"दिल्ली दंगा प्रभावितों को जो मुआवज़ा दिया जा रहा है वह उनकी हानि (क्षति) के अनुपात में कम है। इस संबंध में सिक्ख दंगा 1984 के प्रभावितों के मुआवज़े से संबंधित दिल्ली हाईकोर्ट के निर्णय को आधार बनाया जाए। और मुआवज़े में उचित बढ़ोतरी की जाए।" यह मांग जमीयत उलमा ए हिंद के महासचिव मौलाना महमूद मदनी ने दिल्ली राज्य के मुख्यमंत्री श्री अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखकर किया है. पत्र कहा कि आपकी सरकार ने दंगा प्रभावितों की मदद के संबंध में जो विचार दिखाया है वह प्रशंसनीय है मगर उनके पुनर्वास के लिए घोषित की गई मुआवज़ा राशि अपर्याप्त है। जमीयत उलमा ए हिंद ने दिल्ली दंगा प्रभावितों की सहायता और पुनर्वास में अपने दायरे में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। जमीअत की टीम लगातार पांच महीने से वहां काम कर रही है। उसने महसूस किया है कि दिल्ली जैसे बड़े शहर में इस मुआवज़े से लोगों की भारी क्षति की पूर्ति नहीं हो सकती।
ज्ञात रहे कि दिल्ली सरकार ने दंगे में मरने वाले के परिवार को दस लाख रुपए देने की घोषणा की है। इसी तरह जिनके मकान दंगे में नष्ट हो गए हैं। उनको हर रिहायशी यूनिट के लिए पांच लाख रुपया दिया जाएगा। जिनके मकान में काफी नुकसान हुआ है उनको सिर्फ दो लाख रुपये दिए जाएंगे और हल्के फुल्के नुकसान के लिए 15 से 25 हजार रुपये तय किए गए हैं। स्पस्ट सी बात है कि दिल्ली जैसे महंगे शहर में नष्ट रिहायशी यूनिट के लिए पांच लाख रुपए और मकानों की मरम्मत के लिए ₹15000 अपर्याप्त हैं। जबकि आज से 7 साल पहले मुजफ्फर नगर दंगे में मरने वालों के परिवारों को 13 लाख रुपए दिए गए। वहां मुआवज़ा पाने वाले गांव के रहने वाले थे। ऐसे में दिल्ली दंगा प्रभावितों के लिए दिया जाने वाला मुआवज़ा अपर्याप्त है। इस संबंध में दिल्ली के मुख्यमंत्री को तुरंत कदम उठाते हुए मुआवज़े में उचित बढ़ोतरी करनी चाहिए। साथ ही मुआवज़े की अदाएगी में तेज़ी लाने की ज़रूरत है.
इस संबंध में जमीयत उलमा ए हिंद का एक प्रतिनिधिमंडल मौलाना हकीमुद्दीन क़ासमी सचिव, जमीयत उलमा ए हिंद के नेतृत्व में दंगा प्रभावित उत्तर पूर्वी दिल्ली के एडीएम से भी मिल चुका है।
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