ भी हो, कच्चे तेल का दाम कुछ भी हो, अगर वो 20 डॉलर प्रति बैरल हो जाता है, जैसे कि लॉकडाउन के दौरान हुआ, तब भी आपको कोई फायदा नहीं मिलता, आपको कोई राहत, कोई रियायत नहीं मिलती है। अगर वो महंगा मिलता है, तो आपको बढ़ा हुआ ही पैसा देते जाना है। क्यों – क्योंकि सरकार आपदा में अवसर ढूंढती है और अवसर ढूंढने का उन्होंने ये काम किया है कि निरंतर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाते रहे हैं। अपने कार्यकाल के दौरान दर्जन बार से ऊपर इन्होंने एक्साइज ड्यूटी बढ़ाकर करीब-करीब 24 लाख करोड़ रुपए कमाए हैं। जो मेरा मानना है कि ये 24 लाख करोड़ वास्तव में जनता का हक था। जनता ये नहीं कहती कि हम मुश्किल के समय आपके साथ नहीं खड़े होंगे, हम मुश्किल के समय आपकी सरकार के साथ खड़े होंगे, लेकिन जब कच्चे तेल का दाम गिरे, तो हमें भी तो कुछ राहत मिलनी चाहिए। उस समय आप अपना रोकड़ा कमाने में लग जाते हैं, अपने सरकारी खजाने भरते हैं।

 

ये सरकार की ही दया है कि आज 100 रुपए पेट्रोल हो गया है, ये इसी सरकार का नया कीर्तिमान है, नया रिकोर्ड है। और एक बात बतानी जरुरी है, सिंपल शब्दों में कि इन्होंने एक्साइज ड्यूटी डीजल पर 8 गुना, लगभग 8 गुना बढ़ाई और पेट्रोल पर लगभग ढाई गुना बढ़ाई। सीधे साफ शब्दों में जब हमारी सरकार थी, तो डीजल पर जो टैक्स पड़ता था, वो करीब – करीब साढ़े तीन रुपए प्रति लीटर था। वो आज बढ़कर 32 रुपए प्रति लीटर है। और पेट्रोल पर जो टैक्स करीब-करीब 9 रुपए प्रति लीटर पड़ता था, वो आज बढ़कर 33 रुपए प्रति लीटर है। तो सबसे पहले अगर आप वाकई में लोगों का भला सोचना चाहते हैं, एक मिनट को भी, तो अपनी एक्साइज ड्यूटी को ही अगर आप कम कर दीजिए, अगर आप इसी को यानि 23.78  रुपए और 28.37  रुपए को ही वापस ले लीजिए, तो जनता को बड़ी राहत मिल सकती है।

 

एक और बात जिसके बारे में बहुत चर्चा नहीं है और बजट में ये हुआ था। इन्होंने चार  रुपए का सेस डीजल पर और ढाई रुपए का सेस पेट्रोल पर लगाया था और ये कहा गया था कि इससे आम आदमी को फर्क नहीं पड़ेगा। लेकिन ये एक बहुत सिनिस्टर प्लॉट था। ये प्लॉट इसलिए था और मैं इसको कहती हूं कि ये षडयंत्र इसलिए था, क्योंकि ये सेस लगाया गया था। एक्साइज ड्यूटी स्ट्रक्चर को चेंज किया गया। तो एक्साइज ड्यूटी स्ट्रक्चर चेंज करने का क्या मतलब हुआ कि इसमें जो पैसा आएगा, वो सिर्फ केन्द्र सरकार रखेगी और ये चार और ढाई रुपए की बढ़ोतरी का राज्य सरकारों को एक नया पैसा नहीं मिलेगा।

 

मुझे ये भी लगता है कि आज अगर गृहणी, आम आदमी, बच्चियां, लड़के-लड़कियां, कोई भी खड़े होकर सरकार के इस कुप्रबंधन पर सवाल उठाए, तो सबसे पहले तो उसको एक तमगा दे दिया जाएगा कि आप देशद्रोही हैं, आप सरकार से सवाल पूछ रहे हैं। दूसरा उसके ऊपर यूएपीए- सेडिशन चार्ज लग जाएगा। अगर आज आप कहिएगा बाहर जाकर कि पेट्रोल और डीजल के दामों में बढ़ोतरी हो गई और रसोई गैस में आपने आग लगा दी है, तो आपको आतंकवादी भी घोषित किया जा सकता है, इस सरकार के कार्यकाल में। लेकिन सच तो ये है कि सरकार को अर्थव्यवस्था की रत्ती भर समझ नहीं है।

