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क़ौमी तंज़ीम के तत्वाधान में और तारिक अनवर के नेतृत्व में 21 वीं सदी में महात्मा गांधी का महत्व के विषय पर चर्चा

नई दिल्लीः वर्तमान समय में देश में बढ़ रही नफरत का समाधान केवल महात्मा गाँधी के विचारों और उनकी शिक्षाओं द्वारा किया जा सकता है। भारत एक 'सर्वधर्म संभव' विचारधारा का देश है, और हमें देश की इसी विचारधारा की सुरक्षा करनी है। इन विचारों को वक्ताओं ने ऑल इंडिया कोमी तंज़ीम के द्वारा महात्मा गाँधी पीस फाउंडेशन में आयोजित '2021 में महात्मा गाँधी का महत्त्व' संगोष्ठी में उपस्थित लोगों के समक्ष पेश किया।

By: Abdus Samad
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  • क़ौमी तंज़ीम के तत्वाधान में और तारिक अनवर के नेतृत्व में 21 वीं सदी में महात्मा गांधी का महत्व के विषय पर चर्चा 

 

दिल्ली प्रदेश ऑल इंडिया कोमी तंज़ीम द्वारा 'नफरत छोड़ो भारत जोड़ो' अभियान के तहत आयोजित '2021 में महात्मा गाँधी का महत्त्व' पर संगोष्ठी 

 

नई दिल्लीः वर्तमान समय में देश में बढ़ रही नफरत का समाधान केवल महात्मा गाँधी के विचारों और उनकी शिक्षाओं द्वारा ही किया जा सकता है। भारत एक 'सर्वधर्म संभाव' विचारधारा का देश है, और हमें देश की इसी विचारधारा की सुरक्षा करनी है। इन विचारों को वक्ताओं ने ऑल इंडिया कोमी तंज़ीम के द्वारा "गाँधी प्रतिष्ठान" में आयोजित '21 वीं सदी में महात्मा गाँधी का महत्त्व' के विषय पर आयोजित संगोष्ठी में उपस्थित लोगों के समक्ष पेश किया और उन से प्यार और प्रेम को बढ़ावा देने की अपील की।

 

प्रोग्राम की अध्यक्षता कर रहे क़ौमी तंज़ीम के अध्यक्ष तारिक अनवर ने अपने संबोधन में कहा "वर्तमान समय में महात्मा गाँधी के विचार ही सबसे अहम हैं। केवल महात्मा गाँधी के विचार ही देश में सद्भावना और धार्मिक सौहार्द ला सकते हैं। ऑल इंडिया क़ौमी तंज़ीम की 'नफरत छोड़ो भारत जोड़ो' पहल की पूरे देश में प्रशंसा हो रही है और हमें ख़ुशी है कि समाज के लोग इस से बड़ी तादाद में जुड़ रहे हैं, और जो लोग महात्मा गाँधी के विचारों को सुनने यहां आए हैं या महात्मा गाँधी के बताये हुए मार्ग पर चल रहे हैं, और देश में प्रेम और भाईचारा पैदा करने के लिए किसी भी प्रकार से कोशिश कर रहे हैं वो सभी लोग बधाई के पात्र हैं।"

 

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अपूर्वानंद ने अपने वक्तव्य में कहा "आज भारत में मुस्लिम और इसाईओं के साथ जिस तरह से अन्याय और हिंसा की खबरे आ रही हैं, वह निंदनीय हैं। मुस्लिम समुदाय को वर्तमान समय में भय और डर के साथ ज़िन्दगी बितानी पड़ रही है। त्रिपुरा में पिछले एक सप्ताह से लगातार मुसलमानों के साथ हिंसा की घटनाए घट रही हैं। मीडिया भी इसको कवर नहीं कर रहा, मैं पिछले कई दिनों से तमाम अख़बार और न्यूज़ चैनल देख रहा हूं लेकिन किसी ने भी मुस्लिम समुदाय के भय को जगह नहीं दी। आज देश की जो स्थिति है उसके अनुसार हमें गाँधी का वारिस कहलाने का कोई अधिकार नहीं है। असली गाँधीवादी तो कनाडा और न्यूज़ीलैण्ड जैसे देश हैं, जब उनके देश में मुस्लिम समुदाय या कमज़ोरों के खिलाफ हिंसा हुई तो उनके प्रधानमंत्री और विपक्ष के नेताओं ने अपनी गलती स्वीकार की और सबके सामने माना की उनके देश में इस्लामोफोबिया है। लेकिन भारत में तो स्थिति यह है कि यहां विपक्ष भी मुसलमान और ईसाईयों के मुद्दे उठाने से घबराता है।"

 

एनडीटीवी के मशहूर पत्रकार सौरभ शुक्ला ने कहा कि "हमारे देश में महात्मा गाँधी के विचारों का क़त्ल करने वाले लोगों के अलावा ऐसे भी लोग हैं, जो महात्मा गाँधी के विचारों को ज़िंदा रखने के लिए हर प्रकार की कोशिश कर रहे हैं। आज भी 21वीं सदी में कई महात्मा गाँधी लोगों की सेवाएं करते मिल जायेंगे।" उन्होंने अपने कुछ वाकियात बताते हुए कहा कि आज भी कई महात्मा गाँधी ऐसे हैं जो सच और न्याय को सामने लाने के लिए अपनी ज़िन्दगी और नौकरी तक को दांव पर लगा देते हैं।"

 

कार्यक्रम का समापन ऑल इंडिया कोमी तंज़ीम की महिला विंग की अध्यक्ष शमीना शफीक ने वक्ताओं और अतिथियों का धन्यवाद करके किया। अंत में वक्ताओं और अतिथियों को तारिक अनवर के द्वारा सम्मान पुरुस्कार से सम्मानित किया गया, जिस में डॉ ज़ुबैदुर रहमान उर्फ़ बब्बन खान, अक़ील सलमानी, शाहनवाज़, ओवैस, क़मरुद्दीन, रफीउद्दीन, सुखदेव गुरु जी महाराज, शाहिद सिद्दीकी, अब्दुल्लाह वकील, शैख़ इमरान अधिवक्ता, फ़ुरक़ान सलमानी, भावना यादव, शिल्पी यादव, आकांक्षा, नबीला, सबा, फैज़ान अहमद, अब्दुल समद, आमिर सलीम, मिलन शर्मा, इम्तियाज़ अंसारी शिक्षा विद, अब्दुल वाहिद, रियाज़ सिंक वाटर, अब्दुल हैदर, शरिक खान के नाम शामिल हैं।

 

संगोष्ठी का संचालन ऑल इंडिया कोमी तंज़ीम के महासचिव और वतन समाचार के संपादक मोहम्मद अहमद ने किया। संगोष्ठी में गाँधी पीस फाउंडेशन के अध्यक्ष कुमार प्रशांत, अंशिता एनजीओ की सुमन तोमर सहित सैकड़ों लोग उपस्थित रहे।

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