दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष डॉक्टर जफरूल इस्लाम खान को आज उस वक्त बड़ी कामयाबी मिली जब दिल्ली हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने उनकी अंतरिम राहत को 31 जुलाई तक के लिए बढ़ा दिया, इस बात की जानकारी उनकी वकील वृंदा ग्रोवर ने दी। साथ ही दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस को दिल्ली माइनॉरिटी कमीशन के चेयरमैन डॉक्टर जफरूल इस्लाम खान के खिलाफ दर्ज FIR के मामले में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है। ज्ञात रहे कि डॉ खान पर इस बात का आरोप है कि उन्होंने कम्युनल पोस्ट करके सोसाइटी में बदअमनी फैलाने की कोशिश की है। साथ ही कोर्ट ने दिल्ली सरकार को भी निर्देश दिया है कि वह स्टेटस रिपोर्ट याचिकाकर्ता (डॉक्टर जफरुल इस्लाम खान) के भी दे।
Advocate Vrinda Grover,
इस पूरे मामले की सुनवाई जस्टिस मनोज कुमार ओहरी की सिंगल बेंच कर रही है। कोर्ट ने आज उनकी अंतरिम सुरक्षा (राहत) को 31 जुलाई तक के लिए बढ़ा दिया है। इससे पहले डॉक्टर जफरूल इस्लाम खान ने अंतरिम सुरक्षा के लिए वकील वृंदा ग्रोवर के माध्यम से हाईकोर्ट से अपील की थी कि उन्हें तत्काल प्रभाव से राहत दी जाए। अधिवक्ता ग्रोवर के माध्यम से अग्रिम गिरफ्तारी और जबरदस्ती कार्रवाई के लिए उन्होंने तत्काल राहत की हाईकोर्ट से अपील की थी, जिसे हाईकोर्ट ने स्वीकार कर लिया था। इससे पहले दिल्ली पुलिस ने सेक्शन 124a और 153a आईपीसी की धारा के तहत डॉक्टर जफरूल इस्लाम खान के खिलाफ एक FIR दर्ज की थी।
इसके बाद दिल्ली पुलिस की कार्यवाही पर कई बुद्धिजीवियों ने सवाल खड़े किए थे। ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिसे मुशावरत AIMMM के अध्यक्ष नवेद हामिद ने सवाल खड़े करते हुए कहा था कि BJP नेताओं के बारे में दिल्ली पुलिस इस तरह से एक्शन नहीं लेती है, जिन पर कई तरह के संगीन आरोप हैं। हामिद ने यह भी कहा था कि एक आम आदमी की शिकायत पर जिस तरह से दिल्ली पुलिस ने FIR में जल्दी दिखाइयी उसी तरह से बीजेपी के उन नेताओं के मामले में f.i.r. में दिल्ली पुलिस ने जल्दी क्यों नहीं दिखाई जिन्होंने देश के गद्दारों को -का नारा दिया और सामने से आपत्तिजनक शब्द यूज़ करते हुए गोली मारो की बात कही गयी और उस के कुछ दिन बाद ही दिल्ली में दंगे भड़के थे।
उन्होंने कहा कि कहां हैं वह लोग जिन्होंने दिल्ली पुलिस के सामने लोगों को धमकाया था, क्या एक्शन उन पर हुआ? याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में दावा किया था कि मार्च 2020 से देश में व्यापक रूप से अभद्र शब्द और टिप्पणियों को देखा गया और कुछ मामले में मुस्लिम समुदाय के सदस्यों के खिलाफ शारीरिक हमले भी हुए हैं और कोविड-19 के लिए उनको दोषी ठहराया गया।
याचिकाकर्ता ने आगे कहा था कि मुस्लिम समुदाय पर अभद्र भाषा और हमलों की एक बड़ी वजह फर्जी और मनगढ़ंत खबरें हैं जो मुसलमानों को परेशान करती हैं और उन्हें कोरोनावायरस फैलाने के रूप में चित्रित करती हैं। इसलिए, याचिकाकर्ता ने अग्रिम जमानत और जबरी एक्शन से सुरक्षा की मांग की है क्योंकि मुसलमानों के अधिकारों की रक्षा के लिए उनके वैधानिक कर्तव्य के लिए उन्हें परेशान करने और उन्हें डराने के इरादे से प्राथमिकी FIR दर्ज की गई है।
अब देखना यह है कि इस मामले में 31 जुलाई के बाद कोर्ट क्या निर्णय लेती है। ज्ञात रहे कि डॉ खान आज से तीन साल पहले 17 जुलाई को आज दिल्ली माइनॉरिटी कमीशन के चेयरमैन बनाए गये थे और 20 जुलाई को उन्होंने शपथ ली थी, ऐसे में माना यह जा रहा है कि अब वह अपने कार्यकाल को पूरा कर लेंगे।
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