 

आप सबको पता है कि इन्फ्लेशन (महंगाई) दिन – दोगुनी, रात – चौगुनी बढ़ोतरी कर रहा है। RBI की इन्फ़्लेशन रेंज 4% +-2 होती है, बढ़ते हुए इन्फ्लेशन का क्या मतलब है कि आरबीआई अब अंततोगत्वा रेट बढ़ाएगा। जो थोड़ी बहुत मांग आप रिवाईव भी कर सकते थे, उस पर भी पानी फेरने का काम इस सरकार ने किया है। तो या तो इन लोगों को बिल्कुल समझ नहीं है या समझ होते हुए भी ये जान-बूझ कर ऐसा करते हैं क्योंकि रत्तीभर इनको फिक्र नहीं है कि आम आदमी के साथ क्या होगा?

 

मेरा एक सवाल है और सवाल बहुत वाजिब है कि क्या सरकारों का काम मुनाफाखोरी करना होता है और जनता की महंगाई से कमर तोड़ना होता है। और इसलिए मेरा अपना मानना है कि जो उज्जवला में भी अगर आप देखिए, 10-10, 14-14 करोड़ सिलेंडर रिफिल ही नहीं हुए, क्योंकि पैसा तो आपको देना ही पड़ेगा और लोगों के पास इतना पैसा ही नहीं कि उज्जवला जैसे सब्सिडाइज सिलेंडर भी रिफिल करा सकें आज की तारीख में। तो उसमें क्या हो रहा है कि लोग फिर से वही चुल्हा फूंकने का और चुल्हा जलाने का काम कर रहे हैं।

 

मुझे ऐसा लगता है कि कहीं ना कहीं अच्छे दिन का दम्भ भरने वाले ये लोग आज अच्छे दिन का नाम लेने से कतराते हैं। और आप जानते हैं कि हमारी सरकार चाहे वो राजस्थान में हों या कहीं और हो, हम चुनाव का इंतजार नहीं करते हैं, हमने अभी टैक्स घटाए, जबकी हमारा राजस्व बहुत कम है इस समय। हमने फिर भी टैक्स घटाए। असम में जब चुनाव आता है तो टैक्स घटाया जाता है और अब आप देखिएगा कि जब तक चुनाव नहीं हो जाएगा, असम में और बाकी राज्यों में, तब तक इस बढ़ोतरी पर कुछ दिन में रोक लगा दी जाएगी, जैसा हमने बिहार में देखा था। तो क्या चुनावों के चलते ही अब इस देश की अर्थव्यवस्था चलेगी? हमारी मांग है कि मुनाफाखोरी बंद होनी चाहिए।

 

हमारी मांग है कि बढ़ी हुई कीमतों को वापस लिया जाए और हमारी मांग है कि जो एक्साइज ड्यूटी सरकार ने बढ़ाई है, जो मुनाफाखोरी सरकार कर रही है, जो आम जनता को प्रताड़ित करने का काम कर रही है, उसको तुरंत वापस करके जन मानस को राहत दी जाएगी।

 

मेरी एक और विनती कह लीजिए, हुंकार कह लीजिए, कुछ भी कह लीजिए, मैं एक सवाल डॉयरेक्टली सिर्फ प्रधानमंत्री जी से ही नहीं,  भाजपा की उन महिला नेत्रियों से भी जरुर पूछना चाहती हूं, जो गैस के सिलेंडर लेकर हमारी सरकार के समय सड़क पर उतर जाती थी, आज दो महीने में 175 रुपए सिलेंडर बढ़ गया है, तो क्या सत्ता का सुख इतना बड़ा है कि आम जनता की परेशानी वहाँ उन्हें अब दिखाई नहीं देती? ये सवाल का जवाब आपकी अंतरआत्मा देगी और आप सबको पता है कि मैं किसकी बात कर रही हूं।

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