नई दिल्ली, 4 मार्च 2020: जमीअत उलमा-ए-हिन्द के अध्यक्ष मौलाना सैद अरश्द मदनी ने एक बार फिर कहा है कि वर्तमान सरकार CAA को हिन्दू-मुस्लिम मुद्दा बनाकर प्रस्तुत कर रही है जबकि वास्तविकता यह है कि इस कानून का हिंदुओं और मुसलमानों से कोई लेना देना नहीं है, बल्कि इस कानून को लाकर देश के धर्मनिरपेक्ष संविधान पर सीधा हमला करने की दुखद कोशिश की गई है। हैदराबाद में आयोजित लोकतंत्र की रक्षा सम्मेलन को संबोधित करते हुए मौलाना मदनी ने कहा कि यह देश का धर्मनिरपेक्ष संविधान ही है जिसने पूरे देश को एकता की डोर में बांध रखा है, लेकिन अब इस डोर को काटने की साज़िशें हो रही हैं जिसे हमें समझने की ज़रूरत है। जमीअत उलमा-ए-हिन्द इसे लेकर चिंतित इसलिए है कि स्वतंत्रता के बाद देश के संविधान को धर्मनिरपेक्ष बनाने में उसके रहनुमाओं की ही मुख्य भूमिका रही है, इस संबंध में उन्होंने कहा कि जिस तरह देश की स्वतंत्रता में जमीअत उलमा-ए-हिन्द ने हरावल दस्ते की भूमिका निभाई थी ठीक उसी तरह स्वतंत्रता के बाद दुर्भाग्य से धर्म आधारित जब एक नया देश अस्तित्व में आया तो कांग्रेस के अंदर से ही यह आवाज़ उठने लगी थीं कि चूंकि एक नया देश अस्तित्व में आ चुका है इसलिए अब देश का संविधान हिन्दुत्व के आधार पर तैयार किया जाना चाहिए। तब जमीअत उलमा-ए-हिन्द के रहनुमा कांग्रेस नेताओं का हाथ पकड़कर बैठ गए और उनसे कहा कि हम से किया हुआ वादा आप पूरा करें।
मौलाना मदनी ने कहा कि वह ईमानदार लोग थे इसलिए जमीयत के लोगों की मांग को उन्होंने स्वीकार किया और देश के संविधान का आधार धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों पर रखा गया, मगर अब उन्हीं सिद्धांतों को नष्ट करने की साज़िश हो रही है और सी.ए.ए. इसी सिलसिले की एक मज़बूत कड़ी है।
उन्होंने कहा कि अगर CAA के तहत किसी को नागरिकता दी जाती है तो हमें इस पर कोई आपत्ति नहीं है लेकिन इस कानून के आधार पर आप सदियों से इस देश में बसे एक विशेष धर्म के मानने वालों की नागरिकता छीन लें यह हमें मंजूर नहीं।
उन्होंने कहा कि जिस तरह चुनाव के बाद भाजपा के एक पराजित नेता ने भड़काऊ बयान दिया और CAA के खिलाफ प्रदर्शन करने वालों को सबक़ सिखाने की धमकी दी इसके बाद साम्प्रदायिक तत्वों ने दिल्ली के पूरे जमुनापार को खून से नहला दिया। उन्होंने कहा कि लगातार तीन दिन तक हत्या और लूटमार का बाज़ार गर्म रहा और सरकार सोती रही। पुलिस ने भी अपना कर्तव्य नहीं निभाया तो सांप्रदायिक तत्व जो कुछ कर सकते थे उन्होंने किया, लेकिन यह कितना दुखद है जिस व्यक्ति के भड़काने पर इतनी बड़ी तबाही हुई? लगभग 49 निर्दोष लोगों की जानें गईं और करोड़ों की संपत्ति का नुकसान हुआ उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की जगह सरकार ने इसे वाईप्लस सुरक्षा प्रदान करादी है।
नफ़रत की राजनीति करने वालों की अब आंख खुल जानी चाहिए क्योंकि अब सार्वजनिक स्तर पर लोग खुलकर सांप्रदायिकता और नफरत की राजनीति के खिलाफ आवाज़ उठाने लगे हैं, उन्होंने कहा कि सी.ए.ए. की तरह एन.पी.आर. को लेकर भी यह प्रचार हो रहा है कि अकेले मुसलमान ही इसका विरोध कर रहे हैं। मौलाना मदनी ने कहा कि यह बिल्कुल गलत बात है, हम विरोधी नहीं हैं बल्कि इसमें जो नई बातें शामिल की गई हैं हम उनका विरोध करते हैं क्योंकि हम उन्हें देश के नागरिकों विशेषकर मुसलमानों के लिए खतरनाक समझते हैं। जिस प्रकार से 1950 से 2010 तक जनगणना हुई इसी प्रकार से जनगणना कराई जाए, हम सहयोग देने को तैयार हैं लेकिन NPR का वर्तमान प्रारूप हमारे लिये स्वीकार्य नहीं है।
उन्होंने चेतावनी दी कि नफरत और विभाजन की राजनीति करने वाले! अभी समय है संभल जाएं अन्यथा जनता स्वयं उन्हें सबक़ सिखा देगी। अन्य भाग लेने वालों में मुहम्मद अली शब्बीर, हामिद मोहम्मद खान, जस्टिस चंद्रा कुमार, जसवीन कौर, प्रोफेसर कोडंडा राम, आदि शामिल थे।
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