दिल्ली वक्फ बोर्ड: अमानतुल्लाह की खींची लकीर आने वाले चेयरमैन के लिए बाड़ी आज़माइश होगी
वतन समाचार एक्सक्लूसिव
नयी दिल्ली: दिल्ली वक्फ बोर्ड अपने गठन के बाद अब तक के अपने सबसे सुनहरे दौर से गुजर रहा है. यह दिल्ली वर्कबोर्ड के इतिहास का शायद पहला मौका है जब इतनी बड़ी तादाद में उन लोगों की मदद की जा रही है जो सच में जरूरतमंद हैं, और उन लोगों को नौकरियां दी जा रही हैं जिनको सच में नौकरियों की जरूरत है.
आज हमने दिल्ली वक़्फ़ बोर्ड में 3 साल पहले JNU से ग़ायब छात्र नजीब की माँ को 5 लाख रुपए की मदद और नजीब के भाई हसीब को पक्की नौकरी दी।और 200 ज़रूरतमंद परिवारों को मदद दी। pic.twitter.com/5aZRkAjsO2
— Amanatullah Khan AAP (@KhanAmanatullah) September 30, 2019
दिल्ली वक्फ बोर्ड के चेयरमैन अमानतुल्लाह खान विधायक बनने के बाद से ही विवादों में रहे या उनको अलग अलग तरह से विवादों में घसीटने की कोशिश की गई, लेकिन उनके इरादे वक्फ बोर्ड चेयरमैन बनने के बाद पूरी तरह अटल रहे. पहले कार्यकाल में वक्फ बोर्ड की आमदनी बढ़ाने के कुछ ही दिनों के बाद जब बोर्ड को भंग कर दिया गया और नए कार्यकाल में 1 साल बाद जब उनको दोबारा मौका मिला तो फिर भी उनके इरादे नहीं डगमगाए और वह पहले की तरह से ही बोर्ड को को चमकाने में लगे रहे.
उन्होंने नजीब की मां के आंसू पोछने के साथ-साथ झारखंड में गौ हत्या के आरोप में मारे गए मजलूम की विधवा के आंसू तो पोछे ही साथी ही शिक्षा के क्षेत्र में भी उन्होंने क्रांतिकारी कार्य किए. अमानतुल्लाह खान ने शिक्षा के क्षेत्र में दिल्ली की उस छात्रा को बोर्ड से फंड दिया जो पैसे ना होने की वजह से मेडिकल कॉलेज से निकाले जाने के डगर पर आ गई थी.
नजीब की मां को मदद देने के बाद उन्हों ने व्हाट्सप्प पर लिखा कि "अल्हम्दुलिल्लाह, आज हमने दिल्ली वक़्फ़ बोर्ड में 3 साल पहले JNU से ग़ायब छात्र नजीब की माँ को 5 लाख रुपए की मदद और नजीब के भाई हसीब को पक्की नौकरी दी, और 200 ज़रूरतमंद परिवारों को मदद दी।
अमानतुल्लाह खान ने दिल्ली वक़्फ़ बोर्ड से सैकड़ों युवाओं को रोजगार दिया. तनख्वाह की शक्ल में इमामों और मोअज़्ज़िन को सहारा दिया. साथ ही साथ मस्जिदों के प्राइवेट इमामों को भी बड़ी संख्या में बोर्ड से जोड़ने का सिलसिला शुरू किया ताकि वह माली परेशानी के झंझट से मुक्त होकर अपनी इमामत और खिताबत के फराइज अंजाम दे सकें.
कुल मिलाकर यह बात कही जा सकती है कि अमानतुल्ला ने दिल्ली वक़्फ़ बोर्ड को जो दिशा और दशा दी है वह सच में न सिर्फ सराहनीय है बल्कि आने वाले बोर्ड के चेयरमैन के लिए एक बड़ी मुसीबत भी है और उनके लिए चैलेंज भी कि वह किस तरह से अमानतुल्ला की खींची हुई लकीर को आगे बढ़ाने में सफल होंगे.
